कामनाओं के नशेमन
हुस्न तबस्सुम निहाँ
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एक निर्जन और ऊँची पहाड़ी पर दोनों आ कर बैठ गए। सामने एक खूबसूरत झरना था। आसमान पर हल्के-हल्के बादल छाए हुए थे। अंदर से बाहर तक सिहरा देने वाली ठंडी हवा चल रही थी। अमल और मोहिनी बहुत ही पास बैठे थे। इतने पास कि उनकी सांसों में जो इन क्षणों में एक उष्मा भरी हुई थी उसका एहसास दोनों कर सकते थे। लेकिन ऐसा नहीं लगा है कि वे उस उष्मा से तृप्त हो रहे हों। लाख ऐसी उष्मा भरी निकटताएं हों, लाख ऐसे मनोहारी दृष्य हों लेकिन यदि मन में कहीं से जड़ता आ गई हो तो कुछ भी अंदर को छू नहीं पाता है। इस क्षण वे दोनों पास-पास रखी हुई मूर्ति जैसे लगे हैं...निःस्पंद।
तभी मोहिनी ने मुड़ कर बाजू में बैठे अमल की ओर देखते हुए हँस कर कहा- ‘‘देखो मैं भी कैसी हूँ, तुम्हें लाई थी यहाँ कुछ चेंज के लिए लेकिन तुम भी गुमसुम से बैठ गए और मैं भी...‘‘
‘‘हाँ, मैं भी यही महसूस कर रहा हूँ।‘‘ अमल ने एक सहज भाव में कहा। और फिर मुस्कुरा कर बोले- ‘‘मैं ऐसी स्थिति को खुद नहीं झेल पा रहा हूँ‘‘
मोहिनी ने महसूस किया कि इस क्षण में अमल की मुस्कुराहट में एक मादकता हठात् भर आई है। उसने ठिठक कर पूछा- ‘‘कैसी स्थिति?‘‘
फिर अमल एक आवेग में मोहिनी के चेहरे पर झुकते हुए बोले- ‘‘मैं यहाँ..., इतनी दूर तुम्हें पाने आया था मोहिनी। मैं झूठ नहीं बोलूंगा तुमसे। मैं मन के किसी आग्रह से नहीं बल्कि एक सहज सी मांसल स़्त्री का मात्र सुख पाने तुम्हारे पास आया था। पुरूषों को जो एक प्लेजर पाने की ललक होती है, सिर्फ उसी दैहिक आनंद के लिए तुम्हारे पास आया था।‘‘
मोहिनी ने एक फीकी मुस्कान के साथ कहा- ‘‘जब तुम मेरे पास आए तो मैंने कल ही यह महसूस कर लिया था कि तुम किसी मन के आग्रह से मेरे पास नहीं आए हो। बस, एक स्त्री से वही पाने जो एक पुरूष पाना चाहता है किन्हीं क्षणों में। और इसका मलाल भी नहीं हैं मुझे।....बस तुमसे थोड़ी सहानुभूति जरूर हो गई कि तुम ऐसा कुछ पाने के लिए मेरे पास आने के लिए क्यों मजबूर हुए हो। तुम्हारी पत्नी, बेला तुम्हारे पास है। निःसंदेह वह बहुत ही खूबसूरत होगी। फिर ऐसी क्या मजबूरी थी कि तुम्हें मेरे पास भाग कर आना पड़ा इत्ती दूर।‘‘
‘‘....गेस्टहाउस जाने के बाद उस एकांत में बेला बहुत ही याद आई आज। मैं उसे बहुत प्यार करता हूं।‘‘ अमल ने एक गहरी पीड़ा के साथ कहा। लौटने के बाद वह मुझसे ऐसा कोई सवाल नहीं करेगी कि मैं उससे इतने दिनों तक दूर क्यों रहा....या कहाँ गया था। उसका यही न पूछना ही मुझे मार डालता है। मैं कल ही मुंबई वापस लौट जऊँगा।‘‘
