अपने पुराने मोबाइल पर वह कांपते हुए हाथों से टाइप कर रही थी, '
मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ लेकिन...आप की बेरुखी ने मुझे ये कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया बस अब और नही अब मैं आपको इस बंधन से आजाद कर रही हु मुझे पता है मैं आपकी पहली पसंद नही हूँ लेकिन इसमें मेरी कोई गलती नही है मैं आपसे बेइंतिहा प्यार करती हूं ,और करती रहूंगी मैने तलाक के पेपर बनवा लिए है ,वही आलमारी में रखे है उसपर मैंने साइन कर दिया है आप भी कर दीजिए और मिल जाएगी मुझसे मुक्ति आपको...और इस अनचाहे रिस्ते से ।।.
और फिर स्वाति ने उसे विकाश को सेंड कर दिया ये चार शब्द लिखते लिखते उसकी आंखें पूरी तरह भीग चुकी थी आंखों से आँसू बह कर गालों को गीला कर रहे थे वो धम्म से सोफे पर गिर सी पड़ी और अपनी आंखें बंद कर ली उसकी आँखों के सामने 2 साल पहले का वो मंजर घूम गया जबवो दुल्हन के रूप में पहली बार उस घर मे गई थी ।
सब बहुत खुश थे आज विकाश की शादी थी विकाश अपने माँ बाप का एकलौता बेटा था और घर मे बहुत दिनों बाद शादी थी तो पापा जी ने दिल खोल के खर्चा किया था पूरा घर दुल्हन की तरह सजा था रंगीन रोशनी और महंगे फूलो से पूरा घर सजाया गया था ।रिस्तेदारो से पूरा घर भरा पड़ा था बच्चे इधर से उधर खेल रहे थे और फुदक रहे थे सब बहुत खुश थे सिवाय विकाश के क्योकि वो किसी और से प्यार करता था और ये शादी उसकी मर्जी से नही हो रही थी ।
जब विकाश पढता था तो उसी के कॉलेज की एक लड़की महक थी जिससे वो प्यार करने लगा था।महक भी उसी बैच की स्टूडेंट थी जिस बैच का विकास था कॉलेज के पहले दिन कुछ लड़के महक की रैंकिंग कर रहे थे और विकास ने बचाया था तभी से दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ था जो धीरे धीरे प्यार में बदल गया जब कॉलेज खत्म हुआ तो विकाश ने प्रपोज़ कर दिया और महक ने स्वीकार भी कर लिया लेकिन विकाश के पापा इस रिश्ते के लिए साफ मना कर चुके थे क्योंकि महक मॉडर्न लड़की थी और वो चाहते थे कि कोई संस्कारो वाली बहु उनके घर मे आये इसी बात को लेकर विकाश और उसके पापा की खूब अनबन हुई पर आखिर में विकाश को हार माननी पड़ी ।और आज विकास की शादी है ।सब खुश थे पर अनमने भाव से विकास सारे रस्मो रिवाज निभा रहा था धूम धाम से शादी हुई स्वाति बहुत ही अच्छी लड़की थी ज्यादा पढ़ी लिखी तो नही थी पर संस्कार बहुत अच्छे थे और सुंदर भी थी आज दुल्हन के रूप में पहली बार अपने ससुराल में कदम रखने जा रही थी मन में डर भी था की सब कैसे होंगे और उमग भी था और थे बहुत सारे अरमान और सुनहरे सपने जो उसने देखे थे ।पर पहली ही रात में उसके सारे सपने सारे अरमान मिट्टी में मिल गये ।उसे पता चल गया कि ये शादी विकाश की मर्जी से नही हुआ और वो आज भी महक को भूल नही पाया था और जब उसकी स्वाति से शादी तय हुई तब उसने बड़ी मुश्किल से हा बोला था ।