कविता 1st
तुम आओ कभी मेरे लिए
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तुम आओ कभी मेरे लिए
साथ महक गेंदे के फूल की लेकर
फिर हम तुम गुप्तगुं करे सात जन्मों की
तुम आओ तो कभी
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तुम आओ कभी मेरे लिए
फिर तुम गरमागरम कॉफी बनाओ
तेरे व मेरे लिए
तुम्हारे कप से मैं व मेरे कप से कॉपी तुम पी ओ
तुम मुझसे प्यार करो,इजहार करो
तुम आओ कभी मेरे लिए
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तुम आओ कभी मेरे लिए
तुम्हे मेरी छोटी सी लाइब्रेरी में रखी
मेरी पसंदीदा बुक देनी है
और तुम मुझे पढ़कर सुनाओ
कुछ शायरी,गजल ,आओ ना कभी
,💐🍫💐💐🍫💐🍫
तुम आओ कभी मेरे लिए
कुछ तुम मुझे कहो,कुछ मैं तुम्हे कहूं
तुम्हारे हाथ में मेरा हाथ हो और तुम कहो
की प्रहलाद ये हाथ हमेशा के लिए
पकड़ के रखना चाहती हूं
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तुम आओ कभी मेरे लिए
मैं तुम्हे प्यार करूं
तुम्हे अपने पास रखूं,और कहूं कि
मैं तुम्हे अपने पास जीवन भर रखना चाहता हूं,
प्यार करना चाहता हूं
तुम आओ कभी मेरे लिए
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कविता 2nd
मैं हर फिक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया
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मैं हर फिक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया
जो मिला उससे फिक्र अपनी जताता चला गया
वो हर मुलाकात में मुझसे प्यार करती
मैं उससे हर बार अपनी बातें बताता चला गया
मैं हर फिक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया
जो मिला मुझसे उसने मुझे धोखा दिया
मैं दुश्मनों को सीने से लगाता चला गया
इनको अपना बनाता चला गया
मैं हर फिक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया
उससे प्यार अपना जताता चला गया
वो मुझसे हर बार प्यार करती
मैं उससे लगाता चला गया
अपना उसे बनाता चला गया
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कविता 3rd
यादों की किताब
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याद आती हैं उसकी, पर जा नहीं सकता
हाल ए दिल दिखा नहीं सकता
कुछ मजबूरियों ने रोक रखा है
कुछ वो आना नहीं चाहती
अपना वो बनाना नहीं चाहती
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दिल में अल्फ़ाज़ है उसके
आज भी साथ है मेरे
दिल तो तोड़ दिया उसने
पर कमबख्त याद आज भी साथ है मेरे
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दिल की तन्हाई में याद उसे करता हूं
वो खुश रहे फ़रियाद अक्सर करता हूं
वो मुझे भुला चुकी है
प्रयास भुलाने का मैं भी अक्सर करता हूं
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इस कद्र टूटे है इश्क में
कि शायरी अच्छी लगती है
इस कद्र टूटे हैं इश्क में
कि शायरी अच्छी लगती है।
वो मिले तो उसे बता देना
कि वो आज भी मुझे अच्छी लगती है
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इश्क किसी बेवफ़ा से किया था
दुख आज भी है
दिल उसने तोड़ा
पर जख्म आज भी है
वो चली गई मुझे छोड़ कर
पर अहसास आज भी है
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कविता 4th
हाय ये उसका इमोशनल हत्याचार
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वो मुझे रुला कर कहती कि तुम हंसते नही,
हाय ये उसका इमोशनल अत्याचार
लगा कर जख्म दिल में वो कहती कि तुम्हारे शरीर पर जख्म नहीं है, हाय ये उसका इमोशनल अत्याचार
वो किसी और से मिलती है अब,लेकिन जब कभी मैं उससे मिल जाता हूं तो वो कहती है कि तुम मिलने नहीं आते, हाय ये उसका इमोशनल अत्याचार
वो खुद बेवफ़ा है लेकिन इल्ज़ाम मुझ पर बेवफ़ाई का लगाती है, हाय ये उसका इमोशनल अत्याचार
वो मुझे देख कर मुस्कुराती है,जख्मों पर नमक लगाती हैं, हाय ये उसका इमोशनल अत्याचार
वो मुझे देख मेरे गैरों को गले लगाती हैं, हाय ये उसका इमोशनल अत्याचार
हाय ये उसका इमोशनल अत्याचार मुझे रुलाता है
हमेशा तड़पाता है
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