गुमनाम : मर्डर मिस्ट्री - 6 Kamal Patadiya द्वारा क्राइम कहानी में हिंदी पीडीएफ

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गुमनाम : मर्डर मिस्ट्री - 6

अजय, सब इंस्पेक्टर राणे और जगदीश शर्मा बाबूराव की साइट पर पहुंचते हैं। वहां पर साइट में काम करने वाले लोगों की भीड़ जमा होती है। पुलिस कॉन्स्टेबल सबको वहां से हटाते है। अजय और जगदीश वर्मा बाबूराव की केबिन में के अंदर जाते हैं, वहां पर जाकर देखते तो बाबूराव मौत की नींद सो चुके थे। उसके टेबल पर कोल्डड्रिंक्स की दो बोतले रखी हुई थी, जिसमें से एक खाली थी।
शर्माजी अजय की ओर देखकर बोलते है
" इसका भी......"
" हमममम... " अजय अपनी कैप उतारते हुए बोलता है।
"शर्मा जी, आप इन बोतलों कॉ लेब में लेकर जाहिए, कातिल ने इसमें जरूर Cube-c15 मिलाई होगी।
" विक्रम ने......?"
" हां... शायद...."

अजय हाथ में ग्लब्ज पहनकर बाबूराव का मोबाइल को एक थेली में डाल देता है और बाबूराव की बॉडी को अच्छी तरह से चेक करता है लेकिन कहीं कोई घाव के निशान नजर नहीं आते है। अजय ऑफिस में रखे हुए कंप्यूटर से केबिन की सीसीटीवी फुटेज चेक करता है जब कोल्डड्रिंक्स वाला केबिन में दाखिल हुआ था। उसने चेहरे पर मास्क लगाया था और सिर पर केप पहनी हुई थी इसलिए उसका चेहरा पहचान में नहीं आ रहा था लेकिन उसका हुलिया और हाइट बॉडी देखकर अजय को लग रहा था कि शायद ये विक्रम ही है। अजय कॉन्स्टेबल से कहकर कोल्डड्रिंक वाले की जांच करने के लिए कहता है।

अजय शर्माजी से कहता है कि "शर्मा जी, इस विक्रम ने नाक में दम कर दिया है। एक के बाद एक मर्डर किये जा रहा है लेकिन यहां पर सब को लगता है कि बाबूराव की मौत हार्ट अटैक से हुई है तो हम मीडिया को भी यही बताएंगे वरना पुलिस की और बदनामी होगी वैसे भी पुलिस की काफी बदनामी हो चूकी है।"
"ठीक है, मैं भी सबको यही बताऊंगा" शर्माजी बोलते है।
फॉरेंसिक वाले केबिन की अच्छी तरह जांच करते हैं। बाद में, पुलिस बाबूराव की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज देती है। पुलिस वाले मीडिया वालों को यही बता देते थे कि बाबूराव की मौत हार्ट अटैक से हुई है।

अजय पुलिस स्टेशन जाकर सबसे पहले बाबुराव का मोबाइल चेक करता है और उसमें देखता है कहीं विक्रम का फोन नंबर उसमें सेव तो नहीं था या बाबूराव ने कभी विक्रम से बात तो नहीं की, लेकिन बाबूराव के मोबाइल से ऐसा कुछ भी नहीं मिलता है जिसका ताल्लुक विक्रम से हो। तभी राणे और कॉन्स्टेबल अजय की केबिन में दाखिल होते है। कॉन्स्टेबल अजय से कहता है कि "सर! मैंने कोल्डड्रिंक वाले कि दुकान पर जाकर पूछताछ की। उसने मुझे बताया की मेरा आदमी जब कोल्डड्रिंक लेकर निकला तो उसको रास्ते में उसे एक कैप और मास्क पहनेवाला आदमी मीला था, उसने बताया कि वो बाबूभाई का आदमी है जो कोल्डड्रिंक लेने आया है और वह मेरे आदमी से कोल्डड्रिंक की बोतले लेकर निकल गया।"
"ठीक है!! तुम जाओ" अजय कुछ सोचते हुए बोलता है। कॉन्स्टेबल केबिन से चला जाता है।

