R का बटन Amulya Sharma द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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R का बटन

गांव में उत्साह का माहौल था क्योकि मेरे गांव में फोन लगने वाला था और यह बहुत ही बड़ी बात थी। गांव में बहुत सालों से फोन की सुविधा उपलब्ध नहीं थी और सभी गांव वालों को किसी बाहरी व्यक्ति को फोन करने के लिए गांव से 15 किलोमीटर दूर स्थित कस्बे में जाना पड़ता था या वहां के किसी पीसीओ मालिक के संपर्क में रहना पड़ता था।

मैं और मेरे भाई साहब दोनों बहुत परेशांन थे क्योकि हमारी बात पर कोई ध्यान नहीं दे रहा था। कितनी बार हम दोनों ने पिता जी को टेलीफोन लगवाने की गुजारिश की थी पर हमेशा उन्होंने उस बात को टाल दिया था ।

हमने उनको बहुत समझाया कि गांव घर में फोन पर होने से बहुत सुविधा हो जाती है और हम किसी से भी जब चाहे तब बात कर सकते हैं। वह जब भी चाहे तो ग्वालियर वाली बुआ जी से या बनारस में अपने बहनों से बात कर सकते हैं या उनसे भी, जो भी बात करना चाहे, हमेशा बात की जा सकती लेकिन पिताजी के कानों पर जूं भी नहीं रेंग रही थी। हमारी बातों को सुनकर वह बस इतना ही बोलते थे कि "देखते हैं" ।

एक दिन मैंने और भाई साहब ने पिताजी को समझाने का और टेलीफोन की महत्ता के बारे में बताने का एक अंतिम प्रयास करने का निर्णय लिया और हम दोनों पिताजी के पास पहुंच गए।

वहां पहुंचकर भाई साहब ने बोला," अरे पिता जी! आपको पता है या नहीं क़ि आज टेलीफोन की एप्लीकेशन देने की अंतिम तिथि है?"

पिताजी ने बोला कि "नहीं! मुझे तो नहीं पता ,लेकिन अच्छा हुआ तुमने बता दिया।"

यह सुन कर हम दोनों चौंक गए । पिताजी ने मुस्कुराते हुए कहा "अपने घर में फोन तो होना ही चाहिए। "

यह सुनकर हम दोनों की बातें बांछें खिल गई और हम दोनों खुशी से उछलते हुए पूरे घर के चक्कर लगाने लगे। आने वाले दो-तीन दिन बहुत ही एक्साइटमेंट से भरे हुए थे। हम दोनों स्कूल से आने के बाद सीधे टेलीफोन संबंधित कार्यो में लग जाते थे । लाइन कहां से खींचनी है ?टेलीफोन कहां पर रखा जाएगा? टेलीफोन का कलर कौन सा होगा? फोन कितने समय से कितने समय तक प्रयोग में रहेगा? यह सारी बातों पर विस्तृत चर्चा होती लेकिन अंतिम निर्णय पिताजी पर छोड़ दिया जाता।

आखिरकार 3 दिन की जी तोड़ मेहनत के बाद हमारे घर में फोन लग ही गया । लाल रंग का चमचमाता वह फोन ड्राइंग रूम की छोटी लकड़ी की टेबल पर रखा गया। उसके चारों तरफ हमने गुलदस्ते सजा दिए । देखने में वह बहुत ही खूबसूरत था टेलीफोन वालों ने घंटी बजाकर फोन को चेक किया और उसकी घंटी की आवाज को सेट कर दिया । अब हमें इंतजार था कि हमारे घर में किस का फोन आता है । हम लोग दौड़ते हुए पड़ोसी यादव जी के यहां पहुंचे और उन से अनुरोध किया कि वह हमारे घर पर नंबर पर फोन करें । मैंने यादव जी को बोला कि नंबर डायल करने के बाद वह रिसीवर मुझे दे दे जिससे कि मैं उधर से आवाज सुन सकू । यादव जी ने नंबर डायल करने के बाद रिसीवर मुझे दिया और मैंने बेल जाने की मधुर ध्वनि अपने कानों में आती हुई सुनी । थोड़ी देर में उधर से हेलो की आवाज आई। पिताजी ने फोन उठाया था । मैंने उत्साह में जोर से चीख निकाली," पिताजी आपकी आवाज आ रही है"। और खुशी-खुशी फोन को रख कर मैं वापस अपने घर की तरफ दौड़ पड़ा । टेस्टिंग सफलतापूर्वक कर ली गई थी और फोन सही काम कर रहा था।


