मंथन 4 रामगोपाल तिवारी (भावुक) द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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मंथन 4

मंथन 4

चार

देश में अस्थिरता के नाम पर आपात काल लगा दिया गया। परिवार नियोजन का कार्यक्रम और तेज कर दिया गया। शासकीय कर्मचारियों का परिवार नियोजन कराना आवश्यकत घोषित कर दिया गया। परिवार नियोजन के नाम पर सारे देश में भय व्याप्त हो गया। जनसाधारण से लेकर बड़े-बड़े लोग परिवार नियोजन से डरने लगे।

एक दिन इस गाँव की ओर एक जीप आती दिखी। क्षण-भर में यह हवा सारे गाँव में फैल गई। बस फिर क्या था ? सभी युवा, वृद्ध गाँव छोड़कर भागने लगे। जब वह जीप गाँव में पहुँची। गाँव में रह कयीं महिलायें, व गोद के बच्चे।

जीप से दो बी0 एस0 एफ0 के जबान व एक अफसर उतरे। पहले वे रंगाराम के घर गये। कोई न था, फिर उन्होंने घर-घर जाकर, तलाशा, कोई मिल जाये, पर कोई न मिला। अफसर ने कुछ सोचते हुए अपने एक सिपाही से कहाँ ं ं ं‘बीरू, तुम कुछ समझे, गाँव में कोई आदमी दिखाई नहीं दिया जिससे बातें करते।‘

‘सर, लोग जीप देखकर भाग गये।‘

‘हाँ, लोग हमें परिवार नियोजन वाले समझ रहे होंगे। तभी तो आदमी भाग गये। महिलाओं ने मोर्चा सम्हाल लिया है।‘

‘अब दोनों बातें करते-करते अस्पताल पहुँच गये। डाक्टर को देखकर अफसर बोला-

‘हैलो ! डाक्टर साहब।‘

‘कहिये आप लोग ं ं ं।‘

‘हमें टेकनपुर छावनी के लिए, चावलों की जरूरत थी।‘

‘लेकिन लोग तो आपको देखकर भाग गये।‘

‘हाँ, हमें लोग परिवार नियोजन वाले समझ रहे होंगे।‘

‘तब तो चावल मिलना ही मुश्किल होगा।‘

‘ठीक है डाक्टर साहब, हम चलते हैं। नमस्कार।‘

‘अरे इतनी जल्दी, चाय तो ं ं ं।‘

‘ वह अफसर बोला-‘ हम जल्दी में हैं। समय पर छावनी पहुँचना पडे़गा।’ यह कह वे चले गये।

जीप जा चुकी तो औरतें घर से निकल कर इकट्ठी होने लगीं। श्यामलाल जी के घर से शान्ति, पटेल रंगाराम की पत्नी सरजू आपस में बातें करने लगीं। सरजू बोली-

‘री सुनते।‘

‘ज सरकार बड़ी बुरी है।‘

‘ठीक कह रही हो जीजी, नसबन्दी के डर से सब भगत फित्तैं। मैंने तो अपने मोड़ा हार कों भेज दयै। वे तो ताय पकर लेतयें ताकी नशबन्दी करके छोड़तयें।’

‘ठण्ड के दिनऊ में आदमी खेतन में छिपके रात काटतयें।‘

‘जीजी,कैसेउं नशबन्दी से तो बचें।ं‘

‘नंदू कों हार में काये भेज दओ, बाको तो अभै ही ब्याह भयो है।‘

‘अरे जीजी, कछु भरोसो नाने ज सरकार को। वे तो छोटे-छोटे मोड़न की नसबन्दी कर देतैं।

‘तो तैने ठीक करी। वहीं ज्वार के भुट्टा भूंज-भूंज के खा लेंगे।‘

‘जाने ज सरकार को हमाये आदमी कहा खातैं। जो ज पाप ले रही है।‘

‘कलजुग आ गओ। घोर कलजुग है। कहतैं जीजी अपरेशन से आदमी खसिया हो जातों।

‘जीजी, घर में दो-चार बच्चा न भये तो काहे को घर। सरकार चाहते एक दो बच्चा ही पैदा करो। कहतयें सौ रुपइया रुपइयन में नही,ं और एक पूत पूतन में नहीं।‘

‘ठीक कहतैं, चलों घर को काम निबटा लेऊं। खेत पै ही मोड़ा कों रोटी देवे जानों परेगो।‘ यह कहते हुए वह अपने घर को चली गयीं।

ज्वार के खेतों से घिरे नीम के पीेेड़ की छाया में सभी इकट्ठे हो गये थे। सब के सब इस समस्या का निदान खोजना चाहते थे। बातें शुरू हुईं, पटेल रंगाराम का लड़का नवल किशोर बोला, ‘भइया, मेरे पिताजी घर नहीं हैं। रिश्तेदारी में गये हैं, जाने कब लौटें। अब हम सब लोगों को कोई ऐसा विचार करना चाहिए, जिससे इस संकट से छुट्टी मिल सके।‘

