हारा हुआ आदमी(भाग 11) Kishanlal Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • आखेट महल - 19

    उन्नीस   यह सूचना मिलते ही सारे शहर में हर्ष की लहर दौड़...

  • अपराध ही अपराध - भाग 22

    अध्याय 22   “क्या बोल रहे हैं?” “जिसक...

  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

श्रेणी
शेयर करे

हारा हुआ आदमी(भाग 11)

"जी नही"देवेन बोला,"ज्यादा खाना सोना आपकी सुंदरता में ग्रहण लगा सकता है।"
"फिर क्या करूँ?"
"आपकी छुट्टी है और मैं भी फ्री हूँ।कही घूमने चलते है।"
"कहा?"
"ताजमहल चलते है।"
"वैसे तो कई बार देखा है।लेकिन आपका मन है,तो चलते है।"
वेटर काफी ले आया था।पहले डिस्को संगीत बज रहा था।उसके पूरा होते ही रफी के गाने बजने लगे थे।
"तेरी आँखों के सिवा
रफी का मशहूर गीत
देवेन भी निशा की आंखों का दीवाना था।निशा की आंखे उसकी सुंदरता में चार चांद लगाती थी।उसकी आँखों मे जबरदस्त कशिश थी।बोलती आंखे।मानो पास बुला रही हो।उस गाने को सुनकर देवेन निशा की आंखों में खो गया था।मानो स्वप्निल दुनिया में चला गया हो।
पर्वतों की गोद में बसा शहरचारो तरफ फैली हरियाली।पेड़ो पर चहचहाते परिंदे।एक तरफ बहती नदी।सामने सड़क पर दौड़ाते वाहन।ट्रेन की आवाज। पहाड़ी पर एक पत्थर पर बेठी निशा।और वह निशा की आंखों को निहार रहा थाऔर गा रहा था,"इन आँखों के सिवा इस दुनिया मे क्या रखा है
निशा एक टक देवेन को निहार रही है।दो प्रेमी युगल
"कुछ और सर्
तभी वेटर आ गया।उसकी आवाज सुनकर देवेन सपने की दुनिया से वर्तमान में लौट आया।
पैसे देने के बाद देवेन बोला,"आओ चले
और वे दोनों लौट गए थे।
रविवार को निशा 10 बजे ताजमहल पहुँच गईं।देवेन अभी नही आया था।वह पेड़ के नीचे खड़ी होकर उसका इन्तजार करने लगी।
छुट्टी का दिन होने की वजह से काफी भीड़ थी।देशी विदेशी पर्यटकों की भारी भीड़ टिकट खिड़कियों के बाहर लगी थी।निशा आते जाते लोगो को देखने लगी।उसे अकेली खड़ी देखकर लोग उसे घूरते जरूर थे।मानो वह नुमाइश की वस्तु हो।
मनचले उसके इतने पास से निकलकर ऐसी बात कहते थे जो अश्लीलता की सीमा में आती थी।उसे बुरी नज़र से देखने वालों में कुंवारे ही नही वे विवाहित भी थे जिनकी पत्नियां भी उनके साथ थी।पत्नियों के साथ होने के कारण वे कुंवारों जैसी गिरी हरकत नही कर सकते थे।ऐसा करने पर पत्नी की नज़रो में गिरने का खतरा जो था।इसलिए पत्नी की नज़रो से बचकर उसे घूरते थे।
मर्द दिखाने के लिए सभ्य शरीफ बनने का दिखावा जरूर करते है।लेकिन अकेली औरत को देखकर उनकी जीभ लपलपाने लगती है।हर औरत पर अपना अधिकार समझने लगते हैं ।तन से चाहे उस औरत को ना पा सके।लेकिन मन मे उस औरत के साथ बैडरूम में होने की कल्पना करने लगता है।आदमी की इसी मानसिकता की वजह से मशूहर लेखक टॉलस्टाय लिखते है।
मन में हम किसी औरत के प्रति गंदे विचार लाते है,तो इसका मतलब है।शारीरिक रूप से न सही मानसिक रूप से तो हम उससे संभोग कर ही चुके हैं
कोई भी मर्द उसे घूरता,तो निशा यही सोचती थी।वो मन मे उसे भोगने के बारे में ही सोच रहा है।
देवेन के आते ही वह अपनी जगह से हिली थी।देवेन ने खिड़की पर जाकर दो टिकट लिए थे।
फिर दोनों लाइन में लग गए थे।और काफी देर बाद वह ताजमहल के प्रवेश द्वार पर पहुँचे थे।
अंदर काफी भीड़ थी।ताजमहल को बने सदियां बीत गई,लेकिन उसकी सुंदरता में कोई कमी नही आई थी।न जाने कितने राज बदल गए लेकिन ताजमहल आज भी शान से खड़ा था।वक़्त के थपेड़े उसका बल भी बांका नही कर सके थे।
ताजमहल की गिनती दुनिया के सात आश्चर्यो में होती है।