गांव में फोन लग जाने से जहां एक ओर सुविधा हुई थी वहीं दूसरी ओर परेशानियां भी कम नहीं थी । गांव के शोहदो की बन आई थी। उन्होंने किसी भी नंबर पर डायल करके अनाप-शनाप गालियां देना शुरू कर दिया था । लोगों को पता ही नहीं चल रहा था कि फोन कहां से आ रहा है और गालियां कौन दे रहा है । लोगो फोन उठाने से भी डरने लगे थे क्योंकि जैसे ही फोन उठाते थे उधर से गालियों की बौछार शुरू हो जाती थी और पता भी नहीं चलता था कि फोन कहां से आ रहा है।

उस समय फोन यह सुविधा नहीं होती थी कि पता चल सके कि किस नंबर से फोन किया जा रहा है और इस बात का उन शोहदों को अच्छी तरह पता था। अभी तो गांव में फोन लगे हुए एक हफ्ता ही हुआ था और सभी के नंबर भी गांव के लोगों को पूरी तरह पता नहीं थे । धीरे धीरे कुछ दिन बीतने पर नंबर पता चलने लगे और अब एक नई तरह की मुसीबत लोगों को झेलनी पड़ रही थी।

गालियां तो फोन पर थोड़ी कम हो गई थी लेकिन अब शोहदों का विशेष रुझान उन घरों की तरफ था जहां पर कोई जवान लडकी थी। उन घरों में फोन पर मिस कॉल आने का सिलसिला सुबह होते ही शुरू हो जाता था, जो रात देर तक चलता रहता। घरवाले जैसे ही फोन उठाते उधर से फोन काट दिया जाता और कुछ देर बाद दोबारा मिस कॉल आने लगती।


हमारे पड़ोस में रहने वाले यादव जी इस समस्या के भुक्तभोगी थे। एक दिन परेशान होकर वह घर आए और पिताजी से बोले, "शर्मा जी, हम तो इस फोन लगवा कर परेशान हो चुके हैं। साला दिन रात फोन ही बजता रहता है और जैसे ही उठाओ सामने वाला फोन काट देता है। कोई जानबूझकर परेशान कर रहा है। उसको पता है कि यह फोन डिस्कनेक्ट नहीं करेंगे क्योंकि उनके घर में कुछ जरूरी फोन आ सकता है और वह इसी बात का फायदा उठाता है। फोन काट कर भी तो नहीं रखा जा सकता। अगर किसी को बाहर से कितने फोन करना होगा तो फोन लगेगा ही नहीं। जब से यह साला फोन लगा है दिमाग में घंटियां बजती रहती हैं। दिन में इतनी बार मिस कॉल आती है कि पूरा घर परेशान हो चुका है। अगर मुझे पता चल जाए कौन मिस कॉल मार रहा है तो साले की हड्डियां तोड़ दूं।"
पिताजी ने उनसे सहानुभूति दिखाते हुए बोले, " यादव जी चिंता मत कीजिए ।कुछ ना कुछ तो उपाय होगा ही।"

यादव जी भुनभुनाते हुए अपने घर चले गए। हम दोनों ने यह बात सुनी और हमारे खुराफाती दिमाग में इसका हल निकालने का फैसला कर लिया । मिस कॉल वाली आफत हमारे घर में भी आने लगी थी लेकिन अभी इसकी तीव्रता थोड़ी कम थी। भाई साहब के जासूसी दिमाग ने अगले ही दिन इस समस्या का तोड़ निकालने का निश्चय किया। उन्होंने फोन का गहन अध्ययन प्रारंभ किया । फोन को उलट पलट कर देखा गया ।

गंभीरता पूर्वक फोन को देखते हुए उन्होंने बोला, "टेलीफोन में कहीं ना कहीं तो कोई ऐसा बटन होता ही होगा, जिसको दबाने से फोन वापस करने वाले के पास जाता होगा क्योंकि ऐसा मैंने कई फिल्मों में देखा है। "

काफी ढूंढने के बाद उन्हें एक अलग सा बटन दिखा, जो की किनारे पर लगा हुआ था और उस पर अंग्रेजी के बड़े अक्षरों में "R" लिखा हुआ था। जिसको देखने के बाद भाई साहब की आंखें चमकने लगी ।

उन्होंने बोला, "छोटे! यह बटन देख रहे हो। यही हमारी समस्या का समाधान है। "

