कुछ आश् अधुरी सी....... Kalpana Sahoo द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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कुछ आश् अधुरी सी.......




वैसे तो हर मा-बाप का सपना है की उनकी बच्चें बडे हो, अच्छा पढाई करे और कुछ अच्छा सा नौकरी करे । अपने पैर पर खुद खडे हो सके । इसलिए उनसे जो बनपाता है सब वो करते हैं । फिर भी उनकी कुछ ख्वाहिसे अधुरी रेह जाती है ।


बच्चें जब बडे हो जाते हैं उनकी सादी करवाने को मा-बाप अपनी फर्ज समझते हैं और उसको पुरा करने को हरहाल में कोसीस करते हैं । और यहां भी उनकी कुछ आश् अधुरी सी रेह जाती है कभी-कभी ।


ठीक् इसी तरहा भानुप्रताब के सपने भी कुछ अधुरा सा रेह गया है । उनकी दो बेटी और एक बेटा है । छोटा सा परिबार है । एक बेटी की तो सादी करवादिये हैं पर दुसरी की करवाना बाकी है । सब चाहते हैं की आईसा (छोटी बेटी)की सादी हो जाये, पर वही इनकार करती है इस बात को । वो सादी करना ही नहीं चाहती है । कुछ यैसा हुआ है उसकी जीन्देगी में जिसलिए वो दुसरो से भरोसा करना छोड दिया है । जहां भरोसा नहीं वहां प्यार नहीं, और जहां प्यार नहीं वहां कीस् बन्धन का क्या मोल होगा ? इसलिए वो सादी ही नहीं करना चाहती है । पर वो ये किसको बतायेगी और समझेगा कोन ?


आईसा की लाख मना करने के बाबजुद भी भानुप्रताब लेडके देखने केलिए लेडका के घरगये । भानुप्रताब के कीसी रिस्तेदारने ये रिस्ता जुटाये थे । जब लेडका के घरगये और लेडके को देखे तो भानुप्रताब को वो लेडका और उसकी घर और घरवाले सब बहत अच्छा लगा । वो सोचने लगे मेरी बेटी यहां सादी करेगी तो बहत खुस रहेगी । वो घर चलेआये लेडकेवालों के घरमें हाँ बोलकर । फिर घर आते ही फोटो भेजदिये लेडकेवालों के घर । कुछ देर बाद कल आया हाँ लेडकी हमे पसन्द है । हम परसो देखने जायेगें । भानुप्रताब हाँ बोल दिये । यैसे लग रही थी जैसे की ये सादी हो कर रहेगी ।


लेडकेवाले आयेगें इसलिए भानुप्रताब जुगाड में लगे हैं क्युंकी कोई कमी ना रेहजाये उनकी खातीरदारी में । पुरा दिन चलागया पर लेडकेवाले नहीं आये । फिर फोन करके साम को बताये की आज एक जरूरी काम था इसलिए हम लोग नहीं जापाये मगर जायेगें किसी ओर दिन ।


यैसे ही दो चार दिन चलागया पर उनकी तरफ से कोई खबर नहीं आयी तो भानुप्रताब अपनी रिस्तेदारों(जो ये प्रस्ताब पकाये थे)से पुछे तो वो बताये की नहीं ये सादी नहीं हो सकती । ये भी बताये की उनकी लेडके का कहीं और ठीक् हो गेया है । वो लेडकी नौकरी की है इसलिए वो लोग वहां सादी पक्की कर दीये हैं । ये बातों से भानुप्रताब का मन नहीं माना । उन्होंने अपने बेटे से बोले की उनको कल करके पुछे । उनकी बेटा भी कल किया और पुछा तो उन्होंने बोले की में आपको चार-पाचं दिन के अन्दर बताऊँगां कब जाना है । भानुप्रताब इन्तेजार किये पर उनकी तरफ से कोई जबाब नहीं आया तो सोच लिये की ये रिस्ता अब होनेवाला नहीं है ।


