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एक फ़ौजी की कहानी

एक फ़ौजी की कहानी

गुजरात में एक गाँव था छोटा सा। जहा एक दिलजीतसिंह नाम का आदमी रहे ता था। उसके घर पर कितने वक्त बाद बहोत बड़ी खुशी आने वाली थी। उसकी बीबी माँ बनने वाली थी। उसने ऐसा सोचा था मेरे घरमें लड़की या लड़का हुआ तो मे देश की सेवा मे ही भेजूंगा।

छ दिन के बाद उसके पर पे एक लड़का हुआ। उसने पुरे गाँव मे मिठाई खिलाई। तब एक आदमी ने पुछा, "भाई इतनी मिठाई किस खुशी मे बाट रहे हो?"

तब उसने बोला, " मेरे घर लड़का पैदा हुआ है, इस लिए !"

तब वो आदमी बोला, " धन्यवाद, आपने मिठाई खिलाई इस लिए। प्रार्थना करूँगा की आपका बेटा बहोत बड़ा आदमी बने और आपका नाम रोशन करे ।"

दलजीतसिंह बोला, " जी, आपका आभार।" और वो उधर से चला गया।

दिलजीतसिंह अपने घर चला गया। वो बहुत खुश था। और उसने अपने बच्चे का नाम गुरमीतसिंह रखा। बच्चा धीरे-धीरे बडा होने लगा। बच्चे को पढ़ने स्कुल मे भेजने लगें। बच्चा पढ़ने में बहुत अच्छा और होशियार था। बच्चा धीरे-धीरे बडा हो रहा था। गुरमीत दस तक पढ़ा फिर पापा से बोला, " अब मुझे आगे नही पढ़ना। "

पापा बोले, " क्यु? क्या हुआ?"

गुरमीत बोला, " अब मुझे आपकी इच्छा पुरी करनी हैं।"

पापा बोले, " मेरे कोनसी ईच्छा है, जानते हो ना। "

" फ़ौजी..! पापा अब मे फ़ौज जाऊँगा। " - गुरमीतने जवाब दिया।

पापा बोले, " ठीक है बेटा तुम जाओ।"

उसके बाद गुरमीत फ़ौज में भर्ती होने के लिए तैयारियां करने लगा। गुरमीत ने एक फोम भरा फ़ौज का। वो एक महीने के बाद इसके लिए चिट्ठी आई। घर पे पापा बैठे थे डाकवाला आया और बोला, "आपके लड़के लिए चिठ्ठी आई हैं।"

पापा बोले, " कहा से आई है?"

डाकवाला बोला, " फ़ौजी की जोब की लिए।"

पापा खुश हो गये। और गुरमीत को बोले, " बेटा मेरा सपना साकार होने वाला हैं ऐसा लग रहा हैं।"

बेटा बोला, " हा पापा मुझे चोठे रोज को जाना हैं।"

पापा बोले, " ठीक है उधर मन लगा कर अपनी ट्रैनिंग लेना और इस देश का सिपाही बन के आना।"

गुरमीत बोला, " हा पापा, बिल्कुल। आपकी हर ख़्वाहिश शरआँखों पर।"

फिर वो जाने की तैयारी करने अपने कमरे में गया। और चार दिन बाद वो घर से फ़ौजी की ट्रेनिंग के लिए चला गया। धीरे-धीरे दिन निकले लगें। एक महीना हुआ, दो महीने हुए, ऐसे ही धीरे धीरे से एक साल हो गया। एक साल बाद उसकी ट्रेनिंग पुरी हो गई। गुरमीत एक सिपाही बन गया।

सिपाही बनकर वो अपने घर आया पूरे एक साल बाद। गुरमीत घर पे आया गया, और पापा को बुलाया और पापा के पैरों को छु कर आशीर्वाद लिया। और बोला, " आपका बेटा आपकी ईच्छ पुरी करके आया है। मे एक फौजी बन गया।"
दिलजीतसिंह अपनी खुश से पुरे गाँव वालों को मिठाई खिलाई और अपने बेटे के फौजी हो जाने की खबर पूरे गाँव को दी। और खुद भी इतनी बड़ी खुशी में घर पर बेटे के साथ जशन मनाने लगा। और कुछ दिनों बाद गुरमीत को अपनी फ़ौजी की ड्यूटी के लिए बुलाया गया। और वो पापा के सपने को पूरा करने और देश की सेवा के लिए चला गया।


एक बेटा ने अपने पिता का "सर" गौरव से ऊँचा कर दिया,
ऐसे भी बच्चे हैं पापा की ईच्छा पुरा करवाले लड़के...

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