मोहिनी एक पागल की तरह हँस कर बोली- ‘‘मैं जानती थी एक दिन तुम्हें बेला के लिए वापस लौटना ही है।‘‘ फिर वह बहुत रूंआसी हो आई, जैसे किसी हिस्टीरिया के रोग से अचानक वह ग्रसित हो गई है। वह रूंधे गले से बोली-‘‘तुम्हारे पास लौटने के लिए बेला तो है। मेरे पास तो लखनऊ लौटने के लिए कुछ भी नहीं है। तुम कल वापस लौट जाओ। अब मैं शायद उस रात वाले पल तुम्हें दोबारा न दे सकूं। मैं शिखर के लिए प्यासी-प्यासी ही ईमानदार रहना चाहती हूँ। शिखर मेरी प्यास से बहुत बड़ा है और मेरी तृप्ति से भी। कल जब उसने मुझसे ये कहा कि जा कर अमल को गेस्टहाउस से वापस ले आओ...उसकी यह सहज सी स्वीकृति मुझे चीर गई। शिखर के भीतर मरते हुए पुरूष को मैंने बड़ी गहराई के साथ महसूस किया है। उसका मरना एक बहुत भयानक ट्रेजिडी है। एक खौफनाक हादसा है।‘‘
इतना कह कर मोहिनी ने अमल की ओर देखते हुए एक रहस्यमय मुस्कुराहट के साथ कहा- ‘‘उसके मरते पुरूष ने कल मुझे मार डाला है। मैं कहीं से भी अब जैसे शेष नहीं रह गई हूँ‘‘
अमल मोहिनी के चेहरे पर आते कुछ अजीब से बदलाव को बहुत गहराई से महसूस करते हुए धीरे से पूछा- ‘‘शिखर के भीतर के पुरूष का मरना मेरी समझ में नहीं आया।‘‘
‘‘वह सिर्फ मेरे पति हैं। एक पुरूष नहीं। वह स्त्री के लायक ही नहीं हैं। यह उनकी अपनी मजबूरी है। एक भयानक ट्रेजिडी उनके लिए भी और मेरे लिए भी। मैं रात भर उनकी बाजू में लेटी-लेटी निर्णय लेती रही जैसे मेरे जीते रहने का एहसास उन्हें चीरता रहेगा हमेशा...हमेशा।...मैं उनके दुःखों को नहीं झेल पाऊँगी। कल से उन्हें मैं बहुत चाहने लगी हूँ, उनके लिए मेरे मन में असीम प्यार भर आया है।‘‘
‘‘तो कल तुम भी उनके पास लौट जाओ।‘‘ अमल ने कहा।
‘‘उनके पास जा कर क्या करूंगी।‘‘ मोहिनी ने एक फीकी मुस्कुराहट के साथ कहा- ‘‘वह मेरे एहसास से ही हमेशा टूटते रहते होंगे। उनका टूटना अब मैं ज्यादह नहीं सह पाऊँगीं‘‘
‘‘फिर क्या करोगी?‘‘ अमल ने मोहिनी के चेहरे पर उभरते हुए किसी खतरनाक से भाव को टटोलते हुए पूछा। मोहिनी ने एकबार अमल की ओर देखा और निर्जीव मूर्ति की तरह उठते हुए कहा- ‘‘अमल...कुछ फैसले बड़े ठंडे होते हैं। बिना किसी आवेग के।....और उन फैसलों में बहुत दम होता है।
‘‘कैसा फैसला...?‘‘ मोहिनी के उठने पर अमल जैसे बुरी तरह सहम गए हैं।
‘‘मैं तुम्हें साक्षी बना कर आत्महत्या करना चाहती हूँ। तुम कभी शिखर को यह बता देना कि मैं उनके पुरूष की पीड़ा को सह नहीं पाई। बहुत प्यार करने लगी थी उनको।‘‘ इतना कह कर मोहिनी उस पहाड़ी के आखिरी छोर की तरफ जाने लगी है ठंडे कदमों से।
