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Angel or Demon? - Chapter 3: Dead or Alive?

“काम्या क्या सोच रही हो?” काम्या के पिताजी ने पूछा।
“कुछ नहीं, आप की बेटी पागल हो गई है! आत्महत्या करने गई थी और वो भी दारू के नशे में। पता नहीं क्या चल रहा है इसके दिमाग में?” काम्या की माँ ने कहा।
“Dad, आप लोग यहां पर क्यों आए है? मैं वैसे भी अपनी जान देने जा रही थी। आप लोग मेरे बचने से खुश है या अपने तानो से मुझे ख़त्म करने आए है? मुझे किसी की जरूरत नहीं है! Just leave me alone…” काम्या ने गुस्से में कहा।
“Please, आप लोग पेशेंट को आराम करने दीजिए। फिक्र करने की बात नहीं है, ये अब ख़तरे से बाहर है और वैसे भी आज शाम तक इनको डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।” नर्स ने कहा।
काम्या के माँ-बाप वहां से चले गए। काम्या खुद को मारने के चक्कर में और कोई गलत हरकत ना कर दे इसलिए वो नर्स वहीं पर रुक गई।
“अब तुम यहाँ क्यों रुक गई? तुम भी बाहर जाओ। मुझे बस मर जाना है, इस वक्त मुझे कोई नहीं चाहिए।” काम्या ने नर्स ने कहा।
“इतनी जल्दी भी क्या है काम्या? हमारी जान-पहचान तो हो जाने दो। मुझे पक्का यकीन है कि तुम मुझे जानने के बाद जीने की दुआ मांगोगी!” नर्स ने कहा।
“क्या मतलब?” काम्या कुछ समझ पाती इससे पहले ही नर्स अपने हाथ में कैंची लेकर काम्या को मारने के लिए उसकी ओर बढ़ी, और जैसे ही वो काम्या को कैंची मारने पहुंची काम्या ने अपनी आंखें बंद कर ली और जोर से चिल्लाई।

“क्या हुआ?” सिम्मी ने पूछा।
काम्या की आंखें खुली तो उसने देखा वो अपने घर पर थी और उसकी सहेली सिम्मी उसके पास बैठी थी।
“मैं यहां कैसे आ गई? वो नर्स कहां है? मैं तो हॉस्पिटल में थी ना? मैं घर कैसे आ गई? और तुम यहाँ कब आई?” काम्या ने पूछा।
“तुम कल रात से अपने घर पे हो। तुम्हें कल शाम को ही छुट्टी मिल गई थी हॉस्पिटल से। हॉस्पिटल से कॉल आया था उसके बाद ही तुम्हारे पापा तुम्हें घर पर ले आए थे। तब तुम बेहोशी की हालत में थी। और किस नर्स की बात कर रही हो?” सिम्मी ने कहा।
“अरे वही नर्स जो कैंची लेकर मुझे मारने को दौड़ी थी।” काम्या ने कहा।
“पागल है क्या? तूने जरूर कोई सपना देखा होगा! तभी तो तू इतनी जोर से चिल्लाई। लगता है उस दिन की अभी भी उतरी नहीं है तुझे।” सिम्मी ने कहा।
“हां यार! अब तो मुझे भी ऐसा लगने लगा है। तुम लोगो ने मेरी ड्रिंक्स में क्या मिलाया था?” काम्या ने कहा।
“हम लोगो ने तुझे ड्रिंक्स लेने से ही मना किया था, पर तू किसी की सुने तब ना! तुझे इतनी चढ़ गई कि तू अपनी जान लेने पर उतारू हो गई? तू कैसे अपनी ज़िंदगी से हार सकती है? सब कुछ तो है तेरे पास, किस बात की कमी है तुझे?” सिम्मी ने पूछा।
“तू नहीं समझेगी, की मुझे किस बात की कमी है!” काम्या ने कहा, “ये सब छोड़, ये बता मेरे जाने के बाद अमर ने मेरे बारे में कुछ पूछा था? उसे मालूम है कि मैंने अपनी जान देने की कोशिश की?”
“अमर की शादी थी, और रिसेप्शन थी उस रात। आज वो हनीमून के लिए बाली जाने वाले है। और हां उसने तेरे बारे में कुछ नहीं पूछा था, शायद उसे मालूम भी नहीं कि तूने आत्महत्या करने की कोशिश की है।” सिम्मी ने कहा।
“हनीमून?” काम्या ने पूछा और मन ही मन में कुछ सोचने लगी।
“किस सोच में पड़ गई? अभी मुझे घर जाने के लिए देर हो रही है, मैं तुझसे बाद में बात करती हूं, और इस बीच कोई ऊट-पटांग हरकत मत कर लेना।” सिम्मी ने कहा और वहां से चली गई।
काम्या फिर से अपने ख्यालों में सोचने लगी कि वो आखिर यहां पर आई कैसे? कुछ देर सोचते-सोचते वो अपने फ्लैशबैक में चली गई। जब नर्स उसे कैंची लेकर मारने को आई थी तभी उसने अपनी आँखें बंद कर दी थी।

