वचन--(अन्तिम भाग) Saroj Verma द्वारा क्लासिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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वचन--(अन्तिम भाग)

वचन--(अन्तिम भाग)

हाँ,भइया मुझे पक्का यकीन है कि सारंगी दीदी आपको बचा लेंगीं, दिवाकर बोला।।
नहीं, दिवाकर! जब सबको पता है कि आफ़रीन का ख़ून मैने किया है तो केस लड़ने से क्या फायदा,मै ही कूसूरवार हूँ, जब मैने खुद ही मान लिया है तो सारंगी इस केस के लिए माथापच्ची क्यों करेगी भला, प्रभाकर बोला।।
लेकिन भइया!आप निर्दोष हैं और मैं ये साबित करके रहूँगा,दिवाकर बोला।।
तू किसी से कुछ भी नहीं कहेंगा, दिवाकर! नहीं तो मेरा मरा हुआ मुँह देखेंगा,प्रभाकर बोला।।
भइया! कृपा करके,कसम की बेड़ियाँ मत डालिए मुझ पर नहीं तो इस अपराधबोध से मैं जीते जी मर जाऊँगा, दिवाकर बोला।।
मुझे कुछ नहीं सुनना,तुम दोनों अभी यहाँ से जाओ,प्रभाकर बोला।।
सारंगी ने दिवाकर से कहा कि अभी यहाँ से चलो,घर चलकर कुछ सोचते हैं कि आगें क्या करना हैं?
ठीक है दीदी! दिवाकर बोला।।
और दोनों घर लौट आएं, घर में सबने पूछा कि कोई रास्ता निकला प्रभाकर को बचाने का,
सारंगी बोली ,नहीं! प्रभाकर बाबू जब स्वयं खून का इल्जाम अपने सिर ले रहे हैं तो अभी तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा ।।
हीरालाल जी बोले,मैं शाम को जाता हूँ, प्रभाकर से मिलने,शायद वो मुझसे कुछ कहें।।
मुझे मालूम है काका! वो कुछ नहीं कहेंगें, मुझे पता है ना सारी बात लेकिन उन्होंने अपनी कसम देकर मेरा मुँह बंद कर रखा है, दिवाकर बोला।।
लेकिन ऐसा क्या है ? जो तुम्हें मालूम है,सारंगी ने दिवाकर से पूछा।।
नहीं बता सकता दीदी! भइया की दी हुई कसम टूट जाएंगी, दिवाकर बोला।।
अच्छा! ठीक है तुम मुँह से नहीं बता सकते लेकिन लिख तो सकते हो,इस तरह तुम्हारी कसम भी नहीं टूटेगी और हम सब को सब पता भी चल जाएगा,सारंगी बोली।
हाँ,ये सही रहेगा दीदी! मुझे पहले क्यों नहीं सूझा,दिवाकर बोला।।
और दिवाकर ने उस दिन वाली सारी घटना सारंगी को लिख कर दे दी,सारंगी उसे पढ़कर हैरान रह गई और बोली,जरा एक दो दिन ठहरो आफ़रीन के पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आ जाने दो और सुनों,आज रात को ही हम दोनों को चोरी छिपें कहीं चलना है, किसी को कानोकान खबर ना हो क्योंकि कुछ शक़ तो मुझे शमशाद पर भी जा रहा है,क्योंकि ये बात हज़म नहीं हो रही कि गोली चलते वक्त घर की सारी बत्तियां कैसे बंद हो गई और गोली चलने के बाद बत्तियां दोबारा जल उठी और जब तुम्हारी बहस आफ़रीन के साथ हुई तो शमशाद को कोई भी आवाज़ सुनाई नहीं दी और गोली चलने के बाद बत्तियां जलने पर वो बाद में चीखने के लिए आ पहुँची, दाल में कुछ काला जरूर है दिवाकर! सारंगी बोली।।
रात हुई, सारंगी और दिवाकर कहीं निकल पड़े कुछ सुबूत ढू़ढ़ने, जैसा सारंगी को शक़ था वो शक़ सही निकला,दो चार दिन बाद केस की सुनवाई हुई अदालत में,आरोपी पक्ष के वकील ने प्रभाकर को कटघरें में खड़ा करके कुछ सवाल पूछे___
आपका पूरा नाम बताएं, आरोपी पक्ष के वकील ने प्रभाकर से पूछा।।
