मुकम्मल मोहब्बत - 23 Abha Yadav द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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मुकम्मल मोहब्बत - 23



मुकम्मल मोहब्बत -23


जिस जोशोखरोश से मधुलिका बादल से मिलने गई थी, मुझे विश्वास था कि दोनों की मुलाकात हो गई होगी. मधुलिका ने किसी भी तरह हिम्मत जुटा कर अपने प्यार का इजहार भी कर दिया होगा. आज वह चहकती हुई अपनी सफलता की कहानी सुनायेगी. शरमा -शरमा कर बतायेगी कैसे उसने बादल को आई लव यू बोला. बादल पर उसके आई लव यू की क्या प्रतिक्रिया हुई. कैसे बादल ने अपने प्यार को बाहों में समेट लिया. पहले थोड़ा शरमायेगी.फिर कहेगी-"यार स्वीट.... और शुरू से आखिर तक अपनी और बादल की मुलाकात बंया कर देगी.मैं बीच बीच में उसे बादल को छेड़ दूंगा. फिर बोलेगी-बुध्दू हो तुम.


लेकिन, झील पर पहुंचा तो मनसूबे तिनकों की तरह हवा में उड़ गये.

मधुलिका वोट के पास खामोश खड़ी थी.उसकी सूजी हुई आँखें लाल लाल हो रही थी. आँखों मेंं अभी भी नमी थी.उसके गुलाबी गालों पर सूखे हुए आँसुओं की लकीरें ऐसे बनी थी जैसे उसकी आँखों के समंदर से लहरें रेत तक आकर वापस लौट गई हो.चेहरा उदास था.होंठ सूख रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे उसने कल से कुछ खाया पिया न हो.उसका यह हाल देखकर मेरे सीने में नश्तर चुभ गये.



मुँह लटकाए मधुलिका वोट में बैठ गई. जैसे ही मैं वोट में बैठा.फफककर रो पड़ी-"डियर, बादल मुझे नहीं मिला. उसके गेट पर ताला लटक रहा था."

"तुम्हें बिना बताए कहां चला गया. जाने से पहले तुम्हें बता तो जाता."मैंने झुंझलाकर कहा .मुझे बादल पर बहुत गुस्सा आ रहा था.


"उसे बताने का मौका नहीं मिला होगा. उसके ममा -पापा अचानक ही उसे ले गये होगें."उसने अपने गालों के आँसू हथेलियों से रगड़कर साफ कर लिए जैसे उसे बादल से कोई शिकायत ही न हो.


"मधुलिका, परेशान होने की जरूरत नहीं है. कालेज की छुट्टियां हैं. वह लोग कहीं घूमने चले गये होगें. कालेज खुलते ही वापस आ जायेंगे. कालेज में तुम्हारी मुलाकात हो ही जायेगी."मैंने मधुलिका को दिलासा दी.


"पता नहीं वह इस कालेज में पढ़ेगा भी या नहीं. वापस न आया तो शायद में उससे कभी न मिल पाऊं."अपना चेहरा हथेलियों में भरकर मधुलिका फूटफूट कर रोने लगी. उसकी आँखें खारे पानी का समंदर बन गई.


मुझे उसकी यह दशा देखी नहीं गई. मैंने उसे सांत्वना देने के लिए अपना हाथ उसके कंधे पर रखना चाहां. तभी वह चीख पड़ी-डॉन्ट टच मी.


एक ही झटके में मेरा हाथ पीछे हट गया. जैसे हाथ में करेंट लग गया हो.मुझे मधुलिका से इस व्यवहार की उम्मीद नहीं. इतनी मुलाकातों में हम काफी घुलमिल गये थे.मैं मुँह लटकाकर बैठ गया. शायद उसे अपनी गलती का एहसास हुआ .धीरे से बोली-"डियर स्वीट ,मैं बादल की अमानत हूँ. कोई दूसरा ब्वॉय मुझे हाथ लगाये मुझे अच्छा नहीं लगेगा. शायद बादल को भी नहीं."


इतना समर्पण. मेरा मुँह आश्चर्य से खुला रह गया. कोई अपने आप को किसी के लिए इतना भी समर्पित कर देता है कि उसका अपना अलग कोई बजूद ही न रहे. यह नादान उम्र और मोहब्बत पर इस कदर मर मिटना.


