मोबाइल में गाँव - 9 - ट्रैक्टर की सैर Sudha Adesh द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

मोबाइल में गाँव - 9 - ट्रैक्टर की सैर



ट्रैक्टर की सैर-9

नाश्ता करने के बाद चाचा ने उससे तैयार होने के लिये कहा । वह तैयार होकर आई तो रोहन भी साथ चलने की जिद करने लगा । वह नाश्ता कर चुका था अतः चाची ने उसे भी तैयार कर दिया । ट्रैक्टर में ड्राईवर के बैठने के अलावा किसी अन्य के बैठने की जगह नहीं होती अतः चाचाजी ने सुनयना और रोहन को पहिये के ऊपर बनी जगह पर बैठाकर कहा, ‘ ठीक से बैठ गये हो न, डर तो नहीं लग रहा है । अगर डर लगे बता देना ।’

‘ जी चाचाजी । टैक्टर से क्या काम किया जाता है ?’ सुनयना ने ट्रैक्टर के चलते ही पूछा ।

‘ बेटा, कृषि के भिन्न-भिन्न कार्यो के लिये भिन्न-भिन्न यंत्रों को उपयोग होता है । इन्हें कृषि यंत्र कहा जाता है । इन कृषि यंत्रों का उपयोग खेतों की जुताई, बुआई, खाद और कीटनाशक दवाइयां डालने, सिंचाई करने, फसल की कटाई, ढुलाई के लिये किया जाता है । ट्रैक्टर एक प्रमुख कृषियंत्र है । जब खेतों में जुताई करनी हो तो इसमें जुताई वाला यंत्र, जब बुबाई करनी हो तब बुबाई वाला यंत्र एवं जब कटाई करनी हो तब कटाई वाला यंत्र लगाकर इसे खेतों में चलाते हैं जिससे हम जो चाहते हैं, वह हो जाता है । कहने का अर्थ है ट्रैक्टर में हम जो चाहे अटैचमेंन्ट लगाकर मनचाहा काम कर सकते हैं वरना पहले समय में यह सब काम हाथ से करना पड़ता था तब किसानों को बहुत मेहनत करनी पड़ती थी तथा समय भी बहुत लगता था ।’ चाचाजी ट्रैक्टर चलाते हुये उसे बताया ।

‘ चाचाजी कुछ करके दिखाइये न ।’

‘ इस समय हमारे ट्रैक्टर में जुताई वाला यंत्र लगा है इससे जुताई करके बताता हूँ ।’ कहते हुये चाचाजी ने एक खाली खेत में टैक्टर उतार दिया तथा ट्रेक्टर में लगे यंत्र को नीचा कर दिया । सुनयना ने देखा कि यंत्र में लगे हुक खेत में घुसकर मिट्टी को भुरभुरा करने लगा ।

‘ चाचाजी इस यंत्र को क्या कहते हैं ?’

‘ बेटा इसे कल्टीवेटर कहते हैं । इसका उपयोग खेत की जुताई करने, मिट्टी के ठेलों को तोड़ने तथा फसल उगाने से पूर्व भूमि को नर्म बनाने तथा खरपतवार हटाने के लिये होता है ।’ थोड़ी ही देर में चाचा सड़क पर आ गये तथा आगे बढ़ने लगे ।

' चाचा जी यह खर... क्या होता है । मैं समझी नहीं ।' सुनयना ने पूछा ।

' बेटा, ऐसा पौधा, जो फसलों के बीच बिना बोए स्वयं ही उग जाता है और उस फसल को विभिन्न रूपों में हानि पहुँचाकर उपज को कम कर देता है, उसे खरपतवार कहते हैं ।'

‘ ओ.के.चाचाजी, अब हम लोग कहाँ जा रहे हैं ?’

‘ अब हम अपने टियूब वेल की ओर जा रहे हैं ।’

‘ टियूब वेल...दादाजी कह रहे थे इससे सिंचाई की जाती है पर कैसे ?’

‘ यही मैं तुम्हें बताऊँगा ।’

थोड़ी ही देर में वे टियूब वेल पहुँच गये । चाचाजी ने उन दोनों को ट्रैक्टर से उतारा तथा उन दोनों को लेकर टियूब वेल की ओर बढ़े । चाचाजी ने टियूब वेल आपरेटर रामदीन से स्विच ऑन करने के लिये कहा । रामदीन के स्विच ऑन करते ही उसने देखा कि स्विमिंग पूल जैसे एक गहरे गड्ढ़े में एक मोटी धार के साथ पानी गिर रहा है ।

‘ बेटा, तुम देख रही हो उस कैबिन में एक बड़ी मोटर लगी है । उसके ऑन करते ही उस पाइप के जरिये पानी हमारे बनाये इस गड्ढे में गिरने लगा । अब इस पानी को पाइपों के जरिये खेतों में सिंचाई के लिये भेजा जाता है । सिंचाई में यूनिफार्मिटी के लिये पाइपों के मुँह पर स्प्रिंकलर भी लगा देते हैं...वह देखो उस खेत में ।’

