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दस्विदानिया - 1

भाग 1 

यह एक भारतीय युवक और रूसी लड़की की प्रेम कहानी है  … 

दस्विदानिया 

1970 का दौर था  . तत्कालीन बिहार राज्य के हज़ारीबाग़ जिले में एक जगह थी बोकारो जिसका नाम  उस समय बहुत कम लोगों को पता होगा  . उन दिनों यहाँ भारत सरकार के एक संयंत्र का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा था  . यह भारत का ही नहीं दक्षिण पूर्व एशिया का सबसे पड़ा इस्पात का कारखाना था  . यह कारखाना तत्कालीन सोवियत संघ की मदद से बन रहा था  . इस कारखाने की डिज़ाइन से ले कर सभी मुख्य मशीनों की सप्लाई सोवियत संघ ही कर रहा था  . 


उन दिनों यहाँ सैकड़ों रसियन विशेषज्ञ कारखाने के निर्माण में भारतीय इंजीनियर और कारीगरों की मदद  और  उन्हें दिशा निर्देश करने के लिए यहाँ आये थे   . इसी प्लांट में एक भारतीय इंजीनियर विकास था  . वह पटना का रहने वाला था  . कुछ ही माह पूर्व इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर उसने बोकारो इस्पात संयंत्र ज्वाइन किया था  . मैनेजमेंट अपने कुछ इंजीनियरों  को ट्रेनिंग के लिए सोवियत संघ के स्टील प्लांट भेजती थी  . इन्हें अलग अलग बैच में भेजा जाता ताकि यहाँ भी निर्माण कार्य में इंजीनियर की कमी के चलते बाधा न पड़े  . इनमें से कुछ  इंजीनियरों  को कारखाने के निर्माण के बाद उनके प्रोडक्शन डिपार्टमेंट में जाना होता था  . इसी में एक विकास भी था  . 


मैनेजमेंट जिन्हें सोवियत संघ भेजती उन्हें पहले बोकारो में रसियन भाषा का एक शार्ट कोर्स पढ़ना पड़ता था ताकि सोविएत संघ में वहां स्टील प्लांट के इंजीनियर से प्लांट के निर्माण और संचालन संबंधी बातें सीख  सकें और रोजमर्रा की बातों में भी मदद मिले   . दिन में प्लांट में काम करने के बाद शाम को रसियन भाषा का क्लास होती थी . विकास भी रसियन सीख रहा था  . उस क्लास में एक रूसी टीचर थी तान्या , टीचर क्या वह द्विभाषिक यानि इंटरप्रेटर थी  . इंग्लिश और रसियन उसे आती ही थी साथ में कुछ हिंदी के शब्द भी उसे आते थे  . दिन में वह भी प्लांट में  इंटरप्रेटर का काम करती थी ताकि जहाँ जरूरत पड़े रूसी इंजीनियर की बातें देशी इंजीनियर और तकनीशियनों को समझा सके  . विकास की मुलाक़ात  तान्या से प्लांट में भी हुआ करती  . दोनों कुछ फ्रेंडली हो गए थे  . 


तान्या को यहाँ सिर्फ छः महीने के लिए भेजा गया था  . उसके जाने का दिन निकट था  . इसी बीच नए साल के अवसर पर भारतीय और रसियन इंजीनियरों  ने मिल कर एक पिकनिक रखा  . यह पार्टी शहर के बाहरी छोर पर बने गरगा नदी पर बने डैम पर था  . कॉलोनी और प्लाट की कुछ इकाइयों के लिए ड्रिंकिंग वाटर की सप्लाई इसी डैम से होती थी  . इस पिकनिक पार्टी में विकास ने राज कपूर की फिल्म के दो गाने गाये “ आवारा हूँ  ….और  मेरा जूता है जापानी  ......  “ .  ये  गाने  सोवियत संघ में भी बहुत लोकप्रिय थे  और राज कपूर भी वहां पसंद किये जाते थे  . 


तान्या ने भी राज कपूर की फिल्म का एक गाना गाया जो  हिंदी , अंग्रेजी और रसियन भाषा में था , गीत के बोल थे “ या लुव लुवा , आई लव यू  ( मुझे तुमसे प्यार है )  .  .  .  .  .  . “ . 


तान्या के गाने पर देर तक लोग तालियां बजाते रहे  .  विकास ने उसके  निकट जा कर उसे विशेष रूप से शाबाशी दी  और  हँस कर मिली जुली भाषा में पूछा  “ तुम किसे लुव लुवा करती हो  ? “


“ इंडिया को  . “


“ तब इतनी जल्दी क्यों जा रही हो ? “


 उसने धीरे से कहा “ हमारे यहाँ  कम्युनिस्ट सरकार है  . डर रहता है कहीं यहाँ की आज़ादी की आदत न लग जाए हमें  . एनी वे इसे तुम सीरियसली नहीं लेना और मुझे  भूल कर कभी भी कहीं कोट न करना  . “


“ मैं भी कुछ समझ सकता हूँ  . अच्छा तुम यह बताओ इंडिया से तुम क्या ले जाना चाहोगी ?  “


“ मैं इतने कम दिनों में कुछ खास पैसे नहीं बचा पायी हूँ  . पर आमतौर पर हम यहाँ से छोटे मोटे सोने के गहने , परफ्यूम्स , कपड़े , कुछ इंडियन मसाले , टूथ पेस्ट , रम  ले जाते हैं  . “


विकास ने तान्या को जाने के समय कुछ विदाई गिफ्ट दिए जिनमें सोना छोड़ कर बाकी लगभग सभी चीजें थी  . 