सुबह उठ कर वो अपनी सास के पास गई और उनका पैर छूने लगी सास ने सर पे हाथ फेरा और प्यार से पूछने लगी कि विकास ने सही से तो व्यवहार किया ।इस तरह से प्यार पाकर स्वाति अपनी रुलाई नही रोक पाई और फफक के रो पड़ी।स्वाति की सास सारी बाते समझ गई उसने स्वाति को गले से लगा लिया और बड़े ही प्यार से समझाया की बेटा तुम मेरी बेटी जैसी हो धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा अपनापन और प्यार पाकर पत्थर भी पिघल जाता है । स्वाति को ऐसा लगा जैसे उसकी मां बोल रही है उसने सास की कही हर एक बात गाठ बाध ली और धीरे धीरे अपने सौम्य और सरल स्वभाव से पूरे घर को अपना बना चुकी थी।स्वति की सास स्वाति की बड़ाई करते नही थकती थी और बिल्कुल अपने बेटी का सा प्यार देती थी स्वाति भी सबके हर छोटी बड़ी जरूरतों का ख्याल रखती थी ।स्वाति को सास के रूम में दूसरी मा और ससुर के रूप में पिता मिले थे । कब किसको क्या चाहिए स्वाति बिना कहे सब समझ जाती थी लेकिन विकाश अब भी उससे दूर ही था और ये बात स्वाति को कचोटती रहती थी स्वाति की सास सब समझती थी और उसे बहुत मलाल भी था पर क्या कर सकती थी
धीरे धीरे समय बीतता गया स्वाति ने अपने प्यार और कार्यकुशलता से पुरे घर को सम्हाल लिया था ।वह बिकाश के हरछोटी बड़ी जरूरत बिना कहे पूरा करती बिना किसी गिले शिकवे के पर विकास उससे बहुत ही कम बात करता था और बात बात पर झिड़क देता था ।स्वाति सब सुनती पर कुछ नही बोलती थी उसे अपने प्यार पर पूरा भरोसा था ।
आज स्वाति को एक शादी में जाना था।उसका जाने का मन न था पर उसकी सास ने जिद करके उसे तैयार किया वह बेमन से तैयार हुई और सब शादी में गये वहाँ जा कर स्वाति अपना गम भूल गयी और इधर उधर घूम घूम के सब देख रही थी तभी उसकी नजर एक टेबल पर पड़ी जहा बिकास एक लड़की के साथ बैठा था और विकास उससे बहुत ही हँस हँस कर बाते कर रहा था स्वाति के ऊपर जैसे बिजली सी गिरी ।उसे यह जानने की तीब्र इच्छा हुई कि वह लड़की कौन है उसने आस पास नजर दौड़ाई पर कोई ऐसा नही दिख जो बता सके कि वो लड़की कौन है तभी किसी ने उस लड़की को आवाज दी महक चलो अब देर हो रहा है ,स्वाति को तो जैसे करंट लगा हो उसने गौर से देखा हैं नैन नक्स तो ठीक ठाक था और कपड़े भी मॉडर्न थे उसे महक के साथ विकास का बात करना बिल्कुल भी अच्छा नही लग रहा था ये वही लड़की है जिसकी वजह से मैं अपने पति का प्यार न पा सकी ऐसा सोचते ही स्वाति को गुस्सा आने लगा अचानक उसको अपने साथ घटित होने वाली सारी घटना याद आ गई कैसे वो एक एक लम्हा एक एक पल अपने पति के प्यार के लिए, तारीफ के दो शब्द के लिए तरसी है ।और विकास उसे भले ही पत्नी का दर्जा न दिया हो पर वो थी तो उसकी पत्नी वो कैसे बर्दास्त कर लेती की उसका पति किसी और लड़की के साथ इस तरह से बाते कर रहा है थी तो वो भी इंसान ही ऊपर से ये वही लड़की है जिसने उसकी जिंदगी तबाह कर दी ।उसे गुस्सा आने लगा और इसी गम और गुस्से से उसकी तबियत खराब हो गयी वो अचानक से बेहोश होकर गिर पड़ी ।चारो तरफ ऑफर तफरी मच गई लोग उसे उठा कर अस्पताल पहुचे ।
