अप्पू का हेलमेट manjari द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अप्पू का हेलमेट


"कितनी देर से हेलमेट ढूँढ रहा हूँ, कहीं मिल नहीं रहाI" कमरे के अंदर से एक आदमी की आवाज़ सुनाई पड़ी
अमरुद के पेड़ पर बैठा हीरु तोता फुर्र से उड़कर खिड़की पर बैठ गया और कमरे के अंदर झाँकने लगाI
कमरे का सारा सामान उल्टा पुल्टा पड़ा हुआ था और एक आदमी बड़बड़ाता हुआ अपना हेलमेट ढूँढ रहा थाI
तभी एक छोटी से बच्ची उस कमरे में आई और बोली-"आप बिना हेलमेट के चले जाओ नाI"
"नहीं,नहीं, हेलमेट नहीं पहनने से दुर्घटना होने की संभावना रहती हैI" उस आदमी ने जवाब दिया और वापस अपना हेलमेट ढूँढने लगा
हीरु ने अपनी गोल गोल आँखें नचाई और जंगल की ओर उड़ चलाI
उड़ते हुए दोपहर हो गई थी और हीरु बहुत थक चुका था पर बिना अप्पू हाथी को हेलमेट वाली बात बिना बताये उसे चैन कहाँ थाI
थोड़ा और आगे जाने पर गन्ने के खेत में उसे अप्पू दिख गयाI
हीरु को देखते ही अप्पू खुश होते हुए बोला-"कहाँ से चले आ रहे हो?"
"शहर से आ रहा हूँI एक बहुत बड़ी बात पता चली हैI" अपनी काली मिर्च जैसी गोल गोल आँखें घुमाते हुए हीरु ने कहा
"ओह! जल्दी बताओI" कहते हुए अप्पू ने एक गन्ना तोड़ लियाI
"बिना हेलमेट के चलने से दुर्घटना होने का डर रहता हैI मैं तो उड़ लेता हूँ पर तुम्हें तो हेलमेट पहनना ही चाहिएI"
"मैं तो पहले ही कितना गिरता पड़ता रहता हूँ और मेरे पास तो हेलमेट भी नहीं हैI" अप्पू घबराते हुए बोला
वे बात कर ही रहे थे कि तभी वहाँ से गुजरता हुआ मोंटू बन्दर उनकी बातें सुनकर उनके पास आ गया और बोला-"किसे पहनना है हेलमेट?"
"अप्पू को चाहिए पर उसके पास है नहींI" हीरु बोला
"हम बिन्की लोमड़ी के पास चलते हैI उसे सब पता रहता है तो हेलमेट के बारे में भी जरूर पता होगाI" मोंटू ने खुश होते हुए कहा
"पर पता नहीं वह इस समय कहाँ होगीI" अप्पू ने पूछा
"मैंने थोड़ी देर पहले उसे अंगूर के बेल के पास बैठे हुए देखा था वो अभी भी वहीँ होगीI" मोंटू गुलाटी मारते हुए बोला
"चलो, चलो, जल्दी से चलते हैI कहीं ऐसा ना हो कि बिन्की वहाँ से चली जाएI" हीरु ने उड़ते हुए कहा
थोड़ी दूर जाने के बाद अप्पू बोला-"मोंटू, तुम्हें तो हर बात पता रहती हैI"
"क्योंकि आम खा खाकर मैं बहुत बुद्धिमान हो गया हूँI" मोंटू ने शैतानी भरे स्वर में कहा
अप्पू ने मासूमियत से पूछा-"क्या आम खाने से बहुत अक्ल आ जाती है?"
"और नहीं तो क्या, मुझे ही देख लोI" मोंटू खी-खी करके हँसता हुआ बोला
भोले भाले अप्पू ने अपने गन्ने की तरफ़ देखते हुए पूछा-"और गन्ना खाने से?"
