Angel or Demon? - Chapter 2: An Old Friend Anil Patel_Bunny द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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Angel or Demon? - Chapter 2: An Old Friend

Chapter 2: An Old Friend

काम्या जब होश में आई तो उसने अपने आप को अस्पताल के बेड पर पाया। उसने इधर-उधर देखा तो उसे कोई दिखाई नहीं दिया। उसके बेड के पास कुछ दवाइयाँ और इंजेक्शन थे। उसने दीवार पर टंगी घड़ी की तरफ देखा तो 3 बज रहे थे पर वो घड़ी चल नहीं रही थी इसलिए सही समय का उसे पता नहीं चला। उसने गुस्से से इधर उधर देखा फिर ज़ोर से चिल्लाई, “कोई है?”

कुछ ही देर में एक आदमी वहां पर आया और उसने पूछा, “क्या हुआ आपको?”

“मैं कहाँ पर हूं? कौन सी हॉस्पिटल है ये? और मैं बच कैसे गई?” अचानक काम्या को याद आया कि उसे तो मर जाना चाहिए था, और वो मरना ही चाहती थी। वैसे अस्पताल की हालत देखकर उसे ऐसा ही लग रहा था कि वो मर चुकी है।

“शांत हो जाइए। आप दिल्ली की अस्पताल में ही है और आप बिलकुल ठीक है। आपको कुछ नहीं हुआ है। आपको यहां पर एक आदमी ले कर आया था। उसने कहा कि आपका एक्सीडेंट हुआ था।”

“कौन था वो?” काम्या ने पूछा।
“वो तो पता नहीं, पर वो आपको हॉस्पिटल में एडमिट कर के वापस चला गया।”
“तुम कौन हो? तुम डॉक्टर हो?”
“नहीं जी। मैं तो यहां पर कंपाउंडर हूं। आप जोर से चिल्लाई तो तुरंत यहां पर आ गया। मेरा नाम मनोहर है।”
“मैंने तुमसे पूछा तुम्हारा नाम?” काम्या ने बहुत ही बेरुखी से ये बोला।
“तुम पहले तो इतनी rude नहीं थी।” मनोहर ने कहा।
“Excuse me!”
“मैंने अपना नाम तुम्हें इसलिए बताया ताकि शायद तुम मुझे पहचान जाओ। पर तुम social media में कुछ और हो, और असल मैं कुछ और।”
“मैं कुछ समझी नहीं! कौन हो तुम?”
“मैं तुम्हारे बचपन का दोस्त मनोहर शर्मा हूं। हम 3 साल तक एकसाथ पढ़े थे। फिर तुम दिल्ली चली आई और कुछ ही हफ़्तों पहले हम फेसबुक पर मिले और बातचीत के दौरान मुझे पता चला कि हम दोनों एक ही शहर में है। उस वक़्त मैंने तुमसे मिलने की बात कही थी तो तुमने भी कहा था कि हम जरूर मिलेंगे। याद आया कुछ?” मनोहर ने पूछा।

“हां, याद आ गया। माफ करना मैं तुम्हें पहचान नहीं पाई। वैसे भी मैं social media पर कुछ ज़्यादा ही एक्टिव रहती हूं। अंजान लोगो से भी कई घंटों तक बातें कर लेती हूं और उसके बाद मुझे कुछ याद भी नहीं रहता।” काम्या ने कहा।

“कोई बात नहीं। पर एक बात बताओ तुम आत्महत्या करने क्यों जा रही थी?” मनोहर ने पूछा।
“तुम्हें इससे क्या? मैं जो भी करूँ। तुम होते कौन हो मुझसे पूछने वाले? बचपन के दोस्त हो तो क्या मेरी निजी ज़िंदगी में दखल दोगे? और तुम्हें कैसे पता कि मैं आत्महत्या करने गई थी?”

“फेसबुक पे तुम लाइव थी, मेरे साथ तुम्हारे सारे फ्रेंड्स को पता चल गया होगा। और रही बात तुमसे इस बारे में पूछने की तो तुम शायद मुझे दोस्त ना मानती हो, पर मैं तो तुम्हें अपना दोस्त मानता हूं। परेशानी चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो अगर किसी दोस्त को वो बता देने से मन हल्का होता हो तो हमें वो बात बता देनी चाहिए।” मनोहर ने कहा।

“तुम क्या कोई साइकेट्रिस्ट हो? मैं क्या तुम्हारी कोई पेशेंट हूं? तुम अपने काम से काम रखो। फेसबुक में फ्रेंड हो तो उसी में बन के रहो। बचपन की दोस्ती वैसे भी अब किसी काम की नहीं मेरे लिए। और माफ करना मुझे अभी मरना है तो क्या मुझे चैन से मरने दोगे?” काम्या ने कहा।

“ऐसी बातें क्यों कर रही हो? कम से कम अपने माँ-बाप के बारे में तो सोच लो एक बार।”
“माँ-बाप? उन लोगों को मेरी फिक्र नहीं तो मैं उनकी फिक्र क्यों करूँ? मुझे मरते हुए देखने तक नहीं आए!” इतना कहकर काम्या ने अपना मुँह दूसरी तरफ फेर लिया।

“तुम्हें कुछ नहीं हो रहा तुम एक दम ठीक हो और ठीक ही रहोगी। तुम्हारे पेरेंट्स को मैंने कॉल कर दिया है वो लोग आते ही होंगे।” मनोहर ने बाहर की तरफ देखा और कहा, “लो, तुम्हारे पेरेंट्स को याद किया और वो लोग आ भी गए!”

“बेटी तुम ठीक तो हो ना?” काम्या के माँ-बाप ने हॉस्पिटल के वार्ड में दाखिल होते ही काम्या से पूछा।
“अब आप लोग भी आ गए? कोई मुझे चैन से मरने क्यों नहीं देता? पहले वो मनोहर अब आप लोग! सर खा लो सब मेरा!” काम्या ने चिढ़ते हुए कहा।
“मनोहर? कौन मनोहर?” काम्या के पिताजी ने पूछा।
“अरे वहीं तो खड़ा है, अरे कहां चला गया? लगता है आपसे डरकर चला गया। बचपन में भी आपसे डरता था।”
“आप किसकी बात कर रही है?” काम्या के पेरेंट्स के साथ आई नर्स ने काम्या से पूछा।
“मनोहर की। वो कंपाउंडर है ना?”
“माफ करना पर इस नाम का तो कोई कंपाउंडर नहीं है। और मैं यहीं बाहर बैठी थी। पिछले एक घंटे से आप यहां पर अकेली ही थी। ना कोई अंदर आया था ना कोई बाहर!” नर्स ने कहा।
“क्या बकवास कर रही है आप? और एक घण्टा…” ये कहते हुए उसकी नज़र दीवार पर टंगी घड़ी पर गई और अब वो बंद घड़ी चल रही थी।

काम्या कुछ समझ नहीं पाई की अभी वो जिससे बातें कर रही थी वो अचानक गायब कैसे हो गया? घड़ी कैसे चलने लगी? वो अंदर आया ही नहीं तो वो किससे बातें कर रही थी? कौन था ये मनोहर? जानिए आगे के अंकों में।
Chapter 3 will be continued soon…

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E-Mail id: anil_the_knight@yahoo.in
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✍️ Anil Patel (Bunny)