वेदवाणी - 2 Aastha Rawat द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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वेदवाणी - 2

अखबार में इस्तेहार देखते ही देवयानी के मुख पर मुस्कान सी खिल गई

परन्तु
मुस्कान साथ एक दुख भी था। जो दुख अपनी बेटी की विदाई के बारे में सोच हर मां के मन मे उत्पन्न है जाता हैं।
वह क्षण भर के लिए हवेली कि दीवारों में गूंजती रौनक। को
महसूस करने लगी जो वाणी के होने से घर के कोने कोने में है।


भैया बस यहीं पर रोक दो।

जी
दीदी

वाणी , आप घर
चले जाना मुुझे आज ज्यादा टाइम लगेगा।

ड्राईवर , नहीं नहीं दीदी मालकिन ने बोला है। आप को साथ लेकर ही आए।
वाणी -मां भी ना
चलो ठीक है।

हे वााणी

दिशा
हाए दिशा
हाउ आर यू

दििशा - आई एम् फाइन स्वीटहार्ट
वाणी फिर तुमने शॉपिंग के बारे में क्या सोचा है।
यू आर रेडी

वाणी - स्योर जरूर चलेंगे पर में कोलेज बंक नहीं करने वाली हा

में कॉलेज के बाद ही चलूंगी

दिशा -
ग्रेट तू कॉलेज जा में तो तब तक केंटीन में वेट करूंगी।

वाणी -ओके।

वाणी कॉलेज खत्म होने के बाद केंटीन में आती है।
वाणी -ओ गॉड ये दिशा कहां चली गई

फोन ट्राई करती हूं सिट ये फोन भी नहीं लग रहा।
यही वेट करती हूं।

तभी वाणी की सामने वाली कुर्सी में एक लड़का बैठ जाता है।

वेटर - टू कॉफी

हे स्वीट गर्ल व्हाट स् योर नेम ?

वाणी उसे एगनोर करती है ओर दिशा का फोन ट्राई करती है

वो लड़का आशोभनिय व्यवहार करते हुए एक बार फिर जोर से बोलता है

तुमने सुना नहीं मैने पूछा तुम्हारा नाम क्या है ।

वाणी क्रोध मे आ जाती है। पर अपने गुस्से पर काबू करते हुए वह वहां से जाना ही उचित समझती हैं।

वाणी उठने ही वाली होती है कि लड़का उसका हाथ पकड़ लेता है।


वाणी छोड़ो मेरा हाथ तुमने सुना नही।

केंटीन में सब उन्हें है देखने लगते है

छोड़ो हाथ।
लड़का, तुम जानती नहीं हो में कौन हूं एक बार जिस चीज को पसंद कर लू उ से पा के ही रहता हूं।

तुम छोड़ते हो या फिर

लड़का -क्या कर लेगी हां

वाणी उसे एक जोरदार थप्पड़ जड़ देती है।

थप्पड़ पड़ते ही वह वाणी का हाथ छोड़ देता है।

वाणी - लातो के भूत बातों से नहीं मानते।
एक अकेली लड़की को देखकर बत्तमिजी पर उतर आए।
औरतो की इज्जत करना सीखो

लड़का वाणी को क्रोध भरी नजरों से देखता है ।
वाणी अपना पर्स उठाती है। और बिना किसी कि परवाह किए वहां से बाहर निकल आती गई।

पूरा मूड ख़राब कर दिया बत्तमिज

वाणी वाणी
पीछे देखो

वाणी पीछे देखती है ।
उसकी सारी कॉलेज फ्रेंड्स ।

प्रिया -वाउ वाणी आज तो तुम्हे इजाजत मिल ही गई।

वाणी -हं

दिशा - यार वाणी तेरा मूड इतना अपडेट सा क्यों लग रहा है यार। कुछ हुआ क्या

वाणी - हा
मेरे साथ बहुत बुरा हुआ।

दिशा -क्या हुआ।

वाणी - मेरी एक पागल फ्रेंड मुझे केंटीन में बुलाकर यहां सैर सपाटा कर रही थी और तो ओर मेरा फ़ोन भी नहीं उठा रही थी

दिशा -ओ माई गॉड वाणी तू भी ना ।

हम तो डर ही गए थे। मेरे फोन में चार्ज नहीं है इसीलिए स्विचऑफ हुए पड़ा है।

चल अब देर ना हो जाए इससे पहले निकलते है मार्केट।

वाणी -ओके

वाणी मन में सोचती है ठीक हुए मैने इं लोगो को कुछ नहीं बताया वरना ये सब तो उस लड़के जान लेने पर आमादा हो जाती।

और फिर हमसब होते जेल में।

चलो अब को हो गया सो हो गया अब टेंशन लेने से क्या फायदा।

हे वाणी कहां खो गई अपने लिए ड्रेस तो पसंद कर ले

वाणी हा दिशा

पूरी शॉपिंग करने के बाद वाणी पिताजी के आने से पहले ही घर लौट जाती है

वाणी -मां देखो ना में क्या- क्या लाई हूं।

वाह बेटा कपडे तो बहुत सुंदर है।

हे ना मां मुझे भी पहली नज़र में ही पसंद आ गई थी।

बेटा कुछ परेशान परेशान लग रही हो कुछ हुआ क्या


नहीं मां

बेटा मा से कुछ नहीं छुपता बताओ क्या हुआ

वाणी -नहीं मां थोड़ी थकान थी ना इसलिए सर दर्द हो रहा है

सर दर्द हो रहा है बेटा पहले से बताना चाहिए था रुको
मैं तुम्हारा सर दबा देती हूं सर दर्द गायब हो जाएगा।

ओके मां।

दीदी ठकुराईन आपको बुला रही है खाने के लिए।

ठीक है भोला तुम चलो में आती हूं।

अगले भाग में -