"हाँ, उसे खाने से भी आ ही जाती है पर थोड़ी कमI" नटखट मोंटू अपनी हँसी रोकते हुए बोला
अप्पू ने सोचा-"अब तो मुझे भी आम खाना ही पड़ेगाI"
तभी हवा में उड़ता हुआ हीरु बोला-"वो देखो, बिन्कीI"
मोंटू और अप्पू, बिन्की को देखते ही खुश हो गए और उसके पास पहुँच गएI
बिन्की ने उनमें से किसी की भी तरफ़ नहीं देखाI वह तो रसभरे अंगूर इकठ्ठा करने में व्यस्त थीI"
अंगूर देखकर मोंटू के मुँह में पानी आ गयाI
वह अंगूरों की तरफ ललचाई नज़रों से ताकता हुआ बोला-"कुछ अंगूर मुझे भी दे दोI"
"एक भी नहीं दूंगीI" बिन्की ने जवाब दिया
"कैसे नहीं दोगी!" कहते हुए मोंटू ने छलांग मारी और ढेर सारे अंगूर लेकर वहाँ से भाग गया
बिन्की गुस्से से काँप उठीI
अप्पू बोला-"हम तो ये पूछने आये है कि हेलमेट कहाँ मिल जाएगा?"
बिन्की चीखते हुए बोली -"उल्लू दादा तुम्हें इसका जवाब दे देंगेI उनसे जाकर पूछ लोI"
हीरु धीरे से बोला-"मुझे लग रहा है कि बिन्की बहुत गुस्से में है और इसलिए ये उल्टा सीधा जवाब दे रही हैI"
"नहीं, नहीं, अंगूर तो मोंटू ले गया हैI वो मुझसे क्यों नाराज़ होगी?" सीधे साधे अप्पू ने कहा और उल्लू दादा के पेड़ की ओर चल पड़ाI
चलते चलते अप्पू अब बहुत थक गया था पर वह कहीं नहीं रुका ओर सीधे उल्लू दादा के पेड़ के पास पहुँच गयाI
"उल्लू दादा...उल्लू दादा..." अप्पू ने आवाज़ लगाई
"अरे दिन में वह सो रहे होंगेI तुम्हें रात होने तक यहीं बैठना होगाI" हीरु बोला
"मुझे बैठना होगा! क्यों तुम कहीं जा रहे हो क्या?" अप्पू ने पूछा
"मुझे बहुत भूख लगी है इसलिए वापस अपने अमरुद के पेड़ पर जाना हैI" हीरु ने जवाब दिया और वहाँ से उड़ चला
अप्पू पेड़ के पास ही बैठ गया और रात होने का इंतज़ार करने लगाI
अप्पू सारा दिन अपने गन्ने को थोड़ा थोड़ा चूसकर खाता रहा और पेड़ पर फुदकती गिलहरी और कोयल से बातें करता रहाI
शाम होते ही वह वापस कोटर के पास पहुँच गयाI
"उल्लू दादा...आप जाग गए क्या?"
"हाँ...बोलो अप्पू, कैसे आना हुआ?"
"मिन्की ने कहा कि आप मुझे बता दोगे कि हेलमेट कहाँ मिलेगा?"
"तुम्हें हेलमेट क्यों पहनना है?" कोटर के अंदर से आवाज़ आई
"ताकि मैं दुर्घटना से बच सकूँ!" अप्पू ने खुश होते हुए कहा
"पर हेलमेट वो पहनते है जो गाड़ी चलाते हैI तुम तो हमेशा पैदल चलते हो इसलिए तुम्हें हेलमेट पहनने की कोई ज़रूरत नहीं हैI" उल्लू दादा की आवाज़ आई
अप्पू उल्लू दादा की बात सुनकर हक्का बक्का रह गया और अपना सर पकड़कर बैठ गयाI
पर पूरे जंगल में उल्लू दादा के साथ साथ वहाँ मौजूद सभी पशु पक्षियों के ठहाके गूँज रहे थे जिसमें अप्पू की हँसी सबसे दूर तक सुनाई दे रही थीI