स्वति की आंख खुली तो वो हॉस्पिटल में थी और बेड पर पड़ी थी उसके आस पास उसकी सास और माँ खड़ी थी अपनी माँ को देखते ही उसके सब्र का बांध टूट गया और उनसे लिपट के फ़ूट फुट के रोने लगी उसे शादी की सारी घटना आंखों के आगे घूमती सी लगी माँ के गोदी में सर रखकर जी भर के रोने के बाद उसका मन हल्का हो गया। तभी डॉक्टर आये उन्होंने चेकअप करके बताया कि कमजोरी की वजह से बेहोश हुई थी अभी शाम तक छुट्टी मिल जाएगी ।शाम को सब घर पहुचे।सब कोई स्वाति को देखने आए पर विकाश न उसे देखने आए और न ही लेने।स्वति को इस बात से बड़ा दुख हुआ।उसकी आँखों के आंसू आगए बार बार शादी वाला मंजर घूमता और आखिर में उसने एक बड़ा फैसला लेने का सोच लिया वो एक वकील से मिली और उसने तलाक के पेपर तैयार करवाये उसे उसने आलमारी में रखा ।उसे पता था अगर उसने अपने सास ससुर से यह बात बताती तो उसे कैसे न कैसे करके रोक ही लेंगे और स्वाति उनकी बात नही काट पाएगी लेकिन अब वह इस जबरदस्ती के रिश्ते से विकाश को आज़ाद कर देना चाहती थी हमेशा हमेशा के लिए।
उसने अपनी सास से अपने मायके जाने की इजाजत मांगी और उसे मिल गयी।अपने मायके पहुच कर भी स्वाति इन्ही सब ख्यालो में गुम थी उसे अपने घर से प्यार हो गया था लेकिन विकाश के अपने लिए नफरत के बारे में सोचती तो उसकी आंखे अनायास ही भर जाती इसी सोच विचार में उसने दो दिन बाद अपने सासु मा को फ़ोन किया है हाल चाल पूछने के बाद उसने भारी मन से अपने सासु मा को अपने फैसले के बारे में बताया ।वो क्या बोलती उनको पता था कि स्वाति ने बहुत कुछ सहा है। उन्होंने सिर्फ इतना कहा बेटे शादी बिबाह कोई छोटी बात नही है तुम समझदार हो जो भी निर्णय लोगी ठीक ही लोगी बस एक बार और सोच लो मैं बिकास से बात करूँगी ।स्वाति बोली -माँ मैं अब भी उनसे उतना ही प्यार करती हूं लेकिन अगर वो मेरे साथ खुस नही है तो क्या करूँ उनकी खुशी में ही मेरी खुशी है अब मैं उन्हें इस अनचाहे रिस्ते से हमेसा के लिए आजाद कर देना चाहती हु ।स्वाति की सास बोली जैसे तुम्हारी मर्जी बेटे मैं हर तरह से तुम्हारे साथ हो तुम मेरी बहु नही बेटी हो ।स्वति कि आंखे भर आयी सच मे उसकी सास ने उन्हें कभी भी बहु नही माना हमेसा बेटी की तरह प्यार किया है ।और उसने जल्दी से फ़ोन काट दिया ।फिर उसने विकास का नंबर निकाला और उसे मैसेज करने लगी शायद अब भी उसमे बात करके यह बात बोलनेकी हिम्मत नही थी उसमे