सुनयना ने देखा कि एक खेत में सिंचाई हो रही है उसमें कई फब्बारे की तरह चारों ओर धारें निकल रही हैं ।

‘ चाचाजी, टियूब वेल में पानी कहाँ से आ रहा है ?’ सुनयना ने फिर पूछा ।

‘ जमीन से बेटा...आपको पता होगा कि हमारी जमीन के नीचे पानी है । मशीनों के द्वारा जमीन में पानी तक एक गोलाकार छेद बनाते हैं जिसे बोरिंग कहा जाता है । इस गोलाकार छेद के जरिये जमीन के अंदर के पानी तक लंबे-लंबे पाइप डाले जाते हैं । इन पाइपों में मोटर लगाकर जमीन से पानी निकाला जाता है । अभी तुमने देखा कि जैसे ही रामदीन ने मोटर ऑन की, जमीन में लगे पाइपों से पानी आने लगा तथा यहाँ हमारे बनाए इस गड्ढे में स्टोर होने लगा । शायद तुमने ध्यान नहीं दिया हमारे घर में भी मोटर लगी है जिसको ऑन करने से पानी छत के ऊपर लगी पानी की टंकी में स्टोर हो जाता है जहाँ से बाथरूम, किचन जहाँ भी आवश्यक हो पानी पूरे दिन आता रहता है । घर के लिये छोटी मोटर लगाई है जबकि यहाँ बड़ी मोटर लगाई गई है । ’

‘ प्लीज चाचाजी, यहाँ हमारा फोटो खींच लीजिये । मुंबई जाकर अपनी दोस्तों को दिखाऊँगी ।’ उसने अपना मोबाइल निकालकर चाचाजी को देते हुये कहा ।

चाचाजी ने ट्रैक्टर और टियूबवेल के साथ तो उसके और रोहन के फोटो खींचे ही, खेतों के बीच उसे तथा रोहन को खड़ा करके भी मोबाइल से कई फोटो खींचे । अभी वह फोटो खींच ही रहे थे कि शोर सुनाई दिया । उन्होंने देखा कि एक बैल भाग रहा है, उससे डरकर चार लड़के भाग रहे हैं ।

‘ शायद इन लड़कों ने उसे परेशान किया होगा तभी बैल इन लड़कों के पीछे भाग रहा है ।’ चाचाजी ने कहा ।

तीन लड़के तो भाग गये किन्तु एक छोटा लड़का भागते-भागते एक गड्ढे में गिर गया । चाचाजी उसे बचाने के लिये जाने लगे तो वहीं खड़े रामदीन ने कहा,‘ मालिक, रूक जाइये । बैल अभी गुस्से में है, अभी आप जायेंगे तो वह आप पर भी हमला कर सकता है । वह देखिये बैल उस गड्ढे के पास खड़े होकर उस लड़के को देख रहा है किन्तु कुछ कर नहीं रहा है ।’

सचमुच बैल थोड़ी ही देर मे चला गया तब रामदीन और चाचाजी ने उस बच्चे को उस गड्ढे से बाहर निकाला । वह बच्चा अभी भी डर से काँप रहा था । वह गाँव का ही बच्चा था चाचाजी ने रामदीन को मोटर बंद कर उस बच्चे को उसके घर पहुँचाने का आदेश दिया तथा स्वयं भी घर लौटने लगे । घर लौटकर उन्होंने ट्रैक्टर खड़ा कर उसे उतारा । उसे उतार कर जब वह रोहन को उतारने आगे बढ़े तब तक रोहन ने छलांग लगा दी । वह संभल नहीं पाया तथा गिर गया ।

रोहन के मुँह से चीख निकली जिसे सुनकर चाचाजी ने उसे उठाया तथा क्रोध से कहा,‘ तुम मानते नहीं हो, कूद गये । बताओ कहाँ चोट लगी है ?’

रोहन ने रोते हुये घुटने की ओर इशारा किया । सुनयना और चाचा ने देखा कि उसका घुटना हल्का सा फूल गया है । चाचाजी उसे गोदी में उठाकर घर लाये ।

‘ क्या हुआ रोहन को ?’ दादी ने चिंतातुर स्वर में पूछा ।

‘ आपका लाड़ला ट्रैक्टर से कूद गया, संभल नहीं पाया और गिर गया ।’ चाचाजी ने कहा ।

‘ चोट तो नहीं लगी...।’

‘ घुटना हल्का सा फूल गया है ।’ चाचाजी ने उसे दादी के पास बिठाते हुये कहा ।

‘ बहू, जरा आइस देना तथा एक गिलास में हल्दी वाला दूध देना ।’ दादी ने रोहन के घुटने को देखते हुये कहा ।

