इश्क वाला️ LOVE - भाग 2 Sunil Gupta द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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इश्क वाला️ LOVE - भाग 2

देव लगड़ाते हुए घर पहुचा
अरे क्या हुआ , चोट कैसे लग गयी दिव्यांश बेटे ,देव को लगड़ाते हुए देख कर देव की मम्मी ने कहा
कुछ नही मम्मी साइकिल से गिर पड़ा बस हल्की सी छोटी लग गयी , दिव्यांश ने सरासर झूठ बोला।
कितनी बार कहा है थोड़ा सम्हाल कर साइकिल चलाया करो लेकिन तुम आंधी तूफान की तरह चलते हो देव की मम्मी ने देव को पकड़ कर अपने पास बैठाया और देखने लगी
दिखाओ कहा कहा चोट लगी है ,
अरे मम्मा मैने दवाई लगा ली है ,वो मेरी दोस्त है ना तृषा ,उसने अपने घर ले जाकर फर्स्ट एड दे दिया है ,वैसे भी इतनी ज्यादा घबराने वाली बात नही आप टेंसन मत लो और परेसान मत हो लेकिन आई एम सॉरी मम्मा ये ड्रेश फट गया है इसको सही करवा दो । देव ने कहा
ठीक है इसे उतार दे मैं देखती हूँ और तू आराम से लेट जा मैं तेरे लिए गर्म दूध लाती हूँ हल्दी मिला कर उससे तुझे आराम मिलेगा ।देव की मम्मी ने कहा
ठीक है मम्मी । दिव्यांश ने कहा
शाम को दिव्यांश की बहन पूर्णिमा स्कूल से घर आई और दिव्यांश को चोट लग गयी यह सुनकर भाग कर उसके पास पहुची
अरे देव क्या हुआ,तुझे कैसे चोट लग गई मम्मी बोल रही थी तू साइकिल से गिर गया। पूर्णिमा ने पूछा
हां दी मैं स्कूल जा रहा था और साइकिल से गिर गया दिव्यांश पूर्णिमा से नजर चुराते हुए बोला
ओह्ह रियली ,, अब सच सच बता क्या हुआ? कैसे लगी है चोट ? फिर कहीं मारपीट किया है ना तूने ? पूर्णिमा दिव्यांश को नजरें चुराते हुए देख करके भाप गयी कि दिव्यांश झूठ बोल रहा है ।
दिव्यांश सर नीचे करके चुपचाप बैठा रहा
बोल ना क्या हुआ? कैसे लगी चोट ? किस से लड़ाई हुई? पूर्णिमा ने दुबारा पूछा
पहले आप प्रॉमिस करो कि मम्मी से कुछ नहीं बताओगी फिर मैं बताऊंगा। दिव्यांश ने कहा
हां नहीं बताऊंगी लेकिन बता क्या हुआ ।पूर्णिमा ने कहा
दीदी ओ मेरी दोस्त है तृषा आप तो जानते ही हो मैंने आपको उसके बारे में बताया था, कुछ लड़के उसको चिढा रहे थे मैंने उसकी तरफ से बोल दिया और उसी से वे लड़के ताक में बैठे थे और आज मैं अपने साइकिल से स्कूल जा रहा था तो चारो लड़कों ने मुझे घेर लिया और फिर उन्होंने ही मुझे मारा है। दिव्यांश ने मासूमियत से कहा
क्या? मारा है, उन चारो ने मिलकर एकसाथ ,कौन कौन थे तूने टीचर को क्यों नहीं बताया। पूर्णिमा ने फ़िक्रमंदी से कहा
देव तुझे क्या जरूरत थी उन गंदे लोगों से फालतू बहस करने कि तृषा को बोल रहे थे तो तृषा उनसे निपटती फिर तुझे क्या जरूरत थी कुछ कहने की ।पूर्णिमा ने देव को डांटा