अचानक से माँ ने स्वाति को जगाया स्वाति जैसे ख्वाब से जागी हो हड़बड़ा के उठी ,उसने जल्दी से आँसु पोछे पर स्वति की माँ ने देख लिया बहुत पूछने पर स्वति ने माँ से सारी बात बताई स्वाति की माँ ने उसे अपने कलेजे से लगा लिया स्वति फिर फफक के रो पड़ी स्वाति की माँ ने बोला -मेरी बच्ची इतना कुछ सहती रही और मुझे बताया तक नही कुछ एहसास भी नही होने दिया मेरी बेटी बहादुर है मुझे नाज है बेटा तुझपे अपने आप को कभी भी अकेला मत समझना तुम्हारी माँ तुम्हारे साथ है हमेसा की तरह ।स्वाति फिर से अपने माँ के सीने से लग गई उसके आंखों से दो बूद आंसू निकल कर गालो को गीला करने लगे ।इस समय उसे ऐसे किसी सहारे की सख्त आवस्यकता थी
विकाश के फ़ोन में स्वाति का sms पहुचा उसने उठा के देखा और चौक गया क्योंकि आज तक स्वाति ने घर पर तो बात किया था लेकिन फ़ोन कभी नही किया और ना ही sms ।उसने खोल के देखा उसे धक्का सा लगा पर अगले ही पल वह खुश हो गया क्योंकि उसे स्वाति से छुटकारा मिलने वाला है वह खुसी से झूम उठा क्योकि महक से शादी का रास्ता अब साफ था ।उसने तुरंत ही महक को फ़ोन करके पास के रेस्टोरेंट में बुलाया आधे घंटे बाद महक आ गई ।दोनो ने कॉफी का आर्डर दिया विकाश बहुत खुश था आखिर में महक ने पूछ ही लिया क्या बात है बड़े खुश हो विकास ने महक को सारी बात बताई और बोला यार अब हमारी शादी को कोई नही रोक सकता ।महक चिहुँक सी गयी और बोली आर यु सीरियस विकास तुम अभी भी वही अटके हो मैं वो सब बातें कब का भूल चुकी हूं अब तुम मेरे दोस्त हो बस ।विकास को ऐसे जबाब की उम्मीद कतई न थी उसने चौक कर महक को देख और बोला क्या कह रही हो महक ?महक ने कहा- विकास मेरी शादी तय हो गयी है अगले महीने मेरी सगाई है विकास पे जैसे ये सब्द बिजली बन कर गिरे वो चीख पड़ा तुम मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती हो तुम मुझे प्यार करती थी और मैं भी तुमसे प्यार करता हु ?अब महक भी चीख कर बोली -करती थी विकाश लेकिन जब तुम्हारी शादी हो गयी तो क्या करती मैं,मैं भी कब तक तुम्हारा इन्तेजार करती अब मैने भी जिंदगी में आगे बढ़ने का फैसला कर लिया है ।विकास से खड़ा होना मुश्किल हो गया वो धम्म से अपने घुटनों पे बैठ गया और दोनों हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाने लगा महक मेरे साथ ऐसा मत करो प्लीज़ अब सब ठीक हो जाएगा मैं तुमसे बहुत प्यार करता हु।तुम इस रिश्ते के लिए मना कर दो और मुझसे शादी कर लो उसके आंखों में आँशु आ गए ।लेकिन महक ने साफ शब्दो में मना कर दिया उसने कहा मैं अपने माँ बाप को सर्मिन्दा नही कर सकती विकास सॉरी अब मुझे भूल जाओ और आज के बाद मुझे कॉल या मिलने की कोशिश मत करना मैं अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुकी हूं और तुम भी बढ़ जाओ । और फिर महक बिना कुछ कहे वहा से चली गई
