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क्या आप ट्रेनी कोच बन सकते हो ?

व्यक्तित्व
अच्छे प्रशिक्षक बनिये
व्यक्तिगत विकास की पावन-गंगा को प्रवाहित करने में
प्रशिक्षकों का विशिष्ट योगदान है।
ABJKN
व्यवस्थित व वैज्ञानिक संरचनात्मक विधा से पूरे विश्व में
प्रशिक्षण- प्रशिक्षकों का अनूठा ढाँचा तैयार किया है। इसे दुनिया
के विकासवादी प्रबंध-तंत्र ने भी मान्यता दी है। आप... इसी
संगठन के प्रशिक्षक प्रहरी हैं... आप बहुत अच्छे प्रशिक्षक भी हैं...
आपमें विषय का बहुत अच्छा ज्ञान भी है... लेकिन?
यदि प्रशिक्षक कोर्स लेने की एक व्यवस्थित विधि नहीं है तो
मानिए कि आपमें सब कुछ होते हुए भी कहीं... कोई रिक्तता है।
यदि किसी प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में प्रशिक्षणार्थी प्रारंभ से अंत तक
रुचि के साथ बैठे हैं। 'पिन ड्राप साइलेंस' है और प्रशिक्षण अंत होने के
बाद भी यदि ऐसा लगता है कि अभी प्यास नहीं बुझी है, वे और सुनना
चाहते हैं... तो मान लीजिए कि वे आपको बहुत चाहते हैं... पक्का कर
लीजिए कि आप बहुत अच्छे प्रशिक्षक हैं।
क्या करें?
आपको अधिक कुछ नहीं करना है। जैसे ही आपने तय किया कि
कहीं प्रशिक्षण पाठ्यक्रम लेना है तो निम्न 'टिप्स' को क्रमानुसार समन्वित कर लीजिए-
1. उसी पाठ्यक्रम की सहमति देवें, जिसमें आपकी दक्षता हो।
जहाँ पाठ्यक्रम लेना हो वहाँ की स्थिति की जानकारी लें।
3. पाठ्यक्रम में सम्मिलित होने वाले प्रशिक्षणार्थियों की जानकारी लें कि उनका स्तर क्या है? ध्यान रखें आप प्रशिक्षण देते समय प्रशिक्षणार्थियों के स्तर के अनुसार पाठ्यक्रम तैयार करें।
प्रशिक्षण कक्ष में जो सुविधाएँ आप चाहते हैं, पहले से आयोजकों को बता दें। जैसे बोर्ड, चाक, डस्टर, ओ.एच.पी. ट्रांसपरंसी आदि की सुविधा।

बैठक व्यवस्था के संबंध में आप निर्देश दे सकते हैं। बैठक
व्यवस्था प्रशिक्षणार्थियों की संख्या के हिसाब से (यू) आकार में
या क्लास रूम पद्धति में हो सकती है। यह ध्यान रखा जाए कि
प्रशिक्षण व प्रशिक्षणार्थियों में संपर्क-संबंध बना रहे।
प्रशिक्षण
प्रशिक्षण देते समय निम्नांकित बातों का ध्यान रखें-
1. प्रशिक्षण पाठ्यक्रम को विभिन्न सत्रों के हिसाब से विभाजित
करिए।
2. सभी प्रशिक्षणार्थियों के परिचय प्राप्त करें। परिचय के लिए विभिन्न विधियों का प्रयोग कर सकते हैं।
3.प्रशिक्षण प्रारंभ करने से पहले प्रशिक्षणार्थियों को 'टेस्ट' अवश्य कीजिए कि उनको विषय के संबंध में प्रारंभिक जानकारी कितनी है। अन्यथा विषय के संबंध में प्रशिक्षणार्थियों को प्रारंभिक जानकारी अवश्य दें।
4. लगातार व्याख्यान नहीं दें। बीच-बीच में प्रशिक्षणार्थियों से प्रश्न अवश्य पूछे। आपसी ‘इंटरएक्शन' आवश्यक है, इससे सक्रियता बनी रहती है।
5. प्रशिक्षण व्याख्यान में विभिन्न उदाहरणों का समावेश करें।
उदाहरण से विषय वस्तु शीघ्र समझ में आती है।
6.पाठ्यक्रम से संबंधित सामग्री जो भी आपके पास उपलब्ध है। उसे ‘अद्यतन' (UPDATE) करते रहें।
7. छपे हुए ABJKN के पाठ्यक्रम बहुत अच्छे हैं व्यवस्थित व वैज्ञानिक भी हैं, लेकिन आप उन्हें आधार के रूप में माने। अपने पास से नई सामग्री अवश्य जोड़े।
8. प्रशिक्षणार्थियों के मनोरंजन का अवश्य ख्याल रखें। व्याख्यान के साथ हास्य का पुट दें। कोई कहानी, व्यंग, आपबीती या घटना सुना सकते हैं।
9. प्रशिक्षण विद्या में 'मस्तिष्क खेलों' का प्रयोग नवीनतम तकनीक के रूप में किया जाता है। खेल-खेल में सीखों विद्या का प्रयोग अवश्य करें।

आपने क्या दिया?
आपने जो कुछ भी दिया है अच्छा दिया होगा लेकिन प्रशिक्षणार्थी क्या सोचते हैं? यह भी ध्यान रखें। चुनिंदा मेघावी प्रशिक्षणार्थियों से चर्चा करें। उनकी जिज्ञासा को हल करें तथा सुझावों से सुधार करें।
प्रशिक्षण-प्रश्नावली के माध्यम से भी उनकी राय जान सकते हैं।
प्रशिक्षण विद्या सीखने की तथा परिपक्वता की विद्या है। इसे आप जितना सीखेंगे उतना ही अधिक ज्ञान का परिमार्जन कर सकेंगे। कोई भी व्यक्ति संपूर्णतः ज्ञाता नहीं है। ज्ञान की कोई सीमा नहीं... मृत्यु पर्यंत... आप सीखिए... प्रशिक्षण दीजिए.... देते रहिए... प्रशिक्षणार्थियों की तृप्तता ही आपका उपहार है... प्रमाण-पत्र भी।
"आप,
चिन्तित क्यों हैं?
आप भी
अच्छे प्रशिक्षक
बन सकते हैं।
कुछ महत्वपूर्ण
उपरोक्त वर्णित बिन्दुओं को
आत्मसात कीजिये।
पढ़िये और आगे बढ़िये।
Ashish Shah
9825219458


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