आपकी आराधना - 14 Pushpendra Kumar Patel द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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आपकी आराधना - 14







भाग - 14


" कैसी हैं आंटी आप? "
पानी का गिलास और नाश्ते की प्लेट सामने रखते हुए आराधना ने कमला आंटी से कहा।

" कैसी हूँ मै?.....
जिस माँ का जवान बेटा छीनकर तुमने अपने बस मे कर लिया, और जिसके पति को अपने इशारे पर नचा रही हो।
उस माँ से हाल- चाल पूछती हो....
कुछ तो शर्म करो लड़की।
मै तुमसे यही सब तो कहना चाहता थी आराधना, पर मै हार गई तुम्हारे प्यार के आगे, मै समझ गयी हूँ कि मेरे मनीष की पसंद गलत हो ही नही सकती। शीतल से पूछ लो तुम जब से मैने जाना है अग्रवाल खानदान का वारिस तुम्हारी कोख मे पल रहा है मैने सारे गिले शिकवे भूला दिये हैं आराधना और मै चाहती हूँ कि तुम भी सब कुछ भूलाकर नई शुरुआत करो "
कमला आंटी ने प्यार भरा स्पर्श आराधना के कंधे पर रखते हुए कहा।

आराधना असमंजस मे पड़ गयी अचानक से उनके सूर कैसे बदल गये? कहीं वो सपना तो नही देख रही?
शीतल भी आराधना के पास आकर बैठी और बड़े प्यार से उसने कहा- " सुना है आपका दिल बहुत बड़ा है और आप जल्दी माफ कर देती हो, मुझे भी माफ कर दोगी न भाभी। क्या करूँ? बचपन से ही थोड़ी जिद्दी हूँ और अपनी बात मनवा कर ही दम लेती हूँ। नीचा दिखाने के मकसद से न जाने आपको क्या-क्या कह डाला रियली सॉरी भाभी "

आराधना की आँखे नम होने लगे शायद ये एकाएक मिलने वाली खुशियों की वजह से हो। उसने कमला को गले से लगाते हुए कहा - " जिन्दगी मे ये पल इतना जल्दी आ जायेगा आंटी, मुझे तो यकीन नही हो रहा। काश मनीष जी भी मेरे साथ होते...."

कमला आंटी ने बताया कि अभी 3 दिनों बाद शीतल की सगाई है उसके बाद वो आराधना और मनीष की शादी फिर से करवाना चाहते हैं ताकि समाज मे उनकी इज्जत बनी रहे। अभी तक लोग यही समझते रहे कि मनीष गरियाबंद किसी काम से आया है अब वो समय आने वाला है जब सभी उसकी दुल्हन का स्वागत करेंगे। ये सुनकर आराधना का मन आकाश मे उड़ने लगा, वो मन्द-मन्द मुस्कुराती रही और उन्हे स्नेह भरी निगाहों से देखती रही।

...........................

दोपहर के 3 बज रहे थे किचन का सारा काम निपटाकर आराधना ने कमला आंटी और शीतल से लंच के लिए आग्रह किया।

" वाह भाभी, आपके हाथों मे तो जादू है क्या सब्जी बनाई है आपने? मुझे भी सीखा देना प्लीज।
वैसे भैया ने ही कहा था न, मम्मी की पसन्द का खाना बनाने के लिये "
शीतल ने प्लेट पर सब्जी डालते हुए कहा।

" हाँ शीतल, सब उन्ही का प्लान था और उन्होने अमित जी को पहले से ही लिस्ट थमा दिया ताकि मुझे कोई दिक्कत न हो। बहुत ख्याल रखते हैं वो मेरा पहली बार ही तो ऐसे अकेला छोड़ गये हैं मुझे और देखो न 2 दिन बाद आने का प्लान है उनका।
आप ही उन्हे कहिये न आंटी वो जल्दी आ जाये "
आराधना ने कमला आंटी को चावल परोसते हुए कहा।

