सजना साथ निभाना--भाग(६) Saroj Verma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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सजना साथ निभाना--भाग(६)

वो डाक्टर और कोई नहीं मधुसुदन था, मधुसुदन भी एकाएक विभावरी को देखकर मन ही मन बहुत खुश हुआ लेकिन तीनों में से किसी ने भी ये जाहिर नहीं कि वे सब एक-दूसरे को जानते हैं।।
मंगला देवी बोली, देखिए डाक्टर साहब,ये हैं मरीज, इनका अच्छी तरह से चेकअप करके अच्छी सी दवा दे दीजिए ताकि ये जल्दी से ठीक हो जाए।।
मधुसुदन ने यामिनी को चेक किया और बोले ज्यादा कुछ नहीं है खून की कमी है,खून बढ़ाने वाली चीजें खिलाइए जैसे कि अनार, चुकंदर, आंवले ,ये जल्द ही ठीक हो जाएगीं,मैं कुछ भूख लगने वाले टानिक लिख देता हूं,इन्हे मंगा लीजिए,समय पर पिलाइए ये कुछ दिनों में ही स्वस्थ हो जाएगीं,मैं एकाध दिन में बीच बीच में देख जाया करूंगा कि मरीज की हालत अब बेहतर है कि नहीं।।
मंगला देवी बोली, बहुत बहुत धन्यवाद डाक्टर साहब।।
इसमें धन्यवाद की क्या बात है,ये तो मेरा फ़र्ज़ है, मधुसुदन बोला।।
और मधुसुदन,विभावरी से बिना कुछ कहे ही वहां से चला गया,वो असमंजस में था कि कहां से कैसे बात शुरू करें क्योंकि अगर विभावरी मेरे साथ आना चाहती तो मुझे सबके सामने पहचान लेती लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।।
उधर विभावरी भी उलझन में थी कि डाक्टर साहब ने तो उसे पहचाना ही नहीं, उसे देखकर उनके चेहरे पर कोई भाव ही नहीं आए इसका मतलब है वो मुझे अपने साथ ले ही नहीं जाना चाहते।।
दोनों के ही मस्तिष्क में अन्तर्द्वन्द चला रहा था और दोनों ही अपनी अपनी जगह ठीक थे क्योंकि दोनों ने अगर दिल से काम लिया होता तो शायद ये अन्तर्द्वन्द इतना लम्बा नहीं चलता।।
इसी तरह मधुसुदन एकाध दिन में यामिनी को चेक करने आ जाता लेकिन उसका असली मकसद तो बस एक झलक विभावरी को ही देखना होता था,वो उससे ना कोई बात करता और ना ही हाल चाल पूछता, मधुसुदन को लगता था अगर विभावरी के मन कुछ होता तो फ़ौरन प्रतिक्रिया देती लेकिन वो तो कुछ कहती ही नहीं है और सही बात भी तो है वो मुझसे आठ साल छोटी है,हम दोनों की उमर में इतना बड़ा अंतर है, वो शायद मुझे पसंद नहीं करती और उसने ब्याह भी तो जबरदस्ती से किया था,वो मुझे पसंद नहीं करती उसमें उसका क्या दोष है।
फिर एक दिन यामिनी ने विभावरी से कहा ___
विभावरी!! डाक्टर साहब तुझे पसंद करते हैं, ये उनकी आंखों में साफ़ दिखाई देता है।।
लेकिन दीदी तुम ही बताओ अगर पसंद करते होते तो एक बार तो कहते कि विभावरी घर चलो, लेकिन उन्होंने तो मुझे पहचाना ही नहीं,पता नहीं उनके मन में क्या है?विभावरी बोली।।
लेकिन विभावरी शायद वो भी इसी असमंजस में हो कि वे तुमसे क्या कहें,तू चाहे जो भी कहें लेकिन उनकी आंखों में तेरे लिए सच्चा प्रेम दिखता है, यामिनी बोली।।
अब यामिनी धीरे धीरे ठीक होने लगी थी लेकिन जो गलती वो कर चुकी थी उसके लिए वो खुद को बहुत बड़ा अपराधी मान रही थी कि उस लड़के के लिए उसने अपने परिवार वालों को धोखा दिया जो उसका कभी था ही नहीं,जब देखो कुछ ना कुछ सोचती रहती।।
फिर एक दिन मंगला देवी के घर के दरवाजे पर कोई महिला रोते हुए बोली, मांजी दरवाजा खोलिए, बहुत जरूरी काम है, मुझे माफ़ कर दीजिए, बहुत बड़ा अपराध किया है हमने।।
एक नौकरानी ने दरवाजा खोला।।
वो महिला अंदर आई, उसने नौकरानी से पूछा कि मांजी कहां हैं।।
अभी बुलाती हूं, नौकरानी इतना कहकर मंगला देवी को बुलाने चली गई।।
महिला की आवाज सुनकर यामिनी और विभावरी भी बाहर आ गई।।
मंगला देवी अपने कमरे से बाहर आकर बोली,कहो क्या बात है?
