मूर्ति का रहस्य - 7 रामगोपाल तिवारी (भावुक) द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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मूर्ति का रहस्य - 7

मूर्ति का रहस्य -सात

चन्द्रावती को जैसे ही पास-पढ़ौस के लोगों ने घर में देखा, गाँव भर में शोर हो गया ।

किले से पहली बार कोई जीवित लौटकर आया है। गाँव के लोग चन्द्रा के हाल चाल जानने उसके घर आने लगे ।

काशीराम कड़ेरे ने चन्द्रावती से पूछा-‘‘कहो बिटिया ठीक से तो हो ?’’

चन्द्रावती ने उत्तर दिया - ‘‘रमजान भैया की कृपा से सब ठीक है । अब तो वहाँ रमजान भैया सबसे बडे़ भूत बन बैठे हैं । वहाँ सब भूतों को उनकी बातें मानना पड़ती हैं । आप लोग चिन्ता नहींें करें । एक दो दिन में, मैं आप सब को वहाँ लेकर चलंूगी।’’

यह सुनकर तो कई लोग चन्द्रावती से ही डर गये।

चन्द्रावती दोपहर बाद खाना पीकर रमजान के घर जाने के लिए निकली। गाँव के लोग उसे ऐसे देख रहे थे जैसे किसी अजूबा चीज को देखते हैं।

जब वह रमजान के घर पहुँची रमजान के चाचा वसीर खान दरवाजे पर ही मिल गए । चन्दा को देख कर वे खुश होकर बोले-‘‘रमजान की चाची उसके सोच में मरी जा रही हैं । मैं तो उसे समझाता रहता हूँ कि डरो नहीं वह फौजी बाप का बेटा है। साले...भूत भी उससे दहशत खाने लगगे ।’’

चन्द्रावती ने उनकी बात का समर्थन किया-‘‘ आप ठीक कहते हैं चाचा। अब तो वहाँ रमजान का ही चलावा हो गया हैं ।’’

‘‘ अरे ! ताज्जुब है ।’’

‘‘ हाँ, चाचा जान। ’’

‘‘ आखिर वह नूर मौहम्मद जैसे नेक इन्सान की औलाद है। अरे ! रमजान की चाची सुनती होऽऽऽ न वसीर खाँ की आवाज सुनकर आमना कमरे से बाहर निकल आयी और बोली-‘‘ कहो, क्या मेरा रमजान आ गया ?’’

‘‘नहीं तो।’’

‘‘आप तो अभी ऐसे बुला रहे थे जैसे रमजान लौट आया हो।’’

‘‘वह तो अभी नहीं आया लेकिन चन्दा बिटिया लौट आयी है।’’

आमना ने चन्दा से पूछा -‘‘चन्दा बेटी रमजान कैसा है ? मेरी तो उसके बिना जान ही निकली जा रही है, मुझे यह पता होता तो मैं किले की दरगाह पर उसे अगरबत्ती लगाने ही न भेजती। मैं इनकी बातों में आ गयी।’’

‘‘ चाची जी आप चिन्ता न करें एक दो दिन मेंवह भी आ जायेगा।’’

दोनों चन्द्रावती को लेकर बैठक में पहुँच गए । वसीर खान ने चन्दा से पूछा-‘‘बेटी सुना है तुम्हारे अब्बाजान तुम्हारा विवाह ग्वालियर के किसी सेठ से करना चाहते हैं, उसकी पत्नी का इन्तकाल हो गया है, उसकी चार औलादें है।’’

‘‘चाचा जी, रमजान भैया के डर से उस सेठ ने मुझे बेटी मान लिया है अब वही मेरा विवाह भी करेगा ।’’

वसीर खान ने पूछा - ‘‘और खजाने का चक्कर ।’’

‘‘चाचा आपको खजाने के बारे में कैसे पता चला ?’’

‘‘बेटी हमारी सब जगह नजर है । हम अच्छे अच्छों को ताडने की नजर रखते हैं । ’’

‘‘चाचा जी आप चिन्ता नहीं करें । आप तो पुलिस से सम्पर्क बनायें रखें ।’’

‘‘ चन्दा तू चिन्ता न कर, मैं पुलिस से सम्पर्क रखे हूँ। पुलिस के जासूस सब जगह रहते हैं । जब यहाँ के टी.आई साब से मिला तो वे बेाले...।’’ वसीर खान ने बात अधूरी छोड़ी।

‘‘क्या बोले वे...?’’ चन्द्रावती ने प्रश्न किया ।

‘‘वे बोले, मुझे सब मालूम है कहाँ क्या हो रहा है? उन बेचारों को मेहनत करके, कुछ कर धर तो लेने दो। यथा समय हम वहाँ पहुँच जायेंगे ।’’

वसीर खान ने उसे समझाया-‘‘इसका अर्थ है चचा पुलिस को सब मालूम है।’’ चन्द्रावती बोली ।

‘‘ हाँ ।’’ वसीर खान ने हामी भरी ।

‘‘ फिर ठीक है । अन्त में रमजान को पुलिस की जरूरत पड़ेगी ।’’ चन्द्रावती ने कहा।

शाम होने से पहले उनसे परामर्श करके चन्द्रावती अपने घर लौट आयी ।

आज गाँव भर में चर्चा थी ।

कोई कह रहा था-‘‘चन्द्रावती दो रातंे जाने किस के साथ रह कर आयी।’’

किसी ने कहा -‘‘अगरबत्ती लगाने के बहाने पहले वहाँ रमजान चला गया, बाद में चन्दा वहीं पहुँच गयी। अब देखना दोनों निकाह कर लेंगे।’’

कोई कह रहा था-‘‘रमजान और चन्द्रावती साथ-साथ आते तो आज ही पूरी पोल खुल जाती इसलिए उसने पहले चन्दा को भेज दिया। देखना कल बो भी आया जाता है।’’

कोई अन्य कह रहा था-‘‘और पढ़ा लें लड़के-लडकियों को साथ साथ। यहाँ यह हाई स्कूल क्या खुल गया, हमारे तो गाँव की बदनामी चारों तरफ फैल रही है।’’

गाँव भर में कोई घर ऐसा न था । जिसमे चन्द्रावती की चर्चा न चल रही हो ।

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