‘ जी अम्माजी...अभी लाई ।’ चाची ने कहा ।

चाची तुरंत ही एक बाउल में आइस पीस ले आईं साथ में एक छोटी टॉवल भी । दादीजी ने उस टॉवल में आइस पीस रखकर रोहन के घुटने पर रख दिया ।

‘ इससे क्या होगा दादी ?’सुनयना ने पूछा ।

‘ बेटा आइस का सेक रोहन के घुटने पर आई सूजन को कम करेगा ।’
‘ और हल्दी वाला दूध...।’

‘ हल्दी वाला दूध दर्द कम करता है । वैसे स्वस्थ व्यक्ति भी अगर रोज हल्दी वाला दूध पीये तो वह जल्दी बीमार नहीं पड़ेगा ।’ दादी ने उत्तर दिया ।

तब तक चाची एक गिलास दूध में हल्दी डालकर ले आईं । उसे दूध की ओर देखता देखकर चाचीजी ने उससे पूछा ‘ सुनयना क्या तुम भी पीओगी ?’

सुनयना को भी भूख लग रही थी उसने भी हाँ कर दी । इसके साथ ही वह यह भी देखना चाहती थी कि हल्दी वाला दूध पीने में कैसा लगता है । चाची ने उसे भी हल्दी वाला दूध लाकर दे दिया । सुनयना ने दूध पीया तो उसे ठीक ही लग रहा था । उसने पास खड़ी अपनी ममा से कहा,‘ ममा अब मैं भी रोजाना हल्दी वाला दूध पीया करूँगी, दादी कह रहीं हैं कि इसको पीने से बीमार कम पड़ते हैं ।’

‘ बेटा, पता नहीं बाजार की पिसी हल्दी कैसी होती है इसलिये मैं दूध में हल्दी नहीं डालती हूँ ।’

‘ अगर सुनयना पीना चाहती है तो मैं हल्दी पिसवाकर तुम्हारे साथ रख दूँगी । तुम ले जाना । तुम और अजय भी पीओगे तो फायदा ही करेगा ।’ दादीजी ने कहा ।

' ठीक है माँ जी ।'

‘ ननकू स्टोर से एक किलो के लगभग हल्दी निकालकर, धोकर सुखा देना ।’

‘ मालिकिन हल्दी तो धुली रखी है । आटा खत्म हो रहा है । आप कहें तो गोदाम से गेहूँ निकालकर धो दें ।’

‘ अरे, उसमें पूछने की क्या बात है । जाओे निकाल लो । बहू से चाबी ले लो । ‘ दादीजी ने उससे कहा ।

चाची से चाबी लेकर ननकू गोदाम जाने लगा तो गोदाम देखने के लिये सुनयना भी उसके पीछे-पीछे चलने लगी ।

‘ बिटिया आप कहाँ आय रही हो ?’

‘ अंकल मुझे गोदाम देखना है ।’

‘ ठीक है । आय जाव ।’

घर के स्टोर रूम में बने दरवाजे को खोलते ही ननकू ने बिजली जला दी । लगभग दस सीढ़ियाँ उतरकर नीचे बने एक बड़े से हॉल में पहुँचते ही ननकू ने फिर लाइट जलाई । ननकू के लाइट जलाते ही सुनयना चौंक गई । गोदाम में अनगिनत बोरे रखे हुये थे तथा बाहर जाने के लिये एक लोहे का दरवाजा भी नजर आ रहा था । सुनयना ने पूछा,‘ अंकल इन बोरों में क्या रखा है तथा यह दरवाजा...’

‘ बिटिया, इन बोरों में अनाज रखा है तथा वह दरवाजा इन बोरों को लाने ले जाने के लिये है ।’

‘ लाने ले जाने के लिये... इन बोरों को कहाँ ले जायेंगे ? इतना सारा अनाज कौन खायेगा ?’

‘ बिटिया, यह अनाज मंडी में जायेगा, वहाँ से लोग खरीदेंगे ।’ ननकू ने एक बोरे में से गेहूँ अपने लाये बैग में निकालते हुये कहा ।

‘ अनाज मंडी...मैं समझी नहीं अंकल ।’

‘ बिटिया अनाज मंडी मतलब बाजार जहाँ लोग अनाज खरीदते हैं ।’

‘ अंकल साँप...।’ कहकर वह दौड़कर सीढ़ियों पर चढ़ गई ।

‘ बिटिया डरो मत...धामिन साँप है । यह जहरीला नहीं होता । वैसे भी साँप को जब तक हम छेड़ेंगे नहीं, वह काटेगा नहीं...।’

ननकू ने वहीं खड़े डंडे से ठक-ठक किया । साँप चला गया तथा वह गेहूँ लेकर बाहर आ गया ।

सुधा आदेश
क्रमशः