राणे अजय से कहता है कि "सर! ये विक्रम बड़ा शातिर है, पकड़ मे ही नहीं आ रहा है। उसके पास जो नंबर था वह भी हिरेन के नाम से रजिस्टर है, जो उसका दोस्त था और जिसका उसने कत्ल किया था।"
"अच्छा!!! यह बात है.... इसका मतलब तो यही निकलता है कि वह अपनी पहचान छुपाना चाहता है। उसने हिरेन के खोली से documents चुराके सिम लिया होगा और बाद में सब को फोन करता होगा लेकिन राणे... मुझे यह समझ में नहीं आ रही कि बाबूराव के नाम पर जो दूसरा रजिस्टर नंबर है वह किसका है?"
"वो तो मेरी भी समझ में नहीं आ रहा है, सर!!"
"राणे, तुम एक काम करो उस सीमकार्ड का IMEI नंबर निकलवाओ ताकि हमें उसके मोबाइल के मालिक का पता लगा सके। तब तक मैं इस Bikers Gangs मैं और कौन-कौन से लोग है उसके बारे में पता करता हूं।"
"ठीक है!! सर...." इतना कहकर राणे वहां से निकलता है।

2 दिन के छानबीन के बाद अजय और राणे केबिन में बैठ कर बात करते हैं। अजय राणे से पूछता है कि "राणे!! तुमने इस IMEI के बारे में पता लगाया?"
"हां!!! सर.... मैंने पता लगा लिया है। विक्रम जीसको फोन करता था वह नंबर बाबूभाई के नाम पे रजिस्टर्ड है लेकिन बाबूभाई के मोबाइल मे वह सीमकार्ड नहीं था।"
"इसका मतलब तो यह हुआ राणे.... कि किसी ने बाबूभाई के documents को लेकर वह सिमकार्ड खरीदा था।"
"हां!!! सर..."
"कौन है वह शख्स?"
"मनोहर तिवारी"
"कौन है यह मनोहर तिवारी?"
"रोशन झुनझुनवाला का PA"
"क्या बात कर रहे हो राणे? अपने शहर के मशहूर वकील रोशन झुनझुनवाला साहब?"
"हां सर!!! लेकिन अजीब बात यह है कि वह सिमकार्ड मनोहर तिवारी के मोबाइल में भी नहीं डला था।"
"....तो फिर किसके मोबाइल में था यह सिमकार्ड?"
"खुद... मिस्टर रोशन झुनझुनवाला के मोबाइल में।"
"क्या कह रहे हो राणे? तुमने पूरी तरह confirm किया है ना?' अजय आश्चर्यचकित होकर राणे से बोलता है।
"हां!!! सर.... मैंने पता लगाया था, उस सिमकार्ड को मनोहर तिवारी ने खरीदा था लेकिन जब उस सिमकार्ड का IMEI नंबर निकाला तो उस मोबाइल के मालिक अपने वकील रोशन झुनझुनवाला साहब ही है। सर... ये वकील साहब अभी तक एक भी केस नहीं हारे....Right?"
"हा....राणे!!! लेकिन वकील साहब को विक्रम से बात करने की जरूरत क्यों पड़ गई?"
"शायद अपने बेटे इशान की बजह से...."
"मतलब?"
"सर...मैंने पता किया है कि इस वकील के बेटे इशान का मिस्टर हरदीप चड्ढा की बेटी रोशनी के साथ अफेयर है।"
"लेकिन मिस्टर चड्ढा की बेटी रोशनी की Angengment तो मिस्टर रोय के बेटे रेहान से हुई थी।"
" हा... सर!!! तब से इस वकील झुनझुनवाला को मि. रोय और मि. चड्ढा से दुश्मनों हो गई थी क्योंकि वकील अपने बेटे की सगाई मि. चड्ढा की बेटी से करना चाहते थे और मि. चड्ढा अपने बेटी की सगाई मि. रोय के बेटे से करना चाहते थे।"
"काफी confusion वाला मामला है ये तो...राणे... मैंने पता लगाया था ये वकील का बेटा ईशान और मिस्टर चड्ढा की बेटी रोशनी भी इस Bikers Gangs में शामिल थे। अब मैं समझा राणे....। मुझे यह Bikers Gangs कम लफड़े वाला Gangs ज्यादा लग रहा है।"
"हां.... सर!!! क्योंकि इसमें सब बड़े बाप की बिगडी औलादे हि शामिल है सिवाय विक्रम के....।"
"राणे.... इस विक्रम के बारे में कोई जानकारी मिली?"
"नहीं सर!!! यह विक्रम साला बहुत ही शातिर दिमाग का है। कहां से आकर मर्डर करके कहां चला जाता है, पता ही नहीं चलता है।"
"नहीं राणे!!! ये विक्रम इतना शातिर होता तो कभी भी सीटीसीटी केमेरा मे नहीं आता इस विक्रम से पीछे भी किसी और का शातिर दिमाग है। शायद वकील साहब का।"
"लेकिन सर.... मि. झुनझुनवाला डॉक्टर प्रधान और बाबूराव का मर्डर क्यों करवाएंगे? उनसे तो उनकी कोई दुश्मनी नहीं थी।"
"वोही तो समझ में नहीं आ रहा है राणे..... इन प्रश्नों का जवाब हमारे पास नहीं है और जीसके पास इन प्रश्नों का जवाब है, वह फरार है।"
"सर... फरार है या और कोई दूसरे मर्डर की फिराक में?"
"पता नहीं ... राणे!!! हमें इस केस की थोड़ी और गहराई से छानबीन करनी पड़ेगी। लगता है की वकील साहब से मिलना हीं पड़ेगा।"

