एक हकिकत परंतु कहानी
(भाग-1)
दिनांक- 18 दिसम्बर 2019
मेरे जीवन का दूसरा ओलंपियाड परीक्षा था आज जो बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के द्वारा आयोजित कराया गया था, शहर स्थित ज़िला स्कूल में । मेरे विद्यालय से विज्ञान विषय में परीक्षा देने के लिए मैं और मेरा दोस्त हिमांशु गए थे । बारह बजने से पंद्रह मिनट पहले हम परीक्षा भवन में प्रवेश कर गए । एकदम पुराने जमाने का बहुत ही विशाल परीक्षा भवन ! सामने एक सजा हुआ मंच, जिस पर आसिन थे सम्बन्धित अधिकारी व अखबारों के संवाददाता । उन्हीं के सामने प्रथम बेंच पर मै बैठा । वहाँ के नियम के अनुसार एक विद्यालय से दो बच्चें परीक्षा देने गए थे तो पहला विद्यार्थी आगे व दूसरा विद्यार्थी उसके पीछे बैठेगा, तो मैं आगे बैठा मेरे पीछे मेरा दोस्त हिमांशु बैठा । मेरे बगल वाला सिट खाली था, वहाँ दो लड़कियाँ आई और बैठ गई । पीछे से हिमांशु बोला; सौरभ ! पटा ले । मै बोला:- चुप गदहा । कुछ क्षण बाद पीछे वाली लड़की बोली:- तुम कहीं और चले जाओ ना । मै बोल पड़ा; सॉरी । मै उसे समझाना चाहा पर चुप रह गया । फिर ओ.एम.आर. सिट मिली, मै अपने ऐटीट्यूड में था की वो मुझसे बात करेगी, तो मैं बात करूंगा, वो अपने ऐटीट्यूड में थी की ये मुझसे बात करेगा तो बात करूंगी । मैं कही और खोया हुआ था, और ओ.एम.आर. सिट पर जानकारी भर रहा था सब अच्छे से भरा गया पर जन्म तिथी में मैने गरबड़ कर दिया । मैने गलती से लिख दिया, 21-03-2019 उसने तुरंत ही कहा:- अरे तुम्हारा जन्म 2019 में हुआ है, मैने देखा की अरे यह तो गलती हो गई । मैने उसे काटकर सही किया और उस लड़की को धन्यवाद कहा । फिर प्रश्न-पत्र मिली, सामने खड़े विक्षकों को कुछ आता नही है यह हमें उसी वक्त पता चल गया । मैं उनकी पकाऊ बातों को नही सुनना चाहता था, और जब भी वे कुछ बोलते थे तो मैं अपना कान बन्द कर ले रहा था । बगल वाली लड़की को शायद यह अजीब लगा । तभी मेरे दोस्त हिमांशु को उसके सर मिल गए उनसे बातचित होने लगी । कुछ देर बाद मुझे मिल गए एक स्थानिय अखबार के संवाददाता । वो मंच से निचे आए मैं उनसे हाथ मिलाया फिर पूछा आप यहाँ ? वे बोले हाँ थोड़ा रिपोर्टिंग करना है । शायद बगल वाली लड़की को यह भी अजीब लगा । तभी हिमांशु ने कहा:- की बे आजकल खूब लोग सब मिल रहा है तुमसे । मै बोला:- हाँ भाई ज्यादा प्रसिद्ध हो गया हूँ ना इसिलिए । बगल वाली लड़की यह बात सुनी, उस लड़की ने रियेक्शन दिया पर मैने ध्यान नही दिया । फिर प्रश्न पत्र मिला, प्रश्न पत्र अलग-अलग चार प्रकार का था; A,B,C और D । मुझे A मिला, मेरे दोस्त को D तथा उस बगल वाली लड़की को B मिला । निर्देश दिए गए की दस मिनट बाद ही प्रश्न पत्र खोलना है । तब तक