दीदी तृषा मेरी दोस्त है, वह भी सबसे अच्छी वाली मेरी कितनी हेल्प करती है ,और आप ही तो कहती थी की अगर किसी के हेल्प करने का टाइम आए तो हेल्प कर देनी चाहिए ।जो आपने कहा था वही मैंने किया मुझे थोड़ी ना पता था कि बाद में मुझे अकेले पाकर के इस तरह से ट्रीट करेंगे । दिव्यांश ने कहा
अच्छा चल ठीक है ,ये बोला था याद है ,फिर मेरी सारी बातें माना कर ना । जो मैं कहती हूं वह तो तू सुनता नहीं है मैंने तुझे यह भी बोला था फालतू की लड़ाई झगड़े मत करना, वह क्यों नहीं सुना तूने। अब दिखा कहां कहां चोट लगी है ।पूर्णिमा ने कहा
दीदी तृषा ने दवाई लगा कर के ड्रेसिंग कर दी है और दवाई भी दिया था, पहले से अब ठीक लग रहा है आप चिंता मत कीजिए ।देव ने पूर्णिमा को परेसान देखकर कहा
तृषा ने कर दी है कब ? वह कहां मिल गई तुझे । पूर्णिमा ने पूछा
वह मुझे जबरदस्ती अपने घर पर ले गई थी और फिर उसने जहां-जहां चोट लगी थी वहां पर दवाई लगाया और बैंडेज किया फिर मुझे वापस भेजा ।देव ने कहा
देव ऐसे किसी के घर पर नहीं जाते ,अभी तू बच्चा है यह अच्छी बात नहीं होती है । तुझे सीधा घर आना चाहिए था तुम तृषा के घर क्यों गए थे ,उसके मम्मी पापा को बुरा लग सकता है ना तुम ऐसे किसी के घर मत जाया करो अगर वो तुम्हे डाँट देते तो ? और मेरे छोटे भाई को कोई कुछ कहे तो क्या मुझे अच्छा लगेगा नही ना , प्रोमिश करो आइंदा से ऐसे किसी के घर। नही जाओगे । पूर्णिमा ने देव को समझाया
दीदी मैं जा नहीं रहा था लेकिन आप तो जानती हो तृषा को कितना जिद्दी है ,उसने जबर्दस्ती हाथ पकड़ कर के मुझे रिक्से पर बिठा कर अपने घर ले गई और उसके मम्मी पापा नहीं थे ऑफिस गए थे इसीलिए मैं चला गया बट प्रोमिश दी आगे से नही जाऊंगा । देव ने मासुमियत से कहा
वेरी गुड़ तू तो मेरा अच्छा भाई है समझदार ,चलो ठीक है कोई बात नहीं इस बार चले गए कोई बात नहीं आगे से ध्यान रखना ठीक है । तूने खाना खाया कि नहीं खाया पूर्णिमा ने मुस्कुराते हुए पूछा
नहीं दीदी अभी नही , मैं आप का ही वेट कर रहा था आप नही आई थी इसीलिए अभी नहीं खाया । देव ने कहा
ठीक है तो फिर जल्दी से हाथ में धो करके आओ और चलो दोनों के साथ खाना खाते हैं ।पूर्णिमा ने देव को लाड करते हुए कहा
दीदी हाथ में पेन हो रहा है थोड़ा हेल्प कर दो । देव ने कराहते हुए कहा
ठीक है आओ पूर्णिमा ने देव को सहारा देकर के उठाया और फिर बाथरूम में ले गई और अच्छी तरह से हाथ धुलाने के बाद उसे खाना खाने के लिए टेबल तक लेकर पहुंची
पूर्णी आ गई बेटा बैठ तू ,मैं तुम दोनों के लिए खाना निकाल देती हूं ।देव की मम्मी ने कहा
तूने देखा देव को ? इसको ज्यादा तो नहीं लगी है ,ये अपना ड्रेश भी फाड़ के लेकर कर आया है ,पता नहीं कहां जाकर के साइकिल से भिड़ गया ज्यादा चोट तो नहीं लगी है ,खाना निकालते हुए देव की मम्मी पूर्णिमा से बातें किए जा रहे थे
नहीं मम्मी ज्यादा नहीं लगी है लेकिन थोड़ा बहुत तो लगा ही है पूर्णिमा ने कहा
