The Author Huriya siddiqui फॉलो Current Read उफ्फ ये मुसीबतें - 5 By Huriya siddiqui हिंदी हास्य कथाएं Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books गोमती, तुम बहती रहना - 8 अपनी ज़िंदगी इन दिनों पारिवारिक और सामाजिक कोलाहल से... तेरा...होने लगा हूं - 3 Hayat resort,Goaरिजॉर्ट के क्लब के एक वीआईपी रूम में,6 फीट... मुक्त - भाग 5 -------मुक्त (5) मुक्त फर्ज से भाग के नहीं होता... फर्ज से भ... महाराजा सूरजमल के बलिदान दिवस पर शत शत नमन ? महाराजा सूरजमल नाम है उस राजा का, जिसने मुगलों को दिन में ता... I Hate Love - 8 अंश जानवी को देखने के लिए,,,,, अपने बिस्तर से उठ जानवी की तर... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी उपन्यास Huriya siddiqui द्वारा हिंदी हास्य कथाएं कुल प्रकरण : 5 शेयर करे उफ्फ ये मुसीबतें - 5 (8) 2.2k 6.8k भी अतिया के साथ बाज़ार से आई, आते साथ आंगन में बैठी चाची के पास पहुंच गई और उनकी ही चारपाई पर अपना हिजाब और बैग रख धप से बैठ गई 😩 शाम का वक्त था, कुछ नए चेहरे भी दिख रहे थे, शायद नए मेहमान आ गए थे, सारी औरतें आंगन में इकट्ठा थी, सब शौक से मेरे पास आ बैठी क्युकी मैं ज़किया की गहनों की शॉपिंग करके वापस आई थी। चाची की भाभी जो ज़रा दूर थी चारपाई से वो भी अपनी कुर्सी कुछ ज्यादा ही मेरे पास सटा कर बैठ गईं, शुक्र है 😌कि गोद में नहीं बैठी मैंने उनकी फुर्ती देखी और मन मन ही मन में सोचा🤔😉 बात गहने की थी तो ख्वातीनों का दिलचस्पी लेना नॉर्मल बात थी ,एक-एक करके सभी के हाथों में गहने जांचे जाने लगे और सब अपने-अपने अंदाज में गहनों का पोस्टमार्टम करने लगी एक हाथ फिर दूसरा हाथ इस तरह गहने ,आखिर में चाची के पास आ जाते और वह वापस मुझे थमा देती है जिसे मैं अपने बैग में रख ले रही थी सभी बहुत ही मोहब्बत और चाव के साथ गहने देख रही थी😀।चच्ची की भाभी(रौशन आंटी) अलबत्ता नाक भौं चढ़ा रही थी🤨 जो हाथों के साथ आंखों से भी गहनों को तौल रही थी उनके हाथों के तोलने का अंदाज देखा तो ऐसा लगा कि सुनार से भले ही एक दो मिलीग्राम कम ज्यादा हो जाए लेकिन उनकी तेज नज़रों से शायद ही कोई कमी बेशी हो, हर ज़ेवर देख रिमार्क पास कर रहीं थी, यह वाला तो 16 ग्राम का है मेरी नगमा( उनकी बेटी) को इतने ग्राम का दिया था , और यह तो 10 ग्राम का दिया था ,अरे फरीदा😌 मुझे तो गहनों का रंग अलग ही लग रहा है कहीं नकली तो नहीं है🧐 अये लड़की!! किसी जान पहचान वाले सर्राफा के वहां से लाना था ना और डिजाइन भी पुरानी पुरानी लग रही है मुझसे कहती तो मैं वो डिजाइन दिलवाती कि सब देखते ही रह जाते 😌😏मुझे तो लगता है कि तेरे पैसे गए बारह के भाव🤨 उन्होंने अपनी कैची जैसी चलती हुई जबान को रोका और अपने सर को बहुत अफसोस से हिलाते😔😐 अपना चश्मा ठीक किया चाची उनकी आदत जानती थी ,इन सबके बीच मेरा कंधा टूटा सो अलग😕 ,असल में उनकी आदत बात-बात में बिना बात के हंसना और अपने पास बैठे इंसान के कंधे पर धमक जमाना था👊👊👊 अगर कोई साथ बैठा इंसान संभले ना तो सीधा मुंह के बल गिर जाए ,🤪 "ऐसा भी नहीं है गहनों पर हॉलमार्क तो लगा है नकली का सवाल ही नहीं है😀" चाची की बहन बोली, जो मुझे चाची जैसा ही प्यार करती थी "और क्या! पढ़ी लिखी बिटिया है ऐसे बेवकूफ थोड़ी ना बन जाएगी😉😌 "एक और खातून ने कहा "हां! मेरी बेटी आजकल की समझदार पढ़ी-लिखी लड़की है ऐसे तो बेवकूफ नहीं बन जाएगी,और वैसे भाभी आपने तो शायद ऐसे ही किसी सर्राफा के यहां से नगमा के गहने बनवाएं थे बाद में पता चला वो नकली सोने के जेवर बनाने के जुर्म में पकड़ा गया🧐😕'" चाची ने अपनी भाभी से पूछा ,वो चौंक गई" आय हाय!!😲https://funzakheera.blogspot.com/2020/11/4.html?m=1 ‹ पिछला प्रकरणउफ्फ ये मुसीबतें - 4 - शादी में फू फ़ा Download Our App