पहली माचिस की तीली - 6 S Bhagyam Sharma द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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पहली माचिस की तीली - 6

पहली माचिस की तीली

अध्याय 6

चेयरमैन कृष्णकांत को देखकर, नवनीत मुस्कुराया।

"आइए सर... आप के सीन में आने से मुझे सहूलियत हो गई। यहां जो 25 हजार लीटर चंदन का तेल है उसमें कितने लीटर नकली है....?"

"करीब-करीब बताएं तो ठीक है...? या परफेक्ट बोलना है?"

"करीब-करीब ही बोलो तो ठीक है ।"

"इस समय यहां पर जितने चंदन का तेल है उसका 70% नकली है।"

"बड़े हिम्मत से बोल रहे हो...?"

"सिर के ऊपर बाढ़ आ गई। अब एक बिलांद ज्यादा या कोहनी से ज्यादा...?"

"आप इतना ही फ्री बात कर रहे हो तो मैं भी अपने बात पर सीधे ही आ जाऊं सोचता हूं।"

कृष्णकान्त ने अपने भौंहों को ऊंचा किया।

"विषय पर आए क्या?"

"हां...."

"क्या विषय...?"

"मैं सेंट्रल एक्साइज डिपार्टमेंट का आदमी नहीं हूं।"

"फिर...?

"मानव संसाधन विकास संस्था के मंत्री हरि कुमार को जानते हैं...?"

"जा... जानता हूं..."

"मैं उनका आदमी हूं।"

"फिर वह पत्र....?"

"मैंने ही तैयार किया था। बट, योजना बनाने वाले हरिकुमार ही थे।"

"किस लिए यह योजना...?"

"आप जो इतना कमा रहे हो उसमें हिस्से के लिए ही। हरि कुमार चाहते तो आपके बारे में पुलिस में रिपोर्ट करा सकते थे। परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया। आपके इस कमाई का वह भी पार्टनर बनना चाहते हैं। आप इस चेयरमैन पद पर जबतक हो तबतक किसी से डरने की जरूरत नहीं है। आप जो कर रहे हैं वह करते रह सकते हैं।"

स्तंभित होकर खड़े रहे कृष्णकांत फिर अपने को सुधार कर पूछें।

"आप ही मिनिस्टर हरि कुमार 'के आदमी हैं' हम कैसे आप पर विश्वास करें....?"

हंसते हुए नवनीत अपनी छाती पर हाथ रखकर एक सेल्यूलर फोन को निकाला।

"मिस्टर हरीश कुमार का प्राइवेट टेलीफोन नंबर बताता हूं। इसमें डायल करके बात कर लीजिएगा?"

एक क्षण के लिए ठिठक कर कृष्णकांत नवनीत के सेल फोन को ले लिया।

"हां.... नंबर बताइए...."

दिल्ली के एस. टी.डी. नंबर पहले डायल करके कृष्णकांत के बोले हुए नंबर को लगाया दूसरी तरफ रिंग गई। उसी समय रिसीवर को उठा लिया।

"हेलो...."

कृष्णकत ने अंग्रेजी में पूछा।

"मानव संसाधन मंत्रालय से?"

"हां..."

"मंत्री जी से बात करनी है..."

"आप कौन...?"

तमिल नाडु चंदन ऑयल बोर्ड के चेयरमैन कृष्णकांत...."

"एक मिनिट..."

कृष्णकांत लाइन में इंतजार कर रहे थे तभी मंत्री हरि कुमार की आवाज आई। हिंदी की खुशबू के साथ अंग्रेजी में बोले।

"मिस्टर कृष्णकांत ! मेरा विश्वास पात्र नवनीत ने सब कुछ बोल दिया...?

"बोल दिया सर..."

"ऐसा करने के लिए आप तैयार हैं?"

"तैयार हूं..."

"खुशी है... परंतु एक बात आपको भूलना नहीं चाहिए..."

"कौन सी बात सर...?"

"जो भी काम करो कानून के अंतर्गत होना चाहिए फंसना नहीं चाहिए ऐसा करना है।"

"मालूम है सर..."

"आपके होशियारी के बारे में जानने के बाद ही मैंने नवनीत को वहां पर भेजा.... अब कोई भी काम करना हो नवनीत से मिलकर बात करके करो।"

"यस.... सर..."

"अगली बार मैं तमिलनाडु आते समय 5 दिन टेहरूंगा। आप मुझसे आकर मिल सकते हैं।'

"दूसरी तरफ से मंत्री के रिसीवर के रखते हैं कृष्णकांत सेल फोन को बंद करके नवनीत को दिया।

"अब मुझे क्या करना है। कोई एक बात है मंत्री कह रहे हैं... क्या बात है...?"

नवनीत मुस्कुराया।

"सेंट्रल एक्साइज डिपार्टमेंट से और दो दिन बाद बड़े अधिकारी इस चंदन तेल गोडाउन को आकर चेक करेंगे। इस तरह के चेक करते समय आपका झूठ बाहर आ सकता है ना...?"

"निश्चित रूप से...."

"उससे आपको बचना नहीं है क्या?"

"बचना तो है ही..."

"क्या करने वाले हो....?"

"अपने मंत्री हैं फिर मुझे क्या फिकर?"

"इस विषय में आप को बचाने वाले मंत्री जी नहीं..."

"फिर....?

"अग्नि देवता..."

"अग्नि देवता….?"

"हां.... यह चंदन ऑयल संस्था के अधिकारियों का परीक्षण वालों के आने के पहले एक अग्नि कांड में सब खत्म हो जाना चाहिए.... अर्थात् शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई और उसमें रखे हुए करोड़ों रुपयों के चंदन का तेल जलकर नाश हो गया।"

कृष्णकांत सदमे में आकर नवनीत को देखा। "इस चंदन के तेल को जलाए बिना परीक्षण के लिए आने वाले अधिकारियों को हम ठीक नहीं कर सकते...?"

"नहीं कर सकते..."

"क्यों...?"

"आने वाले अधिकारी सिर्फ राजकीय वेतन को लेकर अपना परिवार चलाने वाले लोग हैं। पैसे के लिए या दबाव में आने वाले आदमी नहीं हैं।"

"वे... कब परीक्षण के लिए आ रहे हैं?"

"कोई भी क्षण आ सकते हैं.... आप तुरंत इस गोदाम को जलाकर राख कर दो तो ठीक रहेगा...."

कृष्णकांत के माथे पर पसीने की बूंदें चमकने लगी। पास में खड़े मुकुट पति को देखा।

"क्यों मुकुट पति... आज ही काम को खत्म कर दें..?"

"कर देंगे सर।"

"इसे जलाने के पहले अंदर के कमरे में जो ओरिजिनल चंदन का तेल के बैरल है उन्हें अपने रहस्यमय जगह पर ले जाओ।"

मुकुट पति मुस्कुराए।

"इसे आपको बोलने की जरूरत है क्या सर...."

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