पहला भाग....
मैं वानी...
ये बात उस समय की है जब हम पहले बच्चे के बारे में सोच रहे थे।लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था।
मेरा मिसकैरिज हो चुका था। मै और मेरे पति (अमन) दोनों ही निराश थे। लेकिन हमने हिम्मत नहीं हारी।कुछ महीनों बाद मै फिर से प्रेग्नेंट हुई । हमदोनो बहुत खुश थे। लेकिन ये खुशी भी ज्यादा दिन नहीं टिकी और ये प्रेग्नेंसी भी खराब ही चुकी थी। डॉक्टर ने सारे टेस्ट कराए लेकिन सब रिपोर्ट्स नॉर्मल थी कोई प्रॉब्लम नहीं थी। फिर एक बार डॉक्टर ने मुझसे पूछा स्मोकिंग करती हो मेरा जवाब था नहीं.. हसबैंड करते है।
डाक्टर ने उन्हें अंदर केबिन में बुलाया और स्मोकिंग के बारे में पूछा और शायद दो मिसकैरिज की वजह भी बताई और स्मोकिंग छोड़ने के लिए कहा।
अमन ने उनकी बात सुनी और हमदोनों वापिस घर आ गए ।लेकिन वो बात अमन के सिर्फ सुनने तक ही सीमित रही। कभी लागू नहीं हुई। दिन बीतते गए। किस्मत हम पे मेहरबान थी मै फिर से प्रेग्नेंट हुई लेकिन इस बार अमन में ये बात सुनकर स्मोकिंग छोड़ दी थी। और ये प्रेग्नेंसी भी सफल रही। लेकिन ये तीसरी प्रेगनेन्सी तक का सफ़र बहुत ही कठिन रहा इस दौरान हमारे आपसी झगड़े बहुत बढ़ चुके थे। तीसरी प्रेगनेंसी के बाद अमन में अपना मुंह सिल लिया था जिससे बच्चे पर कोई असर न हो।
मेरे वो 9 महीने कितने अच्छे से बीते पता ही नहीं चला और कब डिलिवरी का टाइम आ गया और मेरी गोद में प्यार सा बेबी आ गया जो बिल्कुल मेरी तरह ही दिखता था मै बहुत खुश थी लेकिन मुझे नहीं पता था मेरी ये खुशी ज्यादा समय नहीं रुकने वाली थी।बेबी के आते ही अमन ने मुझसे मुंह मोड़ लिया था उस सिर्फ बच्चे से मतलब था । मेरी डिलीवरी ऑपरेट करके हुई थी इसलिए मेरी मम्मी कुछ समय तक मेरे साथ रही।
लेकिन अमन ने एक बार भी मेरे सिरहाने बैठ कर मेरा हाल नहीं पूछा कि मै किस दर्द से गुजर रही हूं।वो भी तब जब मुझे अमन कि सबसे ज्यादा जरूरत थी। वो दिन भी आ गया जब मेरी मम्मी भी चली गई । अब मै पूरी तरह अकेली थी। अमन भी ऑफिस जाने लगे थे । अब सब कुछ बदल गया था लेकिन अमन कि आदत ज़रा भी नहीं बदली वो हमेशा की तरह ऑफिस से देर से घर आते थे लगभग 10 बजे के आस पास और वापिस आ कर खाना खा कर अपना फोन और टीवी ऑन करके बैठ जाए थे लेकिन तब तक मै और बेबी सो चुके होते थे । अमन रात के 3 बजे तक जग कर टीवी देखते थे और सुबह 10 बजे सो कर उठते थे ।उठते ही ऑफ़िस चले जाते थे। बस यही रूटिन था अमन का ।।
धीरे धीरे होली भी आ गई। अब बेबी 3 महीने का होने वाले था।
होली वाले दिन काम वाली बाई भी छुट्टी पर थी तो वो सब काम भी मुझे ही करना था ।मेरे टांके अभी तक हरे थे पूरी तरह सूखे नहीं थे।अब तो मुझे बैक पेन भी होना शुरू हो चुका था। मुझे उम्मीद थी कि अमन आज तो मेरी थोड़ी मदद कर देंगे। सब अच्छे से हो जाएगा । लेकिन मै गलत निकली उस दिन भी अमन 11 बजे सोकर उठे तब तक मैंने घर में साफ सफाई करके नाश्ता बना कर रख चुकी थी। कुछ देर बाद कॉलोनी के लोग रंग खेलने घर आने लगे मैंने ज्यादा रंग नहीं खेला ।
नहीं तो बेबी को रंग से अलर्जी हो सकती थी। अमन नाश्ता करके रंग खेलने कॉलोनी के लोगों के साथ बाहर जा चुके थे।
लोग का घर में अंदर आ कर रंग खेलने की वजह से घर वापिस से गंदा हो चुका था मैंने वापिस से सफाई करके घर साफ किया और बेबी के काम में लग गई अब तक अमन वापिस आ चुके थे।
उस टाइम दोपहर के कुछ 12:30 हो चुके थे मै बेबी की मालिश करके उसको दूध पिला चुकी थी।
अमन वापिस आ कर फोन लेकर बैठ गए थे।
मै अपने काम में लगी हुई थी बेबी को भी नेहला कर उसको सुला दिया था। अब मै खुद फ्रेश होने चली गई और वापिस आकर खाना बनाने में लग गई थी । मुझे अब सुबह से काम करके बहुत थकान होने लगी थी।मुझे अब ठीक से खड़ा भी नहीं होया जा रहा था। मुझे बहुत बैक पेन हों रहा था अब तो मेरे टांके में भी दर्द होना शुरू हो गया था। जैसे तैसे करके मैंने खाना बनाया।
किचेन से बाहर आई तो देखा अमन अपनी बीयर की बॉटल के साथ बैठे हुए टीवी देख रहे थे उस समय 2 बजने को आया था। मै ये साथ देख कर बस मन ही मन रो रही थी। तब तक बेबी भी सो के उठ चुका था मै बेबी को लेकर दूसरे रूम में चली गई उसको दूध पिला ने के लिए। दूध पीने के बाद बेबी वापिस से सो चुका था । मुझे लगा अमन शायद ड्रिंक करने के बाद फ्रेश होने चले जाएंगे और वापिस आकर साथ खाना खाने के लिए बोलेंगे।ये सोच कर मै भी बेबी के पास थोड़ी देर अपनी थकान मिटाने के लिए लेट गई।
20 मिनट बाद रूम से बाहर गई तो अमन को देख कर मेरे पैरो तले जमीन खिसग गई हो ऐसा लगा।अमन सोफे पर ही टीवी देखते देखते सो चुके थे। अब 3:30 होने को आया था।ये सब चीज़े देख कर मेरे आंसू नहीं रुक रहे थे।.....
क्रमशः....