‘‘नहीं....नहीं...यह तुम्हारा विकल्प नहीं है। तुम्हारा यह फैसला एक औरत का फैसला नहीं है जिसके पास जीने के लिए सब कुछ हो। मोहक ऋतुओं से भरी उम्र हो। जीने के लिए अपनी कामनाएं हों। तुम एक पत्नी के अलावा एक स्त्री भी हो।‘‘ अमल जोरेां से चिल्ला कर उठ खड़े हुए और मोहिनी को पकड़ना चाहा लेकिन वह पहाड़ी के उस छोर तक पहुंच कर बिना कुछ सुने ही कूद गई। अमल चीख कर रह गए। उन्हें उस क्षण बहती हुई हवाएं बिल्कुल रूकी सी लगी हैं। वे गिरता हुआ झरना जैसे थम सा गया था। वह एक बहुत ही असहाय की तरह चारों तरफ देखने लगे थे। उस घिरते से अंधेरे में वह किसे आवाज देते। शायद यही निर्णय लेना उनके मन में पहाड़ भर गया था।
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अमल पास वाली बस्ती से जाकर कुछ लोगों को बुला लाए। थोड़ी देर में वहाँ काफी भीड़ लग गई। मिलिट्री छावनी से कुछ जवान भी वहाँ आ गए थे। तीन चार जवान पहाड़ी से नीचे उतर गए। संयोग से वह पहाड़ी के नीचे एक झाड़ी में फंस कर रह गई थी। किसी तरह से वे लोग मोहिनी को ऊपर लेकर आए। उसके सिर से काफी खून बह रहा था। वह बिल्कुल अचेत हो चुकी थी। उसे फौरन मिलिट्री हस्पताल लाया गया। एक पूरी भीड़ हस्पताल में साथ चली आई थी। डॉक्टर ने मोहिनी को ऑपरेशन थिएटर ले जाते वक्त उस भीड़ में पूछा गया- ‘‘इनका कोई संबंधी है यहाँ पर?‘‘
उस भीड़ में एक फुसफुसाहट उभरी है। भीड़ में हर दृष्टि एक दूसरे पर पड़ने लगी। शायद इस भीड़ में वह मोहिनी के किसी संबंधी को तलाश रही थी। कुछ पलों तक इसी तलाश में अजीब गहमागहमी रही। डॉक्टर ने दोबारा पूछा, ‘‘कोई हो तो आ जाए प्लीज...या उन्हें बुलवा लें...केस काफी सीरियस है खून काफी बह गया है।‘‘
अमल ने शायद पहली बार ऐसी भीड़ की संदिग्धता से भरी नजरों को झेला था। कुछ आँखें उनकी ओर ठहरी सी लग रही थीं। कुछ पलों के लिए वह जड़वत हो गए थे। तभी किसी ने कटाक्ष के साथ कहा- ‘‘मोहिनी राजदान के साथ एक अजीब ट्रेजिडी है, रात के अंधेरे में तो उनके साथ संबंध बनाने वाले कितने ही लोग होंगे। लेकिन इस वक्त कोई सामने नहीं आ रहा है।‘‘
अमल को उसकी इस बात से महसूस हुआ कि जैसे वह पूरी भीड़ एक कीचड़ है जहाँ वह बुरी तरह फंस गए हैं।उनका पूरा वजूद ही इस कीचड़ से सन उठा है। फिर जैसे एक पत्थर की तरह भीड़ को चीर कर आगे बढ़े और डॉक्टर से बहुत ही संयत स्वरों में कहा-‘‘फिलहाल तो मैं ही हूँ इनके पति कल शाम को लखनऊ वापस गए हैं। उनको खबर कर देता हूँ‘‘