दूसरे दिन सुबह अजय वकील रोशन झुनझुनवाला से मिलने उसके बंगले पर पहुंच जाता है। मिस्टर झुनझुनवाला अजय का स्वागत करते हैं और कहते हैं "आईए दामाद जी!!! आईए, आखिर हमसे मिलने का टाइम आपको मिल ही गया। आईए! गार्डन में बैठकर चाय पीते हैं। दोनों गार्डन में बैठने चले जाते हैं।
(अजय की इंगेजमेंट वकील रोशन झुनझुनवाला के छोटे भाई स्वर्गीय रमेश झुनझुनवाला की बेटी प्रिया झुनझुनवाला से तई हुई थी। रोशन झुनझुनवाला प्रिया को अपनी बेटी की तरह मानते थे।)
"सॉरी .... बड़े पापा!!! लेकिन आज एक दमाद अपने बड़े ससुर से मिलने नहीं बल्कि एक पुलिस वाला एक वकील से मिलना आया है।"
"हां ...भाई ...हां! मैं तो भूल ही गया था कि हमारे दामाद जी बड़े-बड़े कैस सोल्व करने में लगे हुए हैं। कभी-कभी हमसे भी मिलने आया करो... भाई।"
"जी जरूर आऊंगा लेकिन फिलहाल तो अभी एक केस के सिलसिले में आया हूं जो मकड़ी के जाले की तरह उलझ गया है अब आप ही इस केस को नई दिशा दे सकते हो।"
"भाई.... केस को सोल्व करना ही हम वकीलो और पुलिस वालों का काम है। बताइए, आप कहां पर ऊलझ गए हो?"
"आप पर....!!!"
"मुझ पर ?... मतलब? जरा खुलकर बोलो।"
"आप तो जानते ही है के मिस्टर रोय, मिस्टर चड्ढा और डॉक्टर प्रधान का मर्डर हो चुका है।"
"और बिल्डर बाबूराव का भी......." वकील अजय की ओर देखकर बोलते हैं।
"आपको कैसे पता चला बाबूराव का मर्डर हुआ है?" अजय चौककर कहता है।
"भाई... ऐसे चौको मत। हम भी वकील है, सभी केसो की जानकारीया हमें रखनी पड़ती है। वैसे तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं कि हमारे पास सब खबरें आपके डिपार्टमेंट से ही आती है।"
"तो आपको यह जानकारी भी होगी की इस केस का मुख्य आरोपी विक्रम है और वो फरार है।"
"नहीं.... यह मुझे मालूम नहीं है।"
"क्या आप विक्रम को जानते हैं?"
"हां ...जानता हूं। वह मेरे बेटे इशान का दोस्त है।"
"तो आपकी उससे बात होती थी?"
"वह कभी-कभी घर पर आता था तभी बात होती थी।"
"कैसी बातें होती थी?"
"नॉर्मली.... हाय हेलो....।"
"कभी फोन पर बात हुई थी?"
"नहीं ....फोन पर कभी बात नहीं हुई।"
"जरा ....अच्छी तरीके से याद कीजिए... कभी ना कभी ....तो बात हुई होगी।"
"नहीं भाई..... लेकिन तुम इतने यकीन से क्यों कर रहे हो?"
"क्योंकि ....मेरे पास इसके सबूत है कि आपने विक्रम से फोन पर बात की है और बजह भी है।"
"कैसे सबूत?..... कैसी बजह?"
"जिस सिमकार्ड पर विक्रम में आप से बातचीत की थी वह नंबर बाबूराव के नाम पर रजिस्टर्ड है लेकिन जिस फोन में वह सिमकार्ड था उस मोबाइल के मालिक आप है।"
