गुमनाम : मर्डर मिस्ट्री - 4 Kamal Patadiya द्वारा क्राइम कहानी में हिंदी पीडीएफ

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गुमनाम : मर्डर मिस्ट्री - 4

अजय रास्ते मे विक्रम का फोन ट्राई करता रहता है लेकिन विक्रम का फोन स्विच ऑफ आ रहा था। वह विक्रम के फोन नंबर को ट्रैकिंग मैं डाल देता है।

अजय फॉरेंसिक लैब पहुंचता है और लैब के हेड मिस्टर जगदीश शर्मा से मिलता है। जगदीश शर्मा उसको इस केस की सारी रिपोर्ट डिटेल में समझाते हैं।

"अजय तुम्हारी सोच सही थी। मि. रोय, मि. चड्ढा और हिरेन की मौत ड्रिंक्स में केमिकल मिलाने की वजह से हुई थी।"

"शर्मा जी, इस केमिकल का नाम क्या है?"

"इसका नाम Cube-C15 है, यह बड़ा ही खतरनाक केमिकल है।"

"इससे आखिर होता क्या है?"

"ये अगर शरीर में चला जाए तो दिमाग की नसें सुन्न हो जाती है, आदमी को लकवा मार जाता है और दिमाग की नसें फट भी सकती है। कभी-कभी दिल का दौरा भी पड सकता है।"

"शर्मा जी, मुझे यह बताइए कि मि. रोय की बॉडी में से यह केमिकल क्यों नहीं निकला?"

"क्योंकि जब मि. रोय का दिमाग सुन्न हो गया और वो पानी में डूब गए। स्विमिंग पूल के पानी मे क्लोरीन होता है। जैसे हि ये केमिकल क्लोरीन से मिलता है वह भाप बनकर उड़ जाता है। मि. रोय के केस में भी ऐसा ही हुआ था।"

"शर्मा जी, यह केमिकल मिलता कहा है?"

"आमतौर पर यह बाजार में नहीं मिलता है। इस केमिकल का इस्तेमाल डॉक्टर सर्जरी के टाइम पर करते हैं। जब किसी पेशन्ट की सर्जरी होती है तब उस बॉडी के पार्ट को भी बेजान करना पड़ता है। उस पार्ट को बेजान करने के लिए दिमाग की नसें सुन्न करनी पड़ती है। दिमाग की नसें सुन्न करने के लिए इस केमिकल का इस्तेमाल होता है। इस केमिकल का इस्तेमाल करने के लिए बहुत ही सावधानी बरतनी पड़ती है इसलिए सिर्फ सर्जन और एक्सपीरियंस डॉक्टर ही इसका इस्तेमाल करते हैं। उनके हॉस्पिटल में हि यह सिर्फ मिल सकता है, दूसरी किसी जगह पर नहीं मिलता है।"

"इसका इस्तेमाल करने से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता?"

"नहीं, क्योंकि डॉक्टर को पता होता है कि पेशन्ट को कितनी मात्रा में यह केमिकल देना है। आमतौर पर 1 से 5 ml हि पेशेंट को दिया जाता है, अगर उससे ज्यादा किसी को दिया जाए तो उसके साइड इफेक्ट शुरू हो जाते हैं।"

"आपके हिसाब से मि. रोय, मि. चड्ढा और हिरेन को कितनी मात्रा में यह केमिकल दिया गया?"

"अंदाजन 25ml के आसपास"

"यानी 5 गुना ज्यादा?"

