हमसफर - (भाग3) Kishanlal Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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हमसफर - (भाग3)

"हो सकता है तुम्हारी मौत से तुम्हारे जीवन का दर्द मिट जाता।लेकिन यह तो दर्द मिटाने का कोई तरीका नही हुआ।अगर दर्द मिटाने का यही सही तरीका है,तो फिर हर इंसान को आत्महत्या कर लेनी चाहिए,"उसकी आवाज में जोश था,"जिंदगी सुख दुख का मेल है।सुख दुख तो आते रहते है।वह इंसान ही क्या जो जरा से दुखो से घबराकर मौत का आलिंगन करने के लिए तैयार हो जाये।"
युवती ने उसे पैनी नज़रो से देखा।उसकी बात सुनकर जैसे मानो उसे होश आया गया हो।तभी उसका सोया हुआ दर्द फिर से जाग उठाऔर वह कराह उठी।उसने अपने चेहरे को दोनो हाथो से छिपा लियाऔर रोने लगी,"काश तुम मुझे मर जाने देते।"
चॉद की रोशनी में उसने युवती को देखा।उसका रंग गोरा था।लम्बे छरहरे शरीर की,नशीली आऑखो वाली वह सुन्दर युवती थी।चॉदनी रात मे वह स्वर्ग से उतरी अप्सरा लग रही थी।वह रोती हुई सुन्दरी के सिनगध सौंदर्य को अपलक निहारने लगा।
उस युवती का रोना थमा तो वह बोला,"तुम्हें ऐसा कया दुख है जो तुम आत्महत्या करना चाहती हो?"
"जानना चाहते हो?"वह बेझिझक अपना कुर्ता ऊचा करके पीठ नरेश को दिखाते हुए बोली,"देखो मै कयो मरना चाहती हूं?"
युवती की गोरी चिकनी देह पर गहरे नीले निशान उभरे थे।उन्हें देखकर लगा,मानो किसी ने उसे हंटर से मारा हो।मार के निशान युवती के शरीर पर थे,लेकिन दर्द का एहसास उसे हुआ था,"तुम पर यह जुल्म किसने ढहाया है?"
"भाई ने"अवसाद की रेखाएं उसके चेहरे पर उभर आयी थी।
"भाई तो बहन का रखवाला होता है,"उसकी बात सुनकर वह आश्चर्य से बोला,"तुम्हारा भाई बडा निर्दयी है, जो फूल सी कोमल बहन पर यह जुल्म ढहाया है"
"भाई की कया गलती है।दोषी तो मै हूं,"युवती बोली,"मैंने भाई की नाक कटा दी उसकी सजा दी है।"
"कैसे?"वह युवती के दिल मे छिपे रहस्य को चेहरा देखकर पढने का प्रयास करने लगा।
"मै लखनऊ में कालेज मे पढती हूं।सहेलियां जब अपने पयार के किससे सुनाती।तब मै भी सोचती थी।काश मेरी जिन्दगी मे भी कोई आये।मेरी यह इच्छा जल्दी ही पूरी हो गई।एक दिन राकेश मेरी जिन्दगी मे आ गया और मैं उसे चाहने लगी।प्यार करने लगी,"युवती अपने बारे मे बताने लगी,"हम दोनों का काफी समय साथ गुजरने लगा।मां बाप थे नहीं।भैया भाभी पर मेरी जिम्मेदारी थी।भैया को नौकरी से फुर्सत नहीं थी।भाभी हर समय पार्टियों मे व्यस्त रहती।इसलिए मुझसे कोई पूछने वाला नहीं था,"
युवती ने नजरें उठाकर देखा।नरेश घ्यान से उसकीं कहानी सुन रहा था।
"हमारा प्यार इस तेजी से परवान चढा कि मैं उसे जीवन साथी बनाने का सपना देखने लगी।वह मुझसे शादी का वादा कर चुका था।मैं भावुकता मे बहकर उसकी बातों में आ गई।यही मैंने भूल कर दी।"
ऐसा लगा मानो उसका सारा दर्द,दिल मे छिपी वेदना उसकी आवाज मे उभर आयी हो।
"मुझे राकेश पर विश्वास नही करना चाहिए था।याद रखना चाहिए था कि मर्द बेवफा होते है।"
"सभी आदमी बेवफा नहीं होते,"उसकी बात सुनकर नरेश बोला,"राकेश ने कया बेवफाई की।"
युवती की कहानी रोमांचक लग रही थी।ऐसी कहानी उसने पढी या फिल्मों में दे खी थी।लेकिन आज साक्षात नारी उसे अपनी व्याथा सुना रही थी।
"मैंने उस पर ऐतबार कर लिया।उसकी पयार भरी मिठी,चिकनी चुपडी बातों मे आ गई।यही मैंने भूल कर दी,"उस की ऑखें नम हो गई