नई मज़िल Chaitali Parekh द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

नई मज़िल

तुम अभी इस होद्दे के लिए तैयार नहीं हो !!

अगर हम अपनी किताब की शुरुआत कुछ इस तरीकेसे करेंगे तो आपके मन पे पहले क्या विचार आयेगा? लेखक की कोई दुःख भरी कहानी होगी या लेखक ने अपने जीवनके कोई किस्सों की बात की होगी.

अगर यह खयाल आया हे मेरे देस्तो ये गलत हे. मेरी इस छह वि किताब मे हमारी रोज बरोज के जीवन मे आने वाले छोटी मोटी घटनाओ की वजह से हम तनाव मे डूब जाते हे ओर वहासे वाहर निकल नहीं पाते| फिर चाहे वो नोकरी मे बॉस की वजह से तनाव मे हो या नोकरी के काम को लेकर तनाव मे हो, अगर आप का खुद का परिवार हे तो सबकी इच्छाए पूरी करने की चिंता, कारोबार ठीक से नहीं चल पाने की वजह से घर केसे चलेगा उसकी चिंता, अगर आप छात्र हो तो अच्छे मार्कस लाने की चिंता, पढाई के बाद नोकरी अछि मिलेगी या नहीं उसकी चिंता.. एसे तो पूरा दिन गिनती करने बेठे तो हमारी पूरी ज़िन्दगी चिंता ओ से गहेरी हुई मिलेगी| हम हर बार यही सोचते हे की एसा न हो तो अच्छा हे; अगर एसा हो गया तो बहोत मुस्किल मे पड़ जायेंगे हम|

क्या हमने कभी ये सोचा अगर एसा होगा तो हम उसका सामना केसे करेंगे? क्या हम ने कभी चिंता ओ मेसे केसे बहार निकालेंगे उसका रास्ता सोचा कभी खुदसे? आपने आपसे कभी ये सवाल किया? या कभी आपकी तकलीफ किसी भरोसेमंद व्यक्ति के साथ चर्चा की? यदि उत्तर मे “ना “हे तो आप कभी भी आपकी समस्या ओ का हल नहीं निकाल पाओगे |

हमारा सबसे अच्छा ओर सच्चा दोस्त हम खुद हे| दिन मे १ घंटा खुद के लिए निकालो ओर सोचो की आज पुरे दिन मे क्या हुआ आपके साथ? वो होने की वजह क्या हे? कहा पे आपसे गलती हुई? कहा पे आको सुधार करने की आवश्यकता हे? जिसको हम Self – Assessment कहेते हे|

आपके साथ एक लड़की की कहानी प्रस्तुत करती हु. जिसका नाम हे दीप्ती. दीप्ती फ़िलहाल मे वीज़ा प्रदान करने वाली कंपनी मे शैक्षिक परामर्शदाता ( educational counsellor) की नोकरी कर रही हे. हलाकि वो ये क्षेत्रमे आठ साल से काम कर रही हे. कुछ दिनों से उसकी जिंदगी मे बहोत साडीकठिनाई या आई फिर भी वो अपने काम के प्रति आपनी जिम्मेदारी को बखूभी निभा रही थी. एक दिन उससे कुछ गलती हो गई ओर उसको आपने उत्तरधिकारी से दाट पड़ी “ तुम अभी इस होद्दे के लिए तैयार नहीं हो !! “ ये बात सुनकर वो बहोत तनाव मे बह गई. उसको अपने काम पे से विश्वास उठ गया. वो काम को लेके नाखुश हो गई. उसको अपने उत्तरधिकारी पे बहोत गुस्सा भी आया. फिर वो इतने गहरे तनाव मे डूब गई की उसको भुखर आ गया.