"नहीं .... मैं पूरे यकीन के साथ कहता हूं कि विक्रम से मेरी फोन पर कभी भी बातचीत नहीं हुई। तुम चाहो तो मेरा फोन देख सकते हो, यह लो मेरा फोन।" यह कहकर वकील झुनझुनवाला ने अपना फोन निकालकर अजय को दिया।
"आपके पास दूसरा मोबाइल है?"
"नहीं....मेरे पास दूसरा कोई मोबाइल नहीं है और मे विक्रम से बात क्यों करूंगा?"
"आप मि. रोय और मि. चड्ढा से नाराज थे क्योंकि मि. चड्ढा ने अपनी बेटी रोशनी की सगाई आपके बेटे ईशान से नहीं कराकर अपने दोस्त मि. रोय के बेटे रेहान से कर दी थी।"
"हा, नाराज था लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं उन दोनों के कत्ल की साजिश करूंगा।"
"आप वकील लोग दावपेंच में बहुत माहिर होते हो, कहीं से भी रास्ता निकाल लेते हो।"
"तुम जरा संभलकर और सभ्यता से बात करो। तुम जानते हो तुम किससे बात करते हो? मैं कोई मामूली चोर या बदमाश नहीं हूं, जो तुम मुझ पर इल्जाम पे इल्जाम लगा रहे हो।"
"मैं जानता हूं कि आप कानून से अच्छी तरह वाकिफ है लेकिन उसी कानून ने हमें ये अधिकार दिया है कि हम कहीं भी, कभी भी छानबीन और पूछताछ कर सकते हैं।"
"तुम इतने यकीन से कैसे कह सकते हो कि मैंने विक्रम से फोन पर बात की है?"
"क्योंकि वह सिमकार्ड आपके PA मनोहर तिवारी ने खरीदा था।"
"क्या..... तुम यह क्या कह रहे हो?"
"मेरे पास उसके सबूत है। आप प्लीज जरा मनोहरजी को बुला लीजिए।"
"उसकी तबीयत ठीक नहीं है... वह छुट्टी पर है।"
"छुट्टी पर गया है या छुट्टी पर भेज दिया गया है?"
"मतलब? क्या कह रहे हो तुम?"
"छोड़िए यह सब। कब तक आएंगे वो?"
"ठीक होते हि वो आ जाएगा।"
"ठीक है!!! मैं बाद में आता हूं, फिर आमने सामने बैठ कर बात करेंगे।"
"अजय जाने से पहले मेरी एक बात गौर से सूनो... किसी भी केस को सोल्व करने के लिए पुख्ता सबूत चाहिए। किसको भी शक के बुनियाद पर मूजरिम साबित नहीं करना चाहिए।"
"आप की नसीहत के लिए शुक्रिया। अब मैं पुख्ता सबूत लेकर आऊंगा।"
"दामाद जी, कुछ चाय कॉफी पीकर जाईए।'
"दूसरी बार आऊंगा तब जरूर पीकर जाऊंगा।" यह कहकर अपनी कैप पहनकर अजय वहां से निकलता है और वकील साहब चाय पीने में बिजी हो जाते हैं।

अजय जैसे हि वकील झुनझुनवाला के बंगले से निकलता है, बंगले के गेट के पास उसके पैरों में कुछ चूभता है। अजय पैरों के नीचे से उस चीज को उठाता है तो उसकी आंखें फटी की फटी रह जाती है वह Cube-c15 की बोतल का ढक्कन था। अजय दौड़कर बंगले के अंदर जाता है।

क्रमशः