लेकिन मम्मी घबराने वाली कोई बात नहीं है एक-दो दिन में ठीक हो जाएगा आप परेशान मत होइए और दिखा देना इसकी ड्रेस अगर सही करनी लायक होगी तो कर दूंगी नही तो दूसरी ले आउंगी । पूर्णिमा ने कहा
गंदी हो गयी थी तो मैंने उसे धूल कर फैला रखा है थोड़ा सूख जाए फिर उसके बाद देख लेना देव की मम्मी ने कहा
जी मम्मी जी ठीक है ।पूर्णिमा बोली

अगले दिन तृषा स्कूल पहुंची उसने चारों तरफ देव को ढूंढा लेकिन देव कहीं दिखाई नहीं पड़ा
वह देव का हाल चाल पूछने के लिए वह उसे ढूंढ रही थी तभी सामने से उसे हिमांगी आते हुए दिखी
अरे मिष्ठी यहां पर क्या कर रही है चल ना क्लास में टीचर आते ही होंगे फिर डांट पड़ जाएगी
हिमांगी अभी तक देव नहीं आया ,क्या तुमने उसे देखा क्या तृषा ने बेचैनी से पूछा
नहीं मैंने तो नहीं देखा उसे ,क्या पता आज स्कूल ही ना आया हो ,कल उसे चोट लग गई थी ना इसीलिए शायद नही आया हो आज, छोड़ ना तू चल क्लास में नहीं तो अभी खामखा डांट पड़ जाएगी।हिमांगी ने कहा
तृषा ने इधर उधर आखिरी बार नजर मारी और फिर मायूसी से तृषा और हिमांगी दोनों क्लास की तरफ जाने लगी
हिमांगी तुझे एक बताऊं कल मैंने तुझ से झूठ बोला था देव साइकिल से नही गिर पड़ा था, उसे वैभव रोशन पंकज और आमित ने मिलकर के मारा था। तृषा ने हिमांगी सी कहा यह बताते हुए उसके चेहरे का गुस्सा साफ देखा जा सकता था
लेकिन क्यों , उन्होंने उस को क्यों मारा था देव तो किसी से फालतू बात भी नहीं करता है फिर क्यों ? हिमांगी ने कहा
उस दिन क्लास में चारों मिलकर के मुझे मोटी मोटी चिड़ा रहे थे और मुझे परेसान कर रहे थे और यह देख कर देव ने उन्हें डांटा था,और रमुझे बचाया था , इसी वजह से वह चारों देव से गुस्सा थे, उस दिन टीचर आ गयी थी इसी लिए वो सब कुछ कर नही पाए लेकिन कल जब वह स्कूल आ रहा था तो उसे अकेला पाकर के चारों ने घेर लिया और उसकी पिटाई कर दी । तृषा ने कहा
मिष्ठी तब तो देव को टीचर से कंप्लेंट करनी चाहिए फिर उन लोगों की पिटाई होगी ,देव ने टीचर को बताया क्यों नहीं पहले ही ।हिमांगी ने गुस्से से कहा
उसने इसलिए नहीं बताया कि अगर टीचर से कंप्लेन कर देता तो उसे फिर वह लोग अकेला पाकर के मारते इसीलिए अब कोई ऐसा प्लान बना जिससे उन दोनों को हम सबक सिखा पाए । तृषा ने कहा
मैं कौन सा प्लान बनाऊं तू सोच तेरा ही सब में ज्यादा दिमाग चलता है, या जाने दे छोड़ बात खत्म कर क्यों फालतू टेंशन ले रही है मिष्ठी वो लड़के बहुत गंदे है और फिर तेरी मम्मी पापा को पता चल गया तो और गुस्सा करेंगे फिर तेरी भी पिटाई हो सकती है । हिमांगी ने तृषा को समझाया
नहीं हिमांगी वे सब बहुत खराब है उस दिन मुझे मोटी मोटी कह कर चिडा रहे थे और आज बेचारे देव को मारा ,अगर उन लोगों को सबक नहीं सिखाया गया तो फिर वह आगे भी ऐसी हरकतें करेंगे और वह वैभव यह तो बहुत सबसे दुष्ट है हमेशा मुझसे उलझता रहता है इसलिए मैं तो जरूर सबक सिखाउंगी। तृषा गुस्से से बोली