विकास वही बैठा रहा उसकी उठने की हिम्मत नही हो रही थी जैसे उसके शरीर का सारा रक्त किसी ने निचोड़ लिया हो वो महक को जाता है देखता रहा उसे ऐसा लग रहा था उसकी दुनिया लुट चुकी हो। लगभग दस मिनट बाद वो उठा और धीरे धीरे कदमो से आगे बढ़ने लगा उसको ऐसा लग रहा था किसी ने उसके कदमो में पत्थर बांध दिए हो ।किसी तरह ड्राइव करता हुआ वो घर पहुचा और सीधा अपने कमरे में जाकर बेड पे गिर गया और फिर फफक फफक कर रोने लगा । जी भर कर रो लेने के बाद उसका मन हल्का हो गया दुख आंखों के रास्ते निकल चुका था अब उसे महक पर गुस्सा आ रहा था जिसने उसके प्यार का मजाक उड़ाया था उसने महक को फ़ोन करने के लिए फ़ोन निकाला और उसके सामने स्वति का Sms खुल गया उसे वो दुबारा पढ़ने लगा पढ़ते पढ़ते वो स्वति के बारे में सोचने लगा वो आज भी मुझसे प्यार करती है जिसे मैंने कभी अपना माना ही नही जिसे शिवाय झिड़की नफरत के शिवा कुछ नही दिया मैने जिसके सपनो अरमानो का खून कर दिया मैने सिर्फ और सिर्फ महक के लिए और आज वही महक उसे दुत्कार के चली गई । अचानक उसे एहसास हुआ कि इस लड़की के साथ मैने बहुत गलत किया क्या गलती थी उसकी यही की मुझसे शादी हो गयी उसे क्या मालूम कि मेरी मर्जी नही थी लेकिन कभी भी उसने शिकायत नही किया ।उसे बहुत पछतावा होने लगा उसे अपने आप से नफरत होने लगी उसने नजर उठा के कमरे को देखा पूरा कमरा बेतरतीब फैला था।विकास की आदत थी की कोई भी समान इधर उधर फेक देता था वो स्वाति ही थी जो उसे उठा के सही जगह रखती स्वाति के जाने के बाद उसे आज पहली बार स्वति की जरूरत महसूस हो रही थी वह बुरी तरह से पश्चाताप की आग में जल रहा था ।स्वाति के साथ किये उसके सारे गुनाह उसके आंखों के सामने आ रहे थे वो जितना सोचता उसे अपने आप से उतनी नफरत होने लगी अनायास ही उसके आंखों से लगातार आसुओ की धार तकिये को भिगो रही थी ।
सोचते सोचते कब नीद आ गई पता ही नही चला आंख खुली तो सर बहुत बुरी तरह से दर्द कर रहा था उसका पूरा बदन भट्टी की तरह जल रहा था लेटे लेटे ही मा को आवाज लगाई ।माँ आयी तो देखा बिना जुता उतारे बिना कपड़े उतारे विकाश बिस्तर पर था वो घबरा गई कि क्या हुआ ,जल्दी से उन्होंने विकाश के माथे पर हाथ रखा उसका पूरा बदन भट्टी की तरह जल रहा था उन्होंने डॉक्टर को फ़ोन किया आधे घाटे बाद पापा और डॉक्टर दोनो विकाश के सामने थे उसे 104 बुखार था डॉक्टर ने दवाई दी और आराम करने की सलाह देकर चले गए ।अब विकाश कमरे में फिर अकेला रह गया उसे वो दिन याद आ गया जब 6 महीने पहले उसे बुखार हुआ था पूरी रात स्वाति उसके पास बैठी रही कितनी बार डांटा खोपड़ी पे मत बैठो जाकर सो जाओ लेकिन टस से मस न हुई और वो ही क्यो जब मम्मी को चोट लगी थी तब भी खाना पानी नहाना दवाई साफ सफाई कितना ख्याल रखती थी मम्मी का। कभी भी किसी चीज के लिए मना नही करती थी बिना कहे सब कुछ हाजिर हो जाता था । कितना कुछ सहा है लेकिन आज तक कभी कुछ नही बोली ।विकाश को स्वति की हर एक आदत बात काम सलीका याद आ रहा था।उसे ऐसा लगने लगा स्वति के बिना वो अधूरा है, अचानक से स्वाति पर बेसुमार प्यार उमड़ने लगा। पर उसके SMS को याद करके दिल सिहर उठा आज पहली बार स्वाति को देखने का मन कर रहा था पर अफसोस वो विकाश से बहुत दूर जा चुकी थी ।