जी मेरा नाम प्रभाकर केशरवानी है और मेरे पिता जी का नाम मनीराम केशरवानी हैं, प्रभाकर बोला।।
तो उस रात आप वहाँ क्या करने गए थे?आरोपी वकील ने सवाल पूछा।।
जी,मैं आफ़रीन से ऐसे ही मिलने गया था,प्रभाकर बोला।।
तो क्या आफ़रीन आपकी महबूबा थी?आरोपी वकील ने पूछा।।
जी,नहीं! वो मेरी बहन के समान थीं,प्रभाकर बोला।।
एक गाने वाली,आपकी बहन..हा...हा...हा...हा...बहुत ताज्जुब हुआ सुनकर,आरोपी वकील बोला।।
ये कैसा इल्जाम लगा रहे आप मुझ पर,प्रभाकर बोला।।
अच्छा तो क्या आप अक्सर वहाँ जाते थे,आरोपी वकील ने पूछा।।
जी नहीं, एक ही बार मैं उनके घर आया था और एक बार वो मुझे मिली थीं,ये बताने के लिए कि जो काम मैने उन्हें सौपा था वो उन्होंने पूरा कर दिया है, प्रभाकर बोला।।
क्या मैं जान सकता हूँ? कि ऐसा कौन सा काम था जो आपने उन्हें सौंपा था? आरोपी वकील ने पूछा।।
वो मेरा निजी मामला है, मैं नहीं बता सकता,प्रभाकर बोला।।
निजी मामला...तो इसका मैं क्या मतलब समझूँ? आरोपी वकील बोला।।
जो भी आपको समझना हो,प्रभाकर बोला।।
अच्छा! ठीक हैं,जरा आप मुझे विस्तार से बताएंगे कि उस रात क्या क्या हुआ था,आरोपी वकील ने पूछा।।
जी,उस रात मैं आफ़रीन के घर पहुँचा,हमारी किसी बात को लेकर बहस होने लगी,आफ़रीन ने गुस्से से बैठक की दराज से पिस्तौल निकाली और मुझे घर से जाने के लिए कहा लेकिन मुझे भी बहुत गुस्सा आया और मैने उसके हाथ से पिस्तौल छीनी और उसकी ओर बढ़ा दी तब तक घर की सारीं बत्तियाँ चलीं गईं और मैने गोली चला दी, जब तक बत्ती आई,मैने देखा तो आफ़रीन को गोली लगी है और वो तड़प रही हैं और कुछ पल में ही उसने दम तोड़ दिया,तब तक दिवाकर भी मेरा पीछा करते करते आफ़रीन के घर आ पहुँचा,प्रभाकर बोला।।
तो जनाब़ !आप कहना चाहते हैं कि बत्ती जाते ही वहाँ कोई आया और आफ़रीन को गोली मारी और बत्ती आने से पहले मारकर भाग गया,आरोपी वकील बोला।।
मुझे पता नहीं,प्रभाकर बोला।।
कैसे पता नहीं आपको! आप तो उस समय वहीं मौजूद थे,,आरोपी वकील ने कहा।।
तभी सारंगी बोल पड़ी____
ऐसा भी तो हो सकता है कि आफ़रीन को कोई और गोली मारकर चला गया हो।।
लेकिन वकील साहिबा! आप यकीन के साथ कैसें कह सकतीं हैं कि ये काम किसी बाहर वाले का है, आरोपी वकील बोला।।
क्योंकि, घर का दरवाज़ा पहले से खुला हुआ था,यानि कि गोली मारने वाले को पता था कि ये दोनों भाई यहाँ आने वाले हैं इसलिए उसने पहले बत्ती बंद की फिर गोली मारी और भाग गया,सारंगी बोली।।
ये कैसे मुमकिन हैं, वकील साहिबा! जरा ठीक से समझाएंगी इस अदालत को ,आरोपी वकील बोला।।
सब सम्भव है, क्योंकि ये सब एक सोची समझी साजिश के अन्तर्गत किया गया है और अभी मुजरिम से मेरे सवालात पूछने बाकी़ हैं और शमशाद से भी,सारंगी बोली।।
तभी जज साहब बोले कि आज की अदालत दो दिनों के लिए मुल्तवी की जाती है।।
सब घर जाने लगे और सारंगी ने अपना वकीली कोट उतारकर हाथ में रखते हुए मन में सोचा कि अच्छा हुआ दो दिन और समय मिल गया अब मैं और भी सूबूत इकट्ठे कर सकती हूँ तभी दिवाकर,सारंगी के पास आकर बोला____
क्या सोच रही हो दीदी!