बैठे थे हम सभी । उसी बीच मैं उस लड़की को देख रहा था और मैने पूछ लिया; किस स्कूल से हो ? वो बोली: "उच्च विद्यालय बसैठा" । फिर वो मुझसे पूछी: तुम ? मैं बोला: "राजकीयकृत उच्च विद्यालय करज़ा" वो बोली: ओह । फिर निर्देश मिली: अब बनाओ । फिर हम बनाने लगे । वो लड़की भी बनाने लगी । कुछ क्षण बाद उस लड़की की एक दोस्त उस लड़की से प्रश्न पूछी, आवाज मेरे कानों तक आई और मुझे उस प्रश्न का उत्तर पता था, इसिलिए मैने उस प्रश्न का जबाब दे दिया । उस लड़की ने अपनी दोस्त से पूछी: सुनाई दिया, उसने कहा: हाँ, सुन लिया । कुछ देर बाद मेरे बगल वाली लड़की एक प्रश्न पूछी;
मुझे यह तो नही पता की किससे प्रश्न किससे पूछी थी, पर मैने जब पहली बार उसे देखा था तो वो पसंद आ गई थी, इसलिए मैं जबाब दे दिया ।
वो बोली: कन्फर्म हो ? मै बोला: हाँ कन्फर्म हूँ यही होगा ।
फिर उसने वही जबाब लिख दिया । मेरी आदत रही है की मै पहले प्रश्न पत्र में टिक लगा लेता हूँ फिर ओ.एम.आर. शीट में भरता हूँ । इसिलिए मैं प्रश्न पत्र में ही टिक लगा रहा था । बगल वाली लड़की मुझसे बोली: पहले ओ.एम.आर. शीट भरो समय नही है । मै बोला परीक्षा खत्म होने से पहले ही मैं कर लूँगा, बस तुम देखती रहो । फिर मैं ओ.एम.आर. शीट भरने लगा, दो-चार प्रश्न जो मुझसे नही बन रहे थे उनमें उसका मदद लिया । बीच में दो-चार प्रश्न जो उससे नही बन रहे थे, उनमें मैने उसका भी मदद किया । एक समय ऐसा भी आया; जब एक प्रश्न मुझसे नही बन रहा था, तब वो मुझे उसका उत्तर बताई । पर मुझे विश्वास नही हुआ, मैने कहा:- "I can't believe it" वो बोली:- "believe करना पड़ेगा ।" मै सोचा "चलो भाई एक तो यह बन नही रहा अब इसकी ही बात मान लेता हूँ" और उसी पर टिक लगा दिया । परीक्षा खत्म होने में पूरे बीस मिनट बचे थे, और वह पूरा प्रश्न बना चुकी थी, पर मेरे कुछ प्रश्न बाकी थे । उस लड़की के ख्याल में और प्रश्न बनाने के चक्कर में हिमांशु को तो भूल ही गया था मानो ! "शायद वह भी अपने दोस्त को भूलकर मेरा कॉपी निहार रही थी हर समय" ये इसलिए कह रहा हूँ की उसकी दोस्त उसे पीछे से पुकार रही थी पर वह पीछे देख नही रही थी । पंद्रह मिनट बचे थे परीक्षा खत्म होने में मेरा सारा प्रश्न बन चुका था । मैं उस लड़की को देख रहा था, वो मुझे देख रही थी । हम एक-दूसरे को देखकर मुस्कुरा रहे थे । और बातें भी कर रहे थे, जैसे; वह पूछी:- तुम्हें अंग्रेजी पसंद नही आता क्या ? मैं बोला: नही ऐसी बात नही है, अंग्रेजी पसंद आती है पर मैं हिंदी का छात्र हूँ यानी मैं कवि और लेखक हूँ । आजतक देश एवं अमेरिका के दो सौ से भी ज्यादा अखबारों में मेरी डेढ़ सौ से अधिक कविता सात सौ से भी ज्यादा बार छप चुकी है । मैने अपनी थोड़ी तारिफ की, क्योंकि उस लड़की को इम्प्रेस जो करना था । फिर और भी दस मिनट तक बातचीत हुई । फिर वह अपनी दोस्त से बात करने लगी, मैं भी अपने दोस्त हिमांशु से बात करने लगा ।