"हां.... शायद.... इस केमिकल की 25 ml की छोटी बोतल आती है। कातिल को इसकी मात्रा के बारे में पता था इसका मतलब यह है कि कातिल जो भी है वह मेडिकल प्रोफेशन से जुड़ा हुआ है।"

"मैंने इस केस की जांच की है। मुझे सिर्फ उसकी तस्वीर मिली है और एक नाम मिला है.... विक्रम।"

"मुझे जरा वो तस्वीर दिखाओ।"

अजय अपना मोबाइल निकालकर शर्माजी को वो तस्वीर दिखाता है।

"इसको कहीं देखा हुआ लगता है।" शर्मा जी सोचते हुए बोलते हैं।

"मुझे भी ऐसे लगता है पर कहां पर वो याद नहीं आ रहा है।" अजय उनको जवाब देते हुए कहता है।

"हां ,याद आ गया।"

"कहां पर?" अजय बड़ी ही उत्सुकता से पूछता है।

"डॉ राकेश प्रधान के यहां।"

"क्या? विश्वास हॉस्पिटल वाले डॉ राकेश प्रधान?" अजय बड़े ही आश्चर्य चकित होकर शर्माजी की ओर देखकर बोलता है।

"हां, डॉ प्रधान के यहां, मैं कभी-कभी उनसे मिलने जाता हूं तो इसको डॉ प्रधान के केबिन में मैंने देखा है। ये डॉ प्रधान का कंपाउंडर है।"

अचानक, अजय को याद आता है कि जब वह लास्ट टाइम डॉ प्रधान से मिलने उसके हॉस्पिटल गया था तब डॉ प्रधान की केबिन में से बाहर निकलते वक्त इसको देखा था।

लेकिन अजय को यह बात समझ में नहीं आती है कि कोई कंपाउंडर, कोई बिजनेसमेन की हत्या क्यों करेगा? अजय को लगता है कि जरूर दाल में कुछ काला है। इस केस में कुछ कड़ियां मिसिंग है, मुझे उन कड़ियों को जोड़ना पड़ेगा। अजय ज्यादा छानबीन के लिए और पूछताछ के लिए मि. रोय और मि. चड्ढा के घर पर जाता है।

मि. रोय के घर से अजय को कुछ ऐसी जानकारी नहीं मिलती है लेकिन मि. चड्ढा के घर से अजय को एक ऐसी इंफॉर्मेशन मिलती है जिसका सीधा ताल्लुक डॉ राकेश प्रधान से था। उसी इंफॉर्मेशन के आधार पर अजय अपनी छानबीन आगे बढ़ाता है तभी अजय को कॉल ट्रैकिंग डिपार्टमेंट से फोन आता है वह अजय को बताते हैं कि विक्रम ने लास्ट कॉल परसों रात को डॉक्टर राकेश प्रधान को किया था और थोड़ी देर बाद उसका फोन स्विच ऑफ हो गया था। उसके फोन का लास्ट लोकेशन डॉक्टर राकेश प्रधान की विश्वास हॉस्पिटल का था।

अजय को अब सब कुछ समझ में आने लगता है कि डॉ. प्रधान ही इस प्लान के मास्टरमाइंड है। लेकिन डॉ. प्रधान जाने माने, reputed डॉक्टर के साथ उसके पिताजी के दोस्त भी थे। तो वह डॉक्टर प्रधान पर सीधे-सीधे कैसे इल्जाम लगा सकता है? यही सोचकर वह दुविधा मे फस जाता है तभी उसका फर्ज उसके सामने आ जाता है और वह डॉ. प्रधान से मिलने विश्वास हॉस्पिटल की ओर निकलता है।

अजय डॉक्टर प्रधान की विश्वास हॉस्पिटल में पहुंचता है। डॉ प्रधान अभी तक हॉस्पिटल में आये नहीं थे इसलिए अजय हॉस्पिटल स्टाफवालों से पूछताछ करता है और हॉस्पिटल में क्या चल रहा है इसकी छानबीन करता है। तभी अजय को एक चौकाने वाली खबर मिलती है।

डॉ राकेश प्रधान हॉस्पिटल में दाखिल होते हुए और वो अजय को उसके केबिन में बुलाते हैं।

"Hello, Mr. Pradhan" अजय जरा सा अकडकर बात करता है।

"क्या हुआ ?? आज डॉक्टर अंकल नहीं कहोगे?" डॉ प्रधान हैरानी से अजय की और देखकर बोलते हैं।

"नहीं, क्योंकि आज एक पुलिस वाला एक डॉक्टर से पूछताछ करने आया है।"

"बोलिए, पुलिस वाले साहब कैसे आना हुआ?" डॉक्टर प्रधान जरा मजाकीया अंदाज में अजय को बोलते हैं।

"विक्रम कहां है?"