लेकिन तू करेगी क्या तुझे पता है ना बैभव के पापा के साथ-साथ पुलिस रहती है कहीं पुलिस से कंप्लेंट कर दिया तो पुलिस हमे जेल में डाल देगी फिर हम अपने मम्मी पापा से नही मिल पाएंगे। हिमांगी ने डरते हुए कहा
अरे डरपोक पुलिस से कौन डरता है और क्या पुलिस वाले अंकल हमसे नहीं पूछेंगे की क्या गलती थी किसकी गलती थी फिर हम भी बता देंगे कि इसने हमारे साथ ऐसा किया है तू चिंता मत कर मैं हूं ना ,तृषा ने किसी बड़ी बुजुर्ग की तरह हिमांगी से कहा
न मिष्ठी मैं तेरे इस प्लान में शामिल नहीं रहूंगी मेरे मम्मी पापा को पता चल गया ना तुम मुझे बड़ी डांट पड़ेगी तुझे जो करना है कर ।हिमांगी डरते हुए
हां हां तुम मत करना मुझे जो करना है मैं कर लूंगी बस तू थोड़ी सी मेरी हेल्प कर देना । तृषा बोली
कैसी हेल्प ,हिमांगी ने पूछा
देव आज स्कूल नहीं आया है तो जब वह आएगा तो उसका जो होमवर्क है उसे कंप्लीट कर देना क्योंकि उसके हाथ में दर्द होगा तो वह लिख नहीं पाएगा बस तुम इतना कर देना ।तृषा ने कहा
अरे मिष्ठी तू मुझे हर बार फंसा देती है मैं अपना खुद का काम नहीं कर पाती हूं तू देव का और काम करवा रही है मैं क्यों करूं उसका काम वो खुद करेगा मैं उससे नोट दे दूंगी मैं तुम्हारी दोस्त हु की उसकी ।हिमांगी ने मुंह बनाते हुए कहा
अरे कर देना वह बेचारा लिख नहीं पाएगा फिर खामखा टीचर उसे पनिश करेंगी और यह जो कुछ हुआ है मेरी वजह से ही तो हुआ है ना वह बीच में बोलता ना उसके साथ यह सब होता तो हमें उसकी हेल्प करनी चाहिए और तू तो मेरी बेस्ट फ्रेंड है ना । तृषा ने हिमांगी को पटाया
अच्छा ठीक है कर दूंगी बट उसके लिए नहीं सिर्फ तुम्हारे लिए क्योंकि तुम मेरी बेस्ट फ्रेंड है अब चल क्लास में टीचर आती ही होंगी । हिमांगी ने कहा
हां हां चल तृषा उसके साथ क्लास की तरफ चल पड़ी
अगले दिन दिव्यांश स्कूल आया हालांकि उसका चोट अभी ठीक नहीं हुआ था लेकिन फिर भी वह बैठा हुआ पढ़ाई कर रहा था हिमांशी ने उसको कल का सारा नोट दे दिया था जिसे वह बैठकर पूरा कर रहा था क्योंकि आज टीचर क्लास में नहीं आई थी इसीलिए सारे बच्चे शैतानी कर रहे थे
दिव्यांश को हिमांगी की राइटिंग समझ में नहीं आ रही थी इसलिए वह उठा और लंगड़ाते हुए हिमांगी के पास पहुंचा
देव को इस तरह लगड़ा कर चलते हुए देख कर के सारे बच्चे हंसने लगे लेकिन दिव्यांश ने किसी की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया हिमांगी से जा करके जो कुछ पूछना था पूछा और वापस अपनी सीट की तरफ आकर बैठ गया और फिर से अपना होमवर्क कंप्लीट करने लगा इतने में वैभव आया और बोला
और लंगड़े क्या कर रहा है ,कल मजा आया था आइंदा से मुझसे पंगा लेने से पहले सोच लेना नहीं तो इस बार लगड़ा के चलने के काबिल भी नहीं बचेगा