बात सुनकर श्यामलाल जी का लड़का बोला, ‘हम सब अभी खेतों में आये हैं, पर डाक्टर रवि वहीं रहाँ उनसे उन लोगों की बातें हुईं। रवि को पकड़कर क्यों नहीं ले गये, यानी हम सब को भी डरने की जरूरत नहीं है।‘

अब विशुना बोला- व तो डाक्टर हैं, सब मिले जुले रहतैं।‘

बात सुनकर फिर नवल किशोर बोला- ‘तो सब जनै चलो डाक्टर से बातें कर लेऊ।‘

बात सुनकर विशुना ने विरोध किया, ‘अपन सब कैसे चलें? गाँव में तो बिनको हुक्का पानी बन्द है।‘

फिर नवल किशोर बोला, ‘तो मति चलो डरे रहो हार में, मत्त रहो ठन्डन। कुन एक दिना है।‘

अब श्यामलाल के लड़के मुन्ना ने बात का समर्थन किया,- ‘वितें मेरे संगठन- फंगठन, ज मरिबै से तो बिनिके झां चलिबे में फायदो है।‘

उसबात पर बिशुना सहमत हुआ, बोला-‘ ‘तो फिर ठीक है, जे बातिन ऐं छोड़िके गाँव के सब लोगन कों एक हो जानों चाहिए।‘

अब मुन्ना फिर बोला- ‘भैया, तुम्हारे घर के जरूर नाराज होंगे।‘

‘अभै घरे काहकों कहतों, बाद में कहा करेंगे घर के। अरे! खेतन में रात काटिवे से तो अच्छो है। रात की ठण्ड से तो बचेंगे। नवल ने कहा,

अब बिशुना बोला-

‘ठीक है जब बात खेरापति पै छोड़ दई तो फिर कान्ती से गाँव गांठ काहे कों बांधें है।‘

मुन्ना ने बात का उपसंहार किया-‘‘तो फिर डाक्टर से मिलवे को कब को प्रोग्राम रहो।‘

नवल बोला-‘आज शाम को ही सब जनै चलेंगे, डाक्टर से मिलवे। ठीक है ना।‘

सभी ने कहा ‘ठीक है‘ और बैठक समाप्त हो गई।

बशीर साहब को दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मीसा के तहत गिरफ्तार कर लिया गया। आज दोपहर की डाक से इसकी सूचना मिली है। तभी से किसी काम में रवि का मन नहीं लग रहा था। जीप वाली घटना के कारण मरीज भी एक-दो ही आये थे। शायद वे भी न आते पर सख्त बीकार होने से उन्हें आना पड़ा होगा। रवि को यह आशा न थी कि बशीर साहब मीसा के तहत पकड़े जायेंगे। सुना है, इनने सरकार के खिलाप अखवार में खबर छपवा दई। इसीलिये पकड़े गये होंगे। वह सारे दिन बैठा-बैठा यही सोचता रहाँ अब तो इस सरकार के दिन लद गये। जब कभी चुनाव होंगे सरकार बदल जायेगी। परिवार नियोजन के कारण जनता और मीसा के कारण नेता, दोनों सरकार से नाराज हो गये हैं।

सोचते सोचते शाम हो गई। दिया-वत्ती का समय होगया।‘ गाँव के कुछ युवा डाक्टर के दवाखाने में पड़ीं बैंच और कुर्सियों पर आकर बैठ गये, अब रवि बोला-‘आप लोगों ने सुना ?‘

‘क्या ?‘ नवल किशोर ने प्रश्न किया।

‘अपने बशीर साहब मीसा में बन्दी बना लिये गये।‘

अब झट से बिशुना बोला-‘ज कहा कह रहे हो।‘

‘अरे भई, सरकार सभी विरोधियों को जेल भेज रही है।‘ अब नवल किशोर फिर से बोला-‘ज सरकार कर का रही है, इतै परिवार नियोजन, वितै मीसा में पकड़ धकड़।‘

अब रवि बोला-‘परिवार नियोजन तो अच्छी बात है।‘

अब मुन्ना बोला-‘कहा अच्छी बात है? ज सरकार हमें जबरदस्ती खसिया बनावे लगी है। ‘

डाक्टर ने समझाया-‘‘कहाँ कर रही है जबरदस्ती?‘

सभी एक स्वर में बोले-‘‘जे जीप बारे गंाव में काहे को आये।‘

‘वे तो बी0 एस0 एफ0 के जवान थे, चावल खरीदने आये थे।‘

अब बिशुना फिर झट से बोला- ‘अरे जे तो सब तुम्हारे वाहिने हैं।

‘ऐसी बात नहीं है मेरी उनसे बातें हुई हैं‘

अब सभी के मुँह से निकला-‘ हम तो बिनके मारें ही खेतन में डरे रहे।’‘

‘ अब मुन्ना फिर बोला-‘ डाक्टर साहब तुम ज गाँव जुम्मेवारी ले लेऊ।‘

रवि बोला-‘‘जुम्मेवारी की जरूरत ही नहीं है, अफवाहों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।‘