मांजी,उनकी बहुत तबियत खराब है,घर में एक भी पैसे नहीं हैं उनका इलाज़ कराने के लिए, बच्चों की फीस भी तीन महीने से नहीं भरी थी तो स्कूल वालों ने नाम काट दिया,एक एक पैसे के लिए मोहताज है हमलोग, बहुत ही खराब हालात हैं घर के,वो महिला एक ही सांस में कितना कुछ कह गई।।
मंगला देवी ने बहुत ही रूखाई से जवाब दिया,अब क्यो आई हो मेरे पास? कहां गया वो रूतबा,वो घमंड और तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे घर में कदम रखने की।।
ऐसा मत कहिए मां जी बहुत आस लेकर आई हूं आपके पास कि आप मेरी मदद नहीं करेगी,तो मेरे बच्चे भूखे मर जाएंगे और अगर उनका इलाज नहीं हुआ तो बहुत ही खराब हालत हो जाएगी उनकी,वो महिला बोली।।
ठीक है मैं शर्मा जी से कहती हूं वो आफिस से समय निकाल बैंक से पैसे निकाल कर दे आएंगे और आइंदा इधर मत आना तुम्हें जब भी पैसों की जरूरत हो तो आफिस ही चली जाया करो,शर्मा जी के पास, बहुत बेइज्जती की थी ना तुम लोगों ने उनकी,अब जाओ और उनके सामने ही अपनी झोली फैलाकर भीख मांगो।।
इतना सुनकर वो महिला बोली ठीक है मांजी और उसने मंगला देवी के पैर छूने चाहे लेकिन मंगला देवी पीछे हट गई, महिला अपना सा मुंह लेकर चली गई।।
विभावरी और यामिनी वहीं खड़े खड़े सब देखती रही लेकिन उन्हें कुछ समझ नहीं आया कि ये सब क्या हो रहा है और ये महिला कौन थी? मंगला देवी तो इतनी भली है फिर उन्होंने उस महिला के साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया।।
मंगला देवी,रोयांसी सी अपने कमरे में चली गई, दोपहर के खाने का समय हो चुका था लेकिन वो बाहर नही निकलीं।।
नौकरानी ,विभावरी और यामिनी के कमरे जाकर बोली दीदी खाना लग गया है आप लोग खा लीजिए।।
विभावरी बोली, ठीक है हम आते हैं और दोनों खाने के टेबल पर पहुंची, वहां जाकर देखा तो मंगला देवी नहीं थी।
विभावरी बोली, लेकिन ताई जी कहां है उन्हें भी बुला लो ।।
उन्होंने ने कहा कि आज भूख नहीं है और खाने से मना कर दिया, नौकरानी बोली।।
कैसे भूख नहीं है,हम अभी बुलाकर लाते हैं , इतना कहकर विभावरी और यामिनी ने मंगला देवी के कमरे के पास जाकर दरवाजे पर दस्तक दी,
विभावरी बोली,ताई जी क्या हम अंदर आ सकते हैं?
मंगला देवी बोली, हां आ जाओ।।
विभावरी और यामिनी दोनों पहुंची तो देखा मंगला देवी के हाथों में एक तस्वीर है और उनकी आंखें भी रोई रोई सी है।।
विभावरी पूछा,ताई जी ये क्या ताऊ जी की तस्वीर है?