"विक्रम? कौन विक्रम?"

"आपका साथी, आपका कंपाउंडर विक्रम"

"मेरा साथी मतलब? वह तो अपने गांव गया है up"

"up या upper?'

"upper मतलब?"

"सभी का मतलब पता चल जाएगा। पहले यह बताइए उसका गांव कहां पर है?"

"पता नहीं, मैंने उससे कभी पूछा नहीं है।"

"अच्छा.... उसने परसों रात को आपको लास्ट कॉल क्यों किया था?"

"क्योंकि गांव में उसके परिवार में किसी की डेथ हो गई थी और वह अपने गांव जा रहा था यह बताने के लिए लेकिन तुम मुझसे विक्रम के बारे में इतने सवाल क्यों पूछ रहे हो? और तुमने क्या बोला 'last call' इसका क्या मतलब है?"

"क्योंकि उसके बाद से उसका फोन स्विच ऑफ हो गया था और वह भी आपके इस हॉस्पिटल में से.. क्यों?"

"आखिर तुम कहना क्या चाहते हो? जरा खुलकर बताओ।"

"अच्छा तो मैं खुलकर बोलता हूं वह गांव गया है या गायब कर दिया गया है?'

"गायब कर दिया मतलब?"

"आपके कंपाउंडर विक्रम ने मि. रोय, मि. चड्ढा और उसके दोस्त हिरेन का खून किया है।"

"ये तुम क्या कह रहे हो? होश में तो हो ना?"

"मैं जो बोल रहा हूं सच बोल रहा हूं। मेरे पास उसका सबूत है।"

"कैसे सबूत?"

"विक्रम ने हिरेन का इस्तेमाल करके जहरीले केमिकल वाले एनर्जी ड्रिंकस मि. रॉय और मि. चड्ढा के घर पर पहुंचा दिए थे, जिससे उनकी मौत हो गई थी। यह रहे उसके सबूत...।" ऐसा कहकर अजय अपना मोबाइल निकलता है और डॉ प्रधान को सीसीटीवी की फुटेज दिखाता है।

सीसीटीवी की फुटेज को देखकर डॉ प्रधान चौक जाते है और अजय से कहते हैं "मेरा इससे कोई ताल्लुक नहीं है।"

"आपका इससे बड़ा गहरा ताल्लुक है डॉ प्रधान।" अजय जरा ऊंची आवाज में बात करता है।

"कैसे?"

"अच्छा.... मुझे यह बताइए कि आप पेशेंट की सर्जरी करने के लिए Cube-c15 केमिकल का इस्तेमाल करते हैं।"

"हां.... लेकिन तुम्हें इस केमिकल के बारे में कैसे पता चला?"

"लेकिन वेकिन को छोड़िए। आपको अच्छी तरह मालूम है कि Cube-c15 केमिकल क्या है और आपके कंपाउंडर विक्रम को भी पता था।"

"हां..... लेकिन उससे साबित क्या होता है?"

"आपके स्टोर रूम में मैं इंक्वायरी करने के लिए गया था और आपका स्टॉक पत्र मैंने देखा था जिसमें से Cube-c15 केमिकल की 12 बोतले गायब थी उसके बारे में आप कुछ बोलेंगे?"