कमला आंटी ने आराधना को इतने लजीज खाने के लिये थैंक यू कहा। लेकिन एक बात जो चौकाने वाली थी उन्होने बताया कि मनीष से बात हो गयी है और वह रायपुर से सीधे भिलाई जायेगा क्योंकि शीतल की सगाई की सारी तैयारियाँ उसे ही करनी है। उसके बाद ही वह आराधना को ले जा सकेगा तब तक उसे अकेले ही रहना पड़ेगा। शीतल ने भी आराधना को समझाते हुए कहा कि उसकी सगाई पर ही वे मनीष की शादी की बात सबके सामने नही रख सकते उन्हे आचनक झटका लग सकता है और फिर बस कुछ दिनो की बात है उसके बाद तो वे सभी एक साथ ही रहेंगे। लंच के बाद कमला आंटी ने आराधना को शगुन के तौर पर कंगन दिये और शीतल के साथ उसके खाने की तारीफ करते रहे।

" ये एक खास आयुर्वेदिक काढ़ा जिसे पीने से हमारा छोटा मेहमान बहुत ही तन्दरुस्त और दिमाग वाला होगा "
बैग से एक शीशी निकाल कर कमला आंटी ने उसके हाथों मे थमाते हुए कहा।

" लेकिन आंटी इससे कोई..."
आराधना ने सकुचाते हुए कहा।

" कोई साइड इफेक्ट नही मैने भी इसका सेवन किया था और नतीजा तो तुम्हारे सामने है आराधना "

" हाँ भाभी ये तो हमारी खानदानी मेडिसिन है समझो पापा ने ही इसे सजेस्ट किया है। तुम उनकी बात तो जरूर मानती न "

" ऐसी कोई बात नही मै आप दोनो की बात भी मानती हूँ, थैंक यू आपने इस बच्चे के बारे मे इतना सोचा। ये बहुत लकी है जिसे ऐसी फैमिली मिल रही "
आराधना ने शीशी उठाते हुए मेडिसिन वाले दराज मे रख दिया।
बातों ही बातों मे दोपहर से शाम हो गयी।
कमला आंटी और शीतल अब लौटने की तैयारी मे जुट गये।

" आराधना जी खाने की बहुत अच्छी खुशबू आ रही, मेरे हिस्से का बचा या नही "
दरवाजे पर खड़े होकर अमित ने चिल्लाते हुए कहा।

" अरे! अमित जी आ गये आप कॉलेज से?
अंदर तो आइए पहले आप "

आराधना अमित को अंदर ले गयी और उसका परिचय कमला आंटी तथा शीतल से कराया। उसने बताया कि एक अमित ही है जो जिस पर वो पूरा भरोसा करते हैं। अपने हिस्से का खाना लेकर अमित चला गया।

घर के बाहर ड्राइवर लगातार हॉर्न बजाये जा रहा था आराधना कमला आंटी से बस आज रात रुकने की मिन्नते करने लगी लेकिन उन्होने कहा कि जितने जल्दी वे लौटेंगी उतनी जल्दी ही सब कुछ ठीक होगा।

" अपना ख्याल रखना भाभी, शाम को भैया से बात कर लेना वो आपको समझा देंगे और हाँ डिनर के बाद काढ़ा लेना मत भूलना "
कार मे बैठते हुए शीतल ने आराधना से कहा।

देखते ही देखते वे आँखों से ओझल हो गये और आराधना दरवाजे पर खड़ी होकर बस उन्हे निहारते रह गयी। सपने अब हकीकत मे बदल रहे आखिर यही तो चाहती थी वो कि एक दिन उसे माँ और बहन का प्यार आंटी और शीतल से मिले। लेकिन इस अकेलेपन का क्या? जो उसे कुछ दिनों मनीष के बगैर गुजारने थे। उसके मन मे द्वंद् सा उठने लगा क्या होता अगर आज ही वो अग्रवाल हाउस चली जाती?
एकाएक उसने अपने आप को सँभालते हुए खुद को ढाँढस बंधाया। जब इतने दिन इंतजार कर ही लिया तो ये चार दिन कौन सी बड़ी बात है?

" अरे! आराधना जी, कहाँ खोयी हो आप? मनीष जी आपको बात करने के लिये तड़प रहे हैं। अपना मोबाइल कहाँ भूल आयी आप?
बाहर से आते हुए अमित ने कहा।

क्रमशः.......