मंगला देवी बोली, हां बेटी।।
तो आप रो क्यो रही है और वो आज कौन आई थीं,विभावरी ने पूछा।।
वो मेरी बड़ी बहु थी,मंगला देवी बोली।।
क्या कहा,ताई जी आपका भी परिवार है,विभावरी ने पूछा।।
हां बेटी,मेरा भी पहले कभी एक हंसता खेलता परिवार था,मंगला देवी बोली।।
लेकिन फिर ऐसे,विभावरी ने पूछा।।
मंगला देवी ने बोलना शुरू किया___
तुम्हारे ताऊ जी बहुत बड़े बिजनेसमैन थे, बहुत ही कम उम्र में हम दोनों का विवाह हो गया था,मैं चौदह साल की थी और वे सोलह साल के साथ, बहुत ही प्यार करते थे वो मुझसे, फिर हमारे दो बेटे हुए, बेटी भी चाहते थे लेकिन मेरा स्वास्थ्य उन दिनों ठीक नहीं रहता था एक तो कम उम्र में शादी और ऊपर से जल्दी जल्दी दो बच्चे तो लेडी डॉक्टर बोली अब और बच्चे नहीं!!नहीं तो आपकी जान को खतरा हो सकता है, फिर हम दोनों पति-पत्नी अपने बच्चों को पालने में ब्यस्त हो गये,बच्चो को ठीक से पढ़ाया लिखाया लेकिन वो पढ़ ना सके।।
फिर तुम्हारे ताऊ जी बोले रहने दो, अपने पास पैसे की क्या कमी है, अभी नादान है,एक बार ब्याह हो जाएगा तो अपनी जिम्मेदारियां समझने लगेंगे फिर हमने कुछ भी कहना बंद कर दिया बच्चों से।।
फिर रिश्ते आने लगे दोनों के लिए क्योंकि दोनों की उम्र में ज्यादा अंतर नहीं था और फिर हमने दोनों का ब्याह कर दिया,ब्याह होते ही दोनों बंटवारे की जिद करने लगे, हमने बंटवारा भी कर दिया दोनों में घर ,जमीन और फैक्ट्रियां बांट दीं।।
फिर कुछ दिनों बाद तुम्हारे ताऊ जी का एक्सीडेंट हो गया और वे नहीं रहें और उनके बाद मेरी जो दुर्दशा हुई तुम लोगों को नहीं मालूम,मैं भूखी पड़ी रहती थी लेकिन दोनों बहुएं खाने के लिए नहीं पूछती थी और जो भी मेरे नाम था इन लोगों ने धोखे से मुझसे हस्ताक्षर करवाकर हड़प लिया।।
और फिर एक दिन मानवता की हद पार कर दी, मुझे आधी रात को घर से निकाल दिया, मैं रातभर भूखी प्यासी मंदिर में पड़ी रही फिर सुबह के समय एक शर्मा जी ने मुझे रोते देख कारण पूछा कि बहन क्या हुआ?
मैंने अपनी सारी कहानी उन्हे कह सुनाई, उनके साथ भी यही हुआ था लेकिन वो सरकारी नौकरी में थे तो उन्हें पेंशन मिल रही थी और वे बेटों से अलग किराये के घर में रह रहे थे,वो मुझे अपने घर ले गये।।
मैं उनके घर में रहने लगी,वो मेरे हाथ का खाना खाकर कहते__
वाह..बहन जी आपके हाथ का खाना खाकर मन और पेट दोनों भर गये,जब से सुशीला मुझे छोड़कर गई है तब से अब ऐसा खाना खाया है।।
आप ऐसा क्यों नहीं करती, अगल-बगल के अचार और पापड़ के आर्डर ले लीजिए,मैं आपको काम दिलवाता हूं इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और फालतू की बातें भी मन नहीं आएगी।।
मैंने उनके कहने पर काम शुरू कर दिया,मेरा बिजनेस भी बढ़ने लगा और हाथ में कुछ पैसे भी आने लगे फिर मैंने सहयोग के लिए दो तीन महिलाएं भी रख ली, ऐसे ऐसे कर के मैंने मंगला देवी कुटीर उद्योग खोल लिया और हजारों महिलाओं को वहां रोजगार भी मिल गया।।
फिर एक दिन मेरे दोनों बेटे और बहुएं आए, मुझ पर और शर्मा जी पर लांछन लगाने लगे कि इस उम्र में ये सब शोभा नहीं देता,अय्याशी करने का अच्छा बहाना और ये बुड्ढा ....
मां समाज में हमें क्यो बदनाम करने पर तुली हो, दोनों बेटे और बहुओं ने क्या कुछ नहीं कहा मुझे और शर्मा जी को__
शर्मा जी से नहीं रहा गया और वे बोले तुम लोगों को शरम नहीं आती ऐसी देवी पर इल्जाम लगाते हुए और किस समाज की बात कर रहे हो, कहां गया था समाज उस दिन जिस दिन तुम लोगों ने बहनजी को घर से निकाला था, मैंने बहन बना के अपने घर में रख लिया तो कौन सा अपराध कर दिया और निकल जाओ यहां से__
इतना सुनकर सब चले गए फिर शर्मा जी के कहने पर मैंने ये बंगला खरीद लिया,वे अपने उसी घर में रहते हैं,बस हम आफिस में मिलते हैं,वो ही आफिस के सारे काम देखते हैं।।
विभावरी और यामिनी ये सुनकर दंग रह गई कि बेटे कैसे अपनी मां के साथ ऐसा व्यवहार कर सकते हैं, तभी विभावरी बोली, इसलिए तो भगवान उन्हें उनके किए की सजा दे रहे हैं।।
मंगला देवी बोली, हां उनकी अय्याशियों ने ही उन्हें बर्बाद कर दिया।।

क्रमशः____
सरोज वर्मा___