जिंदगी से मुलाकात - भाग 11 Rajshree द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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जिंदगी से मुलाकात - भाग 11


मिसेस जोशी के कहने पर रिया ने जीवन को फोन लगाया।
फोन बजता रहा, कुछ देर बाद फोन पर एक औरत की आवाज आयी-
"हेलो"
"हेलो मुझे जीवन से बात करनी है।" रिया ने घबराहट में अपनी बात रखी।
"जीवन अभी नहाने गया है।"
इतनी कोशिशों के बाद भी मैं उससे बात नहीं कर पाऊंगी, ऐसा डर और फोन पर बात करने वाली औरत का जीवन से क्या संबंध है इसकी जिज्ञासा जाग उठी रिया को।
"वैसे... आ..प कौन?" रिया ने हिचकिचाहट में पूछा।
"मैं, मिसेस सरपोत्तदार।"
रिया जवाब सुनते ही भौचक्का हो गई 1 एक मिनट के लिए जैसे उसके जुबान पर ही ताला लग गया हो।
"आप कौन?" दूसरी लाइन से पूछे गए औपचारिक सवाल से रिया अपने अंचबे से बाहर है आयी।
"मैं... मैं... मैं जीवन के ऑफिस में काम करती हूं।" रिया ने हकलाते हुए जीवन से बात करने का बहाना खोज ही लिया।
"देखिए आज कार्तिक का बर्थडे है, इसलिए आज जीवन ऑफिस नही आएगा।"
इतना बड़ा सदमा पचाना उसे मुश्किल हो रहा था उस पर भी यह कार्तिक शब्द उसके दिल में चल रहे तूफानों को बढ़ावा दे रहा था।
"कार्तिक!?" रिया ने अपने ख्यालों पर नियंत्रण रखते हुए पूछा।
दूसरे लाइन से कोई जवाब आए इससे पहले एक आवाज सुनाई दी- "अब किसका फोन है?" जीवन की आवाज सुनते हुई रिया की आंखें फटी की फटी रह गयी।
"जीवन!!" रिया धीरे से बुदबुदाई।
कुछ नहीं तुम्हारे ऑफिस से फोन है।
"उन्हें कह दीजिए, खेल रहे कार्तिक को गोदी में उठाते हुए, आज हमारे कार्तिक का जन्मदिन है और आज हम ऑफिस हरगिज़ नहीं जाने वाले।" कार्तिक की क्यूटनेस से प्रभावित होकर वो बच्चों की आवाज में बात करने लगा।
रिया ने सब सुन लिया,उसके हाथों से टेलीफोन रिसीवर छूट गया।
"हेलो वो आज नहीं आएगा, सुन रही है आप?"
रिया तो सोचने समझने की शक्ति पहले से ही खो चुकी की थी।
काफी मिन्नतों के बाद जीवन के घर का नंबर प्रितम से मिला था,भले ही उस में जोत्सना की मदद ली गई हो पर अब यह सब कोई मायने नहीं रखता था।
जीवन जिंदगी में बहुत आगे बढ़ चुका था,जीवन ने गृहस्थ आश्रम में कब के कदम बढ़ा दिए थे।
टेलीफोन से आने वाला आवाज बंद हो गया सब जगह शांती।
रिया कितनी देर से स्तंभ, भौचक्का, अचंभित हो घुटनों पर बैठे हुए थी।
जाने कितनी देर वो जीवन में दिए गए झटके से उभरने की कोशिश कर रही थी।
शाम हो चुकी थी,चांद की उपस्थिति से सारा आकाश मोहित हो रहा था, रोशनी बालकनी से अंदर आकर सीधे रेष में दरवाजे छु रही थी।
पर रिया सोफे के पास बेजान बैठी हुई रोशनी की तरफ देखी जा रही थी।
दूसरी तरफ मिसेज जोशी आज बहुत खुश थी, विक्रम ने ईमेल जो भेजा था वो इस होली को घर आने वाला था।