डॉक्टर ने अमल की ओर एक अजीब भाव से देखा और कहा ‘‘बहुत जरूरी है उनके पति को खबर करना। कुछ कहा नहीं जा सकता है कि वह बच ही जाएंगी...।‘‘ तब अमल ने सकुचाते हुए कहा- ‘‘लेकिन उनके पति का पता मुझे नहीं मालूम। अब तो उन्हें होश आने पर ही पता लग सकता है।‘‘ तभी पास खड़े शायद उस पालीहिल वाले लड़के ने एक अजीब भाव में कहा-‘‘ मोहिनी के पास एक मोती भी तो है, उसे शायद मालूम हो।‘‘
इस लड़के के कहने के इस गंदे से भाव को महसूस करते हुए अमल ने उसकी ओर एक घृणा के साथ निहारते हुए तेज स्वरों में कहा- ‘‘उसे भी शायद मालूम न होगा।‘‘ तभी डॉक्टर ने अमल से कहा ‘‘ठीक है बाद में देखा जाएगा। फिलहाल आप हमारे साथ ऑपरेशन थिएटर में आईए। आपको कुछ पेपर फिल करने होंगे।‘‘ फिर डॉक्टर के साथ व अंदर चले गए हैं।
तक़रीबन दो घंटे तक अमल ऑपरेशन थिएटर के बाहर बेंच पर बैठे रहे। तब तक मोती भी शायद खबर पा कर आ गया था। वह भी बहुत ही निर्विकार भाव से अमल की ओर निहारता चुपचाप उनके पास आ कर खड़ा हो गया था। एक अजीब सन्नाटा दोनों के बीच तना हुआ था। अमल जैसे अभी तक उस भीड़ के कीचड़ को पोंछ नहीं पाए थे। तभी बहुत सहम के साथ मोती ने अमल से पूछा- ‘‘मेमसाहब पहाड़ी से फिसल गई थीं क्या..?‘‘
अमल ने सिर उठा कर बगल में खड़े मोती को जिज्ञासा भरी आँखों से देखा। तत्काल जैसे उनके अंदर एक उत्तर उबल कर रह गया था। वह सहसा कुछ बोल नहीं पाए। मोती शायद अभी तक उनके उत्तर की प्रतीक्षा में उन्हें ही तक रहा था। कुछ प्रश्नों के उत्तर सहज होते हैं कि उन्हें तत्काल दिया जा सकता है लेकिन कभी-कभी वे सहज से उत्तर इतनी दुरूहता से भरे होते हैं जिसके लिए शब्द फूट नहीं पाते। अमल से कोई उत्तर न पाकर वह उनके कान के पास आकर बोला है- ‘‘साहब, जब मैं यहाँ आ रहा था तो कुछ लोग आपके बारे में बड़ी गंदी-गंदी बातें कर रहे थे। .....मुझसे बहुत कुछ आपके बारे में पूछ रहे थे। और कह रहे थे कि.....‘‘
अमल ने मोती की आँखों में बिना किसी कुतुहल के झलकते भावों को बहुत ही निरपेक्ष ढंग से देखने का प्रयास किया। उनके मन में ऐसा कुछ नहीं उगा कि उन बातों को पूछते जिसे वह कहता-कहता हठात् रह गया था।
मोती ने फिर कुछ क्षण चुप रहने के बाद बहुत धीमे स्वर में बोला था- ‘‘वे कह रहे थे कि....आपने ही मेमसाहब को पहाड़ी से गिरा कर मारने की कोशिश की है। क्योंकि उन्होंने आपको छोड़ कर किसी दूसरे से शादी कर ली है....इसीलिए आपने उनसे बदला लिया है।‘’ कभी-कभी भूकंप आने की स्थिति में भी जब जमीन जरा भी न हिले तो उस कारण से भूकंप की सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता। अभी अमल भी उसी तरह निश्चल और अकंपित रह गए हैं। हालांकि उन्हें मोती के इस भयानक आरोप से पूरी तरह हिल जाना चाहिए था। वह बस चुपचाप मोती की आँखों में निहारते भर रह गए है। जैसे किसी पत्थर की तरह जड़ रह गए हों।
