दस्विदानिया - 2 S Sinha द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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दस्विदानिया - 2

भाग 2


पिछले अंक में आपने पढ़ा जब विकास अपनी ट्रेनिंग के लिए सोवियत संघ गया वहां उसकी मुलाकात एक बार फिर से तान्या से होती है ….


कहानी - दस्विदानिया

एक सप्ताह बाद विकास को मास्को घूमने की अनुमति मिली . अगले ही दिन सुबह प्लांट में जब वह तान्या से मिला तो बोला “ दोब्रो उत्र ( गुड मॉर्निंग ) , मुझे मास्को जाने की अनुमति मिल गयी . अब तुम मुझे मास्को टूर के लिए गाइड करो . “


“ इसी वीकेंड में मुझे भी मास्को जाना है . “


“ तब मैं भी चलता हूँ तुम्हारे साथ . “


“ इतना आसान नहीं है है , मैं अपने कजन के साथ जा रही हूँ . मैं उससे बात कर कल तुम्हें बताती हूँ . “


“ तुम्हारे माता पिता कहाँ रहते हैं ? “


“ सेकंड वर्ल्ड वॉर की समाप्ति के कुछ दिन पहले मेरा जन्म हुआ था . मेरे जन्म के कुछ सप्ताह बाद वे दोनों एक विस्फोट में मारे गए . मुझे मेरे अंकल ने पाला है और उन्हीं के लड़के से साथ मैं मास्को जा रही हूँ . ठीक है अब मुझे चलना चाहिए , दोब्रो नोचि ( गुड नाईट ) . “


अगले दिन प्लांट में तान्या ने बताया कि उसका कजन विकास के साथ मास्को जाने को तैयार था . वे तीनों वीकेंड में मास्को गए . तान्या के कजन को मास्को से कोई सौ किलोमीटर दूर अपने पेरेंट्स के घर जाना था . मास्को में कजन का एक छोटा सा अपार्टमेंट था जिसकी चाभी उसने तान्या को दे रखी थी और कहा था कि वह सेंट पीटर्सबर्ग में वापस ले लेगा .


तान्या ने विकास को मास्को , लेनिनग्राद और उसके आसपास के दर्शनीय स्थलों का सैर कराया . विकास क्रेमलिन और रेड स्क्वायर के बारे में सुन रखा था , उन्हें देख कर बहुत खुश हुआ . उन दिनों मास्को में बहुत ठंड पड़ रही थी . तान्या ने कहा “ अब बिना वोदका ( रूसी शराब ) पिए काम नहीं चलेगा . मैं ड्रिंक बनाती हूँ . “


“ हाँ , मैं भी यही सोच रहा था पर संकोच से नहीं बोल पाया . “


“ कैसा संकोच ? “


“ मैं जब पीता हूँ तब जम कर . पीने में कंजूसी नहीं . इसलिए मैं अक्सर घर में ही पीता हूँ . बाहर पी कर होशो हवाश खो कर तमाशा नहीं बनना चाहता हूँ . “


“ आओ पीओ जितना पीना है . एक दिन कुछ तमाशा ही बन जाओ तो कोई बात नहीं है . “


तान्या ने वोदका का कॉकटेल बनाया . दोनों ने मिल कर पूरी बोतल पी डाली और दोनों को अपना होश न रहा . सुबह नींद खुली तो दोनों एक ही रज़ाई में अस्त व्यस्त लिपटे पड़े थे . “


विकास बोला “ सॉरी , मुझे नहीं पता मैं यहाँ कैसे आया ? “


“ मुझे भी नहीं पता मैं यहाँ कैसे आयी . पर इतना तो जरूर है कि कुछ न कुछ हुआ है रात हम दोनों के बीच . “


“ चलो रात गयी , बात गयी . “


“ अब तो यही मान कर संतोष करना होगा . “ तान्या ने बेमन से कहा


अगले ही दिन दोनों वापस सेंट पीटर्सबर्ग आये . उपरोक्त घटना के बाद दोनों में नजदीकियाँ और बढ़ने लगी . देखते देखते विकास के इंडिया लौटने का समय निकट आ गया . विकास ने कहा “ एक बात कहना चाहता था , बुरा तो नहीं मानोगी ? “


“ कहो ना . “


“ मेरा मन तुम्हें छोड़कर जाने का नहीं कर रहा है . “


“ वो तो तुम्हें जाना ही पड़ेगा . न हमारा देश तुम्हें यहाँ रुकने की इजाजत देगा और न ही तुम्हारी कम्पनी तुम्हें यहाँ रुकने देगी . जेल की हवा खानी पड़ेगी . “


“ अगर मैं तुमसे शादी करना चाहूँ तो क्या तुम्हें कोई एतराज होगा ? “


“ पहले जैसे एतराज सोचती थी वैसा तो नहीं होगा . पर यह इतना आसान नहीं है . मुझे या तुम्हें अपने देश की नागरिकता छोड़नी होगी . थोड़ा सोचने का समय दो कि क्या आसान होगा . “