अंत में जब ना रहा गया तो मैं उससे पूछ बैठा; तुम्हारा नाम क्या है ? उसने जबाब दिया: "अनामिका" । तब जाकर कहीं मेरे दिल को सकूँ आया । और वहीं शायद उसे मेरा नाम पता था, क्योंकि वह मेरी कॉपी पूरी पढ़ चुकी थी । आधे मिनट बाद ही कॉपी जमा होने लगा, हमारी कॉपी भी जमा हो गई, उसकी कॉपी भी जमा हो गई । हम अपने सिट से उठे, वो बोली:- बाय ! मैं बोला:- "जिंदगी रही तो मिलेंगे दुबारा, था यहीं तक साथ हमारा ।" फिर परीक्षा भवन के बाहर तक हम साथ-साथ आए । एक-दूसरे को देखते हुए, मुस्कुराते हुए । फिर वह दूसरे क्लास में चली गई, हिमांशु के पिताजी आ चुके थे इसलिए मैं वहाँ से चला आया । अब पता नही क़्विज के दिन हमारी मुलाकात होगी या नही ? अब बस इंतजार है उस दिन का जब क़्विज होगा, वो भी आएगी और मैं भी जाऊंगा ।
क्रमशः....................
(भाग-2)
दिनांक-19 से 24 दिसम्बर 2019
वहाँ से घर आ गया, शाम के समय किसी भी काम में मेरा मन नही लग रहा था, कुछ परम मित्रों को भी बताया । वैसे कुछ मित्र बोले: तुमने तो कहा था की कभी प्यार नही करोगे ? फिर यह क्या है ? मै भी कहाँ कम था, मैने भी कह दिया: परिवर्तन ही समाज का नियम है, इसिलिए मैं भी बदल गया । कुछ अन्य मित्रों को भी यह बात बताया । दोपहर का समय था अनामिका की याद में खोया था, तभी लगा की याद के लिए उसके साथ एक तस्वीर खिंचवा लेनी चाहिए । तभी याद आया अरे रिपोर्टर सर ने तो तस्वीर खिंची थी । मैं झटपट रिपोर्टर सैट को कॉल किया, और बोला: मुझे कल वाला सब तस्वीर चाहिए, वे बोले: मैने तो डिलिट कर दिया फ़ोन से पर सिस्टम में है । यह सुनकर जान में जान आई । मैं बोला: सिस्टम से ही निकाल कर दीजिये पर मुझे चाहिए । वे बोले: ठीक है मै देखता हूँ । फिर शाम में मुझे तीन तस्वीर मिली, वैसे तो तस्वीर काफी धुंधला था पर मेरे दिल के करीब था । मैं वह तस्वीर कुछ परम मित्रों को भेजा । फिर वह दिन तो जैसे-तैसे गुजर गया, पर अब उसके बिना मन नही लग रहा था, कोई भी काम सही से नही कर पा रहा था । उसकी याद में 20, 21 और 22 दिसम्बर भी गुजर ही गया । मैं आश लगाए बैठा रहा की क़्विज होगी और मैं उस मिल पाउंगा ।
इधर दिन गुजरते जा रहे थे पर क़्विज कब होगी पता ही नही चल पा रही थी । मैं बार-बार रिपोर्टर सर को कॉल कर रहा था की क़्विज कब होगी कुछ पता चला । पर वे कहते:- अभी नही हुआ है, होगा तो बताएँगे । साथ ही मैं प्रधानाध्यापक सर से भी कॉल करके बात कर रहा था । और उस दिन का इन्तजार कर रहा था ।
क्रमशः......................