तभी वह डॉक्टर थिएटर से बाहर निकला। अमल की जड़ता जैसे तुरंत टूट सी गई है। वह लपक कर डॉक्टर के पास गए और बहुत ही बुझे हुए स्वर में उन्होंने सहमते हुए डॉक्टर से पूछा- ‘‘कैसी हैं वह?‘‘
‘‘ऑपरेशन तो हो गया है लेकिन अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। जब तक होश न आ जाए। खून काफी निकल चुका है।...गाॅड ब्लेस हर।‘‘ डॉक्टर ने अमल के चेहरे पर उभरते किसी अबूझे से भाव को निरखते हुए सपाट लहजे में कहा।
‘‘सर...उनका बचना बहुत जरूरी है।‘‘ अमल ने एक छटपटाहट के साथ कहा।
‘‘जिंदा रहना कब गैरजरूरी होता है।‘‘ डाक्टर शायद अमल की इस दुरूह अर्थ वाली बात पर थोड़ा मुस्कुरा कर कहा।
तभी पुलिस सब इंस्पेक्टर आ गया और आते ही उसने डॉक्टर से मुस्कुरा कर पूछा- ‘‘सर उसे होश आ गया है क्या? उसका मृत्यु पूर्व बयान लेना है।‘‘
‘‘अभी तक तो होश नहीं आया है। केस काफी सीरियस है। शायद ही आप कुछ बयान ले पाएं।‘‘ डॉक्टर इतना कह कर रिटायरिंग रूम की तरफ चला गया। तब उस पुलिस इंस्पेक्टर ने अमल की तरफ मुड़ कर पूछा- ‘‘क्या आप मोहिनी जी के कोई संबंधी हैं?...आज आप ही उनके साथ पहाड़ी पर थे जहाँ से वे नीचे गिरी थीं?‘‘
‘‘जी...‘‘ अमल ने उस इंस्पेक्टर के प्रश्न को गहराई से महसूस करते हुए धीमे से कहा। फिर उसने मोती की तरफ देखते हुए पूछा- ‘‘क्या यही लड़का मोती है जो मोहिनी जी के वहाँ काम करता है?‘‘
‘‘जी हाँ...‘‘ अमल ने उसी अंदाज में कहा।
फिर उसने कड़े शब्दों और तेज आवाज में पूछा- ‘‘क्यों रे...तुझ पर ही मिसेज नैना के साथ दुराचार करने के जुर्म में मुकदमा चल रहा है?‘‘
‘‘जी हुजूर...‘‘ मोती ने बहुत ही सहम के साथ कहा।
‘‘साला इत्त सा छोकरा और जवानी चढ़ गई थी। और अब इस मेमसाहब को पकड़ लिया।‘‘ सब इंस्पेक्टर ने बहुत ही अशलील अंदाज में ये सब कहा और फिर बोला- ‘‘इन मेमसाहब के पति का कुछ नंबर-वंबर है तेरे पास?‘‘
‘‘...न...नहीं हुजूर मेरे पास कोई फोन ही नहीं है।...मैं मेमसाहब के घर में किसी को नहीं जानता‘‘ फिर पुलिस वाला अमल की तरफ मुड़कर बोला- ‘‘आप इस छोकरे को लेकर थाने आईए, आपका और इसका बयान लेना है।‘‘
इतना कह कर वह चला गया। अमल जड़ से खड़े मोती के चेहरे पर फैलती सहम को निहारते रह गए। कभी-कभी जब ऐसे लड़के की अपरिपक्वता ही किसी परिपक्व आरोप का कारण बन जाती है तो न तो उस आरोप की सत्यता से इंकार किया जा सकता है और न तो पूरी तरह स्वीकार ही किया जा सकता है। इस वक्त न तो मोती गुनहगार प्रतीत हो रहा है और न ही बेगुनाह।
