वो यादगार डेट - 2 Sweety Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • My Devil CEO - 2

    सभी नाश्ता करके अपने काम पे निकल जाते है अक्षत और जसवंत जी क...

  • Love Blossom Devil's Unwanted Wife - 1

    वीरेंद्र प्रताप सिंह , बाड़मेर के हुकुम सा , साक्षात यमराज ,...

  • क्या खूब कहा है...

    कोई ठहर नहीं जाता किसी के भी जाने से यहां कहां फुरसत है किसी...

  • शोहरत का घमंड - 109

    आलिया के आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है और उसे कुछ भी समझ...

  • वीर साधना

    वीर  बहुत प्रकार के होते हैं।। जैसे की वीर हनुमान , वीर बेता...

श्रेणी
शेयर करे

वो यादगार डेट - 2

जैसे ही उसका मैसेज देखा कल नहीं आ पाऊंगा , बहुत थका हुआ हूं , मैनेज कर लेना !!
पहले तो कुछ समझ नहीं आया क्या कहूं ? कैसे रिएक्ट करूं ? बहुत बुरा भी लग रहा था ।
सवाल भी आ रहे थे आखिर उसने ऐसा क्यूं किया ?

लगभग पांच बजे का समय था , अजीब ये था इस समय भी वो ऑनलाइन था। उसे ऑनलाइन देखकर तुरन्त मैंने मैसेज करना शुरू किया। ये समझो मैं मैसेज की लाइन लगा चुकी थी!
मैसेज उस तक पहुंच तो रहे थे पर वो देख नहीं रहा था। यहां कुछ बात नहीं बनी तो मैंने उसे ऑनलाइन कॉल करनी शुरू की ,जिसका कोई जवाब नहीं आया।
आखिरकार उसके फोन पर मैं लगातार कॉल करती रही पर उसकी तरफ से कोई जवाब नहीं आ रहा था। समझ नहीं आ रहा था आखिर चल क्या रहा है!

मैंने मैसेज से ही उसे बताने की कोशिश की , अगर वाकई में बात थकावट की है तो कोई बात नहीं हम थोड़ा लेट भी मिल सकते हैं ताकि तब तक वो आराम भी कर ले।

साथ ही मैं उसे समझाना चाह रही थी कि ये छुट्टी लेना मेरे लिए कितना मुश्किल था। और ऐसे लास्ट मिनट पर ये सब बोलना ,यहां मेरे लिए सब मैनेज करना बहुत मुश्किल हो रहा था। अब तक लगभग छह बज चुके थे पर उसकी तरफ से कोई जवाब नहीं था।

समझ नहीं आ रहा था छुट्टी करूं भी या ना करूं । कहीं सुबह उठकर वो मिलने के लिए बोले। और अगर ऑफ़िस चली गई तो मिलना नहीं हो पाएगा।
वहीं ऑफिस जाने की हिम्मत भी नहीं हो रही थी ,पूरी रात सोई जो नहीं थी। सर दर्द होना भी चालू हो गया था।

मैंने फिर उसे मैसेज किए और बताने की कौशिश की कि कितनी मुश्किल से आज सब प्लान हुआ है तो ऐसा ना करे ।
मैं लगातार कॉल , मैसेज कर रही थी l जिसका कोई जवाब मुझे नहीं मिल रहा था !!

वहीं दिमाग में ये भी आने लगा अब अगर सच में उसे मिलना होता या मिलने का मन होता तो वो भी एक कौशिश कर सकता था , लेट से मिलने के लिए बोल सकता था और ऑनलाइन होकर मेरे मैसेज का जवाब तो दे ही सकता था।
पर ऐसा कुछ नहीं हुआ था।।

इसके बाद मैंने सारे मैसेज डिलीट किए , अब तक लगभग साढ़े छह बज चुके थे और दिमाग में उस समय बस एक ही बात आई, ऐसा इन्सान जिसे मेरी या मेरे टाइम की वैल्यू नहीं है , ऐसे इन्सान के लिए मुझे अपना काम डिस्टर्ब नहीं कराना चाहिए। बिना देर किए ऑफ़िस के लिए रैडी होने चली गई।
बात है बहाना बनाने की ,जो उसने मेरे साथ किया वो मैं खुद के साथ नहीं करना चाहती थी। मैंने ऑफ़िस जाने का सोच लिया था। एक सर दर्द की गोली ली और अपनी ज़िम्मेदारी को समझते हुए ऑफिस जाना सही समझा ।

मैं उसी से जानना चाहती थी , आखिर उसने ऐसा क्यूं किया ? मुझे उम्मीद थी कि मैरी कॉल्स देखकर उसका कुछ रिप्लाई ज़रूर आएगा। मैसेज मैं सारे डीलीट कर चुकी थी , मैं कुछ भी बोलने से पहले उससे जानना चाहती थी, सब सुनना चाहती थी ,,,
और इंतज़ार करने लगी कि उसका क्या रिप्लाई आता है !!