वेदवाणी - 3 Aastha Rawat द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

वेदवाणी - 3

आओ बेटा
बैठो भोजन करलो फिर जल्दी सो जाना
सर मैं दर्द है ना

हा मां

आप भी खा लिजिए ना मां

ना ना बेटा तू तो जानती है
तुम्हारे पिताजी अभी लौटे नहीं है।

ठीक है मां हम चलते है बहुत नींद आ रही है
देवयानी - ठीक है बेटा तुम सो जाओ ।

गुड नाईट मॉम

शुभ रात्रि बेटा

देवयानी -आज इतनी देर हो गई कहां रह गए ये।

गाड़ी का हॉर्न बजता है
और देवयानी कुर्सी पर से खड़ी हो जाती हैं।
लगता है आ गए।
रामू रामू सुनो द्वार खोल दो मालिक आ गए


नौकर द्वार खोलते है और देवयानी एक आदर्श पत्नी जैसे

पति के स्वागत में द्वार पर खड़ी मार्ग तकती है।

ठाकुर साहब - गाड़ी से बाहर उतारते है
उनकी चाल में मर्यादा, शान संस्कार और खानदानी अंदाज़ खूब झलकता है ।

वे हवेली मे अन्दर प्रवेश करते हैं।

ठाकुर साहब - चाहे हमे कितनी भी देर हो जाए आज भी आप हमारा इंतजार करना नहीं भूलती।

देवयानी , कैसे भूलते इतने सालो मे आप रोज हम से यही प्रश्न करते है
और रोज आपको एक ही उत्तर प्राप्त होता हैं।

ठाकुर साहब - क्या मनुस्य कभी सांस लेना भूल सकता है ।
चिड़िया चेहचहना भूल सकती है। तो हम कैसे अपना धर्म भूल जाते
अब तो आप के जबाव और आप हमारी आदत ही बन गए है।


ठकुराइन। मंद मुस्कुराहट के साथ
ठाकुर साहब के चरण पखारती है।

ओर हाथ साफ करवाती है ठाकुर साहब रेशमी रुमाल से हाथ पोछ कर मंदिर की ओर जाते है।

ठाकुर साहब और देवयानी हाथ जोड़कर मूक प्राथना करते

और उसके बाद खाने की टेबल कि और चले देते है ।


वार्षिक पूजा की तैयारियां कैसी चल रही है
देवयानी भोजन परोसते हुए कहती हैं।


हर वर्ष की तरह ही इस वर्ष भी भव्य समारोह होगा ।
पूजा से पूर्व ब्रामणो को दान दिया जाएगा पूर्वजों के नाम पर सोने चांदी का दान भी किया जाएगा ।


और
पूजा के लिए हमने पंडितो भी आमंत्रित कर दिया गया है।

ऐसा भव्य आयोजन होगा कि सब देखते रह जाएंगे ।

देवयानी - ठाकुर साहब के हाथ साफ करवाती हैं।


चलिए हमारा खाना हो गया ।

आप भी भोजन कर लीजिए ।

देवयानी , जी।



देवयानी भोजन करके कमरे में पहुंचती है।

ठाकुर साहब बिस्तर पर बैठे कागजात टटोल रहे थे।

देवयानी - सुनिए आज पण्डित जी आए थे लिफाफा देकर गए है।


देवयानी आलमारी से ठाकुर साहब को लिफाफा देती हैं।
और फिर उनके सामने बैठ जाती हैं।

देवयानी- क्या है इसमें ?

ठाकुर साहब - कुछ खानदानी लडको का विवरण मंगवाया था ।
अपनी वाणी बिटिया के लिए।

ये देखिए ये किशन कान्त जी का बड़ा पुत्र ऋतुराज
पिता का पूरा व्यापार यही सभालता है।

और ये देखिए यासोधर राजपूत ये राजपूतों की करोड़ों कि संपति का अकेला मालिक है
मुझे तो ये बहुत पसंद है ।

देवयानी - पर क्या हमारी वाणी को पसंद आयेगा।

ठाकुर साहब - आप ऐसा क्यो कहती है। क्यो नही आएगा।

ठाकुर साहब खड़े हो जाते है।

लड़का खानदानी है । घर परिवार से सम्पन्न है रूप दर्शन अच्छा है।
देवयानी - पर लड़के के स्वभाव वाणी की पसंद का क्या।

ठाकुर साहब - हम अपनी बेटी को जानते है हम जिस लड़के की तरफ उंगली कर देंगे वहीं हमारी बेटी की पसंद में तब्दील हो जाएगा ।
वाणी तो अभी बच्ची है उसे अभी अच्छे बुरे की खबर कहां।

और रही बात लड़को के स्वभाव , गुणों विचारो की
तो ये तो पूरी दुनिया जानती है जितना बड़ा खानदान उतने अच्छे गुण।

देवयानी- क्षमा कीजयेगा पर नंदिनी का विवाह भी तो आपने खानदान के अनुसार ही किया था ना।

देवयानी!
ठाकुर साहब
क्रोधवश ठकुराइन पर चिल्लाते है

नंदिनी अपने बसे बसाए घर में खुश है दामाद जी अच्छा कमाते है।

तो आप ।
क्या नंदिनी ने कभी आपसे कोई परेशानी साझा की है
आप नहीं जानती ना उनकी निजी जिंदगी किस प्रकार चल रही है।
वैसे भी पति पत्नी के मध्य तो कभी कभी मतभेद हो है जाता है। जिससे उनका प्रेम और गहरा होता है ।
ये तो आप भी जानती है।

देवयानी - में जानती हूं और शायद यह भी जानती हूं कि वह अपनी परेशानी क्यो छुपा जाती है।
बेटी है ना
अपने पिता की पसंद पर पूरा भरोसा करती है ।

पर क्या करू बच्चे को दुख मां को महसूस हो जाता है।
ठाकुर साहब चुप चाप पलंग के सीराने पर बैठ जाते हैं।
देवयानी कमरे से बाहर निकल जाती है।



कुछ समय बाद देवयानी हाथ में पानी के जग और आंखों ने नमी के साथ कमरे में प्रवेश करती है

देवयानी - रात बहुत हो गई है । अपनी दवाइयां ले लीजिए और सो जाईए।

ठाकुर साहब दवाई लेकर सो जाते है।



अगले दिन-

देवयानी एक प्रकार से ठाकुर साहब की आदत थी ठाकुर साहब का कोई भी दिन ठकुराइन का नाम लिए बिन या उनसे बात किए बिन आरंभ ही नहीं होता।
और उनका पुत्री प्रेम भी अद्भुत था।

इसीलिए वह हर बार की तरह रात की बात भूलते हुए
हर रोज नई शुरुवात करते थे।

देवयानी कमरे में आरती की थाली लेकर आती है।

और ठाकुर साहब को आरती देती है ।

ठाकुर साहब ने आरती लेते हुए कहा

सुनिए हम सोच रहे है । कुछ लड़कों की फोटो में से वाणी
अपनी पसंद का चयन स्वयं कर सकती है।

देवयानी के मुख पर मुस्कान खिल गई

ठाकुर साहब - अब तो आप खुश है ना

देवयानी -जी आपने हमारी बात समझी
धन्यवाद


अगले भाग में-