डायरी ::कल्पना से परे जादू का सच - 2 Swati द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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डायरी ::कल्पना से परे जादू का सच - 2

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ढाबे पर पहले ही हल्ला मचा हुआ था, लोग चिल्ला रहे थें कि अभी तक ड्राइवर नहीं आया था और देर हो रही थीं । "सुनो ! वहाँ जंगल में तारुश! तारुश! ऋचा के मुँह से आवाज़ नहीं निकल रही थीं। "अरे ! आराम से बताओ, क्या हुआ"? गौरव ने ऋचा को सँभालते हुए पूछा। इससे पहले वो कुछ बताती। तारुश आता दिखाई दिया

। "तुम कहाँ रह गए थें, यार ! "आ ही रहा था, जब तुम दोनों को पेड़ के पास नहीं देखा तो यहाँ आ गया ।" तारुश ने ज़वाब दिया । "तुमने कोई चीखें सुनी थीं ? यास्मिन ने पूछा। "हाँ!, कुछ सुना जरूर था । तारुश ने थोड़ा उत्सुकतावश कहा। "यार ! यह ड्राइवर कहाँ मर गया ?" पुनीत बेचैन होकर बोला। ऋचा के मुँह से निकला, " कहीं ड्राइवर सचमुच मर तो नहीं गया"? यास्मिन की गहरी नीली आँखों में डर साफ़ झलक रहा था, उसने बस को गौर से देखा सभी डरावने चेहरे खिड़की से बाहर देखने लगे और यास्मिन की आवाज़ गले में अटक गई....

एक सेकंड में सब गायब हो गया। और यास्मिन को लगा कि कहीं वह जागती आँखों से फ़िर सपना देख रही। तभी ढाबे वाले ने कहा कि " अभी यहाँ से एक ट्रक आयेंगा और सभी उसी में चले जाना, ड्राइवर का पता नहीं, कब वापिस आये और हुआ भी वहीं थोड़ी देर बाद वहाँ से ट्रक गुज़रा और सब उसी में चले गए। मगर तारुश, उसके दोस्त और यास्मिन चाहकर भी ट्रक में चढ़ न सके। भीड़ बढ़ती देख, ट्रक वाला फटाफट ट्रक लेकर वहाँ से निकल गया । सब वहीं ढाबे पर बैठ गए । "अब क्या होगा"? ऋचा का सवाल था। "होना क्या है, अगले ट्रक का इंतज़ार करते हैं और क्या कर सकते हैं। यास्मिन क्या हुआ ? इतनी चुप और खोई सी क्यों हों?" तारुश ने पूछा। "सोच रही हों, वो ड्राइवर कहाँ गया? और जंगल में चीखने की आवाज़ किसकी थीं ?" यास्मिन ने वहीं कुर्सी पर बैठते हुए कहा। "हो सकता है, ड्राइवर भी जंगल में कहीं फँस गया हों, क्या पता अभी वापिस आ जाएँ।" तारुश ने यास्मिन के साथ वाली कुर्सी पर बैठते हुए कहा। "भैया बताओं, दूसरा ट्रक कब आयेंगा ?" गौरव ने ढाबे वाले से पूछा । " शायद आधे घंटे बाद आयेंगा। काश ! हम यहाँ रुकते नहीं !!!! ऋचा ने उदास होकर कहा। और नितिशा ने भी हाँ में हाँ मिलायी ।

"मैडम सूरज ढलने से पहले ही यात्री सड़क से निकल जाते है, मगर जिन लोगों की किस्मत में यहाँ रुकना है, वो रुकेंगे ही" । ढाबे वाले ने कहा। "हम समझे नहीं" ऋचा ने पूछा। " यह जंगल कोई साधारण नहीं है" ढाबे वाले ने सामान समेटते हुए कहा । "भैया हमें खुलकर बताओ, क्या यह जंगल भूतिया है ?" यास्मिन ने बड़ी ज़ोर देकर कहा और ढाबे वाला उनके साथ बैठ गया और बताने लगा," सुना है कि कई बहुत सालों पहले एक आदमी रहता था। जो अपनी मन्त्र-सिद्धियों और जड़ी- बूटियों की मदद से लोगों को ठीक करता था, एक बार उसने एक ऐसा मंत्र खोजा जिससे कि जो लोग मर चुके हैं वो जिन्दा हो जाएँ। उसकी इसी शक्ति का पता वहाँ के राजा को चल गया। राजा ने पहले अपने युद्ध में मारे गए रिश्तेदारॉ को ज़िन्दा कराया। दरअसल एक जादूगर उस राजा का ग़ुलाम था । जादूगर ने राजा को बिना बताए उस आदमी से कई विनाशक शक्तियों के राक्षस जादूगर को ज़िंदा करवाने की बात कहीं बदले में राज खज़ाना देना चाहा तो उस आदमी ने यह काम करने से मना कर दिया। तब उसने जादू से यह जंगल खड़ा किया ताकि वह कहीं बाहर न भाग सके और इसी जंगल में कैद हो जाएँ पर, तब भी जादूगर को वह आदमी नहीं मिला और बस तभी से यह जंगल एक तिलिस्म और जादू है, पिछली बार कॉलेज के बच्चे आये थें । वे जंगल में घुसे और ज़िंदा बचकर निकल गए । कोई ज़िंदा बचता है , या फिर कोइ......... """ ढाबे वाला बोलते-बोलते रुक गया । "आप रुक क्यों गए? भैया, आप यहाँ ढाबा भी तो चला रहें है. आपको डर नहीं लगता"? यास्मिन ने पूछा । "नहीं दिन में यह जंगल कुछ नहीं कहता , मगर रात दस बजे के बाद कुछ नहीं कह सकते इसलिए कह रहा हूँ, अगले ट्रक से निकल जाओं अभी दस नहीं बजे और अब सीधा अपनी मंजिल पर ही रुकना रास्ते में कहीं मत उतरना ।" इस इलाके से जल्दी निकल जाओं उतना अच्छा है । ढाबे वाले का ढाबा बंद हो गया और वह निकल गया ।

थोड़ी देर में एक ट्रक और आ गया । और वे उसमे चढ़ गए । "तुम्हें क्या लगता है, कहानी थी या वो सच"? ऋचा ने सबसे पूछा । "कुछ नहीं कह सकते, हाँ पर उस राजा का क्या हुआ?" नितिशा ने पूछा । हमें क्या पता, उस ढाबे वाले ने बताया नहीं", तारुश ने जवाब दिया । ट्रक वाले ने उन्हें एक मोड़ पर रोक दिया और सब वहीं उतर गए । अब वे जंगल से लगी सड़क पर थें और सब यही सोच रहे थे कि उनकी मंजिल दूर नहीं है । तभी सामने से दो लोग घोड़े पर आ रहे थें । उन लोगों को देखते ही डर के मारे यास्मिन ने तारुश का हाथ पकड़ लिया । तुम तो जल्दी डर जाती हों । तारुश का इतना कहना था कि पता नहीं कहा से एक शेर गुर्राता हुआ उनकी तरफ़ दौड़ता आया वो सब चिल्लाकर भागने लगे !! बचाओ ! बचाओ !