“आँखें खोलो, काम्या!” किसी पुरुष की आवाज काम्या को सुनाई दी।
“कौन? आआआआआआ….ह…” काम्या ने जैसे ही अपनी आँखें खोली वो नर्स उसे अपने सामने दिखी जो उसे मारना चाहती थी, इसलिए वो जोर से चिल्लाई।
“घबराओ मत, मैं हूं।” काम्या ने उस आवाज की तरफ ध्यान दिया तो उसने देखा कि वो अमर था और वो नर्स और वक्त वही थम गए थे।
“अमर तुम यहां? और तुम्हारी आवाज को क्या हो गया?” काम्या ने पूछा।
“मैं अमर नहीं मनोहर हूं, मनोहर शर्मा।”
“पर तुम्हारी शक्ल को क्या हुआ? तुम कुछ देर पहले कंपाउंडर थे अब अमर जैसे कैसे दिख रहे हो?” काम्या ने पूछा।
“फिलहाल मैं तुम्हें कुछ नहीं बता सकता, मैं तुम्हारे ख्यालों के अंदर घुसा हुआ हूं। तुम अपने दिमाग से अमर के बारे में सोच रही हो इसलिए तुम्हें मुझमें उसकी शक्ल नज़र आ रही है। पर हकीकत ये है कि इस नर्स से मैंने तुम्हें बचाया और मैंने ही तुम्हारे पेरेंट्स को तुम्हें यहां से ले जाने के लिए कहा था।” मनोहर ने कहा।
“ये तुम क्या बोल रहे हो? मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है? इस वक्त तुम मेरे ख्यालों में मौजूद हो? हम दोनों सपने में बात कर रहे है? क्या सच में तुमने मेरी जान इस नर्स से बचाई थी? और ये नर्स मुझे मारना क्यों चाहती है?” काम्या ने पूछा।
“तुम्हें सब पता चल जाएगा। फ़िलहाल knock! knock!” मनोहर ने कहा, काम्या कुछ समझ पाती इससे पहले ही दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी और काम्या अपने ख्यालों से बाहर आ गई।

“चाय, मेमसाहब!” घर की नौकरानी ने दरवाजे के उस पार से काम्या को आवाज लगाई। काम्या ने उसे अंदर बुलाया और वो चाय टेबल पर रखकर चली गई। काम्या ने चाय पीते-पीते सोचना शुरू किया।

ये मेरे साथ क्या हो रहा है? और ये मेरे ख़्यालों में मनोहर क्यों आ रहा है? वो भी अलग-अलग रूप लेकर। सचमुच में सिर्फ ये मेरे ख़्याल ही है या फिर हकीकत है? I think मुझे उससे मिलना चाहिए और उसी से सच पूछना चाहिए।