कुछ नहीं, यही के हमे दो दिनों में इस केस के सुबूत इकट्ठे करने होगें, तभी हम प्रभाकर बाबू को निर्दोष साबित कर सकते हैं,सारंगी बोली।।
लेकिन दीदी! हमारे सुबूत इकट्ठे करने का क्या फायदा, भइया तो खुद ही करार कर रहे हैं कि वो ख़ूनी हैं, दिवाकर बोला।।
अगर हमारे हाथ पक्के सुबूत लग जाएं तो हम चुटकियों में प्रभाकर बाबू को निर्दोष करार दे सकते हैं तब उन्हें खुद को बेकसूर कहना ही होगा,सारंगी बोली।।
तो फिर आगें क्या करना होगा सूबूत इकट्ठे करने के लिए,दिवाकर ने पूछा।।
वहीं जो उस रात किया था किसी का पीछा करना है और दो दिनो तक उस पर नज़र रखनी,सारंगी बोली।।
ठीक है दीदी! मैं तैयार हूँ, दिवाकर बोला।।
तो चलो,फिर देर किस बात की,सारंगी बोली।।
और वो दोनों साथ में सूबूत ढू़ढ़ने निकल पड़े___
दो दिन के बाद अदालत की कार्यवाही फिर से शुरु हुई____
आरोपी वकील ने प्रभाकर से फिर से कुछ ऊलजूलूल से सवाल पूछे,जिनका जवाब प्रभाकर नहीं देना चाहता था और वो बौखला गया।।
तब सारंगी ने बात को सम्भालने की कोशिश की और बोली___
मैं भी मुजरिम से कुछ सवालात पूछना चाहती हूँ___
सारंगी ने सवालात पूछने का सिलसिला शुरू किया____
अच्छा! तो ये बताइएं, प्रभाकर बाबू! जब आप आफ़रीन के घर पहुंचे तो दरवाज़ा किसने खोला,सारंगी ने पूछा।।
जी,वकील साहिबा! उस रात दरवाज़ा शायद उनकी नौकरानी ने खोला था,मैं गुस्से में था इसलिए ठीक ठीक कुछ याद नहीं पड़ता,प्रभाकर बोला।।
ठीक से याद कीजिए और बताइएं, सारंगी बोली।।
जी,मैनें कहा तो,शायद नौकरानी ने,प्रभाकर बोला।।
आप झूठ कह रहें हैं प्रभाकर बाबू! क्योंकि दरवाज़ा पहले से खुला हुआ था और पहले आप नहीं आपका छोटा भाई दिवाकर उस घर में दाखिल हुआ था और उसके बाद आप घर मे दाखिल हुए,दिवाकर और आफ़रीन के बीच कुछ कहासुनी हुई,आफ़रीन ने दिवाकर को धमकाने के इरादे से खाली पिस्तौल दराज़ में से निकाला और दिवाकर से कहा कि यहाँ से चले जाओ।।
लेकिन दिवाकर काफी़ गुस्से में था और वो वहाँ से ना गया,उसने खाली पिस्तौल आफ़रीन के हाथ से छीन ली और तभी घर की सभी बत्तियाँ बंद हो गई, कोई बाहर से आकर पहले से ही उस घर में छुपकर बैठा था,वो आफ़रीन को गोली मारकर भाग गया,तभी घर की बत्तियां फिर से जल उठीं और आपको लगा कि ये ख़ून दिवाकर ने किया है और आपने उसे बचाने के लिए ख़ून का इल्जाम अपने सिर ले लिया,जब कि पोस्टमार्टम की रिपोर्ट कहतीं हैं कि जो गोलियाँ आफ़रीन को लगीं वो आफ़रीन के पिस्तौल की हैं ही नहीं, व़ो तो और किसी पिस्तौल की हैं, सारंगी बोली।।
वाह...वकील साहिबा क्या मनगढ़ंत कहानी बनाई है आपने !मान गए,आरोपी वकील बोला।।
नहीं, मैं सही कह रही हूँ, सारंगी बोली।।
अगर आप सही कह रहीं हैं तो इसे सिद्ध कीजिए,आरोपी वकील बोला।।
जी , जुरूर लेकिन मैं अदालत को ये बताना चाहती हूँ कि इस अदालत में वो खूनी मौजूद है जो उस रात खून करके भागा था और वो जो सफेद दाढ़ी मूँछ में कोने में बैठा है वो ही खू़नी हैं, सारंगी बोली।।
