वो अनकही बातें - भाग - 6 RACHNA ROY द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

वो अनकही बातें - भाग - 6

शालू फे्श हो कर आ गई और बोली चलो अब कुछ देर आराम कर ले।


समीर बोला अरे शालू तुम मेरे साथ अकेले नहीं रह सकती हो ना?? मिलने में कम्फर्ट नहीं हो?

शालू हंस कर बोली अरे नहीं ऐसा कुछ नहीं है हमलोग इतने सालो बाद मिलें हैं ना, थोड़ा सा नर्वस हो गई थी।

समीर बोला हां बाबा मुझे पता है सब ,पहले तो एक पल के लिए भी तुम मुझे नहीं छोड़ा करती थी और आज तो तुमने मुझे बीच रास्ते में छोड़ दिया है।

शालू दम भर कर धीरे-धीरे बोली कौन किसे छोड़ा है ये तो भगवान जानता है।

समीर एक दम गुस्सा हो कर बोला कि इतने सालो बाद मिलें हैं पर कोई कशिश बाकी नहीं है क्या? तुमने तो एक बार भी हग तक नहीं किया।।इतनी दूर क्यों चली गई शालू।

फिर समीर ने एक तकिया उठाया और मारा शालू के ऊपर।

उफ! सोमू तुम भी ना कहते हुए शालू ने एक और तकिया समीर पर फेंक दिया।

समीर ने हंस कर कहा ये हुई ना बात।याद है गर्ल्स हॉस्टल में एक बार मैं आया था तो तुम्हारी सहेली नूतन के रूम में तुम भी थी ना। क्या हुआ था पुरे होस्टल की लड़कियों ने तकिया फेंकने की प्रैक्टिस की थी और फिर सारे तकियों की तो धज्जियां उड़ाई गई थी।

शालू ने कहा, कैसे भुला सकती हुं तुमने ही तो किया था। और फिर तीन दर्जन तकिया खरीद कर देना भी पड़ा था।

फिर समीर ने शालू को अपनी तरफ खींचा और दोनों ही गिर पड़े।
शालू उठ कर बोली सोमू तुम भी।।।।।। ये कह कर, खुद अपने को सम्हाल कर रूम से बाहर निकल गई।

शालू की दिल की धड़कन तेज होती गई और वो जैसे ही मुड़ी तो सामने उसका सोमु ही खड़ा था।
अब समीर ने शालू को अपनी आगोश में ले लिया।
शालू ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की पर उसका सोमू अब कहां रूकने वाला था।

शालू ने धीरे से कहा सोमु प्लीज़ मुझे जाने दो।

समीर ने बोला नहीं शालू अब मैं तूझे नहीं जाने दे सकता।

शालू बोली ये कैसा बचपना है सब देख रहें हैं।।

समीर ने फिर कहा देखने दो ,ये कोई बचपना नहीं है, मैं तुम्हारे दिल की धड़कन को सुनना चाहता हूं और अब दर्द सहा नहीं जाता है मैडम। है

फिर अचानक से बारिश की बुंदों ने दोनों को जैसे अलग कर दिया ।

शालू बेसुध हो कर दौड़ने लगी और सीधे रूम में जाकर दरवाजा बंद कर दिया, क्योंकि उसने खुद को इतने सालों तक अपने सोमु के लिए सम्हाल कर तो रखा था पर एक डर था कि कहीं कुछ अनहोनी हो गई तो।।अब शालू सीधे बेंड में रोते हुए गिर गई।

कुछ देर बाद ही समीर बाहर से डोर बेल बजा कर बोला अरे शालू मुझे माफ़ कर दो अगर मैंने कुछ गलत किया हो तो।।

फिर शालू ने दरवाजा खोला और बोली कोई बात नहीं समीर, क्या हम घर जा सकते हैं।

समीर बोला हां,चलो मैं तुम्हें घर छोड़ देता है।
गाड़ी में बैठ कर शालू तो एक दम चुप सी हो गई।

समीर ने भी कुछ नहीं कहा बस उसको देखें जा रहा था और आंखो से आंसु बहते जा रहे थे जैसे समीर ने ही अपनी आंखों को इजाजत दे रखी थी कि बस बहते जाओ।

फिर ने माहोल अच्छा बनाने के लिए एफ एम रेडियो ओन कर दिया और ये गाना बजाना शुरू हुआ। "तेरे हाथ में मेरा हाथ हो सारी जन्नते मेरे साथ हो"!!।

फना फिल्म का गाना सुनते शालू उन दिनों में खो गई जब सोमु ने फिल्म की दो टिकटें लाया था और शालू के नखरे।।
शालू बोली मुझे नहीं जाना है बस,समीर बोला बच्चों की तरह ज़िद्द करती हो ।
कल तो बोला था और आज ही मैं फर्स्ट डे सो की टिकट बुक करवाया और लेकर आया।

शालू बोली अरे तो क्या इतना भी नहीं कर सकते हो। समीर बोला अब चलो भी।
फिर दोनों हाथों में हाथ डाल कर फिल्म देखने चले गए।
जैसे ही गाना खत्म हो गया। शालू अपने अतीत से वर्तमान में आ गई और अपने आंसुओं को पोंछने लगी।
समीर ने कहा रो रही हो।। शालू ने कहा नहीं बस कचरा चला गया।

समीर बोला अब ठीक हो तुम। शालू बोली हां मैं ठीक हूं।
शालू ने मन में सोचा समीर को तो याद ही नहीं है फना फिल्म की यादें। और उधर समीर ने कुछ नहीं कहा सोचा कि बेकार में शालू परेशान हो जायेगी।

फिर शालू का अपार्टमेंट आ गया और वो बिना बोल कर चली गई और जब वह पीछे मुड़कर देखी तो समीर जा चुका था।

शालू लिफ्ट में किसी तरह जाती है और फिर अपने फ्लैट तक पहुंच कर दरवाजा खोल कर कमरे में जाकर बैठ जाती है और सोचने लगती है कि मैंने ही सबकुछ खराब कर दिया, बिचारा सोमू कितना कुछ किया था मेरे लिए ,पर मैंने क्या किया??
कमरे में आ कर फे्श होती है और फिर बेड पर लेट कर खुब रोती रही और रोते-रोते सो जाती है।


क्रमशः