“ गुड , सोच कर एक दो दिन में बता दो . “


“ पर तुम क्या समझते हो कि मेरा फैसला तुम्हारे यहाँ सबको मंजूर होगा . मैं जानती हूँ कि तुम्हारा समाज बहुत कंजर्वेटिव है . वहां तो दूसरी जाति में शादी के लिए तैयार नहीं होते हैं . मैं तो दूसरे देश और धर्म की हूँ पर हमारे यहाँ धर्म का वजूद नगण्य है . “


“ मैं भारत जाने के बाद तुमसे हमारे अंतिम फैसले की बात करता हूँ . उम्मीद है फैसला हमारे पक्ष में ही होगा . आखिर मैं अपने माता पिता का एकमात्र बेटा हूँ . “


विकास इंडिया लौट आया . पर यहाँ तो परिवार में माहौल ही कुछ और था . घर पहुँचने के साथ ही उसकी तीनों छोटी बहनों ने उसे घेर लिया . विकास की तीन छोटी बहनें थीं पर सभी की आयु में दो से तीन साल का अंतर था . सभी ने खुश हो कर कहा “ भैया , हमलोगों ने आपके लिए लड़की पसंद कर ली है . भाभी बहुत सुन्दर है और ग्रेजुएट भी है . पापा मम्मी ने उन लोगों को वचन दे दिया है बस आपके हाँ की जरूरत है . और ना कहने की गुंजाइश कहाँ है ? भाभी पढ़ी लिखी , सुंदर और अच्छे परिवार से है . “


“ तुमलोग उसे मुंह हाथ धो कर फ्रेश होने दोगी की ऐसे ही बकवास करती रहोगी ? “ माँ ने बेटियों को डांटते हुए कहा . फिर विकास की तरफ देख कर कहा “ जा बेटा , अपने कमरे में जा . जल्दी से तैयार हो जा . मैंने तेरे पसंद की खीर पूरी बनाई है . “


सबसे छोटी बहन दौड़ कर विकास की भावी पत्नी का फोटो ले कर आयी और उसे दिखाते हुए कहा “ भैया देखो भाभी की फोटो . कितनी सुंदर है ? “ विकास ने एक नजर भर फोटो पर डाली और फिर उसे नजरअंदाज कर अपने कमरे में चला गया .


विकास फ्रेश हो कर सब के साथ डाइनिंग टेबल पर बैठा था . उसकी माँ ने उसे खाना परोसते हुए कहा “ पूरे छः महीने पर आये हो . जी भर के खाओ . उसके बाद हमलोग तुम्हारी शादी की बातें करते हैं . “


“ अच्छा , पहले खाने तो दो . मुझे भी इसी बारे में कुछ बात करनी है . “ विकास ने कहा


उसकी बात सुन कर सभी उसकी तरफ देखने लगे . उसके बाद माहौल कुछ गंभीर हो गया था . सभी शांति से खाने लगे .


भोजन के बाद उसकी माँ ने कहा “ विकास बेटे , तुम्हारे लिए हमलोगों ने बहुत अच्छी लड़की पसंद कर ली है . एक बार तुम भी उसे देख लो . मुझे नहीं लगता है कि उसे नापसंद करने का कोई कारण तुम्हें मिलेगा . “


“ नापसंद का सवाल कहाँ है ? अगर नापसंद हुई तो उसका एक भी ठोस कारण तुम्हें बताना होगा . अगर मैं उस कारण से संतुष्ट हुआ तभी यह शादी टल सकती है वरना तुम्हें शादी करनी ही होगी . वैसे हमने उन्हें वचन दे रखा है . हमारे और लड़की वाले दोनों परिवारों की इज्जत की बात है . “ विकास के पापा ने कहा


“ पापा , मुझे भी अपनी शादी के लिए बात करनी है . मुझे एक रसियन लड़की पसंद है , मैं उसे चाहने लगा हूँ . “


“ तुम्हारा दिमाग ठीक है कि नहीं ? “ विकास की मम्मी पापा दोनों एक साथ गरज उठे . उनकी आवाज सुनकर सभी बहनें सहम उठीं .


मम्मी ने कहा “ तुम्हें क्या हो गया है बेटे ? हमारी परवरिश में कोई कमी रह गयी थी कि तुमने ऐसा फैसला लिया है . एक तो तुमने हम लोगों पर भरोसा नहीं किया कि हम जो भी फैसला लेंगें तुम्हारे भले के लिए ही लेंगे . तुम ऐसा कैसे सोच भी सकते हो , हम हिन्दू ब्राह्मण और शाकाहारी परिवार के लोग हैं . समाज में हमारा परिवार एक मिसाल है . वो लड़की ईसाई , मांस खाने वाली और वो भी सूअर आदि न जाने क्या क्या जानवरों के . जीते जी हम ऐसा नहीं होने देंगे . “

क्रमशः


नोट - यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है .


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