क्या दीप्ती ने ये सही किया? क्या एसा करके उसको कोई रास्ता मिला? ऐसा सोचके क्या वो कूद को तनाव मुक्त कर पायेगी? नहीं

दीप्ती भुखार की वजह से दवाई लेके सो गई. नींद मे से उठने के बाद जब उसका मन शांत हुआ तब उसने शीतल मन से सोचा की क्या सचमे उससे कोई गलती हो सकती हे ? तो उसको उत्तर मे उसके भूतकाल मे किये गए अच्छे काम के किस्से याद आये. जो वो परामर्शदाता (counsellor) के होद्दे पे कार्य कर रही थी. उस समय की उसकी की गई मदद के कारण जिस किसीको लाभ हुआ था, जिस किसी को भी उनकी परेशानी से मुक्त किया था वो सब उसको याद आया. फिर उसने उससे हो गई गलती पे ध्यान दिया ओर शुरुआत से सोचा की कहा पे क्या गलत हुआ था? जब उसने आत्म मूल्यांकन (self-assessment) किया तो पता चला की बात सिर्फ परिस्थिति को समजने मे हुई थी. यानि की सब की खुद्द की भिन्न भिन्न सोच होती हे, परिथिति को देखने की समजने की स्थिति अलग अलग होती हे. जब उसको उसकी गलती का उत्तर मिल गया तो सारी तकलीफे उसको आसन लगी ओर उसकी वो गलती को समजाने का भी अवसर प्राप्त हुआ.

ये कहानी के ज़रिये मेरा कहने का उद्देश्य यही हे की जब भी कोई एसी बात हो जाये जो आपके मन को ठेस पहोचाये या कभी एसी कोई घटना घटित हो जाये जो आपके समज से परे हो या बहोत मुस्किल साबित हो तो कभी भी दर मत जाना. शदैव उसपे विचार करना ओर उसक उत्तर ढूँढना . ये तभी संभव हे जब आप एसी परिस्थिति मे आपने मन को शांत रखे.

जो अपने मन पे काबू पा लेता हे तो वो दुनियाकी किसी भी चीज़ या घटना या मुस्केली उसको हरा नहीं पाती. एसे बहोत सारे महान व्यक्ति हमारे बिच एक उदाहरन हे –

1. J.K. Rowling – Famous author of Harry Potter

2. Steve Jobs – Founder of Apple Company

3. Bill Gates – C0 - Founder of Microsoft Company

4. Albert Einstein - Theoretical Physicist

5. Walt Disney – American Entrepreneur

ये सारे महान व्यक्ति अपनी ज़िन्दगी मे अपने क्षेत्र मे कही बार निष्फल हो चुके होंगे. यदि वे उस समय हार कर बेठ गए होते क्या हम आज उनको पहेचान पाते? नहीं. उन्होंने कभी हार नहीं मानी. उन्होंने अपने मन पे काबू पाया ओर फिर से शुरुआत की ओर एक मुकाम हासिल किया.

वेसे ही हमें भी आपने जीवन मे कुछ ऐसे कार्य करने चाहिए जिसमे हमारा कोई स्वार्थ न छुपा हो. बिना स्वार्थ के की गई मदद जीवन मे कभी भी हमें हमारे मुस्केली के दोहरान काम आती हे. ओर वे कब हमें मदद करके चली जाती हे हमें पता भी नहीं चलता.

हम सबको अपने जीवन मे एक प्रण जरुर लेना चाहिये की हर रोज मे किसी जरुरत मंद इंशान की मदद करूँगा वो भी बिना कुछ स्वार्थ के. अगर ये [प्रण अपने जीवन मे उतार लोगे तो इश्वर आपके कठिन समय मे आपको कभी अकेला नहीं छोड़ता ओर वे किसीना किसी रूप मे हमारी मदद करने आ जाते हे. ओर कभी किसी की मदद करके देखो मन को बहोत शांति मिलेगी. पुरे दिन की थकान पलभर मे विलीन हो जाएगी. मेरी बात पे सोच विचार जरुर करना....... !!!!

ये तो मेने शिर्फ़ एक ही प्रकार के तनाव की बात की. ऐसे बहोत सारे तनाव के भी प्रकार हे जो हम किसीना किसी तरीके से उसका सामना करते हे. आयेइए उसके बारेमे ओर जानकारी प्राप्त करे –

कुल ९ तरह के तनाव के प्रकार हे :

1. Major depression

2. Persistent depression

3. Bipolar disorder

4. Depressive psychosis

5. Perinatal depression

6. PMDD

7. Seasonal depression

8. Situational depression

9. Atypical depression

10. Diagnosis

Major depression:

People with major depression experience symptoms most of the day, every day. Like many mental health conditions, it has little to do with what’s happening around you. You can have a loving family, tons of friends, and a dream job. You can have the kind of life that others envy and still have depression.

