अनैतिक - ११ suraj sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अनैतिक - ११

तभी अंकल ने कहा, चल जाने दे, तू तो नहीं आया, हम ही आ गये, आजा साथ में खाना खाते है..

अंकल मै टी शर्ट पहन कर आता बोलकर मै जैसे ही मुडा...पीछे से आवाज़ आई ...

बेटा जब तू छोटा था न करीबन १ साल का तब से हम तुझे नंगा देखा करते थे अब तो बहोत बड़ा हो गया, चल आजा कोई बात नहीं...सब जोरो से हँसने लगे पर ये बात सुनकर मुझे अन्दर से इतनी शर्मिंदगी महसुस हुई पर कुछ कर भी नहीं बोल सकता था, बात तो उनकी सही थी..इसिलए मुझे दूसरा बहाना बताना पड़ा..

हाँ अंकल, अभी उठा ना ब्रश करके आता हूँ तब तक आप लोग शुरू करो...और मै जल्दी से रूम में आ गया... मैंने आने के पहले एक नज़र सबकी ओर देखा सब मुझे ही देख रहे थे, मेरी नज़र पर कशिश पर पड़ी वो मुझे अब अलग ही नज़रो से देख रही थी.

मैं जल्दी से तयार हुआ और बाहर आकर सबके साथ बैठ गया...

अंकल ने पूछा, ये क्या टैटू बनाया है तूने, दर्द नही होता क्या?

नहीं अंकल, बिलकुल भी दर्द नहीं देता..

कैसी चल रही तेरी जॉब?

जॉब तो अच्छी है पर घर से इतने दूर रहना, मै पूरा बोलने के पहले ही पापा ने कहा

इसीलिए कहता था छोड़ दे नौकरी, और आजा यहाँ कोई जॉब देख ले, जॉब नहीं भी करना है तो इतना बड़ा खेत है वो संभल ले..

हाँ बेटा, तेरे पापा सही बोल रहे, अंकल ने कहा

नहीं अंकल मुझे खुदसे कुछ करना है और वैसे भी मेरा अग्रीमेंट है तो बिचमे नहीं छोड़ सकता..

फिर हमने बाते करते करते खाना शुरू किया, तभी रीना की माँ ने ऐसी बात कही की मुझे फिर एक बार शरम आ गयी..

रोनी, बेटा मै तो मेरी बेटी की शादी तुझसे ही कराने वाली थी पर तू तो इतने दूर चला गया..और फिर सब हँसने लगे ..पर रीना और मै दोनों ही शर्म से लाल हो रहे थे

मुझे समझ नही आ रहा था की क्या बात करू मैंने बात बदल दी,

हाँ तो निकेत भैया(रीना के बड़े भाई), कैसा चल रहा आपका काम?

लॉकडाउन के वजह से सब बंद हुआ पड़ा है यार..

मै बिलकुल उनके बगल वाली चेयर पर बैठा था, उन्होंने जैसे ही अपना मुह खोला, मुझे बियर की स्मेल आने लगी, मै समझ गया भैय्या मज़े में है इसीलिए आगे पूछना बेकार है ..हाँ वैसे मै उनसे ये ज़रूर पूछना चाहता था की लॉकडाउन में उन्हें बियर मिली कहा से? पर खैर कोई मतलब नहीं था ये बात का और तभी..

कितना अच्छा दिखने लगा है तू और बाल क्यों बड़ा दिए, दाढ़ी देख अपनी, शेव वैगेरे करा कर..रीना की मम्मी ने कहा..

मुझे मेरी माँ पर अन्दर गुस्सा तो था ही अब मैंने भी ऐसी बात बोली की माँ को गुस्सा आ जाये, पर मुझे नहीं पता था की इसका असर कशिश पर होगा ...

आजकल फैशन है न आंटी, जर्मनी लड़कियों को लम्बे बाल और दाढ़ी बहोत अच्छी लगती है ..सब जैसे हस पड़े पर माँ गुस्से में आ गयी ...

क्या? क्या बोला तू? तो तू वह लड़कियां देखता है, इसीलिए शादी नहीं ही की अबतक...

पापा ने कहा, 'अरे वो मजाक कर रहा है...और हम सब हँस पड़े, सबको पता था माँ मुझसे कितना प्यार करती, अगर मै उन्हें बताये बिना कुछ भी करता तो वो बहोत नाराज़ हो जाती थी पर मैंने कशिश की ओर देखा वो मुझे ही देख रही थी...

तभी रीना की माँ ने कहा, 'सॉरी बेटा तुम्हे नही बुला सकते थे दोनों शादियों(रीना की और उसके भाई की)में, दोनों भी शादी जल्दी में करनी पड़ी..

नहीं कोई बात आंटी, मै समझ सकता हूँ, कह तो दिया मैंने ऐसा पर मुझे ये पता ही नहीं था की क्यों जल्दी में करनी पड़ी? फिर सोचा अभी पूछना अच्छा नहीं लगेगा बादमे माँ को पुछ लेता हूँ...तभी धीरे से एक और आवाज़ आईं,

तुम कब करोगे शादी?...नज़ारे उठाने की ज़रूरत ही नहीं थी मुझे पता था ये सवाल कौन पूछ रहा है..

क्या माँ? कुछ कहा आपने...सुना नहीं मैंने...

कब कर रहे हो शादी, अंकल ने कहा..

बस लड़की देख रखी है अब वापस जाकर करनी है फिर माँ पापा को वही बुला लूँगा, वैसे मैंने पापा से बात करायी है उस लड़की की..

पापा फिर समझ गये की मै मजाक कर रहा पर माँ का चेहरा लाल हो गया,

तभी आंटी ने कहा, 'क्यों मजाक करता बेटा तेरे माँ के साथ, बहोत प्यार करती है वो तुझे...तुझे पता है जैसे तू और रीना बचपन से दोसत है वैसे ही तेरी माँ और मै हम दोनों बचपन से साथ है...

क्या? मै और रीना दोनों ने एक साथ कहा...आजतक हमें ये बात पता नहीं थी..पर आंटी ने मुह बंद कर लिया शायद उन्हें लगा हो उन्होंने कुछ ऐसी बात बताई जो नही बतानी चाहिए थी पर पता तो चल गयी अब कहा हम इतने आसानी से बात छोड़ने वाले थे..