विकाश के सेहत में कोई सुधार नही हुआ उसका बुखार उतारने का नाम नही ले रहा था उसको अस्पताल में भरती करवाना पड़ा वह बार बार स्वति के साथ किये हुए अपने नफरत को याद करता और फिर बेहोश हो जाता बेहोसी के हालात में भी उसके मुह से अब स्वति को याद करने लगा ।एक दिन विकास को नींद में बड़बड़ाते हुए माँ ने सुना वो कह रहा था मुझे माफ़ कर दो स्वाति ।उन्होंने तुरंत स्वति को फ़ोन मिलाया और विकाश की सारी कंडीसन बताया और आने के लिए प्राथना की स्वाति से रहा ना गया गया वो तुरंत ही जाने के लिए निकल गयी ।
विकाश को होश आया गया वो 5 दिन से भर्ती था उसका चेहरा एक दम पीला पड़ गया था आंखों के नीचे गड्ढ़े पड़ गए थे एकदम कमजोर सा लग रहा था सेविंग बढ़ी थी कुल मिला के ऐसा लग रहा था जैसे महीनों के बीमार ।उसने चारो तरफ नजर घूमा के देखा एक तरफ मम्मी पापा बैठा थे उसने दूसरी तरफ नजर घुमाई सामने स्वति बैठी थी एकदम भावहीन चेहरा स्वाति को देख कर वो चौक गया और फिर एकटक उसी को देखने लगा विकास के मम्मी पापा बाहर निकल गए ।स्वाति ने पूछा कैसे हो ।विकाश सर्मिन्दा था वो स्वाति से नजर नही मिला पा रहा था उसने धीरे से कहा जैसे भी हु तुम्हारे सामने हु उसके चेहरे पर फीकी सी हसी थी ।ये क्या हाल बना लिया आपने अपना -स्वति बोली अब तो आप आजाद हो मैने आपको जबरदस्ती वाले रिश्ते ते से मुक्त कर दिया विकाश कुछ नही बोला बस निस्तेज एक तरफ देख रहा था स्वाति फिर बोली अब तो आपको तलाक मिल गयी अब आप महक से शादी कर लेना ऐसा कहते कहते स्वाति कि आंख भीग गई और स्वर भर्रा गया ।विकास बिल्कुल टूट सा गया और उसके सब्र का बांध टूट गया वो स्वाति से लिपट के फुट फुट कर रोने लगा और कहने लगा मुझे माफ़ कर दो स्वाति और दोनों हाथों से अपने कान पकड़ कर रोते रोते बोला मुझे माफ़ कर दो कुछ भी करो लेकिन मुझे छोड़ कर मत जाओ प्लीज मैं तुम्हारे बिना नही रह पाऊंगा ।स्वाति को ऐसी उम्मीद बिल्कुल भी नही थी वो घबरा गई।उसने विकास को उठाया और प्यार से उसके बाल सहलाने लगी स्वति ने विकास को अपने सीने से लगा लिया वो अब भी बुरी तरह रोये जा रहा था और बार बार अपने किये की माफी मांग रहा था स्वाति ने किसी तरह चुप करवाया ।और विकास के चेहरे को अपने फिर दोनों हाथो में भर कर पूछा ।इतना प्यार करते हो तो कभी बोला क्यो नही विकास ने कहा अब समझ में आया की प्यार तो मैं तुमसे करता हु वो तो मेरी जिद थी और रही बात बोलने की तो मैं बेवकूप था हीरा मेरे घर मे था और मैं कांच के पीछे भाग रहा था।इतना कह कर स्वति को अपने बाहों में और जोर से कस लिया स्वाति भी और जोर से विकास से चिपक गयी क्योकि आज उसका पति उसे मिल ही गया उसका प्यार जीत गया ।एक नया कल स्वाति और विकाश की जिंदगी में एक नया सबेरा लाने वाले थे जिसमे सिर्फ प्यार ही प्यार होगा और कुछ नही ।
समाप्त
लेखक
सुनील कुमार गुप्ता