मधुलिका अभी भी रो रही है. मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि उसे कैसे संभालूं. उसका दर्द देखकर मेरी आँखें भीगने लगी हैं. किसी भी तरह मुझे मधुलिका को संभालना ही था.मैंने आहिस्ता आहिस्ता कहना शुरू किया-"मधुलिका तुम इतना जायदा रोओगी तो उधर बादल भी परेशान होगा. तुम्हारे याद करने पर उसे लगातार हिचकियाँ आ रही होगी."


"हिचकियाँ..... उसने एक बार मेरी ओर मुँह उठाकर देखा.फिर आंसू पोंछते हुए बोली-"हां,उसे बहुत हिचकियाँ आ रही होगीं. पहले भी वह शिकायत करता था-इतना तो न याद किया करो कि हिचकियों के कारण मेरा खाना ही अटक जाये."



"यही तो....इस समय वह शाम की चाय पी रहा होगा.तुम रो-रोकर उसे याद कर रही हो. हिचकियों से गरम गरम चाय से उसका मुँह जल रहा होगा और चाय कपड़ों पर गिर गिर गई होगी "
बहुत जोर से हँसी मधुलिका."चाय कपडों पर गिरते ही ममा ने डॉटा होगा. ठीक से चाय भी नहीं पी सकते."
"बेचारा बादल ! ममा को यह भी नहीं बता पाया होगा गलती मेरी नहीं है. मधुलिका हिचकी दिला रही है."मैंने हँसते हुए कहा.
"बेचारा बादल ....."इस बार ताली बजाकर हँसी मधुलिका.


मैं मंत्रमुग्ध सा उसका चेहरा देखता रह गया. उसके उदास चेहरे पर रौनक लौट आयी थी.


मैं भी तो यही चाहता था.


"सुनो,रायटर ,तुम्हारे साथ कभी ऐसा हुआ कि तुम्हारी दोस्त ऐनी तुम्हें हिचकियाँ दिला रही हो और चाय तुम्हारे कपड़ों पर गिरी हो और फिर तुम्हारी ममा ने तुम्हारी कान खिचाई की हो"अपनी हँसी रोकते हुए मधुलिका ने अपनी नजरें मेरे चेहरे पर टिका दीं.


"बहुत बार हुआ. जब कपडों पर चाय और सब्जी गिरी.कपड़ें गंदे होते ही ममा की डॉट शूरू-इतने बडे़ हो गये हो फिर खाना कपड़ों पर गिरा लेते हो."मैंने हँसकर बताया. फिर मायूसी से बोला-"ममा को कभी नहीं बता पाया कि ऐनी हिचकी दिलाती है."


"तुम भी ऐनी से शिकायत करते होगे.?"उसने उत्सुकता से पूँछा.



"हां,इधर ममा की डॉट पड़ी .उधर ऐनी से सॉरी बुलबाया-आगे से खाते-पीते याद नहीं करोगी."मैं मधुलिका का मूड ठीक करने की कोशिश कर रहा था.


"इसमें ऐनी की क्या गलती है. यादों का भी कोई टाईमटेवल होता है कि अपने समय पर ही याद आयेगी. जब दिल में प्यार का समंदर हिलोरें लेगा .यादें बहने लगेगी. किसी का बस है दिल पर..."



"हां,यह तो है."मैंने सहमति से सिर हिलाया.


"मोहब्बत में हम दिल के हाथों कितना मजबूर हो जाते हैं. न यादों पर वश रहता है, न बातों पर."कहते हुए मधुलिका ने अपने हाथों में बंधा मुरझाया हुआ मोंगरे का गजरा सूंघा. हां आज गजरा मुरझाया हुआ था. शायद कल बांधा होगा.



"तुम्हारे पास बादल की बहुत सी बातें होगी. सुनाओ न!"

मैंने कहानी को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से कहा.

"यस,रायटर. कल मैं तुम्हें बादल से अपनी आखिरी मुलाकात बताऊँगी."


"ठीक है. वापस चलते हैं. अभी तुम जाकर पहले खाना खाना फिर आराम करना."मैंने वोट वापस लेते हुए कहा.


घर के नाम से जाने वह क्यों उदास हो गई.



क्रमशः