दस्विदानिया - 3 - अंतिम भाग S Sinha द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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दस्विदानिया - 3 - अंतिम भाग

अंतिम भाग 3


कहानी - दस्विदानिया


पिछले अंक में आपने पढ़ा कि रूस में ट्रेनिंग के दौरान विकास की मुलाकात दोबारा रूसी लड़की तान्या से होती है और दोनों में प्यार हुआ . ट्रेनिंग के बाद विकास इंडिया आने पर अपने माता पिता से तान्या से शादी करने की इच्छा जाहिर करता है . अब आगे पढ़िए …

“ माँ रसियन लोग आमतौर पर कम्युनिस्ट हैं , उन्हें धर्म नहीं कर्म में विश्वास है . वह लड़की भी ऐसी ही है . जहाँ तक मांस खाने का सवाल है , धीरे धीरे उसकी आदत छूट भी सकती है . “


“ और तेरी तीनों बहनें आजीवन पीहर में कुंवारी बैठी रहें , यही चाहता है न तुम . “ पापा एक बार पुनः गुस्से से गरज उठे . उनका तेवर देख तीनों बहनें चुपचाप सर झुकाये वहां से चली गयीं .


फिर कुछ दिनों तक घर में शादी की कोई बात नहीं हुई . एक दिन विकास की मम्मी ने कहा “ परसों हमलोग लड़की देखने जा रहे हैं . तुम्हें भी साथ चलना होगा . तुम चाहो तो उस से अकेले में कुछ बातें भी कर सकते हो . “


“ आप लोग मेरी भावनाओं को क्यों नहीं समझ रहे हैं ? मैं तान्या को चाहता हूँ . “


“ ठीक है तुम सिर्फ तान्या की सोचो . माँ बाप और अपनी बहनों के भविष्य की मत सोचो . “ मम्मी बोली


विकास कुछ बोलता उसके पहले उसके पापा ने गुस्से से कहा “ अगर तुम तान्या से शादी करना चाहते हो तो हम सभी यहाँ मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे . इस से अच्छा है हमलोग आत्महत्या कर लेते हैं और तुम हमारे क्रिया कर्म के बाद जो जी आये कर लेना . इसे अपने पापा का अंतिम फैसला समझना , इस में कोई समझौता नहीं हो सकता है . “


मजबूर हो कर विकास लड़की देखने गया . एक महीने के बाद दोनों की शादी भी हो गयी . विकास को इंडिया आये करीब छः महीने बीत गए . इस बीच विकास को तान्या की कोई खबर नहीं थी . वह एक बूथ से इंटरनेशनल फोन करने गया . उसे तान्या से बात करनी थी . कुछ सामान्य बातें करने के बाद वह बोली “ मुझे एक सरप्राइज न्यूज़ देनी है . “


“ और मुझे भी . “ विकास ने कहा


“ अच्छा , पहले तुम्हारी बात सुन लूँ तब मैं अपनी बात बताऊंगी . “


“ मेरी शादी हो गयी है . सॉरी मैं इतने दिनों से तुमसे बात नहीं कर सका .कुछ काम में तो कुछ पारिवारिक मामलों में व्यस्त रहा . घर में फोन भी नहीं है और अन्तर्राष्ट्रीय फोन क्र लिए पोस्ट ऑफिस जाना पड़ता है . तुमने अभी तक शादी की है कि नहीं ? “


“ पहले तो तुम्हें शादी की बहुत बहुत बधाई . पर तुम बिल्कुल छुपा रुस्तम निकले , कम से कम शादी की सूचना तो दे सकते थे . शादी में मेरा आना तो मुमकिन नहीं था . तुम जो मेरी शादी की बात पूछ रहे हो और मैं तो यहाँ माँ भी बनने जा रही हूँ . “


“ वेरी गुड , तुम्हें भी बधाई . “


इसके तत्काल बाद तान्या ने फोन काट दिया . विकास कुछ दिनों के अंतराल पर तान्या को जब भी फोन करता तान्या से उसका सम्पर्क नहीं हो पाता था . दरअसल तान्या जिस हॉस्टल में रहती थी वहां के फोन पर उस से बात होती थी . हॉस्टल को फोन करने पर वह तान्या के रूम को इंटरकॉम से कनेक्ट करता था . तान्या ने बोल रखा था कि इंडिया से उसके लिए कोई भी फोन आये तो उसे अस्वीकार कर दिया जाए .