उन्होंने आज स्पेशल पूरनपोली, मूंग वडा और सारे व्यंजन बनाए थे यह देखने के लिए कि कही वो वृद्धावस्था के कारण अच्छा खाना बनाना भूल तो नहीं गई थी? पर नहीं वह भूल नहीं थी। मिस्टर जोशी ने मुंग वड़े फस्त करते हुए पुष्टि की।
मिसेस जोशी ने सोचा वह क्यों नहीं वो रिया को भी यह खुशखबरी देके आए, रिया के लिए कुछ पूरनपोली मुंग वडा और आमटी,भात एक टिफिन कैरियर में बांधी।
कुछ पुरणपोलिया उन्होंने मिस्टर पुरोहित, दिनेश और देव के घर भी भेजे खासकर मिस्टर शिंदे के यहा।
वो आज 75 की उम्र में 25 साल की लड़कियों को भी शर्माने वाला काम कर रही थी।
सब लोगों की इस बात की खुशी हो रही थी कि विक्रम इतने सालो बाद घर वापस आ रहा है।
आखिरकार मिसेज जोशी ने रिया के घर दस्तक दी दरवाजा खोल कर रोशनी को काटते हुए वो अंदर आयी, अंदर रिया बेजान पड़ी हुई थी उसे देखते ही मिसेस जोशी की खुशी कहीं खो गयी।
"रिया..." मिसेस जोशी चिल्लाई।
रिया उसी स्थिति में बैठी थी जिस स्थिति में वो कुछ महीने पहले थी, बेजान गुमसुम।
मिसेस जोशी हड़बड़ाहट में रिया के पास गई- "क्या हुआ रिया?"
"उसने शादी करली।" रिया भावनाशून्य होकर बोली पर मृदु आवाज से साफ साफ झलक रहा था कि वो अंदर से कितनी टूट चुकी है।
"किसने शादी करली?" मिसेस जोशी की भौहे चिंता से ऊपर उठ चुकी थी।
"जीवन..." रिया बुदबुदाई,पर मिसेस जोशी ने सब सुन लिया।
वो नीचे घुटने पर बैठ गयी और रिया को झटसे गले लगा लिया,रिया ने भी अपने हात कसके बांध लिए।
"आंटी मेरी बहौत बड़ी गलती हो गयी,मैने जीवन को खो दिया"- रिया निराशावादी स्वर में बोली।
रिया नाही जीवन के छोड़ जाने पर आक्रोश जता रही थी नाही उसे इस बात का कोई गम था।
"में कभी जीवन को वो प्यार दे ही नही पायी जिसकी उसे तलाश थी। उसने जिंदगी में आगे बढके सही कदम उठाया।"
"बचपन मे जब लोग मुझसे दोस्ती नही करते तो लगता मेरी ही कही गलती होगी लेकिन समझ मे नही आता कहा पे आज समझ मे आया में कभी दुसरो को मौका ही नही देती मेरे करीब आने का मुझसे प्यार करने का।"
"रिया ऐसा कुछ नही है जिन्हें करीब आना होता है वो आते है जो हमसे प्यार करते वो हमारे बारे मे सब जानते है और हमे उसी तरह से स्विकार करते है।"
"जो हो गया सो हो गया अब तुम्हे आगे बढ़ना होगा।"
रिया मिसेस जोशी को कसके गले लगाके रोने लगी।
रिया ने उस दिन बाद से खुदको काफी बदल लिया था।
पर्फेक्शनशिस्ट, पंच्युल।
वो अपना आधा समय ऑफिस में काम करने में बिता देती।
वरिष्ठ अधिकारियों से उसकी तारीफ होने लगी।
उसके हितचिंतक काफी खुश हुए और कही लोग जलभुन के काख हो गए पर उसे उसकी कोई परवाह नही थी।
मिसेस जोशी भी काफी खुश थी विक्रम होली के लिए घर जो आया था।