वो अनकही बातें - भाग - 2 RACHNA ROY द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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वो अनकही बातें - भाग - 2

शालू ने कहा चलों छोड़ो।

समीर ने कहा मैंने तो सब कुछ छोड़ दिया था।

शालू ने तुरंत जमाही लेने लगी और सोने का नाटक किया और कहा, मुझे नींद आ रही है।

समीर ने हंस कर कहा साफ झूठ बोल रही हो पता चल रहा है। किस से भाग रही हो ? खुद से ? मुझसे दूर चली गई थी पर किस्मत का खेल देखो।

एक बात बताओ क्या सच में तुमने शादी कर ली है?

शालू ने कहा समीर अब क्या फायदा इन बातों का।
समीर ने कहा,ओ के गुड नाईट।समीर उठकर ऊपर चला गया।

शालू रोते हुए रुम में चली गई। शालू पलंग पर बैठ कर अचानक सपनों में खो गई।

सब कुछ अच्छा चल रहा था कालेज में की अचानक मिनल आकर हम दोनों में दीवार बन गई थी।
समीर भी मिनल के साथ रहता था।

भले ही हम दोनों ने कभी एक दूसरे को मुहब्बत का पैगाम नही दिया था पर हमारा प्यार तो सच्चा था।

मुझे उन दिनों एहसास हो रहा था कि कुछ ग़लत होने वाला है मैं समीर से बात करना चाहती थी पर वो तो बस अपनी दुनिया में रहता था।

फिर जब मैं कालेज में छुट्टी कि बात सोमू को बताई तो वो तीन दिन तक बात नहीं किया था।
कितना बचपना था मेरे सोमू में, और अब तक है।
फिर शालू अपने वर्तमान में लौट आई।
और खुद से बोली कि मैं आज बहुत बेबस लड़की जैसी क्यों हो गई। राजीव ने मेरे साथ क्यों किया ऐसा? और पुजा भी तो।।

फिर कब नींद आ गई पता नहीं चला ऐसा लग रहा था कि वर्षों बाद सोई थी।

अगले दिन सुबह समीर जिम से लौट कर अपने कमरे में गया। और अपनी अलमारी में से एक नया सूट निकाला ।।।।
फिर सोचने लगा हर बार जब मैं कहीं जाता हुं तो तुम्हारे लिए ही कभी साड़ी, कभी सूट, कभी बैग तो कभी चुन्नी, कभी सैंडिल और कभी झुमके,तो कभी पायल, कभी लाल पीली,हरी, नीली चुड़िया।।। और ना जाने क्या क्या।। ये तो हर बार करता हूं।इन सब पर हक सिर्फ तुम्हारा है शालू।

शालू आराम से सो रही थी जब आंख खुली तो सुना, दरवाजे में दस्तक हो रही थी।


समीर दरवाजा खटखटा रहा था।शालू ने जल्दी से दरवाजा खोला।

समीर ने कहा गुड मॉर्निंग शालू।
शालू ने कहा गुड मॉर्निंग, मैं फेश होकर आती हुं।

समीर ने कहा, ओके चाय पीने आ जाना और हां ये लो डैस चेंज कर लेना।

शालू ने कहा,ओह थैंक यू मैं अभी सोच रहीं थी कि क्या पहनु।

समीर ने कहा,कोई नहीं चलो।

शालू नहा कर तैयार हो गई। गुलाबी रंग की सूट में शालिनी खुद को देख रही थी। ये तो एकदम फिट आया मुझे।।शालू ने मन में कहा किसका होगा ये?

फिर शालू डायनिंग रूम में आ गई और टेबल पर जाकर देखा तो तरह तरह-तरह के व्यंजन रखें थे।
शालू बोली समीर कोई आने वाला है क्या?

समीर ने हंस कर कहा,कौन आयेगा हां, गौर से देखो सभी तुम्हारे पसन्द का बना है।
शालू ने कहा समीर मुझे क्या पसंद है वो सब याद है तुम्हें??

समीर ने कहा हां, हमेशा से पर तुम भुल गई सब कुछ।

ये सुनकर शालू रोने लगी।

समीर ने टेबल से टिशु पेपर देते हुए कहा शालू खाते समय नहीं रोते हैं। मैं इन आंखों में आंसू नहीं देख सकता। ना तो पहले और ना ही अब।

शालू ने पूछा समीर तुम अस्पताल कब जाते हो? समीर ने कहा, मैं तुम्हें छोड़ कर निकल जाऊंगा।
शालू ने कहा मैं चली जाऊंगी। कहा! तुम मेरे लिए परेशान हो रहे हो। इतने सालो से मुझे तो आदत हो गई है।

समीर ने कहा हां पता है हमेशा से तुम इंडिपेंडेंट होकर रहना चाहती थी।पर तुम किस से भाग रही हो , मुझसे या अपने आप से।
शालू ने कुछ नहीं कहा और फिर उसका फोन बजने लगा। शालू ने फोन उठाया हेलो! उधर से आवाज आई शालू कहा हो?शालू ने कहा ,हां भावना मैं एक जगह में हुं, आज आफिस शायद नहीं आ पाऊं। वैसे मैंने मेल कर दिया है।
भावना बोली अरे तुम ठीक हो ना।
शालू ने कहा हां मैं ठीक हूं। अच्छा चलो।।

समीर ने कहा शालू तुम ज़बाब नहीं दे रही हो , बात को टाल रही हो शादी नहीं किया ना?

शालू ने बताया कि मैंने अगर शादी किया भी तो तुम्हें क्या। मैं अपने जीवन में खुश हुं।

समीर ने कहा पैसों से खुशियां नहीं खरीद सकती हो तुम।ये बोल कर समीर जोर जोर से हंसने लगा और बोला हां! मुझे क्या ?
सच तो कहा तुमने।
शालू कितनी सेलफिश हो गई हो तुम। हमेशा से अपने बारे में सोचा है।

शालू ने कहा ,हां सही पहचाना तुमने,इन सभी बातों के लिए रोकना चाहते हो।

समीर ने टोन्ट मरा और फिर बोला हां तुम जितनी बार जाना चाहोगी मैं उतनी बार जाने नहीं दुंगा।

शालू ने बात टालते हुए कहा तुम्हारा घर बहुत बड़ा है पर लोग कम है।

समीर ने कहा हां अनाथ हुं ना ।।
क्रमशः