हारा हुआ आदमी (भाग 19) Kishanlal Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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हारा हुआ आदमी (भाग 19)

बी एस सी पास करने के बाद उसने एक मेडिकल कंपनी में एम "आर की नौकरी कर ली।
"और अब मैं एम आर के रूप में आपके सामने हू।"उसने माया के सामने अपने अतीत के पन्ने खोल कर रख दिये।
"सचमुच तुम मेहनती हो ।निशा तुम्हारी बहुत तारीफ करती है"।उसका अतीत जानकर माया बोली थी।
"आज आपसे मुलाकात हो गई।"
"मैं सोचती थी।मैं अकेली औरत कैसे निशा के लिए लड़का ढूंढूंगी।लेकिन भगवान बहुत दयालु है।मुझे लड़का ढूंढने के लिए जरा भी भागदौड़ नहीं करनी पड़ी।मुझे निशा के योग लड़का घर बैठे ही मिल गया।"
"मैं भी कम भाग्यशाली नही हूँ।निशा जैसी सुशील सूंदर लड़की मुझे जीवनसाथी के रुप में मिलेगी।मैने सोचा भी नही था।"
माया, देवेन से बाते कर रही थी।तभी निशा आकर बोली,"खाना तैयार है।"
खाना खाने के बाद देवेन चलने लगा,तब माया बोली थी,"तुम्हे निशा पसंद है?"
"हां।अगर निशा भी मुझे पसंद करे।"
और निशा, देवेन के साथ चौराहे तक आयी थी।
"यह तुम्हारी मम्मी है?"देवेन ने रास्ते मे निशा से पूछा था।पहली बार निशा की माँ माया को देखते ही देवेन को आश्चर्य हुआ था।लेकिन उसने अपने मन के भाव को जाहिर नही होने दिया।लेकिन अब वह निशा से पूछे बिना नही रह सका।
"क्या तुम्हें शक है।"
"नही ।लेकिन वह तुम्हारी मम्मी नही।बहन सी लगती है"
"बहन नही मम्मी ही है।"देवेन की बात सुनकर निशा खिलखिलाकर हंसी थी।निशा की हंसी सुनकर राह चलते कुछ लोगो ने उनकी तरफ देखा था,"तुम नही समझोगे।"
"जरूर समझूंगा।अगर तुम बताओगी तो।"
"मैं चार साल की थी।तब मेरी माँ मुझे छोड़कर चली गई।मेरे पापा मम्मी को बहुत चाहते थे इसलिए दूसरी शादी करने से इनकार कर दिया।वह पत्नी की जगह किसी दूसरी औरत को देना नही चाहते थे।
"फिर- निशा कहते कहते अचानक चुप हो गई तब देवेन ने उसे टोका था।
"पापा दूसरी शादी नही करना चाहते थे।लेकिन नौकरी के साथ मुझे कैसे सम्हालते।किसी के भरोसे कब तक छोड़ सकते थे।और आखिर उन्हें दूसरी शादी के लिए तैयार होना पड़ा।और पिता से उम्र में कम माया मेरी सौतेली माँ बनकर घर में आ गई।"
"अब समझ में आ गया।"निशा की बात सुनकर देवेन बोला था।
देवेन जाने लगा तब निशा बोली,"अगली मुलाकात कब होगी।"
"ऐसी मुलाकात मे मेरी बिल्कुल रुचि अब नही है।"
"क्या मतलब?"देवेन की बात सुनकर निशा ने पूछा था।"
"अब मैं इस तरह नही मिलना चाहता।अब तो मैं तुम्हे अपने दिल की रानी बनाकर अपने घर ले जाना चाहता हूं।"
"अभी चलू तुम्हारे साथ?"निशा बोली थी।
"ऐसे नही ले जाना।"
"फिर कैसे ले जाओगे?"
"गाजे बाजे के साथ शादी करके।"
और आखिर वो दिन आ ही गया।निशा का घर दुल्हन कि तरह सजा हुआ था।निशा दुल्हन के रूप में सजी स्वर्ग से उतरी अप्सरा लग रही थी।
निशा की सहेलियों उसके रंग रूप की तारीफ कर रही थी।कभी कोई सहेली देवेन का नसम लेकर उससे छेड़छाड़ भी कर देती।हर समय चहकती रहने वाली निशा आज चुप थी।वह नज़रे झुकाये सब की बाते सुन रही थी।आज के आयोजन की केंद्र बिंदु निशा ही थी।
मध्यम संगीत बज रहा था।लोग दो चार के ग्रुप मे जगह जगह खड़े थे।बच्चे खेल रहे थे।
और। कुछ देर बाद दूर से आते बैंड की आवाज सुनाई पड़ी।उस आवाज को सुनकर हल्ला मच गया
"बारात आ रही है
बारात आने का समाचार सुनकर निशा की सहेलियां बाहर की तरफ भागी