इतना सोचकर काम्या ने तुरंत अपना मोबाइल लिया और उसमें फेसबुक को ओपन किया। फेसबुक में जाकर वो अपने प्रोफाइल के फ्रेंड लिस्ट में गई और ‘मनोहर शर्मा’ को सर्च किया। उसने मनोहर की प्रोफाइल में जाकर उसके बारे में जानने की कोशिश की, पर मनोहर ने अपने ID में अपने बारे कुछ भी नहीं डाला था। यहां तक कि उसने अपनी DP भी खाली रखी थी।

गजब बंदा है ये, इसकी प्रोफाइल में कोई डिटेल ही नहीं है, और ये मुझसे पूछ रहा था कि, ‘मुझे पहचाना नहीं?’ ऐसे कैसे मैं इसको पहचान लू? बेवकूफ ने अपना मोबाइल नंबर भी नहीं डाला है कि मैं इसे कॉल कर पाऊँ। एक मिनट! ये तो मेरे गांव से ही है ना? क्यों ना गांव जाकर ही इसके बारे में पूछताछ करती हूं मैं। या फिर इसको पहले मैसेज करूँ?

ये सोचकर काम्या ने मनोहर को मैसेज किया पर उसका कोई रिप्लाई नहीं आया। अब काम्या से रहा नहीं जा रहा था, उसने तुरंत सिम्मी को कॉल किया और उसे अपने साथ अगले दिन अपने गांव, चाँदपुर आने के लिए मना लिया।

काम्या और सिम्मी दोनों अगले दिन चाँदपुर गांव गए और वहां वो काम्या के पुराने घर गए। काम्या ने उधर की औरतो को अपने बारे में बताया,
“मैं काम्या हूं, चाची! काम्या मेहरा। सुरेश मेहरा की बेटी।”
“अच्छा! इतने सालों बाद वापस आई है गांव में! हमारी याद कैसे आ गई बेटी?” एक बूढ़ी औरत ने कहा।
“अरे ये शहर वाले लोग है, चाची। फूटो खिंचने बहुत दूर जाते है। आपकी भी फूटो लेंगी ये!” ये कहकर सारी औरतें हँसने लगी।
“क्यू री? हमारा फूटो खिंचेगी?” बूढ़ी औरत ने कहा।
“हां, मैं आप सब के साथ फोटो खिचवाऊंगी पर उससे पहले आप लोगो से कुछ पूछना है मुझे।”
“क्या पूछेगी? पूछ?” दूसरी औरत ने पूछा।
“यहां पर एक मनोहर शर्मा नाम का लड़का रहता था, वो मेरे साथ ही पढ़ता था। उसके पिता का नाम शायद रामप्रसाद था। आप में से कोई बता सकता है कि अभी वो लड़का कहां मिलेगा?” काम्या ने पूछा।
“रामप्रसाद का बेटा? उसकी तो दो बेटियां थी ना?” बूढ़ी औरत ने कहा।
“अरे नहीं चाची एक लड़का भी तो था।” दूसरी औरत ने कहा।
“अरे हां, एक लड़का तो था, मोटा सा।” बूढ़ी औरत ने कहा।
“हां, वो अभी कहां मिलेगा? वो इस गांव में ही है या शहर में? मुझे उससे अर्जेंट मिलना है, कुछ काम है उससे।” काम्या ने पूछा।
“बेटी, तुझे उससे भला क्या काम है? उस लड़के को तो मरे हुए कई साल हो चुके! वो तो बचपन में ही मर गया था।” बूढ़ी औरत ने कहा।
काम्या ये सुनकर हैरान रह गई।
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कौन था मनोहर? वो नर्स काम्या को क्यों मारना चाहती थी? काम्या को हर जगह मनोहर क्यों दिखाई दे रहा है? क्या सच में मनोहर बचपन में ही मर गया था? काम्या के साथ आखिर क्या हो रहा था? जानिए आगे के अंकों में।

Chapter 4 will be continued soon…

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✍️ Anil Patel (Bunny)

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