Incomplete dialogue books and stories free download online pdf in Hindi अधूरे संवाद ( अतुकांत ) (3) 1.8k 4.9k परिभाषाऐंसोचता हुँ आदर्श थोथे होते है विचार उबाऊ होते है धर्म बिकाऊ होते है पर नहीं ये शब्द नहीं ये जीवन है जीने वाला इन्हें ओढ़ता बिछाता है संजोता है संवारता है तोड़ता है मरोड़ता है परिभाषाए बदलता मै से ऊपर उठ कर सोचना छोड़ देता है छोड़ देता है इंसानियत तब ये शब्द रह जाते है मार देता है वो आदर्श विचार और धर्म को अपने लिए केवल अपने लिए । वैश्या हूं मैं मेरी पवित्रता पर प्रश्न उठाने वालों । मेरे कपड़े उतारने पर प्रश्न उठाने वालों । सोचो मेरे होने पर भी तुम , अपनी बहन, बेटी और मासूम को नोच खाते हो । हम न हो तो , तुम्हारी माँऐं भी न बचेंगी । मेरी पवित्रता पर प्रश्न उठाने वालों। दिन के उजाले में उजले लोगों । अंधेरों में कोठों के चक्कर लगाने वालों । तुम्हारी वासना हवस तुम पर हावी है । मेरा मोल भाव करने वाले लोगों। तुम्हारी हैवानियत तुम पर हावी है । हमसे पहले अंधेरे में खुद का नाड़ा खोलने वाले लोगों । मै तुम्हारी ही गंदगी का आईना हुँ। हाँ मै वैश्या हुँ । हाँ मै गाली हुँ । हाँ मै नाली हुँ । मै हुँं स्त्री पुरूष संबंधों का बाज़ार । इस बाज़ार में तुम खरीददार। मै माल हुँ। शरीर मेरा बिकता है । आत्मा तुम्हारी बिकती है । ओ मेरे बाज़ार की रौनक । मेरे हैवान ग्राहक । मै तुम्हारी सच्चाई हुँ । मै तुम्हारा सुलभ हुँ । मै रास्ते का घूरा हुँ । मै आवश्यकता हुँ । मेरे बाज़ार रौनक । तुम से है । मेरे पास आने वाले लोगों । तुम ही हो मेरे जन्म दाता , ओ भूखे भेड़ियों। मेरी पवित्रता पर प्रश्न उठाने वालों।। आलोक मिश्रा बुत ईश्वरओ दीन-ओ-ईमान को मानने वालों ओ ईसू के दर्द में दुखी लोगों ओ गो माता की संतानों ओ पंचशील को पालने वालों ओ नबी के दुख से दुखी लोगों इन मजदूरों को देखो क्या इनमें ईश्वर अल्लाह जीजस बुद्ध नहीं दिखा । अंधेरे कोने मैने सोचा सब लिख दूं सब जो बाहर है सब जो दिखता है वो सब जो भीतर है सब जो नहीं दिखता वो भी जो आपको खुशी दे वो भी जो दुखों से भरा हो वो सब जिसे मैने जिया हो वो सब जिससे मेरा चरित्र बना हो अच्छा हो या बुरा लिख दूं सब पर ड़र जाता हुँ आपकी ग्रंथियों को देख कर आप राय बना लेंगे मेरे विषय में बुरी बहुत बुरी सब अच्छा होता तो बेधड़क लिखता बहुत कुछ बुरा है बहुत बुरा मै शायद तोड़ न पाऊं इन दकियानूसी दीवारों को फिर लगता है ये भी क्यों कहा आप अपने विषय में नहीं सोचेंगे स्वयम् प्रगतिवादी बन जाऐंगे मुझे भीरू कहेगें लेकिन अब निश्चित रहा मै आपको अपने अंधरे कोने नहीं दिखाऊंगा नहीं हरगिज नहीं क्यों दिखाऊं मुखौटो के पीछे तो आप भी है । पल-पल जब-जब गलती की खोया बहुत कुछ । समय ने ले लिया बहुत कुछ । बस लौट आते वो पल , जब हुई थी गलतियाँ । सुधार पाता मै अपने जीने का सलीका । बस समय ठहर जाता कुछ पल , इस उम्मीद में कि सुधार लुंगा मै अपनी गलतियाँ । ये जीवन बुरा नहीं बस समय के घावों से भरा है । जीना है मुझे इसको ही यही मेरा अपना है । लेखक जो देखा जो महसूस किया जो समझा उसे ही सरल और सरल करके लिखा । लेखक तो हुँ नहीं । बस अपने अनुभवों को अपने शब्दों मे साझा किया लोगों ने लेखक समझ लिया । मर गई वो...मर गई वो.. जिसे कोई नहीं जानता था । वो भी अपने आप को कहाँ जानती थी । बस जिए जा रही थी । जानती होती खुद को तो समझ पाती सही और गलत । समझती उन को जो उसके हित में सोचते थे । उसे जो मिला उसे जी रही थी पूरे मजे मे । जिसे गलत कहना हो कहे फर्क नहीं पड़ता उसे । उसकी चाहत थी घर , परिवार और प्यार की उसे मिला धोखा, मक्कारी और बाजार जो मिला वो जिया .. चाहत बनी रही .. मन के कोने में अकेलापन बना रहा .. प्यार करने वालों का मक्कार चेहरा बना रहा । धोखे के घावों से मन रिसता रहा । चाहत ...चाहत ही रही फिर उसने आस भी छोड़ दी । मजा लेने लगी उस जिंदगी का जो उसने चाही नहीं बस मिली थी । वो नायिका हो सकती थी । वो ग्रहणी हो सकती थी । वो सब कुछ हो सकती थी । पर थी कुछ नहीं । बस जीती रही जीने के लिए । और एक दिन वो मर गई ... अहसासउन प्यार करने वालों का क्या करूं जो अब साथ नहीं रोज दिखते थे वो चेहरे मुस्कुराते प्यार बिखेरते सुकून देते थे वो चेहरे अब साथ नहीं कुछ रूठ गए कुछ छूट गए कुछ उठ गए पर चले गए सामने थे तो स्वार्थ टकराते थे आजमाईश होती थी अविश्वाश की लकीरें खिंची रहती थी बस प्यार में स्वार्थ दिखने लगता था पर दूर होते ही कमी अखरने लगी अहसास हुआ उस प्यार का जो कभी पहचाना ही नहीं बस दूरीयों ने बताया प्यार क्या है अब जान भी जाऊं तो क्या करूं बस एक अहसास है प्यार करने वाले नहीं हैं › अगला प्रकरणअधूरे संवाद भाग -2 (कथनिकाऐं ) Download Our App अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Alok Mishra फॉलो उपन्यास Alok Mishra द्वारा हिंदी कविता कुल प्रकरण : 4 शेयर करे आपको पसंद आएंगी अधूरे संवाद भाग -2 (कथनिकाऐं ) द्वारा Alok Mishra अधूरे संवाद भाग - 3 (हाईकू ) द्वारा Alok Mishra अधूरे संवाद भाग-4 द्वारा Alok Mishra NEW REALESED Spiritual Stories भक्तमाल सुमेरु गोस्वामी तुलसीदास जी Renu Motivational Stories सोने के कंगन - भाग - ३ Ratna Pandey Adventure Stories शशशशश...... धुंध में कोई राज है?? 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