अध्याय - 23
अब वो थोड़ी चितिंत हो गयी थी कि किस तरह अनुज को मनाएगी। वो तैयार हुई और कॉलेज के लिए निकल गयी। आज तो कॉलेज में उसके आने की संभावना ही नहीं क्योंकि उसकीं माँ हॉस्पिटलमें एडमिट थी, पर उसके बाद भी दो दिन तक अनुज जब कॉलेज में नहीं आया तो उसे चिंता होने लगी। उसने मधु को फोन लगाया।
हेलो मधु कहाँ हो और आंटी कैसी हैं ?
माँ ठीक हैं रमा और हम लोग अपने शहर आ गए हैं।
और अनुज ? वो यहाँ है कि वहाँ है।
वो भी यहीं है। पता नहीं कहाँ व्यस्त रहते है पर दो दिन से घर पर दिख नहीं रहे हैं।
तुम्हारे और भैया के बीच कुछ अनबन हुआ है क्या ?
हाँ थोड़ा बहुत। पर मुझे नहीं मालूम वो अगला कदम क्या उठाने वाला है ? क्योंकि अब वो मेरे एंटी हो गया है और उसको लगता है मैं झूठ बोल रही हूँ।
अरे अचानक इतना कुछ घट गया और तुमने मुझे बताया नहीं ?
हाँ मधु क्योंकि मुझे मालूम था कि तुम माँ की सेवा में लगी होगी इसलिए तुम्हें बताना ऊचित नहीं समझा। मैं साल्व कर लूँगी अपने प्राबलम्स, तुम चिंता मत करो। बस माँ का ध्यान रखो।
यह कहकर उसने फोन रख दिया।
इधर मधु को फोन रखते ही अनुज आता दिखाई दिया। उसके साथ वही लड़की दिखाई दी जिसे उसकी माँ पहले चाहती थी कि शादी इसी से हो।
हेलो मधु। अनुज मुस्कुराते हुए बोला।
हेलो भैया।
माँ कैसी है ?
अभी ठीक है भैया। ये आभा है ना ?
हाँ मधु हम साथ पढ़ते थे और अब मैंने डिसाइड किया है कि मैं आभा से शादी करूँगा। ये सुनकर मधु एकदम शाक्ड हो गई।
क्या ? क्या कहा आपने ?
तुमने ठीक सुना। मैंने आभा से शादी करने का फैसला ले लिया है, और सगाई मैं अपने कॉलेज में सबके सामने करना चाहता हूँ।
तुमने रमा से बात की ?
उसकी मैं आवश्यकता नहीं समझता।
और माँ से बात की ?
अभी कर लेता हूँ। आभा तुम यहीं बैठो मैं माँ से बात करके आता हूँ। कहकर वो अंदर चला गया।
माँ अब आपकी तबियत कैसी है ?
तुमने मुझे माँ कहा अनुज !!!
हाँ माँ।
अनीता देवी की आँखें गीली हो गई।
इधर आओ। उन्होंने अनुज को पास बुलाया और जब वो पास आया। अनीता देवी ने उसके गाल पर हाथ फेरा।
माँ अब मैं आपकी हर बात मानूंगा और आपकी पसंद की लड़की से शादी करूँगा।
पर तुम तो रमा को चाहते थे ना ?
हाँ माँ पर अब नहीं। अब मुझे उससे कोई मतलब नहीं। अब मैं अपना जीवन खुशी से जीऊँगा और अपना टाईम किसी और के पीछे बर्बाद नहीं करूँगा।
अब तुमने तय कर ही लिया है तो मैं कुछ नहीं बोलूँगी। जाओ खुश रहो। अनीता देवी ने कहा।
ठीक है माँ कॉलेज जाकर औपचारिकता के लिए सगाई करूँगा। बाद में आपके ठीक हो जाने के बाद बड़ी पार्टी कर लेंगे।
ठीक है बेटा।
ठीक है माँ मैं जाता हूँ आप आराम करिए। कहकर अनुज वहाँ से निकल गया।
अगले दिन अनुज आभा को लेकर कॉलेज चला आया। अपने चेंबर में लेकर बैठ गया फिर कालबेल बजाया।
जी सर ? चपरसी ने पूछा।
सभी को कहो कि कांफ्रेंस रूम में एकत्रित हां और ये लड्डू भी वहीं ले जाकर रख दो।
जी सर कहकर चपरासी सबको बुलाने चला गया।
तुम बैठो आभा। हम अभी चलते हैं।
अच्छा अनुज मुझे ये बताओ तुमने यहाँ क्यों सगाई करने की बात सोची, वो भी औपचारिक।
बस ऐसे ही, आखिर ये भी तो मेरा परिवार है ना ? इसिलए सोचा अपनी खुशी में इनको भी इनवाल्व कर लूँ।
अच्छा। ये तो अच्छी बात है चलो फिर चलतें हैं।
तभी चपरासी अंदर आकर बोला।
सर मैनं सब को बोल दिया है। पाँच मिनट में सब इकट्ठे हो जाऐंगे।
रमा अपने विभाग में चुपचाप बैठी थी तभी माला दौड़ते-दौड़ते अंदर आई।
अरे। माला। तुम दौड़ क्यों रही हो। आराम से भी आ सकती थी।
हाँ आ सकती थी पर बात ही कुछ ऐसी थी कि रहा नहीं गया और दौड़ पड़ी।
अच्छा बात क्या है बता ?
पहले तू बता तुमने मुझसे झूठ क्यों बोला ?
मैनें क्या झूठ बोला ?
कि अनुज सर की शादी हो गई है।
ओह !! अच्छा। उसके लिए सॉरी। तो उसमें क्या है अब बता देती हूँ कि उसकी शादी नहीं हुई है। तो क्या ?
तो ये कि आज उनके साथ एक लड़की भी आई है जिसके साथ सर सगाई कर रहे हैं।
क्या !!! ये सुनकर रमा सन्न रह गई।
क्या बोली तुम माला। फिर से बोलो ?
आज अनुज सर किसी लड़की के साथ सगाई कर रहें हैं, और उसके लिए हम सबको कांफ्रैंस रूम में बुला रहें हैं।
ये कौन नई कैरेक्टर आ गई हम दोनों के बीच में ? रमा मन में सोचने लगी। चलकर देखना चाहिए।
अच्छा चलो।
क्रमशः
मेरी अन्य तीन किताबे उड़ान, नमकीन चाय और मीता भी मातृभारती पर उपलब्ध है। कृपया पढ़कर समीक्षा अवश्य दे - भूपेंद्र कुलदीप।