अनकहा अहसास - अध्याय - 28 Bhupendra Kuldeep द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

अनकहा अहसास - अध्याय - 28

अध्याय - 28

ओ हो !! ये तो पूरा मामला ही उलझ गया। मधु बोली।
अब अगर अनुज को मैं या शेखर बताते हैं कि आभा ही वो लड़की है तो वो हमको गलत समझेगा क्योंकि आभा तो शेखर को प्यार ही नहीं करती। शेखर का प्यार अब भी एक तरफा ही है। बहुत परेशानी है मधु, मैं बीच में फंस गई हूँ। अब तुम ही बताओ क्या करूँ ? रमा बोली।
शेखर को बोलो कि आभा को ये बात बताए। मधु बोली।
बस मैं भी उसको यही बोली कि वो तुरंत आभा से बात करे परंतु वो अनुज के साथ निकल गई। रमा बोली।
और आभा ने मना कर दिया तो ? मधु ने शंका जाहिर की।
वही तो डर है मधु, अगर उसने अनुज से ही शादी करने की सोच ली होगी तब तो मेरा जीवन नर्क हो जाएगा। क्या करूँ कुछ समझ में नहीं आ रहा है। तुम भी बात करो ना आभा से।
मैं कैंसे बात करूँ। मैं तो उसे ठीक से जानती भी नहीं हूँ। मधु बोली।
कल जब वो उसे लेने जाए तो तुम भी अनुज के साथ जाना और आभा के साथ ही कॉलेज आना, कोशिश करना कि उसे लेकर मेरे पास विभाग में आ सको। फिर हम लोग यहाँ बैठकर उसे समझायेंगे। मैंने शेखर को छत पर जाने के लिए कहा है। उन दोनो की अकेले में बात हो तो बेहतर है।
ठीक है मैं कल आती हूँ साथ में। ओके बाॅय।
कहकर मधु ने फोन रख दिया।
दूसरे दिन अनुज जब तैयार होकर हाँल में आया तो मधु भी तैयार होकर खड़ी थी।
अरे मधु तुम कैसे तैयार हो कहीं छोड़ दूँ क्या ?
नहीं भैया आज मैं आपके साथ ही चलूँगी। घर में मैं बोर ही होती हूँ।
अच्छा। ठीक है फिर चलो। कहकर दोनो गाड़ी में बैठकर निकल गये।
वो वहाँ से निकलकर आभा को लेने गये और वहीं से वो कॉलेज आ गये।
कॉलेज पहुँचकर मधु बहाना ढूढ़ने लगी कि किस तरह आभा को वहाँ से हटाकर रमा के पास ले जाया जाय। सभी सोफे पर चुपचाप बैठे थे।
आभा क्या तुमने अपने मम्मी पापा से बात की ? अनुज ने पूछा
हाँ अनुज मैंने बात की है। उनका कहना है कि वो कभी भी तैयार हैं देरी तो तुम्हारी ओर से है।
ठीक है मैं माँ से बात करके दिन तय कर लेता हूँ।
भैया इतनी जल्दी क्या है पहले माँ को पूरी तरह ठीक तो हो जाने दो। बात टालने के लिए मधु बोली।
नहीं मधु। मुझे अब नहीं रूकना है मुझे तत्काल शादी करनी है।
वो क्यों भैया ?
बस ऐसे ही। मैं बहुत सारी चिंताओ से मुक्त होना चाहता हूँ।
ठीक है भैया, मैं आभा थोड़ा कैन्टीन होकर आते हैं।
ठीक है जाओ। अनुज बोला।
मधु को अवसर मिल गया था। वो उसे लेकर चुपचाप रमा के विभाग में चली आई।
ओह मधु, आभा, आओ, आओ, बैठो।
क्या हाल है रमा ? आभा ने पूछा।
ठीक ही हूँ आभा। बैठो ना। क्या खबर है अनुज की ?
वो मुझ से तत्काल शादी करना चाहता है रमा। आभा बोली
ओह। तो मुझसे बदले की आग को शांत करने के लिए वो तुम्हारा जीवन बर्बाद करना चाहता है आभा।
मैं समझी नहीं रमा।
देखो आभा। अभी कुछ दिन पहले शेखर और मेरे बीच की एक बातचीत से उसके मन मे एक गलत फहमी उत्पन्न हो गई है जिसको शांत करने और सिर्फ मुझे दिखाने के लिए वो तुमसे शादी करना चाहता है रमा बोली।
शेखर और तुम्हारे बीच ? मैं कुछ समझी नहीं ?
क्या हुआ आभा कि शेखर एक लड़की से बहुत प्यार करता है और उसे बताने की प्रैक्टिस वो मेरे साथ कर रहा था कांफ्रैंस रूम में। जिसे अनुज ने सुन लिया और गलत फहमी को शिकार हो गया।
ओह। ये तो आसान बात है शेखर को बता देना चाहिए कि वो लड़की तुम नहीं हो कोई और है।
वो नहीं बता सकता आभा ? क्योंकि जिस लड़की से वो प्यार करता है वो अनुज की मंगेतर है। रमा उसकी आंखों में देखते हुए बोली।
क्या ??? मतलब मैं !!!!
हाँ आभा। तुम। तुमसे वो बहुत प्यार करता है आभा, मेरा यकीन मानों। परंतु वो कभी तुमसे कहने का साहस नहीं जुटा पाया।
ये सही कह रही है आभा। मधु बीच में बोली।
ये तुम दोनो क्या बोल रहे हो ? शेखर मुझसे प्यार करता है तो उसने मुझसे कहा क्यों नहीं ? आभा आश्चर्यचकित थी।
इसलिए आभा क्योंकि जिस दिन वो तुमसे कहने वाला था उस दिन अनुज ने उसे जानबूझकर दिल्ली भेज दिया ताकि उसे मुझसे दूर कर सके और इसी बीच उसने तुमसे सगाई कर ली। जिस दिन शेखर यहाँ आया, उस दिन तुमसे मिलने पर उसे पता चला कि तुम्हारी तो अनुज से सगाई हो गई है तो वो उदास हो गया।
इस बीच उन सभी को खबर ही नहीं थी कि गगन चुपचाप गेट के बाहर से उनकी बातें सुन रहा था।
मैं तो एकदम शाक्ड हूँ रमा ? क्या शेखर मुझे सचमुच चाहता है।
हाँ आभा यकीन ना हो तो अभी छत पर जाओ। शेखर तुम्हारा इंतजार कर रहा है, उससे मिलो और बात करो। रमा बोली।
मधु आभा को छत पर छोड़कर वापस आ जाना।
ठीक है रमा। चलो आभा। कहकर उठे और दोनो बाहर जाने लगे।
गगन उन्हें आते देखकर छिप गया।

क्रमशः

मेरी अन्य तीन किताबे उड़ान, नमकीन चाय और मीता भी मातृभारती पर उपलब्ध है। कृपया पढ़कर समीक्षा अवश्य दे - भूपेंद्र कुलदीप