"क्या कह रहे हो तुम?" डॉ प्रधान हक्के बक्के रह जाते है।

"आपको अच्छी तरह पता है मैं क्या कह रहा हूं।"

"नहीं... उसके बारे में मुझे कुछ नहीं पता। वो तो स्टोरकीपर को पता होगा।"

"आप हॉस्पिटल में आपके स्टोर में से केमिकल Cube-c15 की 12 बोतल गायब हो जाती है और आपको कुछ नहीं पता है। यह बात कुछ अजीब नहीं लग रही है डॉ प्रधान। खैर....चलो 1 मिनट के लिए मान लेते हैं कि आप को कुछ नहीं पता। आप जरा मुझे यह बताएंगे कि आपके बेटे जय की मौत कैसे हुई?"

"1 साल पहले वह एक्सीडेंट में उसकी डेथ हो गई थी।" डॉ प्रधान अपने चश्मे को उतार कर आंख नम करके बोले।

"एक्सीडेंट था या आपके बेटे ने कीसीसे रेस लगाई थी?"

"तुम यह सब पुराने जख्मों को क्यों खुरेद रहे हो?"

"क्योंकि इन पुराने जख्मों का ताल्लुक मि. रोय और मि. चड्ढा की मौत से है।"

"मेरे बेटे का रेस लगाते वक्त एक्सीडेंट हुआ था।"

"इसका मतलब आपका बेटा रेस का शौकीन था। वह रात को अपनी स्पोर्ट बाइक में अपने दोस्तों से हाईवे पर रेस लगाता था उनके दोस्तों में से एक मि. चड्ढा का बेटा रणवीर भी था। क्या... यह सच है?"

"हां... यह सच है लेकिन...."

"लेकिन एक रात जय और रणवीर की रेस, आपके बेटे की आखिरी रेस बन गई और वह हाईवे पर एक्सीडेंट में मारा गया।"

डॉ प्रधान सहमकर रह जाते हैं। वह कुछ नहीं बोल पाते हैं। अजय अपनी खुर्शी से उठता है और उसके चक्कर लगाते हुए बोलता है।

"जवान बेटे की मौत का दर्द आप से बेहतर कौन जानता है। आप अपने बेटे की मौत से टूट गये थे।"

'हां... हां.... टूट गया था। लेकिन मेरा मि. रॉय और मि. चड्ढा के खून से कोई ताल्लुक नहीं है। मि. रॉय तो मेरे पेशंट थे, मैं उन्हे मारने की सोच भी नहीं सकता था।' डॉ प्रधान चिल्लाकर बोलते है।

"हां.. लेकिन आप मि. चड्ढा के बेटे रणवीर को तो मानने की सोच रहे थे। आप उनसे अपने बेटे की मौत का बदला लेना चाहते थे। इसमें आपके कंपाउंडर विक्रम ने आपकी हेल्प की और उसकी मदद से आप रणवीर को मारना चाहते थे लेकिन गलती से मि. रॉय और मि. चड्ढा कि मौत हो गई।'

"ये सब बकवास है। मैंने किसी को नहीं मारा।" डॉ प्रधान चिल्लाते हुए बोले।

"यह सब बकवास भी सच हो जाएगी डॉ प्रधान, एक बार विक्रम को मेरा हाथ आने दो। आप बस एक काम कीजिए, अपने माथे का पसीना पोछिए, ठंडा पानी पीजिए और अपने लिए एक अच्छा सा वकील ढूंढिये तब तक मैं सारे सबूत लेकर आता हूं।" अजय टेबल रखी हुई पानी की बोतल डॉक्टर को देते हुए कहता है।

डॉ राकेश प्रधान बडे हि गुस्से की नजर से अजय को देखते है और उसके हाथ से पानी की बोतल छीन लेते है। अजय अपना चश्मा पहनकर डॉ प्रधान की केबिन से निकलता है।