दिव्यांश ने आंख उठा कर के देखा सामने वैभव खड़ा था और उसका मजाक उड़ा रहा था,लेकिन उसने कुछ नही कहा
वह फिर से अपने काम में लग गया
वैभव लगातार उसे लंगड़ा लंगड़ा कहकर चिढ़ा रहा था और उसे होमवर्क नहीं करने दे रहा था
देव को तेज गुस्सा आ रहा था लेकिन उसकी पूर्णिमा दीदी ने उसे झगड़ा करने से मना किया था इसीलिए वह कुछ बोल नहीं रहा था और अपने काम में व्यस्त था यह सब देख कर के तृषा से सहन नहीं हुआ
क्यों तंग कर रहे हो वैभव देव अपना काम कर रहा है कुछ बोल नहीं रहा है तो उसे क्यों तंग कर रहे हो जब तृषा के बर्दाश्त से बाहर हो गया तो उसने गुस्से से बैभव को डांटा
मुझे पता था कोई बोले या ना बोले यह मोटी जरुर बोलेगी वैभव दिव्यांश को छोड़कर के तृषा की तरफ घूम गया
देख बैभव तेरा झगड़ा मुझसे है तृषा को बीच में लाने की कोई जरूरत नहीं है जो कुछ कहना है मुझे कहो ।
तुम्हें शर्म नहीं आती एक लड़की को ऐसे बोलते हुए तृषा को मोटी कहते हुए देखकर दिव्यांश का पारा हाई होगा
क्या करेगा तू ,कहूंगा एक नहीं हजार बार कहूंगा क्या करलेगा कल की मार भूल गया क्या ये ले देखता हूँ क्या करता है बोल रहा हूँ मोटी ,मोटी ,मोटी , ले फिर से बोला बोल क्या कर लेगा तू मेरा। वैभव वापस से दिव्यांश के ऊपर चढ़ने लगा
तृषा के बर्दाश्त से बाहर हो गया हालांकि हिमांगी ने उसका हाथ पकड़ रखा था लेकिन उसने गुस्से से हिमांगी के हाथ को झटका दिया और वैभव के पास पहुंची
वैभव तुम हद से ज्यादा बढ़ रहे हो अगर एक बार और मुझे मोटी कहा तो फिर जान लेना ।तृषा ने गुस्से से कहा
अच्छा तुम एक लड़की हो करके मुझे मारोगी क्या ,या अपने इस लंगड़े दोस्त के ऊपर कूद रही हो जरा इससे पूछ लो कल कैसे पिटाई की थी इसकी मैंने ,क्या हालत की थी। वैभव हंसते हुए बोला
तृषा ने गुस्से से दांत पीसा
बैभव तेरा बहुत हो गया अभी तू शांत हो जा नहीं तो खामखा मेरे हाथों से पिट जाएगा। तृषा को तेज गुस्सा आरहा था उसने गुस्से से दहाड़ा
ओ हो तो आप मुझे मारोगी अगर नहीं शांत हुआ तो ,क्यो ? चलो मैं भी देखता हूं क्या करती हो मैं फिर से तुझे बोल रहा हूं मोटी ,मोटी अब बता क्या करेगी वैभव ने तृषा को पूरा गुस्सा दिला दिया
तृषा ने झपट कर वैभव का काला पकड़ा और खींचकर एक थप्पड़ मारा गुस्से से उसकी आंखें लाल हो गई थी
वैभव को भी गुस्सा आ गया उसने तृषा को पकड़ा और उसकी बाल पकड़कर खींचा
तृषा दर्द से तड़प गई यह देख कर के दिव्यांश लपक कर वैभव के पास पहुंचा और वैभव की हाथों से तृषा की चोटी छुड़ाने लगा
जैसी ही पकड़ ढीली हुई तृषा ने बैभव के नाक पर एक मुक्का मारा और फिर जाने कैसे उसके अंदर इतनी ताकत हो गई उसने वैभव को उठा कर के पटक दिया और पैरों से और हाथों से मारने लगी इस समय कोई खूंखार शेरनी लग रही थी दिव्यांश ने उसे पकड़ने की कोशिश की ,हिमांगी भी दौड़ कर के आई और तृषा को समझाने लगी ,पकड़ने लगी लेकिन तृषा पर तो जैसे भूत सवार हो गया था उसने वैभव कि जी भर के धुलाई की मुक्के और लात की मार खाकर के वैभव जमीन पर गिर गया था बड़ी मुश्किल से दोनों ने तृषा को समझाया