"लेकिन भैया , ये बटन है किस लिए लिए?" मैंने कौतुहल वश भाई साब से पूँछा ।

भाई साब ने रहस्यमई मुस्कराहट के साथ उत्तर दिया ," छोटे! जैसे की टेप रिकॉर्डर में रिवाइंड का बटन होता है ना , जिससे की हम कैसेट को दोबारा शुरू से सुन सकते है , वैसे ही टेलीफोन में इस बटन का काम होता है की दुबारा उसी नंबर पर फ़ोन लगाना , जहा से पिछला फ़ोन आया था । "

मैं खुशी से झूम उठा। भाई साहब ने आखिरकार इस समस्या का समाधान कर ही लिया । मेरे मन में भाई साहब के प्रति सम्मान और आदर की भावना हिलोरे मारने लगी।


अब हमने अपनी इस खोज का प्रयोग करने का निश्चय किया। हम दोनों फोन के पास बैठ गएऔर किसी के मिस कॉल मारने का इंतजार करने लग। ज्यादा प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ी और कुछ ही समय में फोन की घंटी बजी और हमेशा की तरह जैसे ही भाई साहब ने फोन उठाया, फोन कट गया। भाई साहब मुस्कुराहट के साथ बोले," देखना छोटे! अभी मैं इसको सही करता हूं। "

उन्होंने वापस फोन रिसीवर पर रखा और उठाने के बाद "R" वाला बटन दबा दिया। दूसरी तरफ से घंटी की आवाज आने लगी और उनकी आंखें चमकने लगी। थोड़ी देर में जैसे ही दूसरी तरफ से फोन उठा, भाई साहब इधर से चीखने लगे,"साले!! घर में घंटी मारता है! कौन है तू ?अगर हिम्मत है ,तो सामने आ कर बात कर। यह मिस कॉल मारने का क्या नाटक फैला रखा है। अगर दोबारा साले तूने मिस कॉल की, तो मैं तेरी रिपोर्ट पुलिस में करवा दूंगा। फिर तुझे पुलिस ढूंढ के कहीं ना कहीं स ले ही आएगी । समझ में आया !! दोबारा मिस कॉल मारने से पहले 10 बार सोचना साले !!"

और इतना बोलने के बाद भाई साहब ने फोन रख दिया। उनके चेहरे पर एक असीम शांति की लहर दौड़ गई थी और एक संतोष की भावना मेरे मन में भी थी। आखिरकार हमने एक महत्वपूर्ण समस्या का समाधान खोज निकाला था। हमने अपनी इस खोज को गांव में फैलाने का निश्चय किया। सबसे पहले हम यादव जी के पास पहुंचे जो कि अपने घर में ही थे

मैंने पुछा, "अंकल! क्या अभी भी आपके घर में मिस कॉल वाली समस्या है?"

यादव जी पशोपेश में बोले, "हां! तो क्या करोगे तुम उसके लिए ?"

मैंने कहा ," अंकल भैया ने उस समस्या का समाधान खोज निकाला है। " और हमें ने थोड़ी देर पहले की घटना उनको बताई ।

यादव जी की आंखें खुशी से चमकने लगी। उन्होंने अचम्भित हो कर बोला "क्या बच्चो ! ऐसा भी होता है क्या? मुझे तो यह पता ही नहीं था। "R" का बटन फोन फोन पर ही दिखा था पर मुझे पता नहीं चला कि यह बटन किस लिए दिया गया है ? आज पता चला कि इसका यह काम होता है। अब तो समस्या का समाधान हो ही जाएगा । "

इतना कहकर वह घर के अंदर चले गए और फोन के पास बैठकर किसी के मिस कॉल आने का इंतजार करने लगे। ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा। मुश्किल से 5 मिनट के बाद ही उनकी फोन की घंटी बजी और फोन उठाते ही फोन कट गया । भाई साहब पास में खड़े थे। उन्होंने बोला, "अंकल आप फोन पर वापस रखिए और उठाइए और उसके बाद "R" वाले बटन को दबा दीजिए। फोन वापस वही पर जाएगा, जहां से आया था ।

यादव जी ने फोन उठाया और"R" के बटन को दबा दिया। उनके कानों में घंटी की आवाज आने लगी और जैसे ही दूसरी तरफ से हेलो की आवाज आई, वैसे ही यादव जी ने गालियां देना प्रारंभ कर दिया । इतने दिनों का दबा हुआ गुस्सा और कुंठा, उनके मुंह से शब्द बनकर फूट पड़े। गालियों की नदी सी बह निकली।

हम दोनों इतनी गालियां सुनने के आदी नहीं थे, इसलिए चुपचाप वहां से अपने घर आ गए । यादव जी की आवाज गूंजती रही। 5 मिनट तक वह फोन पर ही गालियां देते रहे और उसके बाद उन्होंने फोन रख दिया । थोड़ी देर बाद अपने घर के बाहर वापस दिखे तो हमने उनसे पूछा, "अंकल क्या हुआ"?