अब नवल ने फिर कहा-‘डाक्टर साहब तुम तो जुम्मेवारी ले लेऊ। काऊ को जबरदस्ती अपरेशन को न पकड़ ले जायें।‘

‘अच्छा यह जुम्मा मेरा रहा इस गाँव से कोई जबरदस्ती आपरेशन के लिए नहीं ले जाया जा सकता।‘

अब नवल फिर बोला-‘तो ठीक है तुमने कह दई हमें चिन्ता नाने।‘

डॉक्टर ने सामझाना चाहा-‘‘कुछ भी कहो परिवार नियोजन बुरी बात नहीं है। दो या तीन बच्चों के बाद सभी को परिवार नियोजन अपना लेना चाहिए।‘

अब नवल ने फिर कहा-‘डॉक्टर साहब हमें गाँव की ज बात अच्छी नहीं लगी, कै गाँव के इलाज करावे झें नहीं आत।‘

अब रवि बोला- ‘इससे मुझे क्या?ेशहर जाने आने की परेशानी आप लोगों को ज्यादा है, फिर मेरे से सस्ता इलाज वहाँ कौनसा डाक्अर कर रहा ह ैबतलाओ।‘

‘अब मुन्ना बोला-‘ आ ठीक कहतओ। अरे! ज गाँव के तो अपनी अपनी जबरदस्ती ठेल रहे हैं।‘

‘मैं तो भई सोच रहा हूँ किसी दूसरी जगह चला जाऊं।’

अब बिशुना बोला, ‘ये डॉक्टर साहब ज कहा कत्तओ सब इलाज करावे झेईं आंगें, तुम जाकी चिन्ता मत करो।‘

अब सभी बोले-‘अच्छा डॉक्टर साहब चलें देर हो गई।‘

‘अरे चाय तो पीते जाइये।‘

सभी चाय के लिए बैठे रहे। गाँव की, घर की, राजनीति की, सभी तरह की बातें चलती रहीं। फिर चाय पीकर सभी अपने-अपने घर चले गये।

बिशुना जब घर पहुँचा। रात्रि के 11 बज चुके थे। उसके सारे घर के लोग जाग रहे थे। पहंुचते ही वह समझ गया कि सभी उसप्रतीक्षा कर रहे हैं। बिशुना की मां रामदेई अपने पति को समझा रही थी पर शम्भू पापा जी अधिक गुस्से में थे। वे कह रहे थे। ‘ज विशुना ने ही बात आगे बढ़ाई है अब जई विनके घरें चाय पीवे पहुँच गयो।‘ बात सुनकर विशुना बिना बोले न रहाँ ‘पहली बात तो ज है के डॉक्टर ने कहा बिगाड़ो है। बिगाड़ तो कान्ती से हो गओ है।‘

‘बेटा जो ऐसी बातन में साथ देतें वे सब बिनके साथी माने जातयें।‘

‘लेकिन मैं अकेलो तो नहीं गओ सब गाँव के साथ हतयें।‘

‘कुछ कहो, हमें तुम्हाई ज बात जची नहीं।‘

‘ नशबन्दी से तो ज बात ठीक है।‘

‘तो कहा वे नशबन्दी से बचा लेंगे।‘

‘बचा कैसे नहीं लेंगे? देख लियो। पुलिस डारक्टर सब मिले होतयें।‘

‘वैसे थोड़े दिन की बात है, कुन जेई बात चलिबे करेगी।‘

‘ज बात कैसे नहीं रहेगी? सब आदमी जई सरकार के पक्ष में है अपये महन्त साहब हू तो ं ं ं।

‘तो डाक्टर के झां न जाक,े महन्त साहब के झां चले जातये।‘

‘ पापा जी, वे तो शहर में रहतैं। काम तो झें से पन्नों है।‘

‘ठीक है तुम्हें दिखाये सो करो। अब हमाई कहाँ चल्लते।‘

यह सुनते-सुनते विशुना अपनी मड़रिया में सोने के लिये चला गया।

उधर नवल की मां नवल से झगड़ रही थी ‘जब तेरे पिता जी आयेंगे तब कहा जवाब देगो।‘

‘जवाब देनों कौने है।‘

‘पंचयात घर की है तासे। नही तो जात में से डार देतये।‘

‘चलो ठीक है, सबरे गाँव के भें मोड़ा हतय, तहीं ठीक है।‘ कहते हुए अपने कमरे में चली गयी।