इतनी पिटाई खा कर के वैभव जमीन पर पड़ा कराह रहा था
आइंदा से अगर मुझे मोटी कहा तो ध्यान रखना इस बार तो छोड़ दे रही हूं अगली बार तेरी जान ले लूंगी ।तृषा ने अंगुली दिखाकर गिरे हुए बैभव से कहा हिमांगी उसे पकड़कर उसके सीट तक ले गई और बैठा दिया
तृषा अभी गुस्से से वैभव को ही घूर रही थे पूरा क्लास बिल्कुल शांत था और वैभव अभी भी जमीन पर गिरा हुआ था और कराह रहा था तृषा ने उसे अच्छे से कूटा था थोड़ी देर बाद बड़ी मुश्किल से वह उठा और अपना बैग उठाकर के चुपचाप क्लास से बाहर चला गया।
तृषा का यह रूप सभी ने पहली बार देखा था उसने किसी जंगली बिल्ली की तरह वैभव की जमकर खातिरदारी की

थोड़ी देर बाद शोभना मैंडम क्लास में आई और जब उन्हें पूरी बात पता चली तो उन्होंने वैभव और तृषा को बुलाया और फिर दोनों की बातें ध्यान से सुनी और फिर दोनों को अपने अपने पैरंट्स के साथ कल आने के लिए बोल दिया
मैंम मुझे मारने में दिव्यांश भी सामिल था वह भी मुझे मार रहा था अचानक से बैभव ने झूठ मूठ का दिव्यांश के ऊपर इल्जाम लगाया
नहीं मैंम मैं नहीं था मैं इन दोनों को छुड़ा रहा था चाहे आप हिमांगी से पूछ लो। दिव्यांश ने कहा
जी हां मैम दिव्यांश में कुछ नहीं किया है वो तो मुझे बचा रहा था उसने वैभव को छुआ भी नहीं तृषा ने भी दिव्यांश की तरफदारी की
नहीं मैंम दोनों मिले हुए हैं दिव्यांश ने भी मुझे मारा चाहे तो आप रोशन और पंकज से पूछ ले वह दोनों गवाह है ।वैभव ने कहा
ठीक है कल तुम भी अपने पैरंट्स को बुला कर लेकर आना शोभना मैंम ने देव से कहा
लेकिन मैंम दिव्यांश ने बोलने की कोशिश की
शट अप जितना बोल रही हू उतना करो कल आप अपने पेरेंट्स को लेकर आएंगे स्कूल में नहीं तो मत आना
आई एम सॉरी मैम बट मेरे पैरेंट्स नहीं आ सकते हैं क्योंकि मेरे पापा यहां नही रहते और मम्मी आ नही सकती है ।
घर में कोई तो होगा बड़ा उसको लेकर आ जाना
मैम मेरी बड़ी बहन पूर्णिमा है दिव्यांश ने सर झुका कर कहा
ठीक है तो फिर कल अपनी पूर्णिमा दीदी को लेकर आ जाना आखिर उन्हें भी तो पता चले कि तुम लोग स्कूल में आकर के कैसे-कैसे मारपीट करते हो ।शोभना मैंम ने कहा
दिव्यांश ने बैभव की तरफ गुस्से से देखा
बैभव के होठों पर एक विजई मुस्कान थी मानो उसने जंग जीत हो
उसने अपना मुह धमकी देने के अंदाज से बनाया और हाथों की अंगुलियों को हल्का सा हिलाया मानो मन ही मन भर दिशांत को वार्निंग दे रहा हो कि इसकी कीमत भी चुकानी पड़ेगी और यह सिर्फ और सिर्फ दिव्यांश ही देख पाया और कसमसा कर रह गया
शोभना मैडम के चले जाने के बाद तृषा देव के पास पहुंची