Even if there’s no obvious reason for your depression, that doesn’t mean it’s not real or that you can simply tough it out.

It’s a severe form of depression that causes symptoms such as:

· despondency, gloom, or grief

· difficulty sleeping or sleeping too much

· lack of energy and fatigue

· loss of appetite or overeating

· unexplained aches and pains

· loss of interest in formerly pleasurable activities

· lack of concentration, memory problems, and inability to make decisions

· feelings of worthlessness or hopelessness

· constant worry and anxiety

· thoughts of death, self-harm, or suicide

Persistent depression

Persistent depressive disorder is depression that lasts for two years or more. It’s also called dysthymia or chronic depression. Persistent depression might not feel as intense as major depression, but it can still strain relationships and make daily tasks difficult.

Some symptoms of persistent depression include:

· deep sadness or hopelessness

· low self-esteem or feelings of inadequacy

· lack of interest in things you once enjoyed

· appetite changes

· changes to sleep patterns or low energy

· concentration and memory problems

· difficulty functioning at school or work

· inability to feel joy, even at happy occasions

· social withdrawal

Bipolar disorder

Manic depression consists of periods of mania or hypomania, where you feel very happy, alternating with episodes of depression. Manic depression is an outdated name for bipolar disorder.

In order to be diagnosed with bipolar I disorder, you have to experience an episode of mania that lasts for seven days, or less if hospitalization is required. You may experience a depressive episode before or following the manic episode.

Depressive episodes have the same symptoms as major depression, including:

· feelings of sadness or emptiness

· lack of energy

· fatigue

· sleep problems

· trouble concentrating

· decreased activity

· loss of interest in formerly enjoyable activities

· suicidal thoughts

Signs of a manic phase include:

· high energy

· reduced sleep

· irritability

· racing thoughts and speech

· grandiose thinking

· increased self-esteem and confidence

· unusual, risky, and self-destructive behaviour

· feeling elated, “high,” or euphoric

Depressive psychosis

Some people with major depression also go through periods of losing touch with reality. This is known as psychosis, which can involve hallucinations and delusions. Experiencing both of these together is known clinically as major depressive disorder with psychotic features. However, some providers still refer to this phenomenon as depressive psychosis or psychotic depression.

Hallucinations are when you see, hear, smell, taste, or feel things that aren’t really there. An example of this would be hearing voices or seeing people who aren’t present. A delusion is a closely held belief that’s clearly false or doesn’t make sense. But to someone experiencing psychosis, all of these things are very real and true.

Depression with psychosis can cause physical symptoms as well, including problems sitting still or slowed physical movements.

Perinatal depression

which is clinically known as major depressive disorder with peripartum onset, occurs during pregnancy or within four weeks of childbirth. It’s often called postpartum depression. But that term only applies to depression after giving birth. Perinatal depression can occur while you’re pregnant.

Hormonal changes that happen during pregnancy and childbirth can trigger changes in the brain that lead to mood swings. The lack of sleep and physical discomfort that often accompanies pregnancy and having a new born doesn’t help, either.

Symptoms of perinatal depression can be as severe as those of major depression and include:

· sadness

· anxiety

· anger or rage

· exhaustion

· extreme worry about the baby‘s health and safety

· difficulty caring for yourself or the new baby

· thoughts of self-harm or harming the baby

Women who lack support or have had depression before are at increased risk of developing perinatal depression, but it can happen to anyone.

Premenstrual dysphoric disorder

Premenstrual dysphoric disorder (PMDD) is a severe form of premenstrual syndrome (PMS). While PMS symptoms can be both physical and psychological, PMDD symptoms tend to be mostly psychological.

These psychological symptoms are more severe than those associated with PMS. For example, some women might feel more emotional in the days leading up to their period. But someone with PMDD might experience a level of depression and sadness that gets in the way of day-to-day functions.

