कविता 1st
मैं तुझे बदनाम करने से डरता हूँ
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तुझे इश्क में बदनाम होने का डर है
मुझे तेरे इश्क में आबाद होने का डर है
तू किसी और कि होना चाहती है
मैं तेरा होने का ख्वाब देखता हूं
तेरे इश्क में तड़पना मंजूर है मुझे
इश्क की इसी बात पर गरूर है मुझे
तेरे ख्वाबों को इस कदर सजाया है मैंने
तुझे न चाह कर भी चाहा है मैने
तेरे लिए कुछ कर जाने की सोचता हूं
तू मुझे मिल ,बात कर
मैं तुझे हंसाने,रुलाने की सोचता हूं
तेरे बाहों कुछ पल बिताने की सोचता हूं
तू बेगानों से हंस हंस कर बात कर लिया कर
तू मुझे रुलाने की सोचता है
मैं हर पल तुझे अपनाना चाहता हूं
तू मुझे हमेशा मुझे बेगाना मानता है
तुझे पाने का जुनून,प्यार इतना है
कि तुझे खोने से डरता हूं
तू मुझे बदनाम कर
मैं तुझे बदनाम करने से डरता हूं
तेरे इश्क में आबाद होने से डरता हूं
मैं तुझे बदनाम करने से डरता हूं
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कविता 2nd
सदियों का इंतजार
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सदियों का इंतजार काम नहीं आया
वो चली गई,दिल की तन्हाई को आराम नहीं आया
सदियों से इंतजार है उसका
आज तक उसका खत मेरे नाम नहीं आया
वो मुझे भुला चुकी है शायद
मैं भी भुला दूं,मेरा ये प्रयास मेरे काम नहीं आया
आंखों के आंसुओ को आराम नहीं आया
उससे मिलना चाहता हूं
उसे गले लगा कर प्यार करना चाहता हूं
हर बार मेरा ये प्रयास काम नहीं आया
वो गुजर गई पास से,उसका यूं जाना
मुझे राश नहीं आया
मैं देख कर उसे खुश हो जाता हूं
उसे आज तक ये अहसास नहीं हुआ
उसकी लबों पर आज तक मेरा नाम नहीं आया
वो चली गई मेरा प्यार मेरे काम नहीं आया
सदियों का इंतजार काम नहीं आया
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कविता 3rd
मुझे अकेलापन सताता है
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मुझे सताता है अकेलापन
बहुत तड़पाता है अकेलापन ।
तुम नहीं हो मेरे साथ
ये हर बार जताता है अकेलापन
जब तुम आए थे तो था मैं कितना खुश
अब जब तुम चले गए हो रुलाता है अकेलापन
दिल की गलियां तड़पती है तुम्हारी रूह को
पर ना जाने फिर भी दिल में रहता है अकेलापन
तुम थे ,हसरत थी,चाहत थी और अब जब तुम नहीं हो तो बस रह गया है अकेलापन
जब भी याद आती है तुम्हारी तब तब बहुत
सताता है अकेलापन
जिंदगी है,चाहत है ,बस नहीं हो तो तुम
इश्क की गलियों में सताता है अकेलापन
बहुत सताता है अकेलापन
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कविता 4th
क्या कसूर था उसका
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एक दुल्हन की मौत कर दी गई जब उसके पापा ने उसे दहेज कम दिया
क्या कसूर था उसका
एक दुल्हन की मौत कर दी गई जब वो मॉडर्न होना चाही
क्या कसूर था उसका
एक दुल्हन की मौत कर दी गई जब उसने ससुराल वालों के कहने पर नौकरी नहीं छोड़ी
क्या कसूर था उसका
एक दुल्हन की मौत कर दी गई जब उसके साथ हत्याचार का विरोध किया
क्या कसूर था उसका
एक दुल्हन की मौत कर दी गई जब जब उसने अपनी ननद और देवर की बातें नहीं मानी
क्या कसूर था उसका
एक दुल्हन की मौत कर दी गई जब उसने ससुराल वालों के खिलाफ उसने शारीरिक शोषण और दहेज का केस किया
क्या कसूर था उसका
एक दुल्हन की मौत कर दी गई जब उसका विवाह अनजान व्यक्ति से किया गया
क्या कसूर था उसका
क्या महिला होना उसका कसूर था