अजय हॉस्पिटल की इंक्वायरी काउंटर पर जाकर विक्रम के रूम का एड्रेस लेता है। अजय और दो कांस्टेबल विक्रम के रूम पर जाते हैं। विक्रम के रूम पर ताला लगा होता है। अजय और उसके कॉन्स्टेबल विक्रम के रूम का ताला तोड़कर रूम के अंदर जाते हैं। रूम के अंदर का दृश्य देखकर वह हैरान रह जाते हैं। रूम में सिर्फ एनर्जी ड्रिंक की बोतले, बीयर की बोतले और दारु की बोतले ही मिलती हैं। रूम की दीवारों पर स्पोर्ट्स बाइक और बाइक रेस के फोटो पोस्टर लगे होते हैं।

अजय को अंदाजा लग जाता है कि विक्रम को पता चल गया था कि पुलिस है यहां पर आने वाली है इसलिए वह अपना सब सामान लेकर फरार हो गया है। अजय और कॉन्स्टेबल रूम की अच्छी तरह तलाशी लेते हैं लेकिन उसे कुछ भी मिलता नहीं है। अजय गुस्सा होकर बीयर की बोतलों को लात मारकर फोड़ देता है।

अजय उसके मकान मालिक से फोन पर बात करके उसके यूपी के गांव का पता और फोन नंबर ले ले लेता है। बाद में, कॉन्स्टेबल से कहकर वो रूम को सील करवा देता है।

अजय पुलिस स्टेशन जाकर UP विक्रम के गांव फोन करता है लेकिन वहां पर कोई विक्रम नाम का आदमी नहीं रहता है इसका मतलब विक्रम ने अपने गांव का झूठा पता और फोन नंबर अपने मकान मालिक को दे दिया था।

अजय पुलिस स्टेशन में बैठकर सोचता है कि विक्रम नशा करता है और स्पोर्ट्स बाइक का भी शौकिन है। हॉस्पिटल में तो उसे nominal हि पगार मिलता होगा इसलिए शायद पैसों के लिए उसने उन सब का मर्डर किया होगा लेकिन उसको यह सब करने के लिए किसने कहा होगा? कौन होगा इन सब घटना का मास्टर माइंड? क्या डॉक्टर राकेश प्रधान या कोई और?

यह सब जानने के लिए अजय हॉस्पिटल से लाई हुई पूरानी सीसीटीवी फुटेज को देखता है। पूरानी सीसीटीवी फुटेज में से एक सीसीटीवी फुटेज में विक्रम रात को 1 बजे चोरी छुपे स्टोर रूम में जाता है। वहां पर टेबल काउंटर पर स्टोर कीपर टेबल पर सर रखकर सोया होता है। विक्रम चुपके से कीबोर्ड में से फ्रिज की चाबियां निकलता है फ्रिज खोल के Cube-C15 की 12 बोतल निकाल लेता है। वापस फ्रिज बंद करके वह चाबियां टेबल के कीबोर्ड में रखकर चूपके से वहां से निकल जाता है।

अजय हॉस्पिटल कि वह सीसीटीवी फुटेज निकालता है जब विक्रम रात को 2:00 बजे आखरी बार हॉस्पिटल आया था और उसने लास्ट कॉल डॉ. प्रधान को किया था। अजय देखता है कि विक्रम डॉ. प्रधान की केबिन का लोक खोल के केबिन के अंदर दाखिल होता है। डॉ. प्रधान की केबिन की एक चाबी विक्रम के पास भी रहती है। वह केबिन के अंदर जाता है और फ्रिज में से एक पानी की बोतल निकालता है। उसके बाद, वो अपनी जेब से वह Cube-c15 की बोतल निकालता है और उस बोतल का केमिकल पानी के साथ मिक्स कर देता है। अजय की आंखें फटी की फटी रह जाती है। विक्रम डॉ. प्रधान की जान लेना चाहता है। पर क्यों ? उसका दिमाग सुन्न हो जाता है।

अचानक, अजय को याद आता है कि जब वह डॉ. प्रधान की केबिन मे उससे बात कर रहा था तब उसके टेबल के पानी की वही बोतल थी जिसमें विक्रम ने केमिकल मिलाया था और उसीने डॉ. प्रधान को वो पानी की बोतल पीने के लिए दी थी।