Other possible symptoms of PMDD include:

· cramps, bloating, and breast tenderness

· headaches

· joint and muscle pain

· sadness and despair

· irritability and anger

· extreme mood swings

· food cravings or binge eating

· panic attacks or anxiety

· lack of energy

· trouble focusing

· sleep problems

Seasonal depression

Seasonal depression, also called seasonal affective disorder and clinically known as major depressive disorder with seasonal pattern, is depression that’s related to certain seasons. For most people, it tends to happen during the winter months.

Symptoms often begin in the fall, as days start to get shorter, and continue through the winter. They include:

· social withdrawal

· increased need for sleep

· weight gain

· daily feelings of sadness, hopelessness, or unworthiness

Situational depression

clinically known as adjustment disorder with depressed mood, looks like major depression in many respects.

But it’s brought on by specific events or situations, such as:

· the death of a loved one

· a serious illness or other life-threatening event

· going through divorce or child custody issues

· being in emotionally or physically abusive relationships

· being unemployed or facing serious financial difficulties

· facing extensive legal troubles

Atypical depression

Atypical depression refers to depression that temporarily goes away in response to positive events. Your doctor might refer to it as major depressive disorder with atypical features.

Despite its name, atypical depression isn’t unusual or rare. It also doesn’t mean that it’s more or less serious than other types of depression.

Having atypical depression can be particularly challenging because you may not always “seem” depressed to others (or yourself). But it can also happen during an episode of major depression. It can occur with persistent depression as well.

Other symptoms of atypical depression can include:

· increased appetite and weight gain

· disordered eating

· poor body image

· sleeping much more than usual

· insomnia

· heaviness in your arms or legs that lasts an hour or more a day

· feelings of rejection and sensitivity to criticism

· assorted aches and pains

यह बात हुई तनाव के प्रकार की. आब आप ये सोचेंगे के की ये सब मे से आप कोनसे तनाव का सामना कर रहे हो? पर क्या सिर्फ ये जान लेने से आपका तनाव दूर हो जायेगा क्या? सोचो...!!

उत्तर है नहीं. आज हर कोई व्यक्ति किसीना किसी तनाव से गुज़र रहे है. उनको तनाव का कारण ओर रास्ता दोनों पता होने के बावजूद भी कभी कभी कई लोग उसमे से बहार निकल नहीं पाते. क्या आप उनमेसे एक है? यदि हां ... तो उसमेसे निकालने का रास्ता भी आज आपको मिल जायेगा.

घरेलू नुस्खे अपनाना- स्ट्रेस का इलाज करने का सबसे आसान तरीका घरेलू नुस्खे को अपनाना है।

इसके लिए एक्सराइज़ करना, पौष्टिक भोजन खाना, परिवार के साथ समय बिताना इत्यादि तरीके को अपनाया जा सकता है।

दवाई लेना- अक्सर, स्ट्रेस (Stress) का इलाज दवाई के द्वारा भी संभव है।

ये दवाई स्ट्रेस को बढ़ने से रोकने के साथ-साथ इसे कम करने में सहायक साबित होती हैं।

सप्लीमेंट का सेवन करना- हालांकि, सप्लीमेंट को सेहत के लिए नुकसानदायक समझा जाता है, लेकिन यदि इसका सेवन पर्याप्त मात्रा में किया जाए तो यह काफी सारी बीमारियों का इलाज करने में सहायक साबित हो सकता है।

यह बात स्ट्रेस पर भी लागू होती है इसलिए स्ट्रेस का इलाज सप्लीमेंट का सेवन करके किया जा सकता है।

योगा करना- चूंकि, स्ट्रेस (Stress) का सीधा असर व्यक्ति के मस्तिष्क पर पड़ता है, इसलिए इसका इलाज योगा के द्वारा किया जा सकता है।

इस स्थिति में ध्यान लगाना बेहतर विकल्प साबित हो सकता है, जो स्ट्रेस से पीड़ित लोगों के दिमाग को शांत करने का काम करता है।

मनोवैज्ञानिक से मिलना- यदि स्ट्रेस (Stress) का इलाज किसी भी तरीके से नहीं हो, तब मनोवैज्ञानिक से मिलना ही एकमात्र विकल्प बचता है।