उन्होंने मुस्कुराते हुए बोला, "बेटा! बहुत-बहुत धन्यवाद !तुम्हारी वजह से आज मेरे जीवन में शांति आई । नहीं तो इस फोन की वजह से मेरा जिंदगी बर्बाद हो गई थी । " उनके चेहरे पर एक अजीब सी शांति फ़ैल गई ।


भाई साहब ने अपनी इस खोज को पूरे गांव में फैलाने का निश्चय किया और शाम को जब हम क्रिकेट खेलने गए तो हमने अपने सभी दोस्तों को इस खोज के बारे में अवगत करवा दिया । अगले दिन तक पूरे गांव को पता चल चुका था की टेलीफोन में जो "R" का बटन है, वह किस लिए दिया जाता है। लोगों ने बहुतायत, में खुले दिल, से "R" के बटन का प्रयोग करना शुरू किया और अपने दिलों की भड़ास और गुस्से को निकालना शुरू किया।

पिताजी बाहर गए हुए थे, इस वजह से हम उनको अपनी इस महत्वपूर्ण खोज के बारे में बता नहीं पाए और उनके आने का इंतजार करने लगे । तीन-चार दिन बाद पिताजी जब घर वापस आए, तो हमने उनको अपनी इस खोज के बारे में बताने का निर्णय किया ,जिसने गांव में खुशहाली वापस लौटा दी थी ।

खाना खाने के पश्चात जब पिताजी आराम कर रहे थे, तब हम दोनों वहां पहुंचे और उनक पास बैठ गए ।मैंने बोला, " पिता जी , गांव के लोग जिस मिस कॉल की समस्या से परेशान थे, हमने उसका समाधान खोज निकाला । "

पिताजी आश्चर्यचकित रह गए और बोले, "अरे!! ऐसा क्या किया तुम दोनों ने?"

भाई साहब ने गर्व से बोला, "हमने एक ऐसे बटन की खोज की जिससे फोन वापस वही पर जाता है, जहां से वह आया था या यूँ कहे कि जिसने मिस कॉल मारी थी, फोन उसी को वापस लगेगा। "

पिताजी ने आश्चर्य से पूछा, "ऐसा कौन सा बटन टेलीफोन में होता है? यह तो मुझे भी नहीं मालूम!!"

भाई साहब ने गर्व से कहा, "पिताजी, एक बटन फोन पर किनारे की ओर दिया गया होता है जिस पर अंग्रेजी के बड़े अक्षरों में "R" लिखा होता है। अगर आप वापस उस बटन को दबा दें तो फोन वहीं पर लगेगा जहां से वह आया है। हमने इस खोज के बारे में यादव जी को बता दिया था और उन्होंने "R" का बटन दबाने के बाद उस फोन करने वाले को बहुत गालियां दी । अब उनके यहां मिस कॉल आने भी कम हो गए हैं। यहां तक कि हमने पूरे गांव में सभी लोगों को यह बात बता दी है और सभी ने इसका प्रयोग करना प्रारंभ कर दिया है। और मजे की बात यह है कि लोगों के यहां मिस कॉल आना कम हो चुका है । हमारे घर में भी अब मिस कॉल नहीं आते। "

पिताजी ने आश्चर्य से हम लोगों की ओर देखा बोले ,"अरे! मुझे भी वह बटन दिखाओ। कहां पर है वह। "

हम दोनों उनको लेकर टेलीफोन के पास पहुंचे और भाई साब ने गर्व क साथ बोले ,"पिताजी यह है वह "R" का बटन!! जिसने सारी समस्या का समाधान किया है। "

पिताजी ने अपना माथा पकड़ लिया । उनक मुखमुद्रा गुस्से में बदल गई । वो चीखे, "अरे कमबख़्तो !! यह बटन उस कार्य के लिए नहीं है जिसका तुमने प्रचार कर रखा है। "

हमारी और देखकर उन्होंने गुस्से से कहा, "यह बटन Re dail का बटन है मतलब कि तुमको दोबारा अगर फोन करना है तो तुम इस बटन को दबाओ तो पिछले बार किए हुए नंबर पर दोबारा फोन लगेगा तुमको वापस पूरा नंबर डायल नहीं करना पड़ेगा।पता नहीं किस किस को तुम लोगो ने गालियां खिलवा होगी । "


यह सुनते ही भाई साहब तुरंत क्रिकेट खेलने के लिए निकल चुके थे और मैं भी उनके पीछे-पीछे दौड़ रहा था।