आई एम सॉरी देव मेरी वजह से तुम भी परेशानी में पड़ गए लेकिन मैं क्या करती मुझे बहुत तेज गुस्सा आ गया था वह रोज रोज मुझे मोटी - मोटी कहकर चिढ़ाता है और मेरी चोटी भी खींचता था उस दिन उसने तुम्हें मारा और आज फिर परेशान कर रहा था तो मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ इसलिए मैंने उसे मार दिया और मेरी वजह से तुम्हें अपने अपने पैरंट्स को लेकर स्कूल आना पड़ेगा। तृषा ने कहा
हा मिष्ठी बैभव और उसके दोस्त बहुत गंदे लड़के है , और तुम कितनी डेयरिंग हो देखो कैसे बैभव को उठाकर पटक दिया , तुमने बहुत अच्छी तरीके से उसको सबक सिखाया मुझे मजा आ गया दिव्यांश खुश हो कर बोला ,कल उसने मुझे मारा था ना, आज उसे पड़ी है वह भी मिष्ठी के हाथों ,दिखाना देखु कितना ताकत है तुम्हे हाथ लाओ क्या सच मे तुम मोटी हो ।देव खुशी से चहक रहा था
क्या देव तुम भी ,जाओ मैं तुमसे कट्टी हूँ तुमने भी मुझे मोटी बोला है । तृषा ने मुह फुला कर कहा
अच्छा अच्छा अब नहीं बोलूंगा लेकिन कट्टी मत करो प्लीज मिष्ठी तुम्ही तो मेरी एक दोस्त हो तुम भी अगर गुस्सा हो जाओगी तो मैं किस से बात करूंगा किस के साथ खेलूंगा कौन मेरी हेल्प करेगा ।देव मिष्ठी को इस तरह गुस्सा हो जाने से डर गया और उसे मनाने लगा
पहले प्रॉमिस करो कि मुझे मोटी नहीं बोलोगे ।तृषा ने वार्निंग देते हुए कहा
प्रॉमिस नहीं कहूंगा पक्का वाला प्रॉमिस। देव ने झट से कहा
और मुझे स्ट्रॉबेरी वाली आइसक्रीम खिलाओगे तृषा ने अगला प्रॉमिस लिया
आइसक्रीम , देव एक पल कुछ सोचने लगा
अच्छा ठीक है प्रॉमिस आइसक्रीम खिलाऊंगा वह भी स्टॉबरी वाली लेकिन आज नहीं आज मेरे पास पैसे नहीं है मैं तुम्हें कल खिलाऊंगा मंजूर । देव ने कहा
बिल्कुल मंजूर तो अब हाथ मिलाओ तृषा ने अपना हाथ आगे किया जिसे देव ने अपने हाथों में दबा लिया और दोनों मुस्कुराते हुए वापस से अपने-अपने सीट पर बैठ गए ।

क्रमशः

कहते हैं प्यार दोस्ती है और दोस्ती की कोई उम्र नहीं होती
साथ हो दोस्त अपना तो फिर किसी चीज की फिक्र नहीं होती
हजार नादानियां हो जाए फिर भी ऐसे ही गले लगाते हैं
बिना मिले दिल बेचैन सा रहता है बिना देखे सब्र नहीं होती

यह भाग आप को कैसे लगा बचपन में सब स्कूल गए होंगे सबके कोई न कोई बेस्ट फ्रेंड भी रहे होंगे जो न जाने कैसे कैसे शरारते और मस्ती करते होंगे कोशिश करूंगा कि अपनी कहानी से आप लोगो का बचपन एक बार फिर से याद दिला दु और हाँ अभी स्टोरी की स्टार्टिंग है तो प्लीज् थोड़ा सा धैर्य रखें जल्द ही स्टोरी की लाइन समझ मे आ जायेगी की यह स्टोरी किस तरफ जा रही है प्लीज अगर आपको यह पार्ट अच्छा लगा हो तो कमेंट में लिख कर बताये और बताये कैसा लगा यह भाग आप की समीक्षा उत्साह बढाती है और लिखने की प्रेरणा देती है सो प्लीज ढेर सारा कमेंट कर के बताए
अगला भाग जल्द ही