मनोवैज्ञानिक स्ट्रेस से पीड़ित लोगों से बात करके स्ट्रेस को दूर करने की कोशिश कर सकते हैं।

किसी भी व्यक्ति के लिए अधिक स्ट्रेस लेना काफी नुकसानदायक साबित हो सकता है, जिसका असर उसके साथ-साथ उसके प्रियजनों पर भी पड़ता है।

इसके बावजूद, राहत की बात यह है कि यदि वह थोड़ी सावधानी बरते, तो वह स्ट्रेस की रोकथाम आसानी से कर सकता है।

अत: यदि कोई व्यक्ति इन 5 तरीके को अपनाए तो वह स्ट्रेस (Stress) से अपनी रक्षा आसानी से कर सकता है-

सकारात्मक सोच रखना- हम सभी लोगों की ज़िदगियों में मुसीबतें आती ही हैं।

इसी कारण, हमें उन्हें मजबूती से सामना करना चाहिए और हमेशा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए।

ऐसा स्ट्रेस की स्थिति में भी देखने को मिलता है इसलिए स्ट्रेस की रोकथाम में सकारात्मक सोच रखना कारगर उपाय साबित हो सकता है।

अपनी कमज़ोरियों को स्वीकार करना- जितना जरूरी अपनी क्षमताओं को पहचानना जरूरी है उतनी ही जरूरी अपनी कमज़ोरियों को भी स्वीकार करना है।

ऐसा करने से हम बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं और स्ट्रेस (Stress) जैसी समस्याओं से बच सकते हैं।

योगा या एक्सराइज़ करना- यदि कोई व्यक्ति हर रोज़ योगा या एक्सराइज़ करता है, तो उसे स्ट्रेस जैसी समस्याओं के होने की संभावना काफी कम रहती है।

इस प्रकार, स्ट्रेस की रोकथाम में इन गतिविधियों को करना लाभकारी साबित हो सकता है।

हेल्थी डाइट अपनाना- ऐसा माना जाता है कि हमारे खान-पान का असर अपनी सेहत पर काफी गहरा पड़ता है।

यह बात स्ट्रेस पर भी लागू होती है, इसलिए हमें हेल्थी डाइट अपनानी चाहिए ताकि हमारा मस्तिष्क स्ट्रेस को काबू करने में सफल हो सके।

दोस्तों या परिवार के साथ अधिक-से-अधिक समय बीताना– स्ट्रेस (Stress) जैसी मानसिक रोग मुख्य रूप से अकेलेपन का नतीजा होते हैं।

इसी कारण, हमें अपने दोस्तों या परिवार के साथ अधिक-से-अधिक समय बीताना चाहिए ताकि हमारे मन में नकारात्मक विचार न आएं।

हमारे समाज की यह कड़वी सच्चाई है कि यहां पर मानसिक रोग को तवज्जो नहीं दिया जाता है, बल्कि इसे भम्र या नाटक कहकर मज़ाक समझा जाता है।

हमारे इसी रवैये की वजह से काफी सारे लोगों को असहनीय दुख से गुजरना पड़ता है।

ऐसा स्ट्रेस या तनाव के साथ भी देखने को मिलता है और इसे व्यक्ति की कमज़ोरी से जोड़कर देखा जाता है।

इसके बावजूद, राहत की बात यह है कि अभी यह तस्वीर काफी हद तक बदल रही है, विश्व स्तर पर लोगों में स्ट्रेस को लेकर जागरूकता को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।

इसी कारण, हर साल 2 नवंबर – 6 नवंबर को विश्व तनाव जागरूकता सप्ताह (world stress awareness week) के रूप में मनाया जाता है।

इसके अलावा, हमें भी अपने स्तर पर स्ट्रेस से जुड़ी जानकारी लोगों को देनी चाहिए ताकि वे अपना इलाज सही तरीके से करा सकें।

इस प्रकार मुझे उम्मीद है कि इस लेख को पढ़ने के बाद लोगों का स्ट्रेस (Stress) या तनाव के प्रति नज़रिया बदलेगा और वे अब इसे गंभीरता से लेगें।