तभी मोती ने बहुत रूंआंसे स्वर में पूछा-‘‘साहब, पुलिस लोग मुझे थाने में मारेंगे पीटेंगे क्या?‘‘
‘‘मोती की सहम महसूस करते हुए अमल ने उसे ढांढ़स बंधाते हुए कहा- ‘‘तुझे अब क्यों मारेंगे।...चल मेरे साथ।‘‘ फिर उन्होंने कुछ याद करते हुए कहा- ‘‘आज नैना मिली थीं। वह तुझे बचाना चाहती हैं। जा कर उन्हें लिवा ला। अगर वह साथ चल सकें तो ले चल।‘‘
मोती कुछ सोच कर बोला-‘‘मैं उनके पास नहीं जाऊँगा साहब। मुझे उनसे बड़ी नफरत है। खुद इतनी बड़ी औरत हो कर मुझे अपने पास रोज सुलाती थी और गंदा काम करने के लिए कहती थीं और फिर उस दिन उनके साहब ने देख लिया तो मुझे ही उनके हाथों से खूब पिटवाया और मुझे जेल भिजवा दिया। मैं उसके पास नहीं जाऊँगा।‘‘
‘‘तूने ये सच बात कही क्यों नहीं उस वक्त?‘‘ अमल ने कुछ तेज आवाज में उससे कहा।
‘‘क्या कहता साहब। उनका नमक खाया था। सच कह देता तो उनका साहब उन्हें जान से मार देता। वह बहुत ही गुस्से में था।‘‘ मोती ने बहुत दया दिखाते हुए कहा। अमल उसकी इस बात पर उसे बहुत निरीह भाव से देखते हुए चुप लगा गए और उसके साथ थाने चले गए।
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‘‘आपका नाम?‘‘ पुलिस इंस्पेक्टर ने पूछा।
‘‘अमल कुमार। पिता पंडित केशव नाथ।‘‘ अमल ने बताया।
‘‘रहने वाले कहाँ के हैं?‘‘
‘‘मुंबई, कुरला‘‘
‘‘यहाँ किसलिए आए थे...‘‘
‘‘पचमढ़ी घूमने आया था‘‘
‘‘पचमढ़ी घूमने आए थे या मोहिनी जी से मिलने...‘‘ इंस्पेक्टर ने कुछ अजीब अंदाज में पूछा।
‘‘...दोनों कारण हैं। चूंकि मोहिनी जी से काफी पहले से परिचय है इसलिए दोनों हो गया।‘‘
‘‘कबसे जानते हैं मोहिनी जी को।‘‘
‘‘पिछले ग्यारह सालों से। वह मुंबई में मेरे साथ संगीत की स्टुडेंट थीं और मेरे पिता से सितार सीखती थीं। मेरे ही घर रहती थीं।‘‘ अमल ने बताया।
‘‘आज शाम आप मोहिनी जी के साथ उस पहाड़ी पर थे, जहाँ से वह गिरी थीं?‘‘
‘‘हाँ। हम लोग घूमने निकले थे, अचानक उनका....‘‘ अमल ने सधे स्वर में कहा लेकिन इंस्पेक्टर ने बीच में ही घूर कर देखा अमल की ओर फिर बोला- ‘‘मोती ने बतलाया है अभी कि कल रात आप उनके बेडरूम में सोए थे, और सुबह अचानक उनके पति आ गए और आपको सुबह गेस्ट हाउस जाना पड़ा। कुछ तकरार भी हुई आप तीनों के बीच...‘‘
‘‘मुझसे नहीं हुई थी। मैं तो गेस्ट हाउस चला गया था। हो सकता है उन दोनों में मुझे लेकर हुई हो।‘‘ अमल ने साफ शब्दों में कहा।
‘‘फिर मोहिनी के पति नाराज होकर वापस लौट गए और फिर मोहिनी जी आपको गेस्ट हाउस से वापस बुला लाईं।‘‘ उसने कुरेदते हुए पूछा।
‘‘सही है।‘‘