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डायरी ::कल्पना से परे जादू का सच - 5

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सबने उनकी बातें ध्यान से सुननी शरू कर दी। "हम जिस लड़की को डरा कर आये थें न, वह इस जंगल में फँस गई हैं।" "एक बार हमारे सरताज़ लनबा को वो शक्ति मिल जाएँ फिर वो पूरी दुनिया के शहंशाह बन जायेंगे ।"पहले ने दूसरे को कहा। अब हमारा सोने का वक़्त हैं । यह कहकर सुस्ताने चले गए। "यह किस लड़की की बात कर रहें थें ?" ऋचा ने पूछा। " मुझे क्या पता?" तारुश ने ज़वाब दिया । यास्मिन को महसूस हुआ कि शायद ये मेरी बात कर रहें हैं, पर यह मेरे पीछे क्यों पड़े हैं? यास्मिन यह सब सोच रही थीं कि तारुश के कहने पर सब उस पिंजरे के पास आ गए जिसकी वो पहरेदारी कर रहें थें। वहाँ देखा, एक बूढ़ी औरत एक बड़े से विशाल पक्षी को हाथ में पकड़े आँसू बहा रहीं हैं ।

"आप लोग कौन हैं ?" ऋचा ने पूछा । पहले वह औरत उन्हें देखती रही। फिर हिम्मत कर बोली। "लगता है ,तुम भी अपनी जान गवाने आये हों । मैं राजा मेगालिथ की पत्नी मारगिस हूँ और यह पक्षी बनी मेरी बेटी ओलिफर है।" मेरे पति को यह जादूगर गुलाम के रूप में किसी जन्नत के फ़रिश्ते ने दिया था । पर क्या पता था, यह हमारी ऐसी हालत कर देंगा।" हम आपकी बेटी ऑलिव से मिल चुके हैं । आप बता सकती है कि ये लोग किस शक्ति की बात कर रहे थें।" यास्मिन ने बड़ी उत्सुकता से पूछा । शायद अब भी जादूगर उस शक्ति की तलाश में है, जो मरे हुए को ज़िंदा करती हैं। अगर वो इस राक्षस के हाथ लग गयी तो सोचों कितनी तबाही होगी ।" मारगिस की आवाज़ में ख़ौफ़ था । "क्या आप हमें यहाँ से निकलने का रास्ता बता सकती हैं? " यास्मिन ने फिर पूछा। पीछे के रास्ते से तुम इस गुफ़ा से निकल सकते हों । वह जादूगर महीने में एक बार इसी रास्ते से आता हैं।" "आप घबराएं नहीं। ईश्वर ने चाहा तो सब ठीक हों जाएगा। हम चलते हैं ।" यह कहकर सब पीछे वाले रास्ते की और बढ़ गए ।

बड़ी सावधानी से बढ़ते हुए आगे जा रहे थें , तभी उन्होंने देखा कि छोटे -छोटे कद के राक्षस जैसे व्यक्ति उस रास्ते पर घूम रहे हैं । अचानक समीर के मुँह से खाँसने की आवाज़ निकल गयी । जैसे ही उन राक्षसों का ध्यान उन लोगों की तरफ गया। वह वहीं पेड़ की डालियो में छुप गए । "यार ! तारुश मुझे टॉयलेट आ रहा है, क्या करू ?" समीर ने डरकर कहा । "क्या !! पागल है क्या , रोककर बैठ अगर उन लोगों को पता चला गया तो हमें टॉयलेट करने लायक भी नहीं छोड़ेंगे । " तारुश ने कहा । तभी एक नाटे कद के राक्षस ने उन दोनों को पकड़ लिया और सबकी जान निकलने जैसी हो गई । चलो, इन्हें लनबा के पास पकड़कर ले चलते है । नहीं यार, यही बड़ी वाली कढ़ाई में तलकर खा लेंगे। वैसे भी कल भी एक आदमी को तलकर खाया था। तलते वक़्त वह कैसे चीखा था, पर वह मोटा था उसके पास मॉस ज्यादा था। ये पतले है। इनके पास हड्डी होगी । सबको समझते देर न लगी कि वो ड्राइवर की बात कर रहें हैं। "इसका मतलब ड्राइवर इनके पेट में है। अब ये दोनों भी इनका भोजन बनेंगे । छुपी हुई ऋचा ने काँपते हुए कहा। "पता नहीं इन्होने गौरव के साथ क्या किया होगा"? नितिशा उदास हो गयी ।

तभी समीर की पेंट गीली हो गयी और उन सबको बदबू आयी कि वे चीख पड़े। मौका देखकर सब भाग खड़े हुए । उनको भागता देख राक्षस के मुँह से हुंकार निकली जो जहर जैसी थीं। हुँकार उनके पीछे पड़ गई । उन्हें पता ही नहीं चला कि भागते-भागते वे एक फूलों जैसी कालीन पर पहुँच गए हैं । एकदम से किसी ने कालीन खींच ली और वे झटके से एक ऐसी जगह पर गिरे, जहाँ रंग बिरंगी रोशनी थीं और हल्का सा संगीत बज रहा था। थोड़ा चले तो कलियों का डांस चल रहा था । सभी पक्षी और तरह -तरह के जानवर कुछ पी रहे थें । तभी उन्हें बटरफ्लाई दिखाई दीं । रोस्टर दिखाई दिया। उन लोंगों ने भी उनको देख लिया और उनके पास पहुँच गए । "तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हों ।' रोस्टर ने पूछा। हम ड्रैगन से बचे तो एक गुफ़ा में घुस गए। वहाँ हमारे पीछे वो नाटे से राक्षस लग गए । और अब पता नहीं, हमें किसने खींचा और हम यहाँ गिर गए।

"मैंने खींचा"। सामने देखा तो बड़े -बड़े भूरे बालों वाली और लम्बे कद वाली लड़की खड़ी थीं। हाथ में उसके एक लम्बा डंडा था, जो फूलों से ढका हुआ था । "तुम कौन हों ?" यास्मिन ने सवाल किया । "मैं एक जादूगरनी हूँ। मेरा नाम नेयसी हैं ।' मैं अपनी मर्ज़ी से इस जंगल में आ जा सकती हूँ।" "मतलब ? "ऋचा अब भी नहीं समझी । "मेरे पिताजी लनबा के दोस्त हैं । और ये सभी मेरे दोस्त हैं। तभी आज मैं इस पार्टी में इनके बुलाने पर आ गई ।" उसने मुस्कुराकर कहा । "देखा, बटरफ्लाई हम तुम्हारी पार्टी में पहुँच गए ।" तारुश ने कहा तो वह हँसते हुए बोली पार्टी ख़त्म होने वाली हैं, बस कुछ फल बचे है तुम उन्हें खा सकते हों । "नहीं यार ! मेरे दोस्त गौरव ने भी कुछ खाया था, पता नहीं कहा गायब हो गया।" तारुश ने उदास नितिशा की तरफ देखकर कहा ।

"क्या खाया था ?" रुको मैं देखकर पता लगाती हूँ कि अब वो कहाँ होंगा? सब सुनकर बहुत खुश हो गए। तभी उसने डंडा चार बार घुमाया और सबको एक शीशा नज़र आने लगा। सब उस शीशे में जो हो रहा था उसे देखते रह गए। आख़िर गौरव के साथ हुआ क्या था? "क्या यह गौरव है "?नितिशा ने पूछा। "हाँ यही हैं, " नेयसी ने ज़वाब दिया ।

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