सिगरेट पी ओ होश से Nikunj Kantariya द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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सिगरेट पी ओ होश से

कोई आदमी सिगरेट पी रहा है।अक्सर आदमी अपनी आदत से सिगरेट पीता हे।आदत से मजबूर होता है।उसे पता ही नही चलता कब हाथ जेब में चला गया , कब जेब से बाहर आ गया , कब सिगरेट बाहर निकल गई, कब माचिस जल गई , कब मु पे लग गई और धुआं अंदर बाहर होने लगा। गुम सांढ की तरह पीते चला जाता है। कुछ होश ही नहीं होता है।सब अपने आप होने लगता है। उनको तो पता ही नही होता ही की मेने सिगरेट पीना चालू कर दिया ही और धुआं अंदर बाहर करना शुरू कर दिया है।

जब जेब में हाथ डाले तब अगर पैकेट ना हो तब वो जागता है,तब होश में आता है,उसका हाथ ढूंढता हे लेकिन मिलता नही।तब उसे पता चलता हे। वरना सब अपने आप एक मशीन की तरह होता हे। जिसे एक कमांड दे दिया गया हे और फिर वो ऑटोमेटिक हे अपने आप चलती रहती है।फिर उसमे हमे कुछ करना नही पड़ता अपने आप होने लगता है।


अब उसे ठीक से समझते हे की ऐसा क्यों होता हे।ऐसा इस लिए होता हे की हमारी बॉडी की अपनी खुद की एक इंटेलिजेंस होती है । लेकिन वो मिकेनिकल इंटेलिजेंस होती है। मिकेनिकल इंटेलिजेंस का मतलब अब समझते हे की उसका मतलब क्या होता हे।


जैसे की हमे हमारा दिल धड़काना नही पड़ता वो अपने आप हमारा शरीर धड़काता रहता है। अगर हमे धडकाना पड़ता फिर तो दिक्कत होगी। 50 साल की उम्र तक शायद ही कोई पहुंच पाए। जरा सा भी भूले की गए सीधे ऊपर। एकाध दिन भूले की गए, एकाध दिन तो बहुत दूर हे , पाच सात सेकंड भी भूले की गए सीधे ऊपर।

शरीर दिल को चलाताा हे , खून भी वही बनाता हे , हम नही बनाते ,हमे चलाना पड़े तो बड़ी दिक्कत हो जाए। अगर हम देखे तो पता चलेगा कि छोटे से आदमी के शरीर में इतना काम एक साथ चलता हे की वैज्ञानिक कहते ही की इतना काम अगर फैक्टरी में करना पड़े ना तो दस वर्ग मील की फैक्टरी बनानी पड़े। एक हिस्से में दिल को धडकाना , एक हिस्से में खून बनाना , एक हिस्से में नाखून बढ़ा ना , हड्डियां बनाना ,और भी इतना काम ही की ये सब काम अगर हम करने लगे तो 1 मिनिट से ज्यादा जी ही नही पाएंगे।

शरीर की अपनी इंटेलिजेंस हे मतलब की उसे भी अपनी फिक्र करनी पड़ती हैं हजारों तरह की। अगर हमारे शरीर में छोटा सा भी घाव लग जाए तो वो घाव के ऊपर एक पतली सी परत जमने लगती है। वो हम नही करते वो हमारा शरीर ही करता है। हमारे शरीर में 2 तरह के कण होतेे हे। सफेद और एक लाल। उसमे जो सफेद कण होतेे हे वो बिल्कुल आर्मी की तरह होते है । उसके लिए हमारा शरीर एक गांव जैसा हे अगर कोई बाहर से अटैक करे तो तुरंत ही वे अपनी फोज लेके वहा खड़े हो जाते हे।


शरीर पर घाव लगा मतलब बाहर से अटैक हुआ । शरीर फौरन मिलिट्री यानी सफेद कण को भेजती है और घाव के आसपास इकठ्ठा हो जाती हे और एक परत बना लेती ही।ताकि बाहर के कीटाणु उस परत को पार करके अंदर न आ सके और फिर शरीर नई चमड़ी बना ने का काम शुरू कर देती हे।

लेकिन ये सब शरीर की खुद की इंटेलिजेंस हे। ये कोई छोटी मोटी इंटेलिजेंस नही है। लेकिन ये इंटेलिजेंस अंधी हे।अंधी मतलब की अगर आप अपने शरीर की क्रिया ओ में मौजूद नहीं रहेंगे तो शरीर अपनी आदतों से चलने लगेगा।

वैसे ही ठीक अगर सिगरेट पीता हुआ आदमी होश में ना हो तो शरीर खुद अपनी आदतों के हिसाब से चलने लगती है फिर उसे नही चलाना पड़ता।

अगर सिगरेट पीने वाला आदमी जरा सा होश में आकर के देखे की वो सिगरेट पी रहा हे। धुआं अंदर खींच रहा हे, फिर बाहर निकल रहा हे।फिर से अंदर खींच रहा हे,फिर निकल रहा हे। तो थोड़ी ही देर में उसे लगेगा की ये क्या में बेवकूफो वाली हरकते कर रहा हु? बहुत पागलपन दिखाई देगा। ठीक वैसे की कोई आदमी एक खुर्सी को उठाके दूसरी जगह पे रख रहा हे और फिर से उठाके उसे पहले वाली जगह पे रख देता हे और ये बार बार करता रहता हे। ऐसा काम तो कोई पागल ही कर सकता हे।


अगर सिगरेट पीने वाला आदमी थोड़ा सा होश में आकर आंख बंद करके धुएं पे मेडिटेट करे की ये धूआ अंदर गया,बाहर आया,अंदर गया। तो फिर वो ज्यादा देर तक पी ही नही सकेगा।खुद की नजरो में पागल दिखाई पड़ेगा।

अमेरिका में थोड़े वर्ष पहले डिसाइड किया की सिगरेट के डब्बे पे लाल अक्षरों में बड़े अक्षरों में लिख दो की ये हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

पहले तो सिगरेट कंपनी के मालिकों ने बहुत विरोध किया की इससे तो हमारा धंधा बिल्कुल कम हो जाएगा।खुद के लिए हानिकारक हो ऐसी चीज कोई आदमी क्यू लेगा।धंधे में बड़ा नुकसान हो जाएगा।लेकिन तब मनोवैज्ञानोको ने कहा कि घबडाओ मत जो एक घुए को भी अंदर बाहर कर सकता हे वो इस लाल अक्षरों को भी भूल सकता है और हुआ भी यही।


कुछ महीने में करोड़ों रुपए का धंधा कम हो गया सिगरेट का , लेकिन फिर वापस अपनी जगह आ गया, जिस आदमी को धुआं भीतर अंदर करने का होश न हो उसे लाल अक्षर पढ़ने का होश कहा से होगा। डिब्बे पे लिखा रहे। कोन पढ़ेगा? कोई नही पढ़ता।

आदमी जब तक बेहोश हे तब तक वो सिगरेट पीता रहेगा लेकिन जब होश में पिएगा तब फिर वो कभी भी नही पी सकेगा।

सिगरेट पी ओ लेकिन होश से।

।। जय हिंद ।।