तान्या ने कहा “  ओचिन  ख़राशो गिफ्ट ( बहुत अच्छा गिफ्ट )  .  स्पासिबा ( थैंक यू ) और  दस्विदानिया (  गुड बाय फिर मिलेंगे )  . “


विकास ने भी जवाब में कहा “ श्योर , दस्विदानिया  . “


तान्या वापस अपने देश चली गयी  .इसके कुछ ही महीने बाद मैनेजमेंट ने विकास को छः महीने की ट्रेनिंग के लिए सोवियत संघ भेजा  . विकास वहां के सेंट पीटर्सबर्ग स्थित बड़े स्टील प्लांट में गया , यहाँ के मशीन और तकनीक बोकारो प्लांट में निर्माणाधीन मशीनों से काफी मिलते जुलते थे  .इत्तफाक से यहाँ भी विकास की मुलाक़ात तान्या से हुई   यहाँ भी तान्या भारतीय इंजीनियर के लिए द्विभाषिया नियुक्त थी  ..दोनों एक दूसरे को पहले से ही जानते थे इसलिए वे पुनः फ्रेंडली हो गए  . विकास के बैच में उस प्लांट में दस भारतीय इंजीनियर गए थे पर अक्सर तान्या जो भी इन्टरप्रेट कर समझाती उसका ध्यान विकास पर केंद्रित होता  . उसके दोस्तों में कुछ तो उसकी हँसी उड़ाते तो कुछ उससे ईर्ष्या भी करते  .


विकास और तान्या अक्सर प्लांट की कैंटीन में एक साथ लंच करते  . विकास वेजिटेरियन था फिर भी दोनों  अपनी  प्लेट ले कर आमने सामने बैठते  . रूस  में वेजीटेरियन खाना मिलना बहुत मुश्किल था फिर भी जो मिलता उसी से वह काम चला लेता था  . विकास को अंडे से परहेज नहीं था इसलिए रात में वह ब्रेड अंडा खाया करता , कभी उबला हुआ , कभी ऑमलेट या कभी एग करी  . वह इंडिया से कुछ मसाले ले कर गया था  . जिस दिन वह एग करी बनाता था  एक डब्बे में प्लांट ले जाता और तान्या को खिलाता  . 


अगले दिन शाम को विकास ने तान्या को डिनर पर बुलाया  . उसने तान्या के लिए एग करी बनाया था  .  तान्या उसके एग करी की बहुत तारीफ़ करते  हुए खा रही थी  . उसने कहा  “ मैं अपने होने वाले पति से इसी तरह की एग करी बनवाऊँगी  .  एक दिन मुझे तुम भी डिटेल में सिखा देना ,  इसमें क्या क्या मसाले डालते हो  आदि. “


“ मैं तुम्हें आजीवन ऐसा खाना खिला सकता हूँ  . “


“ नो वे , तुम क्या कहना चाहते हो ? तुम मेरे पति बनना चाहते हो ? ये संभव नहीं है  . “


“ इतनी जल्दी तुमने ऐसा मतलब कैसे निकाल लिया ? मुझे अपना कुक अप्पॉइंट कर लो तब तुम्हें मैं खाना बना कर खिलाता रहूँगा  . “


यह सुन कर तान्या हँस पड़ी और बोली “ वैसे एक राज़ की बात बताऊँ ? “


“ हां कहो न  . “


“ जरा नजदीक आओ , कानों में कहूँगी  . “


विकास के नजदीक आने पर उसने कहा “ जानते हो , रूसी लड़की इंडियन पति पसंद करती है  . “


“ क्यों ? “


“ ताकि शादी के बाद इंडिया जा कर खुली हवा में आज़ादी से जी सके   . यहाँ पार्टी की नजर हर किसी पर रहती है  . सभी पर सख्त निगरानी रहती है  . आपकी बोलचाल , पहनावा , कहीं भी आने जाने पर निगरानी रखी जाती है  .  “


“ तब , तुम क्या उन लड़कियों में नहीं हो जिन्हें  इंडियन  पसंद हैं ? “


“ अभी मैं कुछ फैसला नहीं कर पायी हूँ  . “


“ सोच लेना ,  मुझे तुम्हारा इंतजार रहेगा   . “


इस बात पर दोनों मुस्कुरा पड़े  . 


विकास की ट्रेनिंग समाप्त होने में पांच सप्ताह रह गये थे   . एक दिन उसने तान्या से कहा “ मैं सेंट पीटर्सबर्ग के अतिरिक्त कहीं भी नहीं गया हूँ  . मुझे मास्को और क्रेमलिन देखने का बड़ा मन है  . “


“ इसके लिए तुम्हें अनुमति लेनी होगी  . तुम्हें  भी हर जगह जाने की अनुमति नहीं है  . “


“ ठीक है , अपने सीनियर  से बात करता हूँ और इजाज़त लेने की कोशिश करता हूँ  . “


क्रमशः 


नोट - यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है  . 


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