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बारिश और तुम

"पता है बारिशों में मैं सब कुछ भुल जाता हूं, ये रंगतें, ये बहार, हरियाली और उसमें तुम्हारा हाथ पकड़ लेना सच में बहुत खूबसूरत है... काव्या तुम सुन रही हो न",किशोर ने बारिश में एक कैफे के कोने बैठकर चाय पीते हुए काव्या का हाथ थामते हुए कहा।

काव्या अचानक से बोली,"तुम कुछ कह रहे थे, किशोर!

"नहीं, कुछ नहीं",किशोर ने कहा,"कहीं खो गई हो काव्या, बताओ न।"

काव्या और किशोर ग्रैजुएशन के फर्स्ट ईयर में थे।शहर के एक कॉलेज से कम्प्यूटर साइंस में बीएससी कर रहे थे।उनकी दोस्ती जो बहुत अजीब तरीके से शुरू हुई थी।

दो महीने पहले....
कॉलेज शुरू हुए महीने हो चुके थे।किशोर पढ़ने में एवरेज था,और काव्या भी ठीक ठाक थी।

उस रोज अचानक बारिश शुरू हुई, और ग्राउंड से लड़के क्लासरूम की तरफ भागे।

और इधर क्लासरूम में काव्या की दोस्तो ने जोर का ठहाका लगाया,और काव्या के बॉटल से अंदर जाता पानी बाहर निकल आया जो सामने से आ रहे किशोर के ऊपर जा पड़ा।

किशोर चीखने ही वाला था लेकिन उसकी नज़र पहली बार ध्यान से किसी चेहरे पर रुकी।उधर से कान पकड़कर सॉरी की मिन्नते और हसता पूरा क्लास।

वो दोनों भी हस पड़े।

और कहानी शुरू हो चुकी थी।

अगले सुबह काव्या कॉलेज आईं।सुर्ख गुलाबी कुर्ता और जीन उसने पहना था,दुपट्टा एक तरफ़ ही डाला था।दूर से आते किशोर को उसने मुस्कुराकर हाथ हिलाते हुए हाय कहा।

दोनों साथ में कैंटीन की ओर निकल गए।

किशोर ने पूछा,"क्या मंगाया जाए?"

"पकौड़े और...."काव्या जब तक बात पूरी करती तब तक किशोर ने बीच से काटते हुए बोला,"चाय।"

अचानक बातें ठहर गईं और सफेद दांत चमक रहे थे एक जोर की आवाज़ के साथ।

चाय और पकौड़े के साथ एक चीज और आई, वही बारिश।

चाय अभी आधी ही खत्म हुई,तब तक उधर बेल बज चुका था।

दोनों भागकर क्लास में पहुंचें,और लगभग भीग चुके थे।क्लास उन्हें देखकर एक बार फिर से हूट कर चुका था।


कई बार हूटिंग के बाद ही चीज़ें अच्छी लगने लगती हैं।और किशोर को अब सब ठीक लग रहा था।बारिश भी, भीगना भी, चाय का अदरक भी और काव्या भी।

अब दोनों का साथ में समय बिताना बढ़ रहा था, वॉट्सएप के जमाने में hii भर लिख देने से बातें शुरू हो जाती हैं जो रातों की चौखटों को लांघ कर आगे सुबह कर देती हैं।


फ्रेशर्स की सुबह काव्या का कॉल आया।कॉल पहले भी आते थे,लेकिन आज कुछ अलग ही बात थी।

"यार किशोर,बताओ क्या पहनूं?"आवाज़ में एक उलझन के साथ काव्या ने किशोर से पूछा।

"कुछ भी पहन लो यार, तुम ही बन रही हो मिस फ्रेशर",किशोर बोला।

"अच्छा जी",काव्या थोड़ा सा शर्माते हुए बोली।

"अरे मैडम, तुम हो ही कमाल"किशोर और काव्या जोर से हस रहे थे।

"अच्छा चलो,देखो क्या होता है",काव्या ने सी यू कहते हुए फोन रखा।


फ्रेशर्स...
सुबह स्कूटी से काव्या ने कॉलेज में एंट्री मारी और इधर किशोर का चेहरा बारिश की पहली धूप की तरह खिल चुका था।

फ्रेशर्स की हड़बड़ाहट में बस मुस्कुरा कर हाय से बात बन गई।फ्रेशर्स में वह मोमेंट कुछ अजीब हो गया था, जब एंकरिंग कर रहे सीनियर ने दोनों का नाम एक साथ बुला दिया, फिर उसने सॉरी सॉरी करते हुए नामों को अलग अलग बुलाया।लेकिन हूटिंग तो हो चुकी थी।

और काव्या का चेहरा गुलाबी हो चुका था, हल्की सी मुस्कुराहट।

ख़ैर फ्रेशर्स खत्म हुआ,काव्या मिस फ्रेशर बन चुकी थी।और किशोर तो बस किशोर ही था।

किशोर बोला,"अरे मैडम पार्टी तो बनती है।"

काव्या बोली,"चलो,.."

स्कूटी स्टार्ट हो चुकी थी,और हौले से बारिश भी।

जल्दी से उस शहर के बाहर वाले कैफे में पहुंचे,और

कोने वाले चेयर पर बैठते हुए किशोर ने चाय ऑर्डर किया और काव्या ने मैगी।

"तुम्हें पता है बारिशों में मैं सब कुछ भुल जाता हूं, ये रंगतें, ये बहार, हरियाली और उसमें तुम्हारा हाथ पकड़ लेना सच में बहुत खूबसूरत है... काव्या तुम सुन रही हो न",किशोर ने बारिश में कैफे के कोने बैठकर चाय पीते हुए काव्या का हाथ थामते हुए कहा।

काव्या अचानक से बोली,"तुम कुछ कह रहे थे, किशोर!

"नहीं, कुछ नहीं",किशोर ने कहा,"कहीं खो गई हो काव्या, बताओ न।


काव्या ने बोलना शुरू किया,"किशोर,यार तुम जानते हो, सुबह अब तुम्हारा मैसेज चेक करके करती हूं और रात भी आखिरी गुड नाईट तुम्हें ही बोलती हूं।अब तुमको मुस्कुराते देख अच्छा लगता है।यार तुम जरूरी हो गए हो मेरे लिए।ये बारिश,और ये चाय और उसमें तुम्हारा साथ...."

दो क्षण के लिए सब चुप थे,बस बारिश कुछ कह रही थी।

फिर काव्या बोली,"I am in love with you."

किशोर ने जवाब दिया,"I am also in love...with

बस 'बारिश और तुम'......

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