अजय तुरंत हि डॉ. प्रधान को फोन लगाता हैं लेकिन डॉ. प्रधान उसका फोन रिसीव नहीं करते हैं। अजय विश्वास हॉस्पिटल में फोन करके डॉ. प्रधान के बारे में पूछताछ करता है और रिसेप्शनिस्ट को सब कुछ बताके उसे डॉ. प्रधान की केबिन मे तुरंत जाकर किसी भी तरह डॉ. प्रधान को उस बोतल मे से पानी पीने के लिए रोकने के लिए कहता है।

अजय तुरंत अपनी गाड़ी निकाल के विश्वास हॉस्पिटल की ओर रवाना होता है। वह हॉस्पिटल पहुंचकर तुरंत डॉ. प्रधान केबिन की ओर दौडता है वहां पर जाकर देखता है तो हॉस्पिटल का पूरा स्टाफ वहां पर खड़ा होता है। अजय स्टाफ को हटाकर केबिन के अंदर जाता है और अंदर जाकर देखता है तो डॉ. प्रधान अपनी कुर्सी पर मौत की नींद सो चुके थे। उसके बाजू में नर्स और रिसेप्शनिस्ट बैठकर रो रहे थे। डॉ. प्रधान की नाक और मुंह से खून बहकर जम गया था।

यह सब देखकर अजय की आंखें भी नम हो जाती है। वह सोच रहा था उसने अपने पिताजी के दोस्त और अपने अंकल पर शक किया था। उसको कितना भला बुरा सुनाया था। न कहने वाले शब्द कहे थे। वो अपने आपको वो अपराधी महसूस कर रहा था। पश्र्चाताप की भावना से उसकी आंखों से आंसू छलककर बाहर निकल रहे थे। थोड़ी देर बाद में अजय स्वस्थ होता है और वह पुलिस स्टेशन और फोरेंसिक विभाग को फोन करके वहां पर आने के लिए कहता है। पुलिस वाले वहां पर आकर पूरी केबिन को सील कर देते हैं फोरेंसिक वाले पूरे केबिन की जांच करते हैं।

अजय जगदीश शर्मा को बताते हैं कि "इनकी मौत भी उसी तरह हुई है जिस तरह मिस्टर रोय, मिस्टर चड्ढा और हिरेन की मौत हुई थी और इन सब का कातिल भी एक ही है..... विक्रम।"

जगदीश शर्मा अजय से पूछते है "लेकिन वो ये सब कत्ल क्यों कर रहा है?"

"पता नहीं शर्माजी, शायद पैसों की वजह से...लेकिन मैं उसे छोडूंगा नहीं।"

"लेकिन उसे पैसे देता कौन है।"

"वोही पता लगाना है। शायद उसकी कॉल डिटेल्स से वह भी पता चल जाएगा।"

विक्रम सब कार्रवाई करके डॉ. प्रधान की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज देता है और पुलिस स्टेशन जाने के लिए हॉस्पिटल से बाहर निकलता है।

हॉस्पिटल के बाहर मीडिया वाले अजय को सवाल करते हैं कि "शहर मे एक के बाद एक खून हो रहे हो और शहर की पुलिस क्या कर रही हैं।" अजय सब से कहते हैं कि "अभी जांच चल रही है, थोड़े दिन में पता चल जाएगा।"

"वह तो आप कब से कह रहे हैं जांच चल रही है... जांच चल रही है.... उसका कुछ रिजल्ट भी तो निकलना चाहिए।' मीडिया वाले गुस्से में अजय से सवाल करते हैं।

"बहुत ही जल्द आपको रिजल्ट मिलेगा please तब तक पुलिस का साथ दीजिए।" ऐसा कहकर अजय वहां से निकल जाता है।

क्रमशः