इस बातोंसे आईसा खुस थी मगर उसकी घरवाले बहत परेसान थे उसकी सादी को लेकर । जो भी रिस्ता उसकेलिये आती थी या तो वो तोड देती थी या फिर दुसरी तरफ से कोई जबाब नहीं मिलती थी । जीस बजाह से वो लोग बहत परेसान थे ।
आईसा की यैसी बरताब देखकर उसकी माँ एकदिन उसको पुछे......क्या तुम किसीको पसन्द करती हो ? अगर कि है तो बताना हम उससे तेरी सादी करवादेगें । आईसा ये बातें सुनकर हैरान हो जाती है और बोलती है.....माँ तु जैसा समझ रही है वैसा कुछ भी नहीं है । माँ बोले तो फिर क्युं सबको मना कर देती हो ? आईसा जबाब दी क्या करूं माँ ? मुझे कोई पसन्द ही नहीं आता है । इसी बातपर माँ और बेटी के बीच थोडी बेहेस् हुई फिर माँ उसको समझाये । फिर आईसा मान गयी और बोली ठीक् है अब आप जाहां कहोगे वहीं सादी करलुगीं । थोडी गुस्से में थी आईसा पर माँ ने उन्हे मनालिये ।


फिर कुछ दिन गया । रिस्ता ढुडांगया आईसा केलिए । और यहां आईसा भी एक matrimony site खोल रखी थी । तभी उसी लेडके का request उसकी पास आयी । ये देखते ही आईसा चोक गयी पर उसको कुछ बताया नहीं । कुछ दिन उसमें बात होती रही । फिर social site पर बात किये । जब अच्छे से जान पेहचान हो गेयी, एक दुसरे को अच्छे से जाने तभी आईसा उसको बतायी अपनी असलीयत । जब वो ये सब सुना तो उसको सबकुछ याद आया और वो बहत खुस हो गेया । फिर वो दोनो फोन पर भी बाते करनेलगे । एक दुसरे के ओर करीब आने लगे । फिर उनके बीच में प्यार भी हो गेयी थी ।


यैसे ही कुछ दिन उनकी मिलना जुलना बहत अच्छी रही । फिर उस लेडके का डिमान्डं बढने लगी । वो हरबक्त कुछ ना कुछ ख्वाहिसे रखती थी जिसको आईसा पुरा नहीं करपायी । इसी बातों से दोनो हरबक्त परेसान रेहते थे । लेडका को लगता था आईसा उस टाइप की लेडकी नहीं जैसा वो चाहता था और आईसा को लगती थी में अगर उसकी हर ईच्छा पुरी करूगीं तो सायद वो मुझे छोडदेगा ।


क्युंकी यैसा ही होती है । रस खतम हो जाये तो फुलमें क्युं भमर बैठेगा ?


फिर उन दोनो के बीच दरार आगेयी । एक दुसरे को दोश देने लगे । फिर सब कुछ खतम । एक इस तरफ तो एक उस तरफ चलेगये । फिर आईसा ठानली अब ना किसीसे इस्क लढाऊगीं ना किसीको प्यार करूगीं । सादी तो करनी है तो अपनी पसन्द से ना सही घरवाले तो कुछ अच्छा ढुडंलेगें । सादी अगर हुई तो अच्छा अगर ना हुई तो ओर भी अच्छा । पर दिल किसीसे अब नहीं लगाना है ।


फिर आईसा केलिए लेडका ढुडंना काम चालु रही । भानुप्रताब की ख्वाहिसे है छोटी लेडकी की सादी बहत अच्छे घरमें करेगें, और अच्छे कहीं मिलते नहीं तो क्या करे ? आईसा की घरवालोंके कोसीस चलती रही.......पता नहीं कब पुरी होगी उनकी तलास ? पर जबतक जीन्देगी है कुछ आश् तो बाकी है.........!



** END **