मेरे अल्फ़ाज़ - शेर...शायरी anjana Vegda द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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मेरे अल्फ़ाज़ - शेर...शायरी

मेरे अल्फाज......by Anjana Vegda

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जुखाम तो दिल को होना ही था,
तेरी यादों की बारिश में भीगे जोो थे।
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तुमसेेे होती शिकायतें तो और बात थी....
गर खुद सेेेे हो रुसवा तो कहां जाए।
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तेरे ही नशे में ये खोई रहे
रात भी देखो शराबी हो गई,
कैसे और कितने गीनवाऊ
ख्वाबों में भी बेहिसााबी हो गई।

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पाना जीसे मुमकिन नहीं
उसकी ख्वाहिश क्या करें,
बहुत कर ली मिन्नतें
अब और गुजारिश क्या करें।

भूल ही गए खुद को तराशना
गैरोंं की आजमाइश क्याा करें,
होती खुशी तो बााट भीे लेते
गम की नुमाइश क्या करें।
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ठहराव था कुछ पल का अब हमें चलना होगा,
बदलना है जो दुनिया को खुद को बदलना होगा।
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उलझने तो बहुत है जहां में मगर
अल्फाजों में मेरे तेरा अक्स रहता है,
तू भी नहीं आ पाया वक्त रहते और
तेरी यादों का आना बेवक्त रहता है।
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फकत दिल की थी इल्तजा और खुद से बगावत कर ली,
दर्द के तलब गार थे शायद जो तुुुमसे मोहब्बत कर ली।
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शायद हम गलत थे या फिर तुम कसूरवार थे,
साज़िशे वक्तत की थी या हालात गुनहगार थे।
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होता कोई गैर तो गीला भी करते,
अपनोंं से क्या शिकवा करें,
छुपा लेते दर्द अपनीी आंखों में
हाल-ए-दिल मुस्कुरा के बयां करें।
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हर शाम होती है बातों की मुलाकातें
चलो ना इस बार आंखोंं से मिलते हैं।
कुछ तुम सुन लो कुछ हम सुनते हैं
लफ्जों से हो परे खामोशी चुनते हैं।
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तेरी एक ही झलक से निखर जाएंगे...
जरा सा रंग और हम संवर जाएंगे।
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दर्द को अपने छुपाऊंं कैसे
दिल का हाल सुनाऊ कैसे
यादोंं के बह जाने का डर है
आंखोंं से आंसू बहाऊ कैसे।
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यादोंं में हम तेरी अक्सर खोया करते हैं,
अश्कों से तेरी तस्वीर भिगोया करते हैं।
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तेरी सांसो की महक यू छु के गुजर गई,
बिखरी हुई जिंदगी फिर से सवर गई।
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होठोंं से ना हो बयां वो लफ्जों में ढ़लते हैं,
कुछ दर्द ऐसेे भी है जो कागज पे उतरते हैं।
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दीदार से ही तेरे मेरे ख्वाब सवरते हैं
आंखों से होके मेरे दिल में उतरते हैं।
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खूबसूरत यह सफर होता...
साथ मेरे तू अगर होता।
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चलो ना कुछ दूर तक साथ चलते हैं
आ जाओ फिर से खयालों में मिलते हैं।
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बदलते वक्त के साथ चलना सीख लेंगे
लड़खड़ातेेे ये कदम संभलना सीख लेंगे।
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चंद लम्हेे ठहरे और वक्त बहता गया
यादोंं का कारवां यूं ही चलता गया।
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नम आंखों के साथ भी मुस्कुराना पड़ता है
अंदर कुछ... बाहर कुछ और दिखाना पड़ता है।
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तुझसेेे नाराज हूं या खुद से खफा हू
खोकर अब तुझको में खुद लापता हूं
इतनी हुई दूरियां खुद के दरमियां
कुछ लम्हेे नहीं सदियों का फासला हूं।
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आंखोंं के इन किनारों में यूं प्यार का रंग भरना
की लफ्जों से फिर कुछ भी मुश्किल हो बयां करना।
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मिटाकर सारे गिले-शिकवे चलो फिर से मिल जाए
दो चार पल की नाराजगी कहीं सालोंं मे न ढल जाए।
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ना कोई कसम खाओ ना ही कोई वादा करो
ताउम्र साथ निभाने का पक्का इरादा करो।
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उम्मीद है मेरी लिखी शायरी आपको पसंद आई होगी।
आभार🙏🙏🙏
-ANJANA VEGDA