विकास अपने प्लांट और परिवार में व्यस्त हो गया .उसे एक बेटी हुई . प्लांट का काम जोर से चल रहा था . अक्सर उसे 12 से 15 घंटों तक काम करना पड़ता . इस बीच करीब चार साल बीत गया . उसके स्टील प्लांट के फर्स्ट स्टेज के निर्माण का कार्य लगभग पूरा हो चला था . इसके उद्घाटन के लिए प्रधान मंत्री को आना था . सोवियत संघ से भी मुख्य अथिति के रूप में एक नेता आ रहे थे . उनके साथ एक डेलिगेशन आ रहा था . इत्तफाक से इस ग्रुप में तान्या भी आ रही थी .


प्लांट के उद्घाटन के बाद सभी इंडियन और विदेशी वी आई पी चले गए पर तान्या को दो दिन और रुकना था . . विकास अपनी पत्नी दिशा के साथ तान्या से मिलने गया . उनके साथ चार साल की बेटी भी थी . तान्या ने सभी का खुले दिल से स्वागत किया . बेटी को देख कर वह बहुत खुश हुई , उसे गोद में उठा कर तान्या ने उस पर चुंबन की बौछार कर दी और पूछा “ वेरी क्यूट , क्या नाम रखा है बेटी का ? “


“ नताशा . “ विकास बोला


“ अच्छा नाम है , हमारे देश में भी लड़कियों का यह नाम होता है . “


“ हाँ , मुझे भी कुछ प्रेम है तुम्हारे देश से . “


“ सिर्फ देश से ? वहां के लोग भी अच्छे होते हैं . “


“ बेशक तुम्हारे देश के लोग भी अच्छे होते हैं . “


विकास और दिशा तान्या के लिए कुछ गिफ्ट्स ले कर आये थे . विकास ने पूछा “ तुम अकेले आई हो ? तुम्हारे पति और बच्चा ? “


“ नहीं , पति तो मेरे दिल में रहता है . बेटी दोरोती को कजन की वाइफ के पास छोड़ आयी हूँ . मुझे एक मौका मिल रहा था एक बार फिर हिंदुस्तान आने का और तुम लोगों से मिलने का हालांकि यह ऑप्शनल था . मैं चाहती तो न भी आती . “


करीब दो घंटे बाद विकास जाने लगा तब तान्या ने नताशा के लिए कुछ उपहार दिए जिन्हें वह अपने देश से ले कर आयी थी . उसने एक गिफ्ट दिशा को भी दिया . विकास ने पूछा “ और मेरे लिए कोई गिफ्ट नहीं है ? “


“ हैं क्यों नहीं . पर वह एक सरप्राइज है . तुम्हें जाने के समय दूंगी . परसों शाम की ट्रेन से जा रही हूँ . “


दो दिन बाद तान्या जा रही थी . दिशा और विकास दोनों उसे विदा करने रेलवे स्टेशन आये थे . दोनों उसकी बेटी दोरोती के लिए गिफ्ट्स ले कर आये थे , उन्हें देते हुए विकास ने पूछा “ मुझे बिना गिफ्ट दिए जा रही हो ? अपना वादा भूल गयी ? “


“ मैं तुम्हारी तरह वादा नहीं भूलती . “ बोलकर उसने अपने बैग से एक गिफ्ट पैकेट निकाल कर दिया .


तभी ट्रेन ने सीटी दी , तान्या ने कहा “ इसे घर पर ले जा कर आराम से देखना . अच्छा दोस्त , दस्विदानिया . “


विकास ने घर ले जा कर तान्या का गिफ्ट खोला . उसमें उसकी बेटी दोरोती की एक तस्वीर थी . नीचे लिखा था मास्को टूर की याद . साथ में एक छोटा सा पत्र भी था जिसमें लिखा था “ तुमने मेरे पति के बारे में पूछा था न ? रसिया में हजारों सिंगल मदर्स हैं जिनमें एक मैं भी हूँ . दस्विदानिया . “


दिशा और विकास दोनों फोटो देख कर अवाक रह गए . दिशा बोली “ ये तो आश्चर्यजनक है . तान्या की बेटी और हमारी बेटी बिलकुल जुड़वा बहनें जैसी दिखती हैं . तान्या की बेटी का रंग कुछ ज्यादा साफ़ है . “


विकास तो मामला समझ रहा था पर पता नहीं दिशा को बात कितनी समझ में आई .

समाप्त


नोट - यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है .