मुकम्मल मोहब्बत - 16 Abha Yadav द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

मुकम्मल मोहब्बत - 16



मुकम्मल मोहब्बत -16


नैनी झील से घर वापस आते हुए ,मेरा मन भी अच्छा नहीं था. शायद ,मधुलिका की उदासी मेरे ऊपर हाबी हो गई थी. चहकने वाली चिड़िया अपने पंखों में सिमट जाये तो उसकी खैरियत की चिंता तो होगी ही.मुझे उसका इस मनस्थिति में अकेले घर जाना अच्छा नहीं लग रहा था.लेकिन, मुझमें इतना साहस न था कि मैं उसे घर छोड़ने की बात कह सकूं. कहीं उसकी ममा....


पहले ही वह बादल का दर्द सह रही है. मुझे लेकर कोई शंका उठी तो कैसे सह पायेगी. वैसे भी छोटी -छोटी बातों को लेकर इमोशनल हो जाती है.


शायद,उसे मेरी सहायता की जरूरत भी नहीं है. समझदार है.ऊँची-ऊँची बातें करती है. ख्यालात भी अच्छे हैं. सँभाल लेगी अपने आप को.


मैं उसे पहाड़ी की ओर जाते तब तक देखता रहा जब तक कि वह आँखों से ओझल नहीं हो गई.

उसके आँखों से ओझल होते ही मैंने एक गहरी सांस ली और वापस जोशी आंटी के घर चल दिया .

रास्ते भर मधुलिका मेरे दिमाग की स्क्रीन से डिलीट नहीं हुई. न जाने क्यूँ उसका उदास चेहरा मेरे सीने में चुभन पैदा कर रहा था-सदियां गुजर गई-जाति-पाति....ऊँच -नीच...गरीबि-रईसी.....दोस्ती और प्यार के रास्ते में आड़े आती रही है. और न जाने कब तक आती रहेगी....

विचारों में खोया हुआ कब जोशी आंटी के घर पहुंच गया ,पता ही नहीं लगा.

घर पहुंच कर मैने चेंज किया और बाशरूम मेंं घुस गया. करीब आधे घंटे तक शाबर लेने के बाद कुछ राहत महसूस हुई. बाशरूम से बाहर निकला तो जोशी आंटी चाय के लिए आवाज दे रही थीं. रूम मेंं पहुंच कर मैंने नाईट सूट पहना. बालों में कंघी करके चेहरा शीशे में देखा. इतनी देर शाबर लेने के बाद भी चेहरे पर थकान बाकी थी.


मैंने एक गहरी सांस ली और जोशी आंटी के बेडरूम की ओर चल दिया. जोशी आंटी अंकल के साथ बेडरूम में ही चाय लेती थी.


मैंने चेयर खीचीं और चाय का कप उठा लिया. प्लेट में गर्म-गर्म गुलगुले रखे थे. थकान होने पर मुझे स्वीट डिश अच्छी लगती है. गुलगुले देखकर मन खुश हो गया -"सच में,आंटी ,आज कुछ मीठा खाने का मन हो रहा था."


"हां,इसीलिए तुम्हारी आंटी ने चाय के साथ गुलगुले बना दिये "जोशी अंकल हँसकर बोले.

"लेकिन, आप तो यह खायेंगे नहीं."मैंने गुलगुला उठाते हुए कहा.

"बेटा, मैं तला हुआ नहीं खाता. आंटी बिस्किट लायी है, वही लूंगा."कहते हुए जोशी अंकल ने दो बिस्किट एक साथ उठा लिए.


"तुम्हारा काम कैसा चल रहा है?"जोशी आंटी ने अपना कप उठाते हुए पूँछा.


"ठीक चल रहा है, आंटी."


"ऐनी के लिए ही लिख रहे हो न!"अंकल ने अपना कप संभाल कर पकडते हुए पूँछा.


"जी."मैंने स्वीकृति में सिर हिलाया.


"बहुत अच्छी और मेहनती लड़की है.बालीवुड में नाम रोशन करेगी. वैसे एक ही बार मिला हूँ, उससे. उसके बाद वह इधर आयी ही नहीं."जोशी अंकल ने बिस्किट लेने के लिए हाथ बढ़ाया तो मैने प्लेट उनके पास रख दी.


"उधर उसका काम बहुत बढ़ गया है. इसलिए उसका मेरे साथ जाना नहीं हो पाता.'मैंने खाली कप टेवल पर रखते हुए कहा.



तीनों कप खाली होते ही आंटी ने पूँछा-"डिनर में क्या लोगे-पत्ता गोभी की सब्जी और पराठें या मूली की सब्जी के साथ रोटी."


"अंकल क्या खायेंगे?"

"मैं मूली की सब्जी औ रोटी लूंगा. तुम्हें जो खाना है बता दो.मेरे साथ परहेज का खाना किसलिए."जोशी अंकल स्नेह से बोले.



"बहुत दिनों से मूली की सब्जी नहीं खायी है.मैं भी मूली की सब्जी और रोटी लूँगा."मैंने स्पष्ट किया.


जोशी आंटी चाय के बर्तन लेकर किचेन में चली गई.

अंकल मेरे साथ मेरे और ऐनी के काम के बारे मेंं बात करते रहे.

दस बजे हम लोगों ने डिनर किया. डिनर के बाद मुझे काफी पीने की आदत है. आंटी एक कप काफी मेरे लिए ले आयीं. अंकल-आंटी को सोते समय दूध लेने की आदत है.


मैं काफी लेकर अपने रूम में चला आया.


क्रमशः