(भाग-3)
दिनांक- 25 दिसम्बर 2019 से 24 जनवरी 2020
धीरे-धीरे दिन व्यतीत होते गए मेरी उससे मिलने की चाह अब भी दिल में घर कर के बैठा था । उसकी याद में डायरी लिखना शुरु कर दिया । काफी कविताएं व शायरी लिखा । काफी प्रकाशित हुई । एक सम्मान पत्र भी मिला । और दोस्तों से उसकी कहानी भी शेयर कर रहा था । उसकी याद में खोया रहता था, जब उसकी याद आती थी तब उसकी उपस्थित एक तस्वीर देख लेता या परीक्षा देते समय मुस्कुराते हुए उसकी तस्वीर दिमाग में देख लेता था । तब जाकर उसकी याद कम होती थी । अगला दिनांक पता चल गया 24 और 25 को अगला परीक्षा है । उसके लिए पंजीयन भी करा चुका हूँ । 24 को मुझे परीक्षा नही देना पर जाऊँगा, कहीं वह आई हो इसी आश में । 25 को क़्विज है तो उस दिन चांस और ज्यादा होगा मिलने का, दोनों दिन गंवाना नही है,अब बस 24 व 25 जनवरी का इन्तजार करने के सिवा मेरे पास कोई और चारा नही है।
24 जनवरी जल्दी आओ...!
क्रमशः........................
(भाग-4)
दिनांक:- 26 जनवरी - 15 फरवरी 2020
लो भैया आज 26 जनवरी हो गया, पर उससे मुलाकात नही हुई । क्योंकि क्विज की तारिख बदल गई, 24 और 25 के बदले अब 29 और 31 को होनी है । आज 29 जनवरी है आज नही जा पाया शहर में !
अनामिका से नही मिल पाया । आज 31 जनवरी आ गया सज-धजकर प्रिन्स के साथ शहर गया, परीक्षा दिया पर अफसोस अनामिका नही आई थी उसकी दोस्त जो पिछ्ली बार गई थी आज भी आई है । वो बार-बार मुझे घूर रही थी । मैं भी उसे देखकर पहचान गया की यह वही है । एक घंटे बाद परीक्षा खत्म । हम सभी बाहर निकले । काश अनामिका आई होती तो उससे मिल सकता । पर वो नही आई थी । उसकी दोस्त आई थी । सोचा की उससे दोस्त से बात करुँ, पर वह अपने घरवालों के साथ आई थी जिस वजह से हिम्मत नही हुई बात करने की । हाँ, मैं इतना जरूर कह सकता हूँ, की उसकी दोस्त जब घर गई होगी, तो उसने मेरे बारे में अनामिका को जरूर बताया होगा, सुनने के बाद वो जरूर सोची होगी काश आज मैं भी परीक्षा देने जा पाती। पर; होनी को कौन टाल सकता था । जो होना था सो हुआ ।
शायद.... अब उससे मुलाक़ात नही होगी लग रहा था मुझे । पर अभी भी एक आशा थी की रिजल्ट आने के बाद कहीं हम दुबारा मिल जाए........!
■इंतजार रिजल्ट आने का............■
(भाग-5)
दिनांक:- 15 फरवरी 2020 से अभी तक
धीरे-धीरे समय बीतता गया; कुछ महीने लग रिजल्ट आने में । आखिरकार रिजल्ट आया पर ना मैं ही टॉप तीन में आया, ना हिमांशु आ पाया, ना ही वो आई, ना ही उसकी दोस्त । अब उम्मीद एकदम साथ छोड़कर चली गई की अब उससे मुलाक़ात होगी । खैर; अब इस कहानी को अपने कुछ दोस्तों को सुनाता हूँ कभी-कभी खुद इस कहानी को पढ़कर मायूस हो जाता हूँ, कभी-कभी रो परता हूँ । यह सोचकर खुद को कोसता हूँ की समय के भरोसे ना बैठकर पहके परीक्षा में ही उससे नम्बर माँग लेना चाहिए था । खैर; जो हुआ वो हुआ । हाँ, अब तो उसकी तस्वीर भी नही है मेरे पास । डिलीट हो गया फोन से । अब बस वो मेरी यादों में एक कहानी बनकर बसी हुई है ।
अनामिका........................
(नोट:- यह हकीकत है, परंतु कहानी है । बाकी आप सब तो खुद समझदार हो ।😊😊 )
©®- सौरभ कुमार ठाकुर (बालकवि एवं लेखक)
मुजफ्फरपुर, बिहार
सम्पर्क- 8800416537