वेदवाणी - 1 Aastha Rawat द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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वेदवाणी - 1

🙏 नमस्कार 🙏
में आस्था रावत ऐसी कहानी लेकर आयी हूं ।
जो प्रेम का मार्मिक रुप प्रदर्शित करती है । और साथ में दिल छू लेने वाली है।

प्रेम क्या है प्रेम वो अमृत है जो जितना बांटे दुगना वापस मिलता है।
पर आजकल कि जनरेशन का प्रेम केवल सोशल मीडिया के लिए है। जिसमे प्रेमी प्रेमिका को उपहार देता है प्रेमिका फोटो सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करती है। और इस बंधन को नाम दिया गर्लफ्रेंड एंड बॉयफ्रेड । और तो और इस रिश्ते की सार्वजनिक घोषणा की जाती है फेसबुक पर रिलेशनशिप या फिर सिंगल।
इसी मनोरंजन में हम अपने अपनों को भूलते जाते है ।
अपने माता पिता जिन्होंने हमे पाल पोश कर इतना बड़ा किया उन्हें अपना ही दुसमन समझ बैठते है।
यह तो सच में प्रेम का अपमान है। प्रेम का सच्चा अर्थ संसार से लड़ना या डरना नहीं है। बल्कि आप अपने प्रेम को प्रेमपूर्ण तरीके से पाना है अपने माता पिता का दिल तोड़ने की नहीं बल्कि जीतने की आवश्यकता है सच्चा प्रेम कभी आपके प्रियजनों का दिल तोड़ने वाला कार्य नहीं बल्कि जीतने की कोशिश करेगा (मेरी नजर में )
वेदवाणी

भोर का समय, सीढ़ियां चढ़ते हुए देवयानी उपर वाले माले में जा रही थी। तभी खराटो की आवाज़ सुनते ही आग बबूला होकर सामने वाले कमरे में घुस पड़ी।

, हे भगवान जितना समझाओ इस लड़की को इसे समझ ही नहीं आता
वाणी ओ वाणी ...
देवयानी वाणी के ऊपर से कंबल हता देती है

आंखे खोलते हुए वाणी बोलती है अरे मां क्या करती हो।
इतनी ठंड में कंबल क्यो हटा दिया ।
देवयानी , बेटा भोर हो गई है सूरज चढ़ आया है। अब उठो ससुराल में भी यही आदत लेके गई ना बेटा
तो सास ससुर वापस मायके भेज देगे हा कही देते है
देवयानी कुर्सी पर धुले कपड़ों को ढेर देख उन्हें तय करने लगती है।

अच्छा तो है ना मां वाणी ने उबासी लेते हुए कहा
मायके वापस आ गए तो इस से अच्छा क्या होगा हमारे लिए ह ह
चुप कर सुबह सुबह लोग भगवान का नाम लेते है ये कैसी बातें कर रही है राम राम राम
कब समझेगी है भगवान नाक कटवायेगी ये लड़की

वाणी का मुख मां को देख एक भोली सी मुस्कान से खिल जाता है
वाणी बिस्तर से उतरकर कुर्सी पर बैठी मां के कंधे पर सर टिकाकर दोनों हाथो से मां का आलिंगन करती है।

और फिर कहती है
अरे मेरी भोली मां रही भगवान का नाम लेने की बात
में तो रोज सुबह तुम्हे ही पुकारती हूं। तुम्हारे ही दर्शन करती हूं।

तुम से बड़ा भगवान हमारे लिए कोई है भला

अच्छा और है बेटा तुम से अच्छा मस्का लगा सकता है कोई भला।
मां, में मस्का कहा मार रही हूं ?
तो बेटा मैं भी मजाक ही कर रही हूं

वैसे मां मां फ्रेंड्स ने प्लेन बनाया था

देवयानी , कैसा प्लेन

कि की कोलेज के बाद सोपिंग करने चलते है। मैने नहीं फ्रेंड्स का प्लेन था तो जाऊ ना

हम्म चली जाना पर पिताजी के घर लौटने से पहले आ जाना बेटा।
मेरी प्यारी मा ।

थैंक्यू थैंक्यू सो मच मां

बोलते हुए वाणी नहाने चली जाती है।

🕉️ वाणी ठाकुर 🕉️
लड़की की आयु पच्चीस वर्ष
रंग गोरा
और ठाकुर खानदान
पंडितजी वाणी की फ़ोटो के पीछे लिखते है
ठाकुर साहब लड़की का परिचय पाते ही हजारों लड़के

खड़े मिलेंगे

ठाकुर साहब , हमे लड़का ही नहीं उसका खानदान भी अपनी बराबरी का चाहिए पण्डित जी।

पण्डित , आवश्य यजमान।
जल्द ही मिलना होगा आज्ञा दीजिए।

पण्डित जी हमारी हवेली से कभी कोई खाली हाथ नहीं जाता और पण्डित ना ना स्याम

ठाकुर साहब की एक आवाज़ पर नोकर आता है ठाकुर साहब को मिस्ठान ओर वस्त्रों के कुछ डिब्बे देता है ये लीजिए पंडितजी ।

पण्डित जी को तो मानो इसी पल का इंत जार था।
अवश्य यजमान।
अब आज्ञा दीजिए
प्रणाम
ठाकुर साहब, प्रणाम



देवयानी पूजा घर में पूजा करती है । ओर फिर सबको आरती देकर अपने अपने कामों के लिए रवाना करती है।

ठाकुर साहब, देवयानी जी चलते हैं आज हमे काम के सिलसले में वकील साहब से मिलने भी जाना है।

देवयानी , जी आपका दिन मंगलमय हो।


वाणी, मां में भी निकलती हूं ok

देवयानी देखो वाणी मैने तुम्हे इजाजत तो से दी है पर है अपने पिताजी के आने से पहले आ जाना उन्हें प्ता चला तो उनका गुस्सा तो जानती हो ना तुम।
है मां आ जाऊंगी चली अभी चलती हूं bye भैया गाड़ी निकालो।



ठाकुर साहब उज्जैन के जाने माने व्यक्तित्व में से एक हैं। ठाकुर खानदान एक नामचीन खानदान है जिससे उन्हें विरासत में मिले उनके संस्कार उनकी परमपराएं
उनकी शान शौकत
धर्मपत्नी श्रीमती देवयानी ठाकुर एक कुशल ग्रहणी है। ओर साथ साथ दो पुत्रियों की मां भी है । नंदिनी ओर वाणी।
ठाकुर परिवार की परम्पराओं में से एक है वार्षिक पूजा उत्सव जिस कारणवश ठाकुर परिवार अपने निवास स्थान में आपको आमंत्रित करता है।

अख़बार में इस्तेहर पढ़ते ही देवयानी खुश हो गई।

अगले भाग में -
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