सारंगी के इतना कहने पर उस ख़ूनी ने अदालत से भागने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उसे धर दबोचा,उसकी दाढ़ी मूँछ निकाली गई तो पता चला कि वो शिशिर है, तब सारंगी बोली कि मैं आफ़रीन की नौकरानी को भी अदालत में पेश करने की इजाजत चाहती हूँ, उसके पास भी बहुत से सवालों के जवाब हैं।।
आप अदालत का वक्त जाया कर रहीं हैं, आरोपी वकील बोला।।
लेकिन जज साहब बोले,इजाजत है लेकिन अदालत की कार्यवाही का वक्त खत्म हो चुका है अदालत कल तक के लिए मुल्तवी की जाती हैं।।
और दूसरे दिन अदालत की कार्यवाही फिर से शुरु हुई और शमशाद को पेश़ किया गया,शमशाद़ ने सारी सच्चाई बयान की वो बोली___
आफ़रीन दीदी के ख़ून वाले रोज़ शिशिर साहब मेरे घर आएं थें क्योंकि मैं दोपहर को बारह बजे से चार बजे तक लिए अपने शौहर और बेटे से मिलने जाती थी,मेरा शौहर कोई भी काम इसलिए नहीं कर पाता क्योंकि वो बच्चे को सम्भालता था,शिशिर साहब आकर बोले कि वो मुझे बहुत पैसा देगें,बस मुझे एक काम करना होगा कि रात को घर का दरवाज़ा खुला रखना होगा और दिवाकर के आते ही कुछ समय बाद घर की बत्तियों का मैन स्विच बंद कर देना,कुछ समय बाद खोल देना लेकिन मुझे ये नहीं पता था कि उनका इरादा आफ़रीन दीदी का ख़ून करने का था,वो मेरी ही आँखों के सामने से भागे थे और उनके हाथ में पिस्तौल थी,मुझे ये भी पता है कि जो पिस्तौल दीदी की दराज में हुआ करती थी वो हमेशा खाली रहती थी,इसका मतलब़ है कि ना दिवाकर साहब उस पिस्तौल से ख़ून कर सकते हैं और ना ही प्रभाकर साहब।।
अच्छा तुम अब जा सकती हो,अब मुझे चंद सवाल दिवाकर से भी पूछने हैं, सारंगी बोली___
और दिवाकर कटघरे में आया और उस रात समोसे वाली दुकान के सामने जो जो शिशिर ने उसे आफ़रीन के बारें में कहा था उसने अदालत मे वो सब बयाँ कर दिया और बोला कि मेरे भइया ने मुझे बचाने के लिए इस ख़ून का इल्जाम अपने सिर ले लिया,शिशिर ने जो बातें उस दिन आफ़रीन के बारें में मुझे बताईं उसे सुनकर मैने अपना आपा खो दिया और बिना सच्चाई जाने आफ़रीन से उलझ पड़ा,वो कहती रही कि मेरी बात सुनो...मेरी बात सुनो लेकिन उसकी मैने एक ना सुनी,उसने मजबूर होकर केवल मुझे धमकाने के इरादे से पिस्तौल निकाली थी और वो पिस्तौल मैने छीन ली,उसके बाद क्या हुआ ये सबको पता ही है, दिवाकर बोला।।
जज साहब ने अपना फैसला सुनाया, प्रभाकर और दिवाकर बेकसूर निकले,शमशाद़ को भी एक महीने की जेल हुई जुर्म छुपाने के लिए और शिशिर को आफ़रीन के खून के इल्जाम में उम्र कैद की सजा हुई,एक बार फिर से दोनों भाई मिल गए लेकिन इस बार प्रभाकर बोला अब जल्द ही देवा और बिन्दू की शादी कर देते है दोनों यहीं शहर मे रहेंगें,दिवाकर काँलेज जाया करेंगा और बिन्दू घर सम्भालेगी।।
लेकिन भइया पहले तो आपकी शादी होनी चाहिए आप बड़े हैं और चिंता मत कीजिए लड़की मैने ढ़ूढ़ ली है वो ही हम सबको सही रास्ते पर रख सकती है ,थोड़ी अकड़ू हैं लेकिन चलेंगी,दिवाकर बोला।।
अच्छा! तू बड़ा सयाना हो गया है,मेरी शादी करवाएगा, प्रभाकर बोला।।
फिर दिवाकर ने सारंगी से पूछा__
क्यों दीदी! बनोगी ना मेरी भाभी!
और सारंगी ने शरमाकर अपनी पलकें झुका लीं।।
इस तरह से बिछड़ा हुआ परिवार फिर से मिल गया...!!

समाप्त___
सरोज वर्मा___