लड़की ने शादी अस्वीकृत की - 2 r k lal द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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लड़की ने शादी अस्वीकृत की - 2

लड़की ने शादी अस्वीकृत की – भाग दो

आर ० के ० लाल

कहने को तो अंकिता ने शादी के लिए मना कर दिया था मगर रात भर उसे नींद नहीं आई। सारी रात सोचती रही कि अगर वह इसी तरह शादी के लिए मना करती रही तो कितना मुश्किल हो जाएगा? वह किस प्रकार किसी को अपना पति चुन पाएगी और कैसे अपना नया आशियाना बसा पाएगी। इस प्रकार तो घर के लोग भी नाराज हो जाएंगे। फिर सोचने लगी कि शादी के बाद अगर उसे अपना सारा ध्यान ससुराल के लोगों को ही खुश करने में बिताना होगा तो वह किस प्रकार जीवन में कुछ उल्लेखनीय कार्य कर पाएगी । इन्हीं ख्यालों में डूबी अंकिता की समझ में नहीं आ रहा था कि उसका व्याकुल मन क्यों अपना धीरज खोता जा रहा है और आज केवल रंग रूप, वेशभूषा और शारीरिक आकर्षण देखकर शादी तय कर दी जाती है । यह नहीं देखा जाता कि उस शादी से उनका दांपत्य जीवन सफल रहेगा या नहीं।

अंकिता को परसों की घटना याद आ रही थी जब उसे देखने लड़के वाले आए थे और स्वयं अंकिता ने शादी के लिए मना करते हुये सभी को घर चलने के लिए कह दिया था। होटल में डिनर का ऑर्डर भी दे दिया गया था परंतु लड़के वालों ने यह कहते हुये खाना खाने से साफ मना कर दिया कि जब शादी ही नहीं करनी तो हम डिनर कैसे कर सकते हैं। अंकिता तो अपने को अपराधी ही महसूस कर रही थी। मगर उसके पापा रामनाथ उसकी तारीफ किए जा रहे थे कि देखो इस छोटी सी लड़की ने कितनी हिम्मत दिखाई। बिना किसी दबाव के अपना निर्णय सुनाया और उसका कारण भी बड़े अच्छे शब्दों में सबके सामने रखा। अंकिता ने सब के सामने एक मिसाल कायम किया है और हम गर्व से कह सकते हैं कि हमने उसे अच्छा संस्कार दिया है।

अंकिता ने सबसे पूछ ही लिया कि मैंने शादी के लिए इंकार किया है तो आप लोगों को साँप क्यों सूंघ गया है? मैंने तो उसी समय धीरे से मम्मी से कह दिया था कि मुझे यह रिश्ता कुछ पसंद नहीं आ रहा है क्योंकि लड़के वाले बातचीत में बहुत ही चालबाज लग रहे थे। वह सिर्फ हमारी तनख्वाह और मेरे द्वारा उनकी सेवा किए जाने के बारे में ही बात कर रहे थे। जब मुझसे नहीं रहा गया तो मैंने ही उन लोगों से खुलकर अपनी बात रखी ताकि किसी को कोई बात बुरी न लगे। रामनाथ बोले, “अंकिता तुमने कोई गलती और बदतमीजी नहीं की है। यह तुम्हारे जीवन के प्रश्न थे जिनके उत्तर पाने का तुम्हें पूरा अधिकार था।

अंकिता सोच रही थी कि भारतीय समाज में स्त्री की दशा क्यों इतनी गिरी हुयी है कहने को तो लोग कहते हैं कि लड़का लड़की दोनों बराबर हैं , परिवार चलाने में भी दोनों की बराबर की भूमिका होती है मगर यह सब केवल उपदेशों और किताबों में ही दिखाई पड़ता है, वास्तविक जीवन में तो उसे कोई महत्व ही नहीं देता। आज भी जब किसी स्त्री को बच्चा नहीं होता तो कमी केवल लड़की में निकाली जाती है और लड़के की दूसरी शादी तक करा दी जाती है। यह कैसा अन्याय है?

कुछ ऐसा ही माहौल लड़के अर्थात तरुण की तरफ भी था । उस दिन वे लोग भी घर लौटे तो किसी ने खाना नहीं खाया । एक अच्छी शादी न होने से वे भी दुखी थे। फिर भी तरुण की मम्मी ने कहा, “भगवान का लाख-लाख शुक्र है कि शादी से पहले ही पता चल गया कि लड़की के तेवर कितने तेज है , वह कितनी बदतमीज है”?

केवल तरुण की छोटी बहन पूजा अंकिता की तारीफ किए जा रही थी, “अंकिता कितनी सुंदर और समझदार थी। मुझे तो भैया से ज्यादा उसकी पर्सनालिटी अच्छी लग रही थी। आप लोगों को ही चाहिए था कि उसे समझने का मौका देते। हम सब अपनी अकड़ में थे इसलिए उसने स्वयं शादी के लिए मना कर दिया”।

तरुण का उद्वेलित मन आत्मग्लानि से तड़प उठा। वह सोच रहा था कि उस दिन के पूरे एपिसोड में उसकी भूमिका ठीक नहीं था। वह क्यों मौन साधे था? अब वह एक लड़की की नजरों में अपने को गिरा हुआ महसूस कर रहा था। कुछ लोग तरुण का मजाक उड़ाने लगे थे कि उसको एक लड़की ने रिजेक्ट कर दिया। वहीं एक दोस्त ने कहा, “तरुण छोड़ो, उस लड़की का जरूर कहीं किसी से चक्कर चल रहा होगा। उसी से शादी करना चाहती होगी। इसलिए किसी बहाने से शादी अस्वीकार कर दी। एक पल तो तरुण को इस बात में दम दिखा मगर न जाने क्यों इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा था। उसका चेहरा और व्यक्तित्व स्पष्ट कर रहा था कि अंकिता अपने माता-पिता द्वारा अरेंज मैरिज ही करना चाहती थी ।

एक दिन फुर्सत में तरुण अपने घर की बालकनी में बैठा चाय की चुस्की ले रहा थी कि अचानक बड़ी-बड़ी बूंदें पड़ने लगीं। थोड़ी देर बाद आकाश में एक बड़ा इन्द्र धनुष दिखाई पड़ा। वह नितांत अकेला उस अलौकिक सौंदर्य को निहार रहा था कि अचानक उसे प्रतीत हुआ कि सामने अंकिता खड़ी हो और फिर वही सवाल दोहरा रही हो। तरुण ने तय किया कि उसे अपनी गलती स्वीकार कर लेनी चाहिए। वह अंकिता से बात करना चाहता था। अगली सुबह उसने अपनी मम्मी- पापा से इस विषय में विचार विमर्श किया। कहा कि लोग बेमतलब की बात कर रहे हैं । वैसे भी मुझे तो लड़की बहुत अच्छी लग रही थी । अगर हम लोग फिर से पहल करें तो हमें एक अच्छा रिश्ता और आपको एक अच्छी बहू मिल सकती है।

इस शादी की बात रामनाथ के बहनोई ने चलायी थी । जब उन्हें पता चला कि अंकिता ने शादी के लिए मना कर दिया है तो वे बहुत दुखी हुए । उन्होंने कहा कि शादी ब्याह में तो ऐसी छोटी मोटी कहा सुनी होती ही रहती है। हमें मिल बैठ कर बात करनी चाहिए और शादी वहीं करनी चाहिए।

अंकिता से कोई भी शादी करने को तैयार था। उसका बॉस महेंद्र भी उसे चाहते थे। जब उन्हें पता चला कि अंकिता ने तरुण को शादी के लिए मना कर दिया तो वे उसे प्रपोज़ करना चाहते थे । इसलिए जब अगले दिन अंकिता अपने ऑफिस की मीटिंग के लिए बंगलोर की फ्लाइट पकड़ने गयी तो महेंद्र उसे छोड़ने के लिए एयर-पोर्ट तक गए थे। बिदा करते समय महेंद्र ने अंकिता का हाथ पकड़ लिया और फिर उसका हाथ चूम लिया था । रास्ते में अंकिता सोचती रही कि ऐसे में क्या करना चाहिए। एक ओर वह पहले लड़के तरुण से पीछा छुड़ाना चाहती है तो दूसरी ओर महेंद्र उसको अपना बनाना चाहता है। उसे तो लग रहा था कि यह सच्चा प्यार न होकर शारीरिक आकर्षण के कारण है क्योंकि वह इतनी खूबसूरत है कि उसे देखते ही लोग उसके आशिक हो जाते थे । हालांकि अंकिता नहीं चाहती थी मगर फूफाजी के दबाव में वह लड़के तरुण से बात करने को तैयार हो गयी । तरुण बहुत चाहता था कि उसकी शादी अंकिता से हो जाए। इसलिए अंकिता ने एक एक करके सभी बातों का पता लगाया और इस निष्कर्ष पर पहुंची कि लड़का बहुत अच्छा है परंतु लड़के वाले काफी अमीर और बड़े लोग हैं।

अंकिता ने तरुण से कहा, “मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि आप जैसा व्यक्ति बिना किसी अहम के मुझसे बात की। मेरी गलतफहमी को दूर किया । परंतु मेरा मानना है कि लड़के लड़की की शादी बराबर वाले परिवार में ही करना उचित होता है । वैसे तो अगर कोई बेटी एक बड़े घर में जाती है तो उसे उसका सौभाग्य माना जाता है। लेकिन यह भी एक प्रकार का मिसमैच है। दोनों घर के संस्कार, स्टैंडर्ड आफ लिविंग बराबर होने चाहिए। पारिवारिक परिस्थितियाँ एक समान होंगे तो संबंधों में तालमेल बना रहेगा वरना कभी भी कुछ गड़बड़ हो सकती है”।

अंकिता ने तरुण को बताया कि उसकी सहेली रूपा की शादी एक बड़े चीफ इंजीनियर के बेटे से तय हो गई। लड़के वाले सज्जन लोग थे और उनके अंदर कोई अहंकार भी नहीं था। रूपा के मम्मी-पापा जब भी उनके घर जाते तो वे लोग पूरे तन मन से उनकी खातिरदारी करते। शादी में उन्होंने कोई दहेज नहीं लिया और बढ़-चढ़कर खर्च भी किया था । रूपा के सभी रिश्तेदार प्रसन्न थे कि वह बड़े घर में गयी है। मगर रिश्ता कहीं से बराबरी का नहीं था। इसलिए रूपा के मां-बाप जब भी रूपा के ससुराल जाते तो उन्हें समझ में नहीं आता कि वे क्या गिफ्ट लेकर जाएं और उनके यहां कितना समय बिताएँ ? उन्हें लगता था कि वे उनके घर में ठीक से अपने को एडजस्ट नहीं कर पा रहे हैं। चाहे बड़े से सोफे पर बैठने की बात हो अथवा सबके साथ बड़े डाइनिंग टेबल पर खाना खाने की बात हो, सभी में उनको संकोच होता था, उन्हें रिश्तेदारी का कभी कोई मजा नहीं मिल रहा है।

अंकिता ने एक दूसरा उदाहरण भी दिया जिसमें उमा की शादी एक बराबरी वाले परिवार में हुई। ससुराल वाले अच्छी बहू पाकर अपने को धन्य समझते हैं । वे उमा को भरपूर प्यार और दुलार देते हैं और अपने सामर्थ्य के अनुसार गिफ्ट का आदान प्रदान करते हैं । उमा के पापा और मम्मी जब भी उमा की ससुराल जाते तो मिल कर नॉनवेज आदि बनाते हैं और सब लोग एक साथ बैठकर डिनर करते हैं । इस प्रकार दोनों परिवार वाले खुश हैं ।

अंकिता ने तरुण से कहा , “मुझे लगता है कि आपका परिवार हमारे परिवार से काफी हाई स्टैंडर्ड का है इसलिए सब कुछ ठीक होते हुए भी मुझे नहीं लगता कि हमें शादी के बंधन में बंधना चाहिए। इस प्रकार अंकिता ने एक बार फिर शादी को अस्वीकृत कर दिया । तरुण भी